होशे
14 “हे इसराएल, अपने परमेश्वर यहोवा के पास लौट आ,+
क्योंकि तू अपने गुनाह की वजह से ठोकर खाकर गिर गया है।
2 यहोवा के पास लौट आ और उससे कह,
‘हमारे गुनाह माफ कर दे+ और जो अच्छा है वह हमसे स्वीकार कर
और हम अपने होंठों से तुझे तारीफ के बोल अर्पित करेंगे,+ जैसे हम बैलों का बलिदान चढ़ाते हैं।
हम घोड़ों पर सवार नहीं होंगे+
और फिर कभी अपने हाथ की बनायी चीज़ों से यह नहीं कहेंगे: “हे हमारे परमेश्वर!”
क्योंकि तू ही है जो अनाथ* पर दया करता है।’+
4 मैं उनकी विश्वासघात करने की बीमारी दूर कर दूँगा।+
5 मैं इसराएल के लिए ओस जैसा बनूँगा,
वह सोसन के फूल की तरह खिलेगा
और लबानोन के पेड़ों की तरह अपनी जड़ें गहराई तक जमाएगा।
7 वे फिर से उसकी छाया में रहेंगे।
वे अनाज उगाएँगे और अंगूर की बेल की तरह फूलेंगे-फलेंगे।+
वह लबानोन की दाख-मदिरा की तरह मशहूर होगा।*
8 एप्रैम कहेगा, ‘मूरतों से अब मेरा और क्या लेना-देना?’+
मैं उसकी सुनूँगा और उस पर नज़र रखूँगा।+
मैं तेरे लिए सनोवर के हरे-भरे पेड़ जैसा होऊँगा।
मुझसे ही तुझे फल मिला करेगा।”
9 कौन बुद्धिमान है? वह इन बातों को समझे।
कौन सूझ-बूझवाला है? वह इन बातों को जाने।