चढ़ाई का गीत।
129 “मेरे बचपन से मेरे दुश्मन लगातार मुझ पर हमला करते रहे,”+
इसराएल अब कहे,
2 “मेरे बचपन से मेरे दुश्मन लगातार मुझ पर हमला करते रहे,+
मगर वे मुझे हरा न सके।+
3 हल जोतनेवालों ने मेरी पीठ पर हल जोता,+
उन्होंने हल की लंबी-लंबी रेखाएँ बनायीं।”
4 मगर यहोवा नेक है,+
उसने दुष्ट के बाँधे रस्से काट डाले।+
5 सिय्योन से नफरत करनेवाले सभी शर्मिंदा किए जाएँगे,
वे बेइज़्ज़त होकर भाग जाएँगे।+
6 वे छत पर उगनेवाली घास जैसे हो जाएँगे,
जो उखाड़े जाने से पहले ही मुरझा जाती है,
7 जिससे न कटाई करनेवाला अपनी मुट्ठी भरता है,
न ही पूले इकट्ठा करनेवाला अपनी बाहें भरता है।
8 आने-जानेवाले यह नहीं कहेंगे,
“यहोवा की आशीष तुझ पर हो,
हम यहोवा के नाम से तुझे आशीर्वाद देते हैं।”