अय्यूब
15 जवाब में तेमानी एलीपज+ ने कहा,
3 सिर्फ शब्दों से फटकार लगाने का कोई फायदा नहीं,
बड़ी-बड़ी बातें हाँकने से कुछ नहीं होता।
4 तेरी वजह से परमेश्वर का डर खत्म हो गया है,
दूसरों ने परमेश्वर के बारे में सोचना छोड़ दिया है।
5 तेरा गुनाह तुझे ऐसी बातें करना सिखाता है
और तू छल की बातें बोलता है।
7 क्या इंसानों में तू ही सबसे पहले पैदा हुआ था?
क्या तुझे पहाड़ों से भी पहले रचा गया था?
8 क्या परमेश्वर तेरे सामने राज़ की बातें करता है?
क्या सारी बुद्धि तेरे ही पास है?
9 तू ऐसा क्या जानता है जो हम नहीं जानते?+
तुझमें ऐसी कौन-सी समझ है जो हममें नहीं?
11 परमेश्वर जो दिलासा देता है, क्या वह तेरे लिए काफी नहीं?
और जिस नरमी से तुझसे बात की गयी, उसका क्या?
12 तेरे दिल ने तुझे इतना ढीठ क्यों बना दिया?
क्यों तेरी आँखें गुस्से से लाल हैं?
13 क्यों तू परमेश्वर को अपनी नाराज़गी दिखा रहा है?
और अपने मुँह से ऐसे शब्द निकाल रहा है?
15 देख! परमेश्वर को अपने स्वर्गदूतों* पर विश्वास नहीं,
यहाँ तक कि स्वर्ग भी उसकी नज़र में अपवित्र है!+
16 तो वह एक नीच और भ्रष्ट इंसान को पवित्र क्यों समझेगा,+
जो बुराई करने के लिए इस कदर तरसता है जैसे प्यासा पानी के लिए।
17 सुन, मैं तुझे बताता हूँ!
मैं समझाता हूँ कि मैंने क्या देखा है।
18 वे बातें बताता हूँ जो बुद्धिमानों ने अपने पुरखों से सुनी हैं,+
उन्होंने ये बातें छिपाकर नहीं रखीं।
19 उनके पुरखों को यह देश दिया गया था
और कोई परदेसी उनके यहाँ से होकर नहीं गया।
20 दुष्ट इंसान ज़िंदगी-भर दुखों से घिरा रहता है,
जितने साल वह ज़ालिम जीता है, उसे कहीं चैन नहीं मिलता।
23 वह मारा-मारा फिरता है कि कहीं तो खाने को रोटी मिले,
उसे मालूम है कि अंधकार का दिन नज़दीक है।
24 दुख और चिंताएँ रह-रहकर डराती हैं उसको,
ऐसे टूट पड़ती हैं जैसे कोई राजा दल-बल के साथ टूट पड़ता है।
28 इसलिए वह जिन शहरों में बसा है, वे उजाड़े जाएँगे,
जिन घरों में वह रहता है वे वीरान हो जाएँगे,
उन्हें खंडहर बना दिया जाएगा।
29 वह न मालामाल होगा, न दौलत बटोर पाएगा,
न ही देश-भर में फूले-फलेगा।
31 वह व्यर्थ चीज़ों पर भरोसा रखकर खुद को धोखे में न रखे,
क्योंकि उसे सिर्फ निराशा हाथ लगेगी।
33 वह अंगूर की उस बेल जैसा होगा, जिसके फल पकने से पहले गिर जाते हैं,
वह जैतून के उस पेड़ के समान होगा जिसके फूल झड़ जाते हैं।
35 वे बुरी बातें गढ़ते हैं और दूसरों का नुकसान करते हैं,
उनका मन धोखाधड़ी की बातें रचता रहता है।”