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  • मरकुस 12:30
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 30 और तू अपने परमेश्‍वर यहोवा* से अपने पूरे दिल, अपनी पूरी जान,* अपने पूरे दिमाग और अपनी पूरी ताकत से प्यार करना।’+

  • मरकुस 12:30
    नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
    • 30 और तुझे अपने परमेश्‍वर यहोवा से अपने पूरे दिल, अपनी पूरी जान, अपने पूरे दिमाग और अपनी पूरी ताकत से प्यार करना है।’ 

  • मरकुस
    यहोवा के साक्षियों के लिए खोजबीन गाइड—2019 संस्करण
    • 12:30

      यहोवा के करीब, पेज 105

      खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 46

      प्रहरीदुर्ग,

      9/15/2015, पेज 23-24

      3/1/2004, पेज 20-21

      10/1/1995, पेज 13

      6/15/1995, पेज 14, 17

      7/1/1990, पेज 23

      सजग होइए!,

      7/2008, पेज 14-15

  • मरकुस अध्ययन नोट—अध्याय 12
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
    • 12:30

      यहोवा: यहाँ व्य 6:5 की बात लिखी है। मूल इब्रानी पाठ में इस आयत में परमेश्‍वर के नाम के लिए चार इब्रानी व्यंजन (हिंदी में य-ह-व-ह) इस्तेमाल हुए हैं।​—अति. ग देखें।

      दिल: लाक्षणिक भाषा में “दिल” आम तौर पर अंदरूनी इंसान को दर्शाता है, जिसमें उसकी भावनाएँ, उसका रवैया, उसके इरादे और उसके दिमाग की सोच भी शामिल है। लेकिन जब इसका ज़िक्र “जान” और “दिमाग” के साथ होता है तो ज़ाहिर है कि इसका एक खास मतलब होता है और वह है, एक इंसान की भावनाएँ और इच्छाएँ। यहाँ इस्तेमाल हुए चार शब्दों (दिल, जान, दिमाग और ताकत) के मतलब पूरी तरह अलग नहीं हैं बल्कि उनके कुछ मतलब मिलते-जुलते हैं। इन चारों शब्दों का एक-साथ इस्तेमाल करके इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि एक इंसान को दिलो-जान से, पूरी तरह परमेश्‍वर से प्यार करना चाहिए।​—इसी आयत में दिमाग और ताकत पर अध्ययन नोट देखें।

      जान: मत 22:37 का अध्ययन नोट देखें।

      दिमाग: अगर एक इंसान परमेश्‍वर को जानना और उसके लिए अपना प्यार बढ़ाना चाहता है तो उसे अपनी दिमागी काबिलीयतें इस्तेमाल करनी चाहिए जिनमें उसकी सोच भी शामिल है। (यूह 17:3, फु.; रोम 12:1) यहाँ व्य 6:5 की बात लिखी है और मूल इब्रानी पाठ में इस आयत में तीन शब्द इस्तेमाल हुए हैं, ‘दिल, जान और ताकत।’ लेकिन जब मरकुस ने यूनानी में अपना ब्यौरा लिखा, तो उसने चार पहलू बताए: दिल, जान, दिमाग और ताकत। ऐसा करने की कई वजह हो सकती हैं। जब इब्रानी में ‘दिल, जान और ताकत’ शब्द एक-साथ इस्तेमाल किए जाते हैं तो उनके मतलब का दायरा काफी बड़ा होता है। इस पूरे दायरे को समझाने के लिए शायद इस आयत में “दिमाग” का यूनानी शब्द जोड़ा गया है। प्राचीन इब्रानी भाषा में “दिमाग” के लिए अलग-से कोई शब्द नहीं था, लेकिन इसका भाव अकसर “दिल” (या “मन”) के इब्रानी शब्द में शामिल होता था। “दिल” के इब्रानी शब्द का लाक्षणिक मतलब है, अंदरूनी इंसान जिसमें उसकी भावनाएँ, उसका रवैया, उसके इरादे, यहाँ तक कि उसके दिमाग की सोच भी शामिल है। (व्य 29:4; भज 26:2; 64:6; इसी आयत में दिल पर अध्ययन नोट देखें।) इसलिए कई जगहों पर इब्रानी पाठ में जहाँ शब्द “दिल” और “मन” का मतलब दिमागी काबिलीयत है, वहाँ यूनानी सेप्टुआजेंट में “दिमाग” या “सोच” का यूनानी शब्द इस्तेमाल हुआ है। (उत 8:21; 17:17; नीत 2:10; यश 14:13) मरकुस ने दिमाग का यूनानी शब्द इस्तेमाल किया, इससे यह भी पता चलता है कि शायद “ताकत” के इब्रानी शब्द और “दिमाग” के यूनानी शब्द के कुछ मतलब मिलते-जुलते हैं। (मत 22:37 से तुलना करें, जहाँ “ताकत” के बजाय “दिमाग” शब्द लिखा है।) शायद इसी वजह से शास्त्री ने भी यीशु का जवाब सुनकर जो कहा उसमें उसने “समझ” शब्द इस्तेमाल किया। (मर 12:33) और शायद यही वजह थी कि खुशखबरी की किताबों के लेखकों ने व्य 6:5 की बात लिखते वक्‍त एक-जैसे शब्द इस्तेमाल नहीं किए।​—इसी आयत में ताकत पर अध्ययन नोट और मत 22:37; लूक 10:27 के अध्ययन नोट देखें।

      ताकत: जैसे दिमाग पर अध्ययन नोट में बताया गया है, यहाँ व्य 6:5 की बात लिखी है और मूल इब्रानी पाठ में इस आयत में तीन शब्द इस्तेमाल हुए हैं: ‘दिल, जान और ताकत।’ जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद “ताकत [या “दमखम,” फु.]” किया गया है, उसमें शारीरिक और दिमागी ताकत दोनों शामिल हो सकती हैं। यह शायद एक और वजह है कि मसीही यूनानी शास्त्र में जब व्य 6:5 की बात लिखी गयी, तो क्यों “दिमाग” शब्द शामिल किया गया। और शायद इसी वजह से इसके मिलते-जुलते ब्यौरे मत 22:37 में “दिमाग” शब्द इस्तेमाल हुआ है, “ताकत” नहीं। वजह चाहे जो भी हो, (यूनानी में लिखे लूका के ब्यौरे [10:27] के मुताबिक) जब एक शास्त्री ने इब्रानी शास्त्र की यही आयत बतायी तो उसने चार पहलू बताए: दिल, जान, ताकत और दिमाग। ज़ाहिर है कि यीशु के दिनों में माना जाता था कि व्य 6:5 के तीन इब्रानी शब्दों में यूनानी में बताए चारों पहलू शामिल हैं।

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