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  • यीशु की निगरानी में काम करते रहिए
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2022
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2022
w22 जुलाई पेज 8-13

अध्ययन लेख 29

यीशु की निगरानी में काम करते रहिए

“स्वर्ग में और धरती पर सारा अधिकार मुझे दिया गया है।”​—मत्ती 28:18.

गीत 13 मसीह, हमारा आदर्श

एक झलकa

1. यहोवा की क्या मरज़ी है?

यहोवा की मरज़ी है कि पूरी धरती पर राज की खुशखबरी का प्रचार किया जाए। (मर. 13:10; 1 तीमु. 2:3, 4) यह काम इतना ज़रूरी है कि यहोवा ने अपने बेटे को इस काम का ज़िम्मा सौंपा है। यीशु ही इस काम की निगरानी सबसे अच्छी तरह कर सकता है। इसलिए हम यकीन रख सकते हैं कि अंत आने से पहले प्रचार काम पूरा हो जाएगा, ठीक जैसे यहोवा चाहता है।​—मत्ती 24:14.

2. इस लेख में हम क्या जानेंगे?

2 इस लेख में हम जानेंगे कि यीशु कैसे “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के ज़रिए परमेश्‍वर के वचन से हमारा मार्गदर्शन कर रहा है और पूरी दुनिया में प्रचार करने के लिए निर्देश दे रहा है। (मत्ती 24:45) हम यह भी जानेंगे कि हम यीशु और बुद्धिमान दास का साथ कैसे दे सकते हैं।

यीशु प्रचार काम की निगरानी कर रहा है

3. यीशु को क्या अधिकार दिया गया है?

3 यीशु आज प्रचार काम की निगरानी कर रहा है। हम यह कैसे कह सकते हैं? ध्यान दीजिए कि स्वर्ग जाने से पहले जब यीशु गलील में अपने चेलों से मिला, तो उसने उन्हें क्या बताया। उसने कहा, “स्वर्ग में और धरती पर सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिए जाओ और सब राष्ट्रों के लोगों को मेरा चेला बनना सिखाओ।” (मत्ती 28:18, 19) इससे पता चलता है कि यीशु को यह अधिकार दिया गया है कि वह प्रचार काम की निगरानी करे।

4. हम क्यों कह सकते हैं कि यीशु आज भी प्रचार काम की निगरानी कर रहा है?

4 यीशु ने बताया कि प्रचार और चेला बनाने का काम “सब राष्ट्रों” में किया जाएगा। फिर उसने अपने चेलों को यकीन दिलाया कि वह “दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्‍त तक” उनके साथ रहेगा। (मत्ती 28:20) इसलिए हम कह सकते हैं कि आज भी यीशु प्रचार काम की निगरानी कर रहा है।

5. हम भजन 110:3 में लिखी भविष्यवाणी को कैसे पूरा कर रहे हैं?

5 यीशु को यह चिंता नहीं थी कि दुनिया-भर में प्रचार करने के लिए लोग होंगे कि नहीं। उसे पता था कि आखिरी दिनों में भजन की किताब में लिखी यह भविष्यवाणी पूरी होगी, “जिस दिन तू अपनी सेना को लेकर युद्ध में जाएगा, उस दिन तेरे लोग अपनी इच्छा से खुद को पेश करेंगे।” (भज. 110:3) अगर आप भी प्रचार करते हैं, तो आप इस भविष्यवाणी को पूरा कर रहे हैं और यीशु और विश्‍वासयोग्य दास का साथ दे रहे हैं। आज यह काम ज़ोर-शोर से हो रहा है, पर कुछ मुश्‍किलें भी हैं।

6. आज हम किस मुश्‍किल का सामना करते हैं?

6 एक मुश्‍किल यह है कि लोग हमारा विरोध करते हैं। धर्मत्यागी, धर्म गुरु और नेता हमारे काम के बारे में झूठी बातें फैलाते हैं। जब हमारे रिश्‍तेदार, जान-पहचानवाले और साथ काम करनेवाले ये बातें सुनते हैं, तो वे शायद हम पर ज़ोर डालें कि हम यहोवा की सेवा करना छोड़ दें और प्रचार भी ना करें। कुछ देशों में तो हमारे भाई-बहनों को धमकियाँ दी जाती हैं, उन पर हमले किए जाते हैं, उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है और कई बार तो जेल भी हो जाती है। पर यह कोई हैरानी की बात नहीं है, क्योंकि यीशु ने पहले ही बता दिया था: “मेरे नाम की वजह से सब राष्ट्रों के लोग तुमसे नफरत करेंगे।” (मत्ती 24:9) जब हमारा विरोध किया जाता है, तो हमें याद रखना चाहिए कि ऐसा इसलिए हो रहा है कि हम सही काम कर रहे हैं और यहोवा हमसे खुश है। (मत्ती 5:11, 12) शैतान ही है जो लोगों के ज़रिए हमारा विरोध करता है। लेकिन यीशु के सामने वह कुछ भी नहीं! आज यीशु की मदद से खुशखबरी का प्रचार सभी देशों में किया जा रहा है। आइए इस बारे में और जानें।

7. आज प्रकाशितवाक्य 14:6, 7 में लिखी भविष्यवाणी कैसे पूरी हो रही है?

7 आज दुनिया में लोग इतनी भाषाएँ बोलते हैं कि उनकी अपनी भाषा में खुशखबरी सुनाना एक और मुश्‍किल है। पर यीशु ने प्रेषित यूहन्‍ना को दर्शन में बताया था कि आखिरी दिनों में हर भाषा के लोगों को खुशखबरी सुनायी जाएगी। (प्रकाशितवाक्य 14:6, 7 पढ़िए।) आज ऐसा ही हो रहा है। हम ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को उनकी अपनी भाषा में खुशखबरी सुनाने की कोशिश कर रहे हैं। लोग हमारी वेबसाइट jw.org पर 1,000 से ज़्यादा भाषाओं में बाइबल पर आधारित किताबें-पत्रिकाएँ पढ़ सकते हैं। लोगों के साथ बाइबल अध्ययन करने के लिए हमारी नयी किताब खुशी से जीएँ हमेशा के लिए! 700 से भी ज़्यादा भाषाओं में तैयार की जा रही है। जो लोग सुन नहीं सकते, उनके लिए साइन लैंग्वेज में ढेर सारे वीडियो तैयार किए जा रहे हैं। और जो देख नहीं सकते, उनके लिए ब्रेल भाषा में प्रकाशन निकाले जा रहे हैं। आज हम अपनी आँखों से बाइबल की भविष्यवाणियाँ पूरी होते हुए देख रहे हैं। ‘अलग-अलग भाषा बोलनेवाले सब राष्ट्रों के लोग’ आज “शुद्ध भाषा” बोलना सीख रहे हैं यानी सच्चाई सीख रहे हैं। (जक. 8:23; सप. 3:9) यह सबकुछ इसलिए हो पा रहा है, क्योंकि यीशु बहुत अच्छी तरह प्रचार काम की निगरानी कर रहा है।

8. प्रचार काम के क्या अच्छे नतीजे निकल रहे हैं?

8 आज प्रचार काम के कई अच्छे नतीजे निकल रहे हैं। दुनिया के 240 देशों में 80 लाख से ज़्यादा लोग यहोवा के संगठन का हिस्सा हैं और हर साल एक लाख से भी ज़्यादा लोग बपतिस्मा लेकर इस संगठन से जुड़ते जा रहे हैं! पर इससे ज़्यादा खुशी की बात यह है कि ये लोग “नयी शख्सियत” पहन रहे हैं यानी अपने अंदर अच्छे गुण बढ़ा रहे हैं। (कुलु. 3:8-10) इनमें से कई लोग पहले अनैतिक काम करते थे, हिंसक थे, भेदभाव करते थे और देशभक्‍त थे, लेकिन अब वे बदल गए हैं। और यशायाह 2:4 में लिखी भविष्यवाणी पूरी हो रही है, ‘लोग फिर कभी युद्ध करना नहीं सीखेंगे।’ जब हम अपने अंदर अच्छे गुण बढ़ाते हैं, तो यह देखकर लोग यहोवा के संगठन की तरफ खिंचे चले आते हैं और इस तरह हम अपने अगुवे यीशु की मिसाल पर भी चल रहे होते हैं। (यूह. 13:35; 1 पत. 2:12) प्रचार काम के जो बढ़िया नतीजे निकल रहे हैं, वह कोई इत्तफाक नहीं है। यह सब यीशु की मदद से ही हो पा रहा है।

यीशु ने एक दास को ठहराया

9. मत्ती 24:45-47 में आखिरी दिनों के बारे में क्या भविष्यवाणी की गयी थी?

9 मत्ती 24:45-47 पढ़िए। यीशु ने बताया था कि आखिरी दिनों में वह “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” को ठहराएगा जो परमेश्‍वर के वचन से हमारा मार्गदर्शन करेगा। और आज यह दास ऐसा ही कर रहा है। यीशु अभिषिक्‍त मसीहियों के एक छोटे-से समूह के ज़रिए परमेश्‍वर के लोगों और दिलचस्पी रखनेवालों को “सही वक्‍त पर खाना” दे रहा है। आज ये भाई बहुत मेहनत कर रहे हैं। पर वे ऐसा कभी नहीं सोचते कि वे हमारे विश्‍वास के मालिक हैं। (2 कुरिं. 1:24) इसके बजाय वे मानते हैं कि यीशु हमारा “अगुवा और शासक” है।​—यशा. 55:4.

तसवीरें: बीते सालों के दौरान दिलचस्पी रखनेवालों के साथ अलग-अलग प्रकाशनों से बाइबल का अध्ययन किया गया। 1. 1946: “परमेश्‍वर सच्चा ठहरे।” एक बहन प्रचार करते वक्‍त एक पति-पत्नी को यह किताब दे रही है। 2. 1968: “सत्य जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है।” एक आदमी अपने घर बैठे यह किताब पढ़ रहा है। 3. 1982: “आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं।” एक भाई इस किताब से एक आदमी के साथ अध्ययन कर रहा है। 4. 1995: “ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है।” एक भाई इस किताब से एक आदमी के साथ अध्ययन कर रहा है। वे दोनों एक ही जगह पर काम करते हैं और खाना खाते वक्‍त एक-दूसरे से बात कर रहे हैं। 5. 2005 और 2015: “बाइबल असल में क्या सिखाती है?” और “बाइबल हमें क्या सिखाती है?” किताबें। एक बहन इस किताब से एक औरत के साथ अध्ययन कर रही है। 6. 2021: “खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!” एक बहन वीडियो कॉल के ज़रिए इस किताब से एक औरत के साथ अध्ययन कर रही है।

10. तसवीर में दिखायी कौन-सी किताब पढ़कर आपने यहोवा की सेवा करने का फैसला किया?

10 सन्‌ 1919 से विश्‍वासयोग्य दास ने ऐसे कई प्रकाशन तैयार किए हैं, जिनसे लोग परमेश्‍वर के वचन में दी सच्चाइयाँ सीख पाए हैं। ये प्रकाशन बिलकुल सही वक्‍त पर मिले खाने की तरह थे और इन्हें पढ़कर लोग बाइबल के बारे में सीखने लगे। सन्‌ 1921 में इस दास ने परमेश्‍वर का सुरमंडल नाम की किताब निकाली। जैसे-जैसे ज़माना बदला, बाइबल अध्ययन कराने के लिए कई नए प्रकाशन तैयार किए गए, जैसे “परमेश्‍वर सच्चा ठहरे,” सत्य जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है, आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं, ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है, बाइबल असल में क्या सिखाती है?, बाइबल हमें क्या सिखाती है?  और हाल ही में आयी हमारी नयी किताब खुशी से जीएँ हमेशा के लिए! आपने इनमें से कौन-सी किताब पढ़कर यहोवा के बारे में जाना और उसके करीब आए?

11. यह क्यों ज़रूरी है कि हम सब यहोवा और बाइबल के बारे में अच्छी तरह सीखते रहें?

11 सिर्फ बाइबल विद्यार्थियों को ही अच्छे ‘खाने’ की ज़रूरत नहीं है। हम सभी को यहोवा और बाइबल के बारे में अच्छी तरह सीखते रहना है। इसी बारे में पौलुस ने लिखा, ‘ठोस आहार बड़ों के लिए है।’ पौलुस ने यह भी बताया कि जब हम यह खाना खाएँगे और सीखी बातों के मुताबिक काम करेंगे, तो हम “सही-गलत में फर्क” कर पाएँगे। (इब्रा. 5:14) आज दुनिया के स्तर गिरते जा रहे हैं और ऐसे में यहोवा ने सही-गलत के जो स्तर ठहराए हैं, उन्हें मानना हमारे लिए मुश्‍किल हो सकता है। पर यीशु इस बात का ध्यान रख रहा है कि अपना विश्‍वास बढ़ाने के लिए हमें बाइबल से सही वक्‍त पर खाना मिलता रहे। वह हमें यह खाना विश्‍वासयोग्य दास के ज़रिए दे रहा है।

12. यीशु की तरह हमने परमेश्‍वर के नाम की महिमा कैसे की है?

12 यीशु की तरह हमने भी परमेश्‍वर के नाम की महिमा की है। (यूह. 17:6, 26) सन्‌ 1931 में हमने ‘यहोवा के साक्षी’ नाम अपनाया जो बाइबल से लिया गया है। इस तरह हमने दिखाया कि हमारे पिता का नाम, यहोवा, हमारे लिए कितना मायने रखता है और हम उसी के नाम से जाने जाना चाहते हैं। (यशा. 43:10-12) उसी साल के अक्टूबर महीने से प्रहरीदुर्ग  पत्रिका के पहले पेज पर यहोवा नाम छपने लगा। अगर बाइबल की बात करें, तो पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद  में परमेश्‍वर का नाम उन सभी जगहों पर डाला गया है जहाँ यह होना चाहिए। चर्चों ने तो अपनी बाइबलों से परमेश्‍वर का नाम हटा दिया है, पर हमने उसके नाम की महिमा की है। हमारा संगठन चर्चों से कितना अलग है!

यीशु संगठन के ज़रिए हमारा मार्गदर्शन कर रहा है

13. आपको क्यों यकीन है कि आज यीशु विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास के ज़रिए यह संगठन चला रहा है? (यूहन्‍ना 6:68)

13 आज यीशु “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के ज़रिए इस कमाल के संगठन को चला रहा है और शुद्ध उपासना को बढ़ावा दे रहा है। आप भी इस संगठन का भाग हैं, इस बारे में सोचकर आपको कैसा लगता है? शायद आप पतरस की तरह महसूस करते होंगे जिसने यीशु से कहा, “प्रभु, हम किसके पास जाएँ? हमेशा की ज़िंदगी की बातें तो तेरे ही पास हैं।” (यूह. 6:68) सच में, अगर हम यहोवा के संगठन से नहीं जुड़े होते तो न जाने हमारा क्या होता! इस संगठन के ज़रिए यीशु हमें “सही वक्‍त पर खाना” दे रहा है जिससे यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता मज़बूत रहे और हमें सिखा रहा है कि हम अच्छी तरह प्रचार कैसे कर सकते हैं। इसके अलावा यीशु हमें “नयी शख्सियत” पहनने में भी मदद कर रहा है ताकि हम यहोवा का दिल खुश कर सकें।​—इफि. 4:24.

14. कोविड-19 महामारी के दौरान आपको यहोवा के संगठन से कैसे मदद मिली?

14 यीशु मुश्‍किल घड़ी में हमें ज़रूरी हिदायतें भी देता है। जब कोविड-19 महामारी फैलनी शुरू हुई तो दुनिया के बहुत-से लोगों को नहीं पता था कि क्या करना है, क्या नहीं करना है। पर यीशु ने संगठन के ज़रिए हमें हिदायतें दीं ताकि हम सुरक्षित रह सकें। हमें बार-बार याद दिलाया गया कि हम बाहर जाते वक्‍त मास्क पहनें और लोगों से उचित दूरी बनाए रखें। प्राचीनों से भी कहा गया कि वे मंडली के सभी भाई-बहनों का हाल-चाल पूछते रहें और इस बात का ध्यान रखें कि सबके पास ज़रूरत की हर चीज़ हो, सबकी सेहत अच्छी हो और सभी यहोवा के करीब बने रहें। (यशा. 32:1, 2) हमें शासी निकाय की तरफ से रिपोर्ट भी मिलती रहीं, जिनमें कई हिदायतें दी गयीं और जिनसे हमारा हौसला बढ़ा।

15. (क) महामारी के दौरान सभाएँ चलाने और प्रचार करने के बारे में क्या हिदायतें दी गयीं? (ख) इसके क्या नतीजे निकले?

15 महामारी शुरू होने के कुछ ही समय बाद हमें इस बारे में भी हिदायतें मिलीं कि सभाएँ कैसे चलानी हैं और प्रचार कैसे करना है। हमारी सभाएँ, सम्मेलन और अधिवेशन ऑनलाइन होने लगे। हमसे यह भी कहा गया कि हम घर पर रहकर ही चिट्ठी या फोन के ज़रिए लोगों को गवाही दें और यहोवा ने हमारे काम पर आशीष दी। कई देशों में प्रचारकों की गिनती में बहुत बढ़ोतरी हुई और बहुत-से भाई-बहनों को प्रचार के दौरान अच्छे अनुभव हुए।​—“यहोवा ने दी ढेरों आशीषें!” बक्स देखें।

यहोवा ने दी ढेरों आशीषें!

  • एक पति-पत्नी जो पहले मध्य अमरीका में रहते थे, पिछले 15 सालों से यूरोप में रह रहे हैं। जब महामारी शुरू हुई, तो उन्होंने सोचा कि वे मध्य अमरीका में अपने रिश्‍तेदारों और जान-पहचानवालों को गवाही देंगे, इसलिए उन्होंने उन सबको कुल मिलाकर 200 से भी ज़्यादा मैसेज भेजे। जो लोग और जानना चाहते थे, उनसे उन्होंने दोबारा बात की और उन्हें प्रकाशनों और वीडियो के लिंक भी भेजे। उनकी मेहनत रंग लायी। यहोवा की आशीष से वे आठ महीनों में ही 14 बाइबल अध्ययन शुरू कर पाए।

  • नवंबर 2020 में हम सभी ने अभियान में लोगों को “परमेश्‍वर का राज क्या है?” प्रहरीदुर्ग  दी थी। उसी दौरान एक भाई ने स्कूल के एक पुराने साथी को फोन किया। भाई ने उसे पत्रिका दी और वह दोबारा बात करने के लिए राज़ी हो गया। अगले हफ्ते जब भाई उससे बात कर रहा था, तो उसने बताया, “पिछली बार तेरे फोन करने से पहले मैं ईश्‍वर से प्रार्थना ही कर रहा था कि वह मुझे बताए कि मुझे क्या करना चाहिए।” फिर वह आदमी बाइबल अध्ययन करने लगा, सभाओं में आने लगा और जो बातें वह सीख रहा था, उसने उन्हें मानना शुरू कर दिया। एक दिन उसने भाई से कहा, “पहले मुझे लगता था कि ज़िंदगी में कुछ तो कमी है। अब समझ में आया कि वह क्या थी! मैं यहोवा को नहीं जानता था। पर अब तू मुझे यहोवा बारे में सिखा रहा है। मैं तेरा जितना शुक्रिया करूँ, उतना कम है!”

16. हम किस बात का यकीन रख सकते हैं?

16 कुछ लोगों को लगा कि इस महामारी के दौरान हमारा संगठन कुछ ज़्यादा ही एहतियात बरत रहा है। लेकिन कई बार हम यह साफ देख पाए कि हमें जो हिदायतें मिल रही थीं, वे बिलकुल सही थीं। (मत्ती 11:19) जब हम इस बारे में सोचते हैं कि यीशु को हमारी कितनी परवाह है और वह कितनी अच्छी तरह हमारी निगरानी कर रहा है, तो हमें यकीन हो जाता है कि कल को चाहे जो हो जाए, वह और यहोवा कभी हमारा साथ नहीं छोड़ेंगे।​—इब्रानियों 13:5, 6 पढ़िए।

17. यीशु की निगरानी में काम करके आपको कैसा लगता है?

17 यह कितनी खुशी की बात है कि यीशु हमारा अगुवा है। हम एक ऐसे संगठन का हिस्सा हैं जिसमें अलग-अलग देश, संस्कृति और भाषा के लोग हैं। हमें लगातार परमेश्‍वर के वचन से हिदायतें मिलती हैं और हमें सिखाया जाता है कि हम प्रचार काम और अच्छी तरह कैसे कर सकते हैं। हमें यह भी सिखाया जा रहा है कि हममें से हर कोई एक-दूसरे से प्यार करे और नयी शख्सियत पहने। हमें गर्व है कि हम यीशु की निगरानी में काम कर रहे हैं!

आपको आगे बतायी गयी बातों पर क्यों यकीन है?

  • यीशु दुनिया-भर में हो रहे प्रचार काम की निगरानी कर रहा है।

  • यीशु “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के ज़रिए हमें “सही वक्‍त पर खाना” दे रहा है।

  • यीशु इस मुश्‍किल दौर में भी हमारा मार्गदर्शन कर रहा है।

गीत 16 अभिषिक्‍त बेटे के लिए याह की तारीफ करें!

a आज यीशु प्रचार काम की निगरानी कर रहा है। और उसकी निगरानी में लाखों आदमी, औरत और बच्चे जोश से खुशखबरी का प्रचार कर रहे हैं। क्या आप भी इस काम में लगे हुए हैं? इस लेख में हम जानेंगे कि हम यह कैसे कह सकते हैं कि आज यीशु प्रचार काम की निगरानी कर रहा है। जब हमें इस बात पर पक्का यकीन होगा, तो हम यीशु के अधीन रहेंगे और यहोवा की सेवा करते रहेंगे।

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