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फुटनोट

a लूत, अय्यूब और नाओमी वफादारी से यहोवा की सेवा करते थे, लेकिन उन्हें भी कई मुश्‍किलों और चिंताओं का सामना करना पड़ा। इस लेख में बताया जाएगा कि उनके अनुभव से हम क्या सीख सकते हैं। इसमें यह भी बताया जाएगा कि जब हमारे भाई-बहन मुश्‍किलों का सामना करते हैं, तो उनके साथ सब्र से पेश आना, उन पर करुणा करना और अपनी बातों से उन्हें तसल्ली देना क्यों ज़रूरी है।

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