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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (जनता के लिए)—2024
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क्या सही, क्या गलत: एक किताब जो दिखाए सही राह

हर दिन हमें ऐसे कई फैसले लेने होते हैं, जिनमें हम यह देखते हैं कि क्या सही होगा और क्या गलत। ऐसे फैसले करते वक्‍त अकसर लोग वह करते हैं, जो उन्हें सही लगता है या जो उनके आस-पास के लोगों को सही लगता है। लेकिन इस तरह फैसले लेने से हमेशा अच्छे नतीजे नहीं निकलते। पवित्र शास्त्र बाइबल में बताया गया है कि ऐसा क्यों होता है। इसमें ऐसी सलाह भी दी गयी है जो सही-गलत के बीच फर्क करने में बहुत काम आती है। यह सलाह मानकर हम एक अच्छी ज़िंदगी जी सकते हैं और खुश रह सकते हैं।

इंसानों को सलाह की ज़रूरत है

बाइबल में परमेश्‍वर यहोवाa ने बताया है कि हम इंसानों को इस काबिल नहीं बनाया गया है कि हम खुद सही-गलत का फैसला करें, बल्कि वह चाहता है कि हम उसकी सुनें। (यिर्मयाह 10:23) तभी उसने सही फैसले लेने के लिए बाइबल में बढ़िया सलाह दी है। वह हमसे प्यार करता है, वह नहीं चाहता कि हम गलत फैसले लें और फिर उसके बुरे अंजाम भुगतें। (व्यवस्थाविवरण 5:29; 1 यूहन्‍ना 4:8) और तो और, उसी ने हमें बनाया है और वह सबसे बुद्धिमान है। इसलिए उससे अच्छा और कौन बता सकता है कि हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं! (भजन 100:3; 104:24) फिर भी उसकी बात मानने के लिए वह हमसे ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं करता।

जब परमेश्‍वर यहोवा ने पहले आदमी और पहली औरत, यानी आदम और हव्वा को बनाया, तो उसने उन्हें खुश रहने के लिए सबकुछ दिया था। (उत्पत्ति 1:28, 29; 2:8, 15) उसने उन्हें कुछ आसान-सी आज्ञाएँ भी दीं और वह चाहता था कि वे उन्हें मानें। पर उसने उन दोनों को यह आज़ादी भी दी कि वे उन आज्ञाओं को मानेंगे या नहीं। (उत्पत्ति 2:9, 16, 17) पर अफसोस आदम और हव्वा ने परमेश्‍वर की बात मानने के बजाय अपने हिसाब से जीने का फैसला किया। तब से इंसान खुद यह फैसला करता आया है कि क्या सही है और क्या गलत। (उत्पत्ति 3:6) इसका क्या नतीजा रहा है? इतिहास गवाह है कि परमेश्‍वर की बात ना मानकर इंसान ने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है।​—सभोपदेशक 8:9.

अगर हम चाहते हैं कि हम अच्छे फैसले लें और खुश रहें, तो हम बाइबल में लिखी सलाह पर ध्यान दे सकते हैं। हम चाहे जहाँ भी रहते हों या हमारी परवरिश चाहे जैसे भी माहौल में हुई हो, यह सलाह ज़रूर हमारे काम आएगी। (2 तीमुथियुस 3:16, 17, “सब लोगों के लिए एक किताब” नाम का बक्स देखें।) आखिर बाइबल में ऐसा क्या लिखा है?

जानिए कि बाइबल को “परमेश्‍वर का वचन” क्यों कहा जा सकता है। (1 थिस्सलुनीकियों 2:13) इसके लिए jw.org पर “बाइबल का लेखक असल में कौन है?”  नाम का वीडियो देखें।

सब लोगों के लिए एक किताब

अगर हमारा बनानेवाला एक बुद्धिमान और प्यार करनेवाला पिता है, तो वह अपनी बातें अपने हर बच्चे तक पहुँचाएगा, है ना? ज़रा बाइबल के बारे में कुछ बातों पर गौर कीजिए:

अलग-अलग देश के लोग अपनी भाषा में बाइबल पढ़ रहे हैं। पास ही में कई सारी छपी हुई और डिजिटल रूप में बाइबल दिखायी गयी हैं।
  • 3,500+ पूरी बाइबल या इसके कुछ हिस्से आज 3,500 से ज़्यादा भाषाओं में उपलब्ध हैं। दुनिया में ऐसी और कोई किताब नहीं जो इतनी भाषाओं में हो।

  • 5,00,00,00,000+ बाइबल की 500 करोड़ से ज़्यादा कॉपियाँ छापी जा चुकी हैं। दुनिया में ऐसी और कोई किताब नहीं जो इतनी तादाद में छापी गयी हो।

बाइबल में किसी एक जाति, राष्ट्र, गोत्र या संस्कृति के लोगों को दूसरों से बड़ा नहीं बताया गया है। यह किताब सच में सब इंसानों के लिए है।

jw.org पर जाइए और ऑनलाइन (250 से भी ज़्यादा भाषाओं में) बाइबल पढ़िए।

एक आदमी बाइबल पर उँगली रखकर उसे पढ़ रहा है।

कुछ लोग बाइबल को क्यों नहीं मानते?

कुछ लोग कहते हैं कि बाइबल में सही-गलत के बारे में जो लिखा है, उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। शायद वे कुछ ऐसा कहें:

कुछ लोग कहते हैं: “बाइबल में लिखी बातें एक-दूसरे से मेल नहीं खातीं।”

सच्चाई: एक बार पढ़ने पर कुछ ऐसा ही लग सकता है। लेकिन अगर हम आस-पास की बातें, उस ज़माने का इतिहास और रीति-रिवाज़, लेखक का नज़रिया और दूसरी बातों पर ध्यान दें, तो हम समझ पाएँगे कि जो लिखा है, वह क्यों लिखा है।

ऐसे ही कुछ उदाहरण देखने के लिए jw.org पर दिया लेख “क्या बाइबल में लिखी बातें आपस में मेल नहीं खातीं?” पढ़ें।

कुछ लोग कहते हैं: “जो लोग बाइबल पढ़ते हैं, वे खुद तो बुरे-बुरे काम करते हैं, तो फिर बाइबल किस काम की?”

सच्चाई: जो लोग बाइबल की शिक्षाएँ नहीं मानते, उनके बुरे कामों के लिए बाइबल को दोष नहीं दिया जा सकता। इसमें पहले ही बता दिया गया था कि कई लोग, यहाँ तक कि धर्म गुरु भी, कहेंगे तो सही कि वे बाइबल को मानते हैं, पर उनके काम गलत होंगे। इसमें यह भी बताया गया था कि उनकी वजह से बाइबल की “बदनामी होगी।”​—2 पतरस 2:1, 2.

दुनिया में बहुत-से धर्म गुरुओं के काम बाइबल की शिक्षाओं से बिलकुल हटकर हैं। ऐसे कुछ उदाहरण देखने के लिए jw.org पर दिया लेख “क्या धर्म बस पैसा कमाने का एक तरीका है?” पढ़ें।

कुछ लोग कहते हैं: “बाइबल को पढ़नेवाले लोग ऐसे लोगों से नफरत करते हैं, जिनकी सोच उनसे अलग होती है।”

सच्चाई: बाइबल में बताया गया है कि हमें दूसरे लोगों का आदर करना चाहिए। इसमें यह भी बताया गया है कि ऐसा व्यवहार गलत है:

  • खुद को दूसरों से बेहतर समझना।​—फिलिप्पियों 2:3.

  • ऐसे लोगों से नफरत करना जिनकी सोच या जीने का तरीका अलग है।​—1 पतरस 2:17.

  • अपने विचार दूसरों पर थोपना।​—मत्ती 10:14.

बाइबल में बताया गया है कि परमेश्‍वर हमेशा लोगों के साथ प्यार से पेश आता है और किसी के साथ भेदभाव नहीं करता। वह चाहता है कि हम भी उसके जैसे बनें।​—रोमियों 9:14.

इस बारे में ज़्यादा जानने के लिए jw.org पर दिया लेख “बाइबल क्या कहती है?​—सबसे प्यार करना” पढ़ें।

एक किताब जिसमें है परमेश्‍वर की सलाह

बाइबल से हम जान सकते हैं कि परमेश्‍वर की नज़र में क्या सही है और क्या गलत, क्या करने से हमें फायदा होगा और क्या करने से नुकसान। इसमें ऐसी कई सच्ची घटनाएँ दर्ज़ हैं, जिनसे पता चलता है कि परमेश्‍वर यहोवा इंसानों के साथ कैसे पेश आया। (भजन 19:7, 11) और इसमें ऐसी कई बुद्धि-भरी बातें हैं, जो पुराने ज़माने में भी काम की थीं और आज भी अच्छे फैसले लेने में हमारे काम आ सकती हैं।

ऐसी ही एक बात पर ध्यान दीजिए। बाइबल में लिखा है, “बुद्धिमानों के साथ रहनेवाला बुद्धिमान बनेगा, लेकिन मूर्खों के साथ मेल-जोल रखनेवाला बरबाद हो जाएगा।” (नीतिवचन 13:20) यह बात पुराने ज़माने में जितने काम की थी, आज भी उतने ही काम की है। और बाइबल में ऐसी ढेरों बातें लिखी हैं जो हर दिन हमारे काम आ सकती हैं।​—“ऐसी सलाह जो कभी पुरानी ना हो” नाम का बक्स देखें।

पर शायद आप सोचें, ‘बाइबल तो कितनी पुरानी है, फिर इसकी बातें आज कैसे काम आ सकती हैं?’ अगले लेख में कुछ लोगों के अनुभव दिए गए हैं, जिन्हें पढ़कर आप समझ पाएँगे कि बाइबल की बातें मानने से कितना फायदा होता है।

a यहोवा, परमेश्‍वर का नाम है।​—भजन 83:18.

ऐसी सलाह जो कभी पुरानी ना हो

बाइबल को लिखे करीब 2,000 साल हो गए हैं, पर इसमें दी सलाह आज भी बहुत काम की है। हमेशा से ही इंसानों की यह इच्छा रही है कि वे खुश रहें और एक अच्छी ज़िंदगी जीएँ। (सभोपदेशक 1:9) बाइबल की सलाह मानकर हम ऐसी ज़िंदगी जी सकते हैं।

ईमानदारी

  • “हम सब बातों में ईमानदारी से काम करना चाहते हैं।”​—इब्रानियों 13:18.

  • “जो चोरी करता है वह अब से चोरी न करे। इसके बजाय, वह कड़ी मेहनत करे और अपने हाथों से ईमानदारी का काम करे।”​—इफिसियों 4:28.

रिश्‍ते-नाते

  • “हर कोई अपने फायदे की नहीं बल्कि दूसरे के फायदे की सोचता रहे।”​—1 कुरिंथियों 10:24.

  • “एक-दूसरे की सहते रहो और एक-दूसरे को दिल खोलकर माफ करते रहो। जैसे यहोवा ने तुम्हें दिल खोलकर माफ किया है, तुम भी वैसा ही करो।”​—कुलुस्सियों 3:13.

फैसले लेना

  • “नादान हर बात पर आँख मूँदकर यकीन करता है, लेकिन होशियार इंसान हर कदम सोच-समझकर उठाता है।”​—नीतिवचन 14:15.

  • “होशियार इंसान खतरा देखकर छिप जाता है, मगर नादान बढ़ता जाता है और अंजाम भुगतता है।”​—नीतिवचन 22:3.

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