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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2025
w25 मई पेज 2-7

अध्ययन लेख 19

गीत 6 यहोवा की शान आसमाँ करे बयान

वफादार स्वर्गदूतों जैसे बनिए!

“सभी स्वर्गदूतो, . . . यहोवा की तारीफ करो।”—भज. 103:20.

क्या सीखेंगे?

हम जानेंगे कि हम यहोवा के वफादार स्वर्गदूतों की तरह कैसे बन सकते हैं।

1-2. (क) हम स्वर्गदूतों से कैसे अलग हैं? (ख) हममें और स्वर्गदूतों में कौन-सी बातें एक-जैसी हैं?

जब यहोवा ने हमें अपनी तरफ खींचा, तो हम उसके परिवार का हिस्सा बन गए। यह परिवार अलग-अलग लोगों से मिलकर बना है, जिनके बीच गज़ब का प्यार है। इस परिवार में लाखों-करोड़ों वफादार स्वर्गदूत भी हैं। (दानि. 7:9, 10) स्वर्गदूतों का ज़िक्र आते ही शायद हम सोचें कि वे तो हमसे कितने अलग हैं, उनमें और हममें ज़मीन-आसमान का फर्क है। हमें पैदा हुए कुछ ही साल हुए हैं, लेकिन स्वर्गदूत सदियों से वजूद में हैं। (अय्यू. 38:4, 7) वे हमसे कहीं ज़्यादा ताकतवर हैं। इसके अलावा, वे पवित्र और नेक हैं। वे यहोवा की हर बात पूरी तरह मानते हैं जो हम अपरिपूर्ण इंसान नहीं कर सकते।—लूका 9:26.

2 हममें और स्वर्गदूतों में बहुत फर्क है, पर कई बातें एक-जैसी भी हैं। स्वर्गदूतों की तरह हम भी यहोवा के बढ़िया गुण ज़ाहिर कर सकते हैं। उनकी तरह हमारा भी एक नाम है और अपना एक स्वभाव है। हमें भी अपने फैसले खुद लेने की आज़ादी है और हमारे पास भी कुछ ज़िम्मेदारियाँ हैं। यही नहीं, स्वर्गदूतों की तरह हमारे अंदर भी परमेश्‍वर के बारे में सीखने और उसकी उपासना करने की इच्छा है।—1 पत. 1:12.

3. हम वफादार स्वर्गदूतों से क्या सीख सकते हैं?

3 स्वर्गदूत कई मायनों में हमारे जैसे हैं, इसलिए अगर हम उनकी मिसाल पर ध्यान दें, तो हम उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं और हमारा हौसला भी बढ़ सकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि हम उनकी तरह कैसे नम्र बन सकते हैं, लोगों से प्यार कर सकते हैं, धीरज धर सकते हैं और मंडली को शुद्ध बनाए रख सकते हैं।

स्वर्गदूत नम्र हैं

4. (क) कैसे पता चलता है कि स्वर्गदूत नम्र हैं? (ख) स्वर्गदूत क्यों इतने नम्र हैं? (भजन 89:7)

4 स्वर्गदूतों को बहुत तजुरबा है, वे ताकतवर हैं और बुद्धिमान भी हैं, फिर भी वे नम्र हैं। वे यहोवा की हरेक बात मानते हैं। (भज. 103:20) वे जो भी करते हैं, उस पर घमंड नहीं करते और अपनी ताकत दिखाकर लोगों की वाह-वाही नहीं लूटते। वे यह नहीं चाहते कि उनका नाम हो, बल्कि चाहते हैं कि यहोवा की मरज़ी पूरी हो।a (उत्प. 32:24, 29; 2 राजा 19:35) वे अपनी महिमा नहीं चाहते, बल्कि यहोवा की महिमा करना चाहते हैं। स्वर्गदूत इतने नम्र क्यों हैं? क्योंकि वे यहोवा से बहुत प्यार करते हैं और दिल से उसका आदर करते हैं।—भजन 89:7 पढ़िए।

5. स्वर्गदूत ने जिस तरह यूहन्‍ना को सुधारा, उससे कैसे पता चलता है कि वह नम्र था? (तसवीर भी देखें।)

5 ज़रा एक किस्से पर ध्यान दीजिए जिससे पता चलता है कि स्वर्गदूत कितने नम्र हैं। बात करीब ईसवी सन्‌ 96 की है। एक स्वर्गदूत प्रेषित यूहन्‍ना के पास आता है जिसका नाम हम नहीं जानते। वह प्रेषित यूहन्‍ना को शानदार दर्शन दिखाता है। (प्रका. 1:1) यह दर्शन देखकर यूहन्‍ना क्या करता है? वह स्वर्गदूत की उपासना करने के लिए उसके पैरों पर गिर पड़ता है। तब स्वर्गदूत तुरंत यूहन्‍ना को रोकता है और उससे कहता है, “नहीं, नहीं, ऐसा मत कर! मैं तो सिर्फ तेरे और तेरे भाइयों की तरह एक दास हूँ, . . . परमेश्‍वर की उपासना कर।” (प्रका. 19:10) सच में, वह स्वर्गदूत कितना नम्र था! वह अपनी महिमा नहीं चाहता था। उसने तुरंत यूहन्‍ना का ध्यान यहोवा की तरफ खींचा। सोचिए वह स्वर्गदूत बरसों से यहोवा की सेवा कर रहा था और यूहन्‍ना से कहीं ज़्यादा ताकतवर था। लेकिन उसने ऐसा नहीं सोचा कि यूहन्‍ना किसी मायने में उससे कम है। इसके बजाय उसने कहा कि वह भी यूहन्‍ना की तरह एक दास है। एक और बात गौर करनेवाली है। स्वर्गदूत ने इस बुज़ुर्ग प्रेषित को सुधारा तो सही, लेकिन उसे डाँटा नहीं, ना ही उसके साथ बुरी तरह पेश आया। उसने बहुत प्यार से उससे बात की। शायद वह समझ गया होगा कि यूहन्‍ना दर्शन देखकर विस्मय से भर गया है, इसलिए उसके आगे झुक रहा है।

प्रेषित यूहन्‍ना एक स्वर्गदूत की उपासना करने के लिए उसके सामने झुक रहा है, लेकिन वह स्वर्गदूत उसे रोक रहा है।

स्वर्गदूत ने जिस तरह यूहन्‍ना को सुधारा, उससे पता चलता है कि वह कितना नम्र था (पैराग्राफ 5)


6. स्वर्गदूतों की तरह नम्र बनने के लिए हमें क्या करना चाहिए?

6 हम स्वर्गदूतों की तरह नम्र कैसे बन सकते हैं? हम यहोवा की सेवा में जो भी करते हैं, हमें उस पर शेखी नहीं मारनी चाहिए। अगर हम कोई काम अच्छी तरह पूरा कर लेते हैं, तो हमें उसका श्रेय नहीं लेना चाहिए। (1 कुरिं. 4:7) और अगर हम लंबे समय से यहोवा की सेवा कर रहे हैं या हमें कोई खास ज़िम्मेदारी मिलती है, तो हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि दूसरे भाई-बहन किसी मायने में हमसे कम हैं। सच तो यह है कि हमारे पास जितनी ज़्यादा ज़िम्मेदारी होती है, हमें खुद को उतना ही छोटा समझना चाहिए। (लूका 9:48) स्वर्गदूतों की तरह हमें भी दूसरों की सेवा करनी चाहिए और कभी-भी यह नहीं दिखाना चाहिए कि हम दूसरों से बढ़कर हैं।

7. किसी को सलाह देते वक्‍त या उसकी सोच सुधारते वक्‍त हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम नम्र हैं?

7 कभी-कभी हमें किसी भाई या बहन को या अपने बच्चों को सलाह देनी पड़ सकती है या फिर उनकी सोच सुधारनी पड़ सकती है। ऐसे में भी हम दिखा सकते हैं कि हम नम्र हैं। वह कैसे? हो सकता है, कोई बात हमें उन्हें सीधे-सीधे बतानी पड़े। पर ऐसे में हम उस स्वर्गदूत को याद रखेंगे जिसने यूहन्‍ना को सलाह दी थी। हम उस व्यक्‍ति को सीधे-सीधे सलाह तो देंगे, लेकिन उसे डाँटेंगे नहीं। और इस बात का भी ध्यान रखेंगे कि हमारी बातों से उसका हौसला ना टूट जाए। जब हम खुद को दूसरों से बड़ा नहीं समझते, तो बाइबल से सलाह देते वक्‍त हम प्यार और आदर से पेश आते हैं।—कुलु. 4:6.

स्वर्गदूत लोगों से प्यार करते हैं

8. (क) लूका 15:10 से कैसे पता चलता है कि स्वर्गदूत इंसानों से प्यार करते हैं? (ख) स्वर्गदूत प्रचार काम में कैसे हमारा साथ देते हैं? (तसवीर भी देखें।)

8 स्वर्गदूत हम इंसानों से बहुत प्यार करते हैं। उन्हें हमारी बहुत परवाह है। वे हमसे कहीं ज़्यादा ताकतवर है, फिर भी वे हमें छोटा नहीं समझते। बाइबल में बताया है कि जब एक खोयी हुई भेड़ यहोवा के पास लौट आती है यानी कोई पश्‍चाताप करता है, तो यह देखकर स्वर्गदूत खुशियाँ मनाते हैं। (लूका 15:10 पढ़िए।) और जब कोई यहोवा के बारे में सीखकर अपनी ज़िंदगी में बदलाव करता है, तब भी वे बहुत खुश होते हैं। इसके अलावा, स्वर्गदूत जोश से प्रचार काम में हिस्सा लेते हैं। (प्रका. 14:6) वे खुद जाकर लोगों को प्रचार नहीं करते, मगर वे ऐसे लोगों से मिलने में शायद हमारी मदद करें जो यहोवा के बारे में सीखना चाहते हैं। हम दावे के साथ यह नहीं कह सकते कि किसी व्यक्‍ति से मिलने में स्वर्गदूतों ने ही हमारी मदद की है। वह इसलिए कि यहोवा और भी तरीकों से हमारी मदद करता है, जैसे अपनी पवित्र शक्‍ति से। इसके ज़रिए वह लोगों को अपनी तरफ खींच सकता है या हमें भी उनसे मिलवा सकता है। (प्रेषि. 16:6, 7) लेकिन एक बात तो है, प्रचार काम में स्वर्गदूतों का बहुत बड़ा हाथ है। इसलिए हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि इस काम में वे हमारा साथ देते हैं।—“उनकी प्रार्थनाएँ सुनी गयीं” नाम का बक्स देखें।b

एक पति-पत्नी कार्ट लेकर सड़क पर जा रहे हैं। दो स्वर्गदूत ऊपर उड़ते हुए नज़र आ रहे हैं और वे उस बहन को बैंच पर बैठी एक लड़की के पास जाने के लिए उभार रहे हैं, जो बहुत परेशान लग रही है।

एक पति-पत्नी सरेआम गवाही देने के बाद अपने घर लौट रहे हैं। बहन एक लड़की को देखती है जो बहुत परेशान है। वह सोच रही है कि स्वर्गदूत ऐसे लोगों को ढूँढ़ने में हमारी मदद कर सकते हैं जो परमेश्‍वर के बारे में जानना चाहते हैं। बहन को उस पर तरस आता है और उसका मन करता है कि वह जाकर उससे बात करे (पैराग्राफ 8)


उनकी प्रार्थनाएँ सुनी गयीं

आगे बताए गए लोगों के उदाहरणों पर ध्यान दीजिए और सोचिए कि उनके साथ जो हुआ, क्या उसके पीछे स्वर्गदूतों का हाथ रहा होगा।

  • पेरू में 12 साल की एक लड़की अपनी मम्मी के साथ फोन पर गवाही दे रही थी। तब उसकी बातचीत एक औरत से हुई जिसने उसे बताया कि वह कुछ समय से ईश्‍वर से प्रार्थना कर रही थी कि वह उसकी मदद करे। फिर उसने कहा कि ईश्‍वर ने मेरी सुन ली। वह बाइबल अध्ययन करने के लिए तैयार हो गयी और कुछ समय बाद सभाओं में भी आने लगी।

  • रोमानिया में एक औरत कुछ समय तक बाइबल का अध्ययन कर रही थी, लेकिन फिर उसने अध्ययन करना बंद कर दिया। बाद में वह इटली चली गयी और वहाँ एक परिवार के लिए काम करने लगी। वहाँ वह दोबारा अध्ययन शुरू करना चाहती थी, मगर वह किसी साक्षी को नहीं जानती थी। इसलिए उसने यहोवा से प्रार्थना की। इसके कुछ समय बाद जिन लोगों के यहाँ वह काम कर रही थी, उन्होंने उसे कुछ सामान लेने एक दुकान पर भेजा। पर उन्होंने कहा कि वह दुकानदार से बात ना करे, क्योंकि वह एक यहोवा का साक्षी है और सभी ग्राहकों को बाइबल के बारे में बताता रहता है। जैसा उन्होंने कहा था, वैसा ही हुआ। जब वह औरत दुकान पर गयी, तो हमारे भाई ने उसे गवाही दी। तब उस औरत को ऐसा लगा जैसे यहोवा ने उसकी प्रार्थना सुन ली। वह दोबारा अध्ययन करने लगी और उसने अपनी ज़िंदगी में कई बदलाव किए। यह देखकर उसके बेटे को बहुत अच्छा लगा और वह भी बाइबल का अध्ययन करने लगा और सभाओं में जाने लगा।

  • एक भाई और उनकी पत्नी अपनी कार बेच रहे थे। कार देखने के लिए एक पति-पत्नी उनसे मिलने आए। बातों-बातों में भाई और बहन ने उन्हें बताया कि वे लोगों को बाइबल सिखाने में और भी ज़्यादा वक्‍त बिताना चाहते हैं, इसलिए अपनी चीज़ें कम कर रहे हैं। तब उस आदमी ने कहा, “मैं कल ही ईश्‍वर से प्रार्थना कर रहा था, ‘हे ईश्‍वर, मेरी मदद कर! मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि आगे क्या होगा। मेरे मन में इतने सारे सवाल हैं। इनके जवाब ढूँढ़ने में मेरी मदद कर।’” भाई और बहन से बात करके उसे ऐसा लगा जैसे ऊपरवाले ने उसकी सुन ली। उसने और उसकी पत्नी ने बाइबल अध्ययन शुरू कर दिया और उनकी दो बेटियाँ भी अध्ययन करने लगीं। अब पूरा परिवार सभाओं में आ रहा है।

9. हम स्वर्गदूतों की तरह कैसे दिखा सकते हैं कि हमें लोगों से प्यार है?

9 हम स्वर्गदूतों की तरह कैसे दिखा सकते हैं कि हमें लोगों से प्यार है? जब सभा में घोषणा की जाती है कि किसी को बहाल किया गया है, तो हम भी स्वर्गदूतों की तरह खुशियाँ मना सकते हैं। हम उस भाई या बहन का स्वागत कर सकते हैं और उसे यकीन दिला सकते हैं कि हम उससे बहुत प्यार करते हैं। (लूका 15:4-7; 2 कुरिं. 2:6-8) प्रचार में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेकर भी हम स्वर्गदूतों की तरह बन सकते हैं। (सभो. 11:6) जिस तरह वे खुशखबरी सुनाने में हमारी मदद करते हैं, उसी तरह हम भी प्रचार काम में भाई-बहनों की मदद कर सकते हैं। इसलिए सोचिए कि आप किन भाई-बहनों की मदद कर सकते हैं। क्या आप उनके साथ प्रचार कर सकते हैं जिन्होंने अभी-अभी प्रचार करना शुरू किया है? या क्या आप किसी तरह उन बीमार या बुज़ुर्ग भाई-बहनों की मदद कर सकते हैं, जो प्रचार के लिए नहीं निकल सकते?

10. बहन सारा के अनुभव से आपने क्या सीखा?

10 जब किसी वजह से हम यहोवा की सेवा में ज़्यादा नहीं कर पाते, तब भी हम यकीन रख सकते हैं कि स्वर्गदूत हमारी मदद करेंगे। ज़रा भारत में रहनेवाली बहन साराc के अनुभव पर ध्यान दीजिए। वे करीब 20 साल से पायनियर सेवा कर रही थीं। लेकिन फिर वे बहुत बीमार हो गयीं और उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया। वे बहुत निराश हो गयीं। लेकिन लगातार बाइबल पढ़ने से और भाई-बहनों की मदद की वजह से उनकी खुशी लौट आयी। हालात बदलने की वजह से बहन ने प्रचार करने का तरीका भी बदला। उनके लिए बैठना भी मुश्‍किल था, इसलिए चिट्ठियाँ लिखने के बजाय, वे फोन पर गवाही देने लगीं। उन्होंने अपनी कई वापसी भेंट को फोन किया। उनसे बात करके उन्हें पता चला कि ऐसे और भी लोग हैं जो शायद परमेश्‍वर के बारे में सीखना चाहें। इसका क्या नतीजा हुआ? कुछ ही महीनों में बहन 70 लोगों के साथ बाइबल अध्ययन करने लगीं। उनके पास इतना वक्‍त नहीं था कि वे ये सारे अध्ययन चला सकें, इसलिए उन्होंने मंडली के दूसरे भाई-बहनों को कुछ अध्ययन दे दिए। बहन जिन लोगों का अध्ययन कराती हैं, उनमें से कई लोग सभाओं में आ रहे हैं। ज़रा सोचिए, बहन सारा जैसे मेहनती भाई-बहनों की मदद करने में स्वर्गदूतों को कितनी खुशी मिलती होगी!

स्वर्गदूत धीरज धरते हैं

11. धीरज धरने के मामले में वफादार स्वर्गदूत क्यों एक बढ़िया मिसाल हैं?

11 धीरज धरने के मामले में स्वर्गदूत एक बढ़िया मिसाल हैं। हज़ारों सालों के दौरान उन्होंने अन्याय होते देखा है और दुष्टता को बढ़ते देखा है। जैसे, उन्होंने देखा कि शैतान और दूसरे दुष्ट स्वर्गदूत, जो एक वक्‍त पर उनके साथ सेवा करते थे, यहोवा के खिलाफ हो गए। (उत्प. 3:1; 6:1, 2; यहू. 6) बाइबल में यह भी बताया है कि एक बार एक दुष्ट स्वर्गदूत ने कई दिनों तक एक वफादार स्वर्गदूत का विरोध किया था। (दानि. 10:13) इसके अलावा, आदम-हव्वा के समय से लेकर अब तक स्वर्गदूत देखते आए हैं कि किस तरह बहुत कम लोगों ने सच्ची उपासना का साथ दिया है। फिर भी ये वफादार स्वर्गदूत खुशी-खुशी और पूरे जोश से यहोवा की सेवा कर रहे हैं। वे जानते हैं कि सही समय पर यहोवा हर तरह का अन्याय मिटा देगा।

12. धीरज धरने में क्या बात हमारी मदद कर सकती है?

12 हम स्वर्गदूतों की तरह धीरज कैसे धर सकते हैं? उनकी तरह शायद हमने भी नाइंसाफी होते देखी हो या हमारा विरोध किया गया हो। लेकिन हमें भी यकीन है कि परमेश्‍वर सही समय पर हर तरह की बुराई को मिटा देगा। इसलिए वफादार स्वर्गदूतों की तरह हम भी ‘बढ़िया काम करने में हार नहीं मानते।’ (गला. 6:9) हम याद रखते हैं कि परमेश्‍वर ने वादा किया है कि वह धीरज धरने में हमारी मदद करेगा। (1 कुरिं. 10:13) इसलिए हम उससे प्रार्थना करते हैं और पवित्र शक्‍ति माँगते हैं ताकि हम सब्र रख सकें और खुशी से उसकी सेवा कर सकें। (गला. 5:22; कुलु. 1:11) लेकिन विरोध का सामना करते वक्‍त आप क्या कर सकते हैं? यहोवा पर पूरा भरोसा रखिए और घबराइए मत। याद रखिए, यहोवा हमेशा आपका साथ देगा और आपकी हिम्मत बँधाएगा।—इब्रा. 13:6.

स्वर्गदूत मंडली को शुद्ध बनाए रखते हैं

13. इन आखिरी दिनों में यहोवा ने स्वर्गदूतों को कौन-सा ज़रूरी काम दिया है? (मत्ती 13:47-49)

13 इन आखिरी दिनों में यहोवा ने स्वर्गदूतों को एक ज़रूरी काम दिया है। (मत्ती 13:47-49 पढ़िए।) आज दुनिया-भर में प्रचार काम हो रहा है और हर तरह के लोग खुशखबरी सुन रहे हैं। इनमें से कई लोग अपनी ज़िंदगी में बदलाव करते हैं और यहोवा की मरज़ी के मुताबिक ज़िंदगी जीने लगते हैं। लेकिन बहुत-से लोग ऐसा नहीं करते। वफादार स्वर्गदूतों का काम है कि वे “दुष्टों को नेक जनों से अलग” करें। इसका मतलब, वे मंडली को शुद्ध बनाए रखते हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि जिन लोगों ने अध्ययन करना या सभाओं में या प्रचार में जाना छोड़ दिया है, उनमें से कोई भी मंडली में वापस नहीं आ सकता। और ना ही इसका यह मतलब है कि मंडली में कभी कोई पाप नहीं करेगा। पर हाँ, हम यकीन रख सकते हैं कि मंडली को शुद्ध बनाए रखने के लिए स्वर्गदूत बहुत मेहनत कर रहे हैं।

14-15. मंडली को शुद्ध बनाए रखने के लिए हम क्या कर सकते हैं? (तसवीरें भी देखें।)

14 हम स्वर्गदूतों की तरह मंडली को शुद्ध कैसे बनाए रख सकते हैं? हम सबकी ज़िम्मेदारी है कि हम मंडली को हर तरह से शुद्ध बनाए रखें। इसके लिए हमें क्या करना होगा? हमें सोच-समझकर दोस्त चुनने होंगे और ऐसी हर बात से दूर रहना होगा जिससे यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता खराब हो सकता है। (भज. 101:3) हम दूसरे भाई-बहनों की भी मदद कर सकते हैं ताकि वे यहोवा के वफादार रहें। जैसे मान लीजिए, एक भाई या बहन कोई गंभीर पाप करता है और आपको इस बारे में पता चल जाता है। ऐसे में आप क्या करेंगे? आप उससे प्यार करते हैं, इसलिए आप उससे कहेंगे कि वह जाकर प्राचीनों को इस बारे में बताए। लेकिन अगर वह ऐसा नहीं करता, तब आप क्या करेंगे? आपको खुद जाकर प्राचीनों को इस बारे में बताना होगा। हम यही चाहते हैं कि ऐसे भाई-बहनों को जल्द-से-जल्द मदद मिले, ताकि वे यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता दोबारा जोड़ पाएँ।—याकू. 5:14, 15.

15 जो भाई-बहन गंभीर पाप करते हैं, उनमें से कुछ को शायद मंडली से निकाल दिया जाए। ऐसे में हम उनसे “मेल-जोल रखना बंद” कर देते हैं।d (1 कुरिं. 5:9-13) इस इंतज़ाम की वजह से मंडली शुद्ध बनी रहती है। जब हम उन लोगों के साथ संगति नहीं करते जिन्हें मंडली से निकाल दिया गया है, तो असल में हम उनके लिए प्यार ज़ाहिर कर रहे होते हैं। वह कैसे? जब हम यहोवा की आज्ञा मानते हैं और उनसे संगति नहीं करते, तो शायद उन्हें एहसास हो कि उन्हें यहोवा के पास लौट आना है। और जब वे यहोवा के पास लौट आते हैं, तो हम यहोवा और स्वर्गदूतों के साथ मिलकर खुशी मनाते हैं।—लूका 15:7.

तसवीरें: 1. दो बहनें पार्क में एक बैंच पर बैठी हैं और कॉफी पी रही हैं। पहली बहन दूसरी बहन से कुछ कह रही है, लेकिन वह कहीं और देख रही है। 2. बाद में पहली बहन राज-घर में दो प्राचीनों से बात कर रही है।

अगर हमें पता चलता है कि किसी भाई या बहन ने कोई गंभीर पाप किया है, तो हमें क्या करना चाहिए? (पैराग्राफ 14)e


16. आप स्वर्गदूतों की तरह बनने के लिए क्या करना चाहते हैं?

16 यह कितनी बड़ी बात है कि यहोवा ने हमें स्वर्गदूतों के बारे में इतना कुछ बताया है और उनके साथ मिलकर उसकी सेवा करने का मौका दिया है! तो आइए हम स्वर्गदूतों की तरह नम्र बनें, लोगों से प्यार करें, धीरज धरें और मंडली को हर तरह से शुद्ध बनाए रखें। अगर हम वफादार स्वर्गदूतों की तरह बनने की कोशिश करें, तो हम हमेशा यहोवा के परिवार का हिस्सा बने रहेंगे।

स्वर्गदूतों की तरह हम कैसे . . .

  • नम्र बन सकते हैं?

  • लोगों से प्यार कर सकते हैं?

  • मंडली को शुद्ध बनाए रख सकते हैं?

गीत 123 यहोवा की हुकूमत कबूल करें

a वैसे तो लाखों-करोड़ों स्वर्गदूत हैं, लेकिन बाइबल में सिर्फ दो के नाम बताए गए हैं।—दानि. 12:1; लूका 1:19.

b 2017 की प्रहरीदुर्ग अंक 5, पेज 3 और ‘परमेश्‍वर के राज के बारे में अच्छी तरह गवाही दो’ किताब के अध्याय 7, पेज 59, पैरा. 17 पर दिए अनुभव भी पढ़ें। इनके अलावा, हमारे प्रकाशनों में इस तरह के और भी अनुभव आए हैं। आप उन्हें भी पढ़ सकते हैं।

c यह नाम बहन का असली नाम नहीं है।

d जैसा कि 2024 शासी निकाय की तरफ से रिपोर्ट #2 में बताया गया था, अगर एक ऐसा व्यक्‍ति सभा में आता है जिसे मंडली से निकाल दिया गया था, तो हरेक प्रचारक अपने ज़मीर के हिसाब से फैसला कर सकता है कि वह उसे हैलो या नमस्ते कहेगा या नहीं और उसका स्वागत करेगा या नहीं।

e तसवीर के बारे में: एक बहन अपनी दोस्त से कह रही है कि वह जाकर प्राचीनों से बात करे। लेकिन कुछ समय बीतने के बाद भी वह ऐसा नहीं करती। तब वह बहन खुद जाकर प्राचीनों को सबकुछ बता देती है।

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