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  • यीशु की तरह जोश से प्रचार कीजिए
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2025
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  • उसने बाइबल की भविष्यवाणियों को अच्छी तरह समझा
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  • उसने यकीन रखा कि कुछ लोग खुशखबरी ज़रूर सुनेंगे
  • प्रचार काम में और भी खुशी पाइए
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2024
  • हम प्यार करते हैं, इसलिए प्रचार करते हैं!
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2025
w25 मार्च पेज 14-19

अध्ययन लेख 11

गीत 57 हर किस्म के लोगों को सच्चाई बताएँ

यीशु की तरह जोश से प्रचार कीजिए

‘प्रभु जिस-जिस शहर और इलाके में खुद जानेवाला था, वहाँ उन्हें दो-दो की जोड़ियों में अपने आगे भेजा।’—लूका 10:1.

क्या सीखेंगे?

हम चार तरीकों पर ध्यान देंगे जिससे हम यीशु की तरह जोश से प्रचार कर पाएँगे।

1. किस बात की वजह से यहोवा के सेवक दूसरों से अलग नज़र आते हैं?

यहोवा के सेवक पूरे जोश से प्रचार करते हैं और इसमें बहुत मेहनत करते हैं। इसलिए हम उन लोगों से बहुत अलग नज़र आते हैं जो यीशु के चेले होने का सिर्फ दावा करते हैं। (तीतु. 2:14) लेकिन हो सकता है, कभी-कभी आपको प्रचार काम में इतना मज़ा ना आए या इस काम के लिए आपमें उतना जोश ना हो। आप शायद उस मेहनती प्राचीन की तरह महसूस करें जिसने कहा, “कभी-कभी प्रचार करने का मेरा मन ही नहीं करता।”

2. प्रचार काम के लिए अपना जोश बनाए रखना कभी-कभी क्यों मुश्‍किल हो सकता है?

2 हो सकता है, प्रचार करने से ज़्यादा हमें यहोवा की सेवा से जुड़े दूसरे कामों में मज़ा आता हो। जैसे निर्माण काम में, राहत काम में या भाई-बहनों का हौसला बढ़ाने में। शायद इसलिए कि जब हम ये काम करते हैं, तो हमें तुरंत अपनी मेहनत के अच्छे नतीजे देखने को मिलते हैं और खुशी भी मिलती है। यही नहीं, जब हम भाई-बहनों के साथ होते हैं, तो हमें किसी बात की चिंता नहीं होती और हम उनके साथ मिलकर बड़े प्यार से काम करते हैं। इतना ही नहीं, वे हमारी मेहनत की कदर भी करते हैं। वहीं दूसरी तरफ हो सकता है, हम जिस इलाके में सालों से प्रचार कर रहे हैं वहाँ हमें इतने अच्छे नतीजे ना मिल रहे हों या लोग हमारा संदेश सुनने से साफ इनकार कर देते हों। और जैसे-जैसे दुनिया का अंत करीब आ रहा है, लोग हमारा और भी विरोध कर रहे हैं। (मत्ती 10:22) तो फिर हम अपना जोश बनाए रखने और इसे बढ़ाने के लिए क्या कर सकते हैं?

3. लूका 13:6-9 में दी मिसाल से हम यीशु के बारे में क्या सीखते हैं?

3 जोश से प्रचार करने के बारे में हम यीशु से काफी कुछ सीख सकते हैं। जब वह धरती पर था, तो उसने प्रचार के लिए अपना जोश कम नहीं होने दिया। इसके बजाय, जैसे-जैसे समय बीता, वह और भी बढ़-चढ़कर प्रचार करने लगा। (लूका 13:6-9 पढ़िए।) एक मिसाल में यीशु ने अपनी तुलना एक बाग के माली से की। उस माली ने तीन साल तक अंजीर के एक पेड़ पर मेहनत की, लेकिन उस पर कोई फल नहीं आया। उस माली की तरह यीशु ने भी तीन साल तक यहूदियों को प्रचार किया, लेकिन बहुत कम लोग उसके चेले बने। फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी। उस माली की तरह वह अपने काम में ढीला नहीं पड़ा। इसके बजाय उसने उम्मीद रखी और लोगों के दिल तक पहुँचने के लिए और भी मेहनत की।

4. हम यीशु के बारे में कौन-सी चार बातों पर ध्यान देंगे?

4 इस लेख में हम जानेंगे कि यीशु ने किस तरह जोश से प्रचार किया, खासकर अपनी सेवा के आखिरी छ: महीनों में। (लूका 10:1 में “इसके बाद” पर दिया अध्ययन नोट देखें।) इस दौरान यीशु ने बहुत कुछ किया और बहुत-सी बातें सिखायीं। अगर हम उन बातों पर ध्यान दें, तो हम भी जोश से प्रचार कर पाएँगे। इस लेख में हम चार बातों पर ध्यान देंगे जिससे यीशु अपना जोश बनाए रख पाया: (1) उसने यहोवा की मरज़ी पूरी करने पर ध्यान दिया, (2) उसने बाइबल की भविष्यवाणियों को अच्छी तरह समझा, (3) उसने यहोवा पर भरोसा रखा और (4) उसे यकीन था कि कुछ लोग उसकी ज़रूर सुनेंगे।

उसने यहोवा की मरज़ी पूरी करने पर ध्यान दिया

5. यीशु ने कैसे दिखाया कि यहोवा की मरज़ी पूरी करना उसके लिए सबसे ज़रूरी है?

5 यीशु ने पूरे जोश से लोगों को “परमेश्‍वर के राज की खुशखबरी” सुनायी, क्योंकि वह जानता था कि यहोवा ने उसे इसीलिए भेजा है। (लूका 4:43) उसने प्रचार काम को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह दी। यहाँ तक कि अपनी ज़िंदगी के आखिरी महीनों में भी वह “शहर-शहर और गाँव-गाँव जाकर” लोगों को सिखाता रहा। (लूका 13:22) प्रचार काम उसके लिए इतना ज़रूरी था कि उसने और भी चेलों को इस काम की ट्रेनिंग दी।—लूका 10:1.

6. परमेश्‍वर की सेवा से जुड़े दूसरे काम, प्रचार काम से कैसे जुड़े हुए हैं? (तसवीर भी देखें।)

6 आज भी खुशखबरी का प्रचार करना सबसे ज़रूरी काम है। यहोवा और यीशु चाहते हैं कि हम इस काम को अपनी ज़िंदगी में सबसे ज़्यादा अहमियत दें। (मत्ती 24:14; 28:19, 20) परमेश्‍वर की सेवा से जुड़े सभी काम प्रचार काम से जुड़े हुए हैं। जैसे, हम राज-घर बनाते हैं ताकि जिन लोगों को हम प्रचार करते हैं, वे वहाँ आकर यहोवा की उपासना कर सकें। और बेथेल में जो काम किया जाता है, उसकी वजह से प्रचार काम और भी अच्छी तरह हो पाता है। और राहत काम में हाथ बँटाकर हम सिर्फ भाई-बहनों की मदद नहीं करते, बल्कि हम चाहते हैं कि वे जल्द-से-जल्द यहोवा की सेवा में लग जाएँ, जैसे प्रचार काम में। अगर हम याद रखें कि प्रचार काम कितना ज़रूरी है और यहोवा चाहता है कि हम इस काम को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह दें, तो हम लगातार प्रचार करते रहेंगे। हंगरी में सेवा करनेवाले एक प्राचीन, भाई यानोश कहते हैं, “मैं खुद को याद दिलाता हूँ कि परमेश्‍वर की सेवा से जुड़ा कोई भी काम प्रचार काम की जगह नहीं ले सकता। प्रचार करना हमारी सबसे अहम ज़िम्मेदारी है।”

तसवीरें: 1. एक भाई संगठन के निर्माण काम में हाथ बँटा रहा है। 2. एक दूसरा भाई अपने घर से बेथेल के लिए स्वंयसेवक के तौर पर काम कर रहा है। 3. बाद में दोनों भाई साथ मिलकर प्रचार कर रहे हैं।

आज प्रचार काम सबसे ज़रूरी काम है और यहोवा और यीशु चाहते हैं कि हम इसे सबसे ज़्यादा अहमियत दें (पैराग्राफ 6)


7. यहोवा क्यों चाहता है कि हम लोगों को प्रचार करते रहें? (1 तीमुथियुस 2:3, 4)

7 प्रचार काम के लिए अपना जोश बढ़ाने का एक और तरीका है, लोगों के बारे में वैसा ही नज़रिया रखना जैसा यहोवा का है। यहोवा चाहता है कि ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग खुशखबरी सुनें और सच्चाई अपनाएँ। (1 तीमुथियुस 2:3, 4 पढ़िए।) इसलिए यहोवा हमें सिखा रहा है ताकि हम लोगों को अच्छी तरह खुशखबरी सुना सकें और उनकी जान बच सकें। जैसे यहोवा ने हमें लोगों से करें प्यार—सिखाने को रहें तैयार ब्रोशर दिया है। इस ब्रोशर में बहुत ही बढ़िया सुझाव दिए गए हैं जिससे हम लोगों के साथ आसानी से बात शुरू कर सकते हैं और यीशु का चेला बनने में उनकी मदद कर सकते हैं। फिर भी हो सकता है, लोग खुशखबरी सुनकर कोई कदम ना उठाएँ। लेकिन हो सकता है, आगे चलकर उन्हें ये बातें याद आएँ और महा-संकट के खत्म होने से पहले वे यहोवा की सेवा करने लगें। इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि आज हम लोगों को प्रचार करते रहें।

उसने बाइबल की भविष्यवाणियों को अच्छी तरह समझा

8. बाइबल की भविष्यवाणियाँ जानने की वजह से यीशु कैसे वक्‍त का सही इस्तेमाल कर पाया?

8 यीशु जानता था कि बाइबल की भविष्यवाणियाँ कैसे पूरी होंगी। जैसे उसे पता था कि वह धरती पर साढ़े तीन साल ही सेवा कर पाएगा। (दानि. 9:26, 27) वह यह भी जानता था कि उसकी मौत कब और कैसे होगी। (लूका 18:31-34) यीशु को ये और दूसरी भविष्यवाणियाँ पता थीं, इसलिए उसने वक्‍त का सही इस्तेमाल किया और पूरे जोश से प्रचार किया ताकि यहोवा का दिया काम पूरा कर सके।

9. बाइबल की भविष्यवाणियों की अच्छी समझ होने से हम कैसे जोश से प्रचार कर पाते हैं?

9 हमें बाइबल की भविष्यवाणियों की अच्छी समझ है, इसलिए हम जोश से प्रचार करते हैं। हम जानते हैं कि इस दुनिया का अंत होने में बहुत ही कम समय रह गया है। आज दुनिया में जो घटनाएँ घट रही हैं और लोग जैसा रवैया दिखा रहे हैं, उससे आखिरी दिनों के बारे में की गयी भविष्यवाणियाँ पूरी हो रही हैं। इसके अलावा भविष्यवाणी में बताया गया था कि “अंत के समय में” उत्तर का राजा और दक्षिण का राजा आपस में भिड़ेंगे। और हम ऐसा ही होते देख रहे हैं। आज ब्रिटेन-अमरीकी विश्‍व शक्‍ति और रूस और उसके मित्र राष्ट्र आपस में लड़ रहे हैं। (दानि. 11:40) इतना ही नहीं, हम जानते हैं कि दानियेल 2:43-45 में बताए मूरत के पैर, ब्रिटेन-अमरीकी विश्‍व शक्‍ति को दर्शाते हैं। और हमें पूरा यकीन है कि जैसा भविष्यवाणी में बताया है, बहुत जल्द परमेश्‍वर का राज सभी इंसानी सरकारों को खत्म कर देगा। इन सारी भविष्यवाणियों से पता चलता है कि हम अंत के कितने करीब आ गए हैं! इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि हम वक्‍त का सही इस्तेमाल करें और पूरे जोश से खुशखबरी सुनाएँ।

10. बाइबल की भविष्यवाणियाँ और किन तरीकों से हमारे अंदर प्रचार के लिए जोश भर सकती हैं?

10 बाइबल की भविष्यवाणियों पर ध्यान देने से हमें एक अच्छे कल की आशा मिलती है, जिसके बारे में हम सबको बताना चाहते हैं। डोमिनिकन गणराज्य में रहनेवाली कैरी कहती है, “जब मैं इस बारे में सोचती हूँ कि यहोवा ने हमें कितना बढ़िया भविष्य देने का वादा किया है, तो मेरा मन करता है कि मैं इस बारे में दूसरों को भी बताऊँ। जब मैं देखती हूँ कि लोग कितनी मुश्‍किलों से गुज़र रहे हैं, तो मुझे एहसास होता है कि परमेश्‍वर ने जो वादे किए हैं, वे सिर्फ मेरे लिए नहीं हैं बल्कि उनके लिए भी हैं।” बाइबल की भविष्यवाणियों से यह भी पता चलता है कि यहोवा इस काम में हमारा साथ दे रहा है, इसलिए हम प्रचार करने से पीछे नहीं हटते। हंगरी की रहनेवाली लेला कहती है, “यशायाह 11:6-9 से मैं समझ पायी कि यहोवा की मदद से कोई भी इंसान बदल सकता है। इससे मुझे बढ़ावा मिला कि मैं उन लोगों को भी खुशखबरी सुनाऊँ जिन्हें देखकर लगता है कि वे कभी सच्चाई कबूल नहीं करेंगे।” और ज़ाम्बिया का रहनेवाला क्रिस्टोफर कहता है, “जैसा मरकुस 13:10 में बताया गया है, आज पूरी दुनिया में खुशखबरी का प्रचार किया जा रहा है। और मुझे बहुत खुशी होती है कि मैं भी इस भविष्यवाणी को पूरा कर रहा हूँ।” बाइबल की किन भविष्यवाणियों से आपको प्रचार करने का बढ़ावा मिलता है?

उसने यहोवा पर भरोसा रखा

11. जोश से प्रचार करने के लिए यीशु को क्यों यहोवा पर भरोसा रखना था? (लूका 12:49, 53)

11 यीशु को यहोवा पर पूरा भरोसा था, इसलिए वह जोश से प्रचार कर पाया। वह जानता था कि खुशखबरी सुनकर कुछ लोग गुस्सा हो जाएँगे और उसका विरोध भी करेंगे, इसलिए वह सोच-समझकर बात करता था। (लूका 12:49, 53 पढ़िए।) प्रचार करने की वजह से धर्म गुरुओं ने कई बार यीशु को जान से मारने की कोशिश की। (यूह. 8:59; 10:31, 39) फिर भी यीशु प्रचार करता रहा, क्योंकि वह जानता था कि यहोवा उसके साथ है। उसने कहा, “मैं अकेला नहीं हूँ बल्कि पिता मेरे साथ है जिसने मुझे भेजा है। . . . उसने मुझे अकेला नहीं छोड़ा, क्योंकि मैं हमेशा वही करता हूँ जिससे वह खुश होता है।”—यूह. 8:16, 29.

12. यीशु ने कैसे अपने चेलों को तैयार किया ताकि सताए जाने पर भी वे प्रचार करते रहें?

12 यीशु ने अपने चेलों को भी सिखाया कि वे यहोवा पर भरोसा रखें। उसने बार-बार चेलों को याद दिलाया कि जब उन्हें सताया जाएगा, तब भी यहोवा उनकी मदद करेगा। (मत्ती 10:18-20; लूका 12:11, 12) लेकिन उसने चेलों से यह भी कहा कि खुशखबरी सुनाते वक्‍त वे सतर्क रहें। (मत्ती 10:16; लूका 10:3) और अगर कोई उनका संदेश नहीं सुनना चाहता, तो वे किसी भी तरह उसके साथ ज़बरदस्ती ना करें और जब उन पर ज़ुल्म किए जाएँ, तो वे वहाँ से भाग जाएँ। (मत्ती 10:23; लूका 10:10, 11) यीशु ने जोश से प्रचार किया और यहोवा पर भरोसा रखा, लेकिन उसने बेवजह कोई खतरा मोल नहीं लिया।—यूह. 11:53, 54.

13. आप क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा आपकी मदद करेगा?

13 आज भी हमारे काम का विरोध किया जाता है, इसलिए हमें यहोवा की मदद की ज़रूरत है, ताकि हम जोश से खुशखबरी सुना सकें। (प्रका. 12:17) पर आप क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा आपकी मदद करेगा? ज़रा यूहन्‍ना अध्याय 17 में दर्ज़ यीशु की प्रार्थना पर ध्यान दीजिए। यीशु ने यहोवा से बिनती की कि वह उसके प्रेषितों की देखभाल करे और यहोवा ने उसकी बिनती सुनी। हम प्रेषितों की किताब में पढ़ते हैं कि जब उन पर ज़ुल्म किए गए, तो यहोवा ने जोश से प्रचार करने में किस तरह उनकी मदद की। यीशु ने अपने पिता से उन लोगों की देखभाल करने के लिए भी कहा जो प्रेषितों से खुशखबरी सुनकर उस पर विश्‍वास करते। आप भी उनमें से एक हैं। यहोवा आज भी यीशु की प्रार्थना का जवाब दे रहा है, इसलिए आप यकीन रख सकते हैं कि जैसे उसने प्रेषितों की मदद की थी, वैसे ही वह आपकी भी मदद करेगा।—यूह. 17:11, 15, 20.

14. हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि हम मुश्‍किलों में भी जोश से प्रचार कर सकते हैं? (तसवीर भी देखें।)

14 जैसे-जैसे अंत नज़दीक आ रहा है, खुशखबरी का प्रचार करना शायद हमारे लिए और भी मुश्‍किल हो जाए। लेकिन यीशु ने हमें यकीन दिलाया है कि जोश से प्रचार करने में वह हमारी मदद करेगा। (लूका 21:12-15) हम यीशु और उसके चेलों की तरह उन सबको खुशखबरी सुनाते हैं जो सुनना चाहते हैं और किसी के साथ बहस नहीं करते। जिन देशों में हमारे काम पर पाबंदी लगी है वहाँ भी भाई-बहन खुशखबरी का प्रचार कर रहे हैं, क्योंकि वे यहोवा पर भरोसा रखते हैं ना कि अपनी ताकत पर। जैसे यहोवा ने पहली सदी के मसीहियों को ताकत दी थी, वह आज हमें भी ताकत देता है ताकि हम तब तक “अच्छी तरह प्रचार” कर सकें, जब तक वह चाहता है। (2 तीमु. 4:17) इसलिए आप यकीन रख सकते हैं कि यहोवा पर भरोसा रखकर आप पूरे जोश से प्रचार कर पाएँगे।

जहाँ हमारे काम पर पाबंदी लगी है, वहाँ भी भाई-बहन सूझ-बूझ से काम लेकर खुशखबरी सुनाते हैं (पैराग्राफ 14)a


उसने यकीन रखा कि कुछ लोग खुशखबरी ज़रूर सुनेंगे

15. हम क्यों कह सकते हैं कि यीशु को पक्का यकीन था कि कुछ लोग खुशखबरी ज़रूर सुनेंगे?

15 यीशु को यकीन था कि कुछ लोग खुशखबरी ज़रूर सुनेंगे। इस वजह से वह जोश से प्रचार कर पाया। उदाहरण के लिए, ईसवी सन्‌ 30 के आखिर में जब यीशु ने देखा कि बहुत-से लोग खुशखबरी सुनने के लिए तैयार हैं, तो उसने उनकी तुलना ऐसे खेत से की जो कटाई के लिए पक चुका है। (यूह. 4:35) फिर करीब एक साल बाद उसने अपने चेलों से कहा, “कटाई के लिए फसल बहुत है।” (मत्ती 9:37, 38) और इसके कुछ समय बाद उसने एक बार फिर कहा, “कटाई के लिए फसल बहुत है . . . इसलिए खेत के मालिक से बिनती करो कि वह कटाई के लिए और मज़दूर भेजे।” (लूका 10:2) यीशु को पक्का यकीन था कि कुछ लोग खुशखबरी ज़रूर कबूल करेंगे और जब लोगों ने ऐसा किया, तो उसे बहुत खुशी हुई।—लूका 10:21.

16. यीशु ने जो मिसालें दीं, उनसे कैसे पता चलता है कि लोग ज़रूर खुशखबरी कबूल करेंगे? (लूका 13:18-21) (तसवीर भी देखें।)

16 यीशु ने अपनी चेलों से कहा कि वे इस बात पर ध्यान दें कि प्रचार करने से कितने बढ़िया नतीजे निकलते हैं। ऐसा करने से वे जोश से प्रचार कर पाते। यह बात समझाने के लिए यीशु ने उन्हें दो मिसालें दीं। (लूका 13:18-21 पढ़िए।) यीशु ने कहा कि राज का संदेश राई के दाने की तरह है। इस मिसाल से उसने समझाया कि कई लोग खुशखबरी कबूल करेंगे और कोई इस काम को रोक नहीं पाएगा। यीशु ने यह भी कहा कि राज का संदेश खमीर की तरह है। वह इसलिए कि यह संदेश दुनिया के कोने-कोने तक फैलेगा और इसे सुनकर लोग अपने अंदर बड़े-बड़े बदलाव करेंगे, फिर चाहे यह सब हमें तुरंत नज़र ना आए। इस तरह यीशु ने अपने चेलों को यकीन दिलाया कि बहुत-से लोग खुशखबरी कबूल करेंगे।

दो बहनें सरेआम गवाही देने के लिए फुटपाथ पर दो कार्ट लगाकर खड़ी हैं। वहाँ बहुत लोग आ-जा रहे हैं, लेकिन कोई भी रुककर उनसे बात नहीं कर रहा।

यीशु की तरह हमें भी यकीन है कि कुछ लोग खुशखबरी ज़रूर सुनेंगे (पैराग्राफ 16)


17. हमें क्यों जोश से प्रचार करते रहना है?

17 आज दुनिया-भर में बहुत-से लोग खुशखबरी कबूल कर रहे हैं और यह देखकर हम जोश से प्रचार में लगे रहते हैं। हर साल करोड़ों लोग स्मारक में हाज़िर होते हैं और हमारे साथ बाइबल अध्ययन करते हैं। और लाखों लोग बपतिस्मा लेकर हमारे साथ प्रचार करने लगते हैं। हम यह तो नहीं जानते कि अभी और कितने लोग खुशखबरी कबूल करेंगे, लेकिन हम इतना ज़रूर जानते हैं कि यहोवा एक बड़ी भीड़ को इकट्ठा कर रहा है जो महा-संकट से बचकर निकलेगी। (प्रका. 7:9, 14) खेत के मालिक को यकीन है कि अभी और भी कई लोग खुशखबरी कबूल करेंगे। तो आइए हम सब जोश से प्रचार करते रहें!

18. हम क्या चाहते हैं कि लोग हमारे बारे में क्या कहें?

18 यीशु के चेलों ने हमेशा जोश से प्रचार किया है। पहली सदी में जब लोगों ने देखा कि यीशु के प्रेषित बेधड़क होकर प्रचार कर रहे हैं, तो “उन्हें एहसास हुआ कि ये लोग यीशु के साथ रहा करते थे।” (प्रेषि. 4:13) आइए हम भी उनकी तरह हिम्मत और जोश से प्रचार करते रहें। तब शायद लोग हमें देखकर भी कहें कि हम यीशु के चेले हैं!

आपका जवाब क्या होगा?

  • यीशु ने प्रचार काम के लिए जोश कैसे दिखाया और हम उसकी तरह कैसे बन सकते हैं?

  • यीशु ने किस तरह यहोवा पर भरोसा रखा और हम उसकी तरह कैसे बन सकते हैं?

  • यीशु को किस बात का यकीन था और हम उससे क्या सीख सकते हैं?

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