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व्यवस्थाविवरण का सारांश

      • यहोवा से मिलनेवाली आशीषें दोहरायी गयीं (1-9)

        • “इंसान सिर्फ रोटी से नहीं ज़िंदा रहता” (3)

      • यहोवा को भूल मत जाना (10-20)

व्यवस्थाविवरण 8:1

संबंधित आयतें

  • +नीत 3:1, 2
  • +उत 15:18

व्यवस्थाविवरण 8:2

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  • +व्य 2:7
  • +निर्ग 16:4; 20:20
  • +व्य 13:3; नीत 17:3

व्यवस्थाविवरण 8:3

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  • +निर्ग 16:3
  • +निर्ग 16:31; भज 78:24
  • +मत 4:4

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    प्रहरीदुर्ग,

    2/1/2004, पेज 13-14

    8/15/1999, पेज 25-26

व्यवस्थाविवरण 8:4

संबंधित आयतें

  • +व्य 29:5; नहे 9:21

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    9/15/2004, पेज 25-26

व्यवस्थाविवरण 8:5

संबंधित आयतें

  • +नीत 3:12; 1कुर 11:32; इब्र 12:5-7; प्रक 3:19

व्यवस्थाविवरण 8:7

फुटनोट

  • *

    या “पानी की घाटियों।”

  • *

    या “गहरे पानी के सोते।”

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  • +निर्ग 3:8; लैव 26:4; व्य 11:11, 12

व्यवस्थाविवरण 8:8

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  • +गि 13:23
  • +यहे 20:6

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    5/15/2000, पेज 25, 27

व्यवस्थाविवरण 8:10

संबंधित आयतें

  • +व्य 6:10-12

व्यवस्थाविवरण 8:11

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    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/2006, पेज 28

    सेवा स्कूल, पेज 20

व्यवस्थाविवरण 8:12

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  • +हो 13:6

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  • +व्य 9:4; 32:15
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    8/15/1999, पेज 25

व्यवस्थाविवरण 8:17

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  • +हो 12:8

व्यवस्थाविवरण 8:18

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व्यवस्थाविवरण 8:20

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दूसरें अनुवाद

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दूसरी

व्यव. 8:1नीत 3:1, 2
व्यव. 8:1उत 15:18
व्यव. 8:2व्य 2:7
व्यव. 8:2निर्ग 16:4; 20:20
व्यव. 8:2व्य 13:3; नीत 17:3
व्यव. 8:3निर्ग 16:3
व्यव. 8:3निर्ग 16:31; भज 78:24
व्यव. 8:3मत 4:4
व्यव. 8:4व्य 29:5; नहे 9:21
व्यव. 8:5नीत 3:12; 1कुर 11:32; इब्र 12:5-7; प्रक 3:19
व्यव. 8:7निर्ग 3:8; लैव 26:4; व्य 11:11, 12
व्यव. 8:8गि 13:23
व्यव. 8:8यहे 20:6
व्यव. 8:10व्य 6:10-12
व्यव. 8:12हो 13:6
व्यव. 8:14व्य 9:4; 32:15
व्यव. 8:14भज 106:21
व्यव. 8:15व्य 1:19; यिर्म 2:6
व्यव. 8:15गि 20:11
व्यव. 8:16निर्ग 16:35
व्यव. 8:16व्य 8:2
व्यव. 8:16इब्र 12:11
व्यव. 8:17हो 12:8
व्यव. 8:18भज 127:1; हो 2:8
व्यव. 8:18व्य 7:12
व्यव. 8:19व्य 4:25, 26; 30:17, 18; यह 23:12, 13
व्यव. 8:20दान 9:11, 12
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
व्यवस्थाविवरण 8:1-20

व्यवस्थाविवरण

8 आज मैं तुम्हें जो आज्ञाएँ दे रहा हूँ उनमें से हर आज्ञा का तुम सख्ती से पालन करना। तब तुम जीते रहोगे,+ तुम्हारी गिनती बढ़ती जाएगी और तुम उस देश में जाकर उसे अपने अधिकार में कर लोगे जिसे देने के बारे में यहोवा ने तुम्हारे पुरखों से शपथ खायी थी।+ 2 तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने 40 साल तक तुम्हें वीराने के जिस लंबे रास्ते से पैदल चलवाया वह सफर तुम कभी मत भूलना।+ परमेश्‍वर ने ऐसा इसलिए किया ताकि वह तुम्हें नम्र बनना सिखाए और तुम्हें परखे+ कि तुम्हारे दिल के इरादे क्या हैं,+ तुम उसकी आज्ञाओं को मानते रहोगे या नहीं। 3 उसने तुम्हें नम्र किया और तुम्हें भूखा रहने दिया+ और फिर तुम्हें मन्‍ना खिलाया,+ जिसके बारे में न तुम और न तुम्हारे बाप-दादे जानते थे। परमेश्‍वर ने ऐसा इसलिए किया ताकि तुम जान लो कि इंसान सिर्फ रोटी से नहीं ज़िंदा रहता बल्कि यहोवा के मुँह से निकलनेवाले हर वचन से ज़िंदा रहता है।+ 4 इन 40 सालों के दौरान न कभी तुम्हारे कपड़े पुराने होकर फटे और न तुम्हारे पैर सूजे।+ 5 तुम्हारा दिल अच्छी तरह जानता है कि जैसे एक पिता अपने बेटे को सुधारता है, वैसे ही तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें सुधारता रहा।+

6 तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की राहों पर चलकर और उसका डर मानकर उसकी आज्ञाओं का पालन किया करना, 7 क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें एक बढ़िया देश में ले जा रहा है,+ जो नदी-नालों* का देश है, जहाँ की घाटियों और पहाड़ी प्रदेश में सोते और फव्वारे* फूट निकलते हैं, 8 जो गेहूँ, जौ, अंगूर की बेलों, अंजीर के पेड़ों, अनारों+ और जैतून के तेल और शहद का देश है,+ 9 ऐसा देश जहाँ कभी खाने के लाले नहीं पड़ेंगे और तुम्हें किसी भी चीज़ की कमी नहीं होगी, जहाँ के पत्थरों में लोहा है और जहाँ के पहाड़ों से तुम ताँबा खोद निकालोगे।

10 जब तुम खा-पीकर संतुष्ट होगे, तो तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की तारीफ करना कि उसने तुम्हें ऐसा बढ़िया देश दिया है।+ 11 तुम सावधान रहना कि तुम उसकी आज्ञाओं, न्याय-सिद्धांतों और विधियों को मानने से न चूको जो आज मैं तुम्हें दे रहा हूँ और इस तरह अपने परमेश्‍वर यहोवा को कभी नहीं भूलोगे। 12 जब तुम उस देश में खा-पीकर संतुष्ट होगे और बढ़िया-बढ़िया घर बनाकर रहने लगोगे,+ 13 तुम्हारी भेड़-बकरियों और गाय-बैलों की बढ़ती होगी, तुम्हारे पास बहुत सारा सोना-चाँदी होगा और सबकुछ बहुतायत में होगा, 14 तो सावधान रहना कि तुम्हारा मन घमंड से फूल न जाए+ जिससे तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा को भूल सकते हो। तुम उस परमेश्‍वर को भूल सकते हो जो तुम्हें गुलामी के घर, मिस्र से बाहर ले आया+ और 15 जिसने तुम्हें उस बड़े और भयानक वीराने से चलवाया,+ जहाँ ज़हरीले साँप और बिच्छू घूमते हैं और जहाँ की सूखी ज़मीन पानी के लिए तरसती है। परमेश्‍वर ने वहाँ चकमक चट्टान से पानी निकाला+ 16 और तुम्हें मन्‍ना खिलाया+ जिसे तुम्हारे बाप-दादे नहीं जानते थे। परमेश्‍वर ने ऐसा इसलिए किया ताकि वह तुम्हें नम्र बनना सिखाए+ और तुम्हें परखे जिससे आगे चलकर तुम्हारा भला हो।+ 17 अगर कभी तुम यह सोचने लगो कि आज मेरे पास जो बेशुमार दौलत है, यह सब मैंने अपनी काबिलीयत और अपनी ताकत से हासिल की है,+ 18 तो उस वक्‍त तुम याद करना कि तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने ही तुम्हें इस काबिल बनाया कि तुम दौलत कमा सको।+ परमेश्‍वर ने ऐसा इसलिए किया ताकि वह उस करार को निभा सके जो उसने तुम्हारे पुरखों से शपथ खाकर किया था, जैसा कि आज ज़ाहिर है।+

19 अगर तुम कभी अपने परमेश्‍वर यहोवा को भूल जाओ और दूसरे देवताओं के पीछे चलने और उनकी सेवा करने लगो और उनके आगे दंडवत करो, तो आज मैं तुम्हें बताए देता हूँ कि तुम ज़रूर नाश हो जाओगे।+ 20 अगर तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की बात नहीं सुनोगे, तो तुम भी उन जातियों की तरह नाश हो जाओगे जिन्हें यहोवा तुम्हारे सामने नाश कर रहा है।+

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