फुटनोट
a सभाओं में जवाब देकर हम एक-दूसरे की हिम्मत बँधाते हैं। लेकिन कई भाई-बहनों को जवाब देने में घबराहट होती है। वहीं कुछ लोगों को जवाब देना अच्छा लगता है पर वे सोचते हैं, काश! उन्हें जवाब देने का और भी मौका मिलता। दोनों ही मामलों में हम कैसे “एक-दूसरे पर ध्यान” दे सकते हैं यानी उनके बारे सोच सकते हैं, ताकि सभी की हिम्मत बँधे? और हम किस तरह ऐसे जवाब दे सकते हैं जिससे सभी को प्यार करने और भले काम करने का बढ़ावा मिले? इस लेख में यही बताया जाएगा।