दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत: यह गीत शेमिनिथ की धुन पर गाया जाए।
12 हे यहोवा, मुझे बचा ले क्योंकि एक भी वफादार जन न रहा,
विश्वासयोग्य लोग दुनिया से मिट गए हैं।
2 सब एक-दूसरे से झूठ बोलते हैं,
होंठों से चिकनी-चुपड़ी बातें करते हैं, दोरंगे मन से बोलते हैं।+
3 यहोवा चिकनी-चुपड़ी बातें करनेवाले होंठ काट डालेगा,
बड़ी-बड़ी डींगें मारनेवाली ज़बान खींच लेगा।+
4 वे कहते हैं, “हम अपनी ज़बान से जीत जाएँगे।
अपने होंठों से जो चाहे बोलेंगे,
किसकी जुर्रत कि हम पर हुक्म चलाए?”+
5 यहोवा कहता है, “पीड़ितों को सताया जा रहा है,
गरीब आहें भर रहे हैं,+
इसलिए अब मैं कदम उठाऊँगा।
जो उन्हें तुच्छ समझते हैं, उनसे उन्हें बचाऊँगा।”
6 यहोवा की कही बातें शुद्ध हैं,+
उस चाँदी की तरह जो मिट्टी की भट्ठी में तायी गयी है,
सात बार शुद्ध की गयी है।
7 हे यहोवा, तू दीन-दुखियों की रक्षा करेगा,+
उनमें से हरेक को इस पीढ़ी से सदा बचाए रखेगा।
8 दुष्ट सीना तानकर चलते हैं, उन्हें रोकनेवाला कोई नहीं,
क्योंकि हर कहीं नीच कामों का बोलबाला है।+