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लूका 2:37पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
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37 फिर वह विधवा हो गयी और अब उसकी उम्र 84 साल थी। वह मंदिर जाना कभी नहीं छोड़ती थी और उपवास और मिन्नतें करती हुई रात-दिन पवित्र सेवा में लगी रहती थी।
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लूका 2:37नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
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37 वह विधवा थी और अब उसकी उम्र चौरासी साल थी।) वह मंदिर से कभी गैर-हाज़िर नहीं रहती थी, बल्कि उपवास और मिन्नतों के साथ रात-दिन परमेश्वर की पवित्र सेवा में लगी रहती थी।
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दुनिया के लिए सच्ची रौशनीयीशु की ज़िंदगी—एक अनोखी दास्तान—वीडियो गाइड
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हन्ना बच्चे के बारे में कुछ बताती है (यीशु की ज़िंदगी 1 48:49–50:21)
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लूका अध्ययन नोट—अध्याय 2पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
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मंदिर जाना कभी नहीं छोड़ती थी: हन्ना हमेशा मंदिर में रहती थी। मुमकिन है कि सुबह मंदिर के फाटक खुलने से लेकर शाम को बंद होने तक वह वहीं रहती थी। उसकी पवित्र सेवा में उपवास और मिन्नतें भी शामिल थीं। इससे पता चलता है कि हन्ना बीते समय के वफादार सेवकों की तरह मौजूदा हालात पर शोक मना रही थी और बदलाव देखने के लिए तरस रही थी। (एज 10:1; नहे 1:4; विल 1:16) सदियों से यहूदियों पर दूसरे देशों का कब्ज़ा रहा था। इसके अलावा, उपासना के मामले में हालात बद-से-बदतर होते जा रहे थे, यहाँ तक कि मंदिर और उसमें सेवा करनेवाले याजक भी भ्रष्ट हो चुके थे। इन बातों से साफ पता चलता है कि हन्ना और दूसरे लोग क्यों “यरूशलेम के छुटकारे” का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे।—लूक 2:38.
पवित्र सेवा में लगी रहती थी: या “उपासना में लगी रहती थी।”—लूक 1:74 का अध्ययन नोट देखें।
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