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व्यवस्थाविवरण का सारांश

      • उसी जगह उपासना करना जो परमेश्‍वर चुनता है (1-14)

      • गोश्‍त खा सकते हो, खून नहीं (15-28)

      • दूसरे देवताओं के फंदे में न फँसना (29-32)

व्यवस्थाविवरण 12:2

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    5/1/1992, पेज 31

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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
व्यवस्थाविवरण 12:1-32

व्यवस्थाविवरण

12 तुम्हारे पुरखों का परमेश्‍वर यहोवा जिस देश को तुम्हारे अधिकार में करनेवाला है, वहाँ तुम सारी ज़िंदगी इन कायदे-कानूनों और न्याय-सिद्धांतों का सख्ती से पालन करना। 2 उस देश में रहनेवाली जातियाँ, जिन्हें तुम निकालनेवाले हो, जिस-जिस जगह पर अपने देवताओं को पूजती हैं उन सभी जगहों को पूरी तरह नष्ट कर देना,+ फिर चाहे वे जगह ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों पर या पहाड़ियों पर या घने पेड़ों के नीचे बनी हों। 3 तुम उनकी वेदियाँ ढा देना, उनके पूजा-स्तंभ चूर-चूर कर देना,+ उनकी पूजा-लाठें* आग में जला देना और उनके देवताओं की खुदी हुई मूरतें तोड़ डालना।+ इस तरह उस पूरे देश से उन देवताओं का नाम तक मिटा देना।+

4 तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की उपासना उस तरीके से मत करना जैसे दूसरी जातियाँ अपने देवताओं को पूजती हैं।+ 5 इसके बजाय तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे सब गोत्रों को दिए इलाके में से, अपने नाम की महिमा के लिए जो जगह चुनता है और उसे अपना निवास-स्थान ठहराता है, तुम वहीं जाना।+ 6 और अपनी होम-बलियाँ+ और दूसरे बलिदान, अपनी संपत्ति का दसवाँ हिस्सा,+ अपने दान,+ अपनी मन्‍नत-बलियाँ, स्वेच्छा-बलियाँ+ और गाय-बैलों और भेड़-बकरियों के पहलौठे, सब वहीं पर अर्पित करना।+ 7 वहीं पर तुम अपने घरानों के साथ अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने भोजन करना+ और अपने सब कामों पर खुशियाँ मनाना,+ क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें आशीष देता है।

8 तुम अपनी मन-मरज़ी न करना जैसे तुम यहाँ करते हो। यहाँ तुममें से हर कोई वही करता है जो उसकी नज़र में सही है,* 9 क्योंकि तुम अभी तक उस विश्राम की जगह+ और विरासत की ज़मीन में नहीं पहुँचे हो, जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें देनेवाला है। 10 जब तुम यरदन पार करके+ उस देश में बस जाओगे जिसे तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे अधिकार में करनेवाला है, तो वह तुम्हें आस-पास के सभी दुश्‍मनों से ज़रूर राहत दिलाएगा और तुम वहाँ महफूज़ बसे रहोगे।+ 11 उस देश में तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा अपने नाम की महिमा के लिए जो जगह चुनता है,+ तुम वहीं पर अपनी होम-बलियाँ, दूसरे बलिदान, अपनी संपत्ति का दसवाँ हिस्सा,+ अपने दान और यहोवा के लिए अपनी सारी मन्‍नत-बलियाँ अर्पित करना, जिनकी मैंने तुम्हें आज्ञा दी है। 12 तुम अपने बेटे-बेटियों और दास-दासियों के साथ और अपने शहरों में* रहनेवाले लेवियों के साथ, जिन्हें अलग से ज़मीन का कोई भाग या विरासत नहीं दी गयी है,+ अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने खुशियाँ मनाना।+ 13 तुम ध्यान रखना कि तुम जहाँ चाहो वहाँ अपनी होम-बलियाँ नहीं चढ़ाओगे।+ 14 तुम अपनी होम-बलियाँ सिर्फ उस जगह अर्पित करोगे जो यहोवा तुम्हारे किसी गोत्र के इलाके में चुनता है और वहाँ तुम वह सब करना जिसकी मैं तुम्हें आज्ञा दे रहा हूँ।+

15 मगर जब भी तुम्हारा गोश्‍त खाने का मन करे, तो तुम अपने शहरों में* जानवर हलाल करके खा सकते हो।+ तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा की आशीष से तुम्हारे पास जो जानवर हैं, उनमें से तुम जितना चाहे खा सकते हो। सब लोग यह गोश्‍त खा सकते हैं, फिर चाहे वे शुद्ध हों या अशुद्ध, ठीक जैसे चिकारे या हिरन का गोश्‍त तुम सब खाते हो। 16 मगर तुम खून हरगिज़ मत खाना+ बल्कि उसे पानी की तरह ज़मीन पर उँडेल देना।+ 17 और कुछ ऐसी चीज़ें हैं जिन्हें अपने शहरों में* खाने या पीने की तुम्हें इजाज़त नहीं है। ये हैं: अनाज का, नयी दाख-मदिरा का और तेल का दसवाँ हिस्सा, गाय-बैलों और भेड़-बकरियों के पहलौठे जानवर,+ कोई भी मन्‍नत-बलि, स्वेच्छा-बलियाँ और दान की गयी चीज़ें। 18 इन्हें तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने ही खाना। ये सब तुम अपने बेटे-बेटियों, दास-दासियों और अपने शहरों में* रहनेवाले लेवियों के साथ उस जगह खाना जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा चुनेगा।+ तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने अपने सब कामों पर खुशियाँ मनाना। 19 और सावधान रहना कि तुम अपने देश में जीते-जी कभी लेवियों को नज़रअंदाज़ नहीं करोगे।+

20 जब तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा अपने वादे के मुताबिक+ तुम्हारे देश की सरहद बढ़ाएगा+ और अगर कभी गोश्‍त खाने का तुम्हारा मन करे और तुम कहो, ‘आज मैं गोश्‍त खाना चाहता हूँ,’ तो तुम खा सकते हो।+ 21 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा अपने नाम की महिमा के लिए जो जगह चुनता है+ वह अगर तुम्हारे घर से बहुत दूर है, तो तुम मेरी आज्ञा के मुताबिक यहोवा के दिए गाय-बैलों या भेड़-बकरियों में से जानवर हलाल करना। जब भी तुम्हें गोश्‍त खाने का मन करे तो तुम अपने शहरों में* खाना। 22 सब लोग यह गोश्‍त खा सकते हैं, फिर चाहे वे शुद्ध हों या अशुद्ध, ठीक जैसे चिकारे या हिरन का गोश्‍त तुम सब खाते हो।+ 23 मगर तुम इतना ज़रूर ठान लेना कि तुम खून हरगिज़ नहीं खाओगे+ क्योंकि खून जीवन है।+ तुम गोश्‍त के साथ जीवन न खाना। 24 तुम खून हरगिज़ मत खाना। उसे पानी की तरह ज़मीन पर उँडेल देना।+ 25 तुम उसे हरगिज़ न खाना। इससे तुम्हारा और तुम्हारे बाद तुम्हारे बच्चों का भला होगा, क्योंकि तुम यहोवा की नज़र में सही काम कर रहे होगे। 26 जब तुम यहोवा की चुनी हुई जगह जाओगे तो अपने साथ सिर्फ अपनी पवित्र भेंट और अपनी मन्‍नत-बलियाँ ले जाना। 27 वहाँ तुम अपनी होम-बलि के जानवरों का गोश्‍त और खून अपने परमेश्‍वर यहोवा की वेदी पर अर्पित करना।+ बलि के जानवरों का खून तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की वेदी पर उँडेल देना,+ मगर उसका गोश्‍त तुम खा सकते हो।

28 मैं तुम्हें जो आज्ञाएँ दे रहा हूँ, उनमें से हर आज्ञा का तुम सख्ती से पालन करना। अगर तुम ऐसा करोगे तो तुम्हारा और तुम्हारे बाद तुम्हारे बच्चों का हमेशा भला होगा, क्योंकि तुम वही कर रहे होगे जो तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा की नज़र में सही और भला है।

29 जब तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा उन जातियों को नाश कर देगा जिन्हें तुम वहाँ से निकाल दोगे+ और तुम उनके देश में बस जाओगे, 30 तो सावधान रहना कि उनके मिटने के बाद तुम वहाँ किसी फंदे में न फँस जाओ। तुम उनके देवताओं के बारे में जानने के लिए यह मत कहना, ‘ये जातियाँ अपने देवताओं की पूजा कैसे करती थीं? ज़रा मैं भी उनके तौर-तरीके अपनाकर देखूँ।’+ 31 तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की उपासना उनके तरीके से मत करना, क्योंकि वे अपने देवताओं के लिए हर वह घिनौना काम करते हैं जिससे यहोवा नफरत करता है। यहाँ तक कि वे अपने बेटे-बेटियों को अपने देवताओं के लिए आग में होम कर देते हैं।+ 32 तुम इस बात का ध्यान रखना कि मैं तुम्हें जो आज्ञाएँ देता हूँ उनमें से हरेक का तुम सख्ती से पालन करोगे।+ तुम इन आज्ञाओं में न तो कुछ जोड़ना और न ही इनसे कुछ निकालना।+

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