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  • प्रकाशितवाक्य 21
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)

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प्रकाशितवाक्य का सारांश

      • एक नया आकाश और नयी पृथ्वी (1-8)

        • फिर मौत न रहेगी (4)

        • सबकुछ नया बनाया गया (5)

      • नयी यरूशलेम की खूबसूरती (9-27)

प्रकाशितवाक्य 21:1

संबंधित आयतें

  • +यश 65:17; 66:22; 2पत 3:13
  • +2पत 3:10; प्रक 20:11
  • +यश 57:20

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    11/2023, पेज 4

    मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका,

    12/2019, पेज 6

    प्रहरीदुर्ग,

    6/15/2001, पेज 31

    4/15/2000, पेज 12

    सजग होइए!,

    2/8/1997, पेज 19

प्रकाशितवाक्य 21:2

संबंधित आयतें

  • +प्रक 3:12
  • +प्रक 19:7

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    शुद्ध उपासना, पेज 225

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2010, पेज 5

    7/1/1995, पेज 13-14

प्रकाशितवाक्य 21:3

संबंधित आयतें

  • +यहे 37:27

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 26

    प्रहरीदुर्ग,

    3/15/2013, पेज 23

    “देख!” ब्रोशर, पेज 29-30

प्रकाशितवाक्य 21:4

संबंधित आयतें

  • +प्रक 7:17
  • +यश 25:8; 1कुर 15:26
  • +यश 35:10; 65:19

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 2

    सजग होइए!,

    अंक 1 2021 पेज 13

    7/8/1994, पेज 4-5, 11

    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/2014, पेज 11

    9/15/2012, पेज 10

    1/15/2012, पेज 30

    7/1/2010, पेज 5-6

    4/15/2000, पेज 12-13

    “देख!” ब्रोशर, पेज 29-30

प्रकाशितवाक्य 21:5

फुटनोट

  • *

    या “विश्‍वास के योग्य।”

संबंधित आयतें

  • +प्रक 4:2, 3
  • +2पत 3:13

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    11/2023, पेज 3-4

    यहोवा के करीब, पेज 81-86

    मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका,

    12/2019, पेज 6

    प्रहरीदुर्ग,

    4/15/2000, पेज 14

प्रकाशितवाक्य 21:6

फुटनोट

  • *

    ये यूनानी वर्णमाला के पहले और आखिरी अक्षर हैं।

  • *

    या “दाम लिए बिना।”

संबंधित आयतें

  • +प्रक 1:8; 22:13
  • +भज 36:9; यश 55:1; प्रक 7:17; 22:1

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    11/2023, पेज 3, 4-6

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    10/2016, पेज 22

    नयी दुनिया अनुवाद, पेज 2101

प्रकाशितवाक्य 21:8

फुटनोट

  • *

    शब्दावली देखें।

संबंधित आयतें

  • +1यूह 5:10
  • +1यूह 3:15
  • +इफ 5:5
  • +यूह 8:44
  • +प्रक 19:20
  • +नीत 10:7; इब्र 10:26, 27; प्रक 2:11; 20:6

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    नयी दुनिया अनुवाद, पेज 2102

प्रकाशितवाक्य 21:9

संबंधित आयतें

  • +प्रक 15:1
  • +प्रक 19:7

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    3/1/2007, पेज 9

प्रकाशितवाक्य 21:10

संबंधित आयतें

  • +इब्र 12:22; प्रक 3:12; 21:2

प्रकाशितवाक्य 21:11

संबंधित आयतें

  • +यश 60:1, 2
  • +निर्ग 24:9, 10

प्रकाशितवाक्य 21:12

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    शुद्ध उपासना, पेज 225

प्रकाशितवाक्य 21:13

संबंधित आयतें

  • +प्रक 22:14

प्रकाशितवाक्य 21:14

संबंधित आयतें

  • +मत 10:2-4; लूक 6:13-16; प्रेष 1:13

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/15/1997, पेज 13-14

प्रकाशितवाक्य 21:15

संबंधित आयतें

  • +यहे 40:3, 5

प्रकाशितवाक्य 21:16

फुटनोट

  • *

    शा., “12,000 स्तादियौन।” एक स्तादियौन 185 मी. (606.95 फुट) के बराबर था। अति. ख14 देखें।

प्रकाशितवाक्य 21:17

फुटनोट

  • *

    करीब 64 मी. (210 फुट)। अति. ख14 देखें।

प्रकाशितवाक्य 21:18

संबंधित आयतें

  • +प्रक 4:3; 21:10, 11

प्रकाशितवाक्य 21:20

फुटनोट

  • *

    या “लाल रंग का एक कीमती रत्न।”

प्रकाशितवाक्य 21:22

फुटनोट

  • *

    अति. क5 देखें।

संबंधित आयतें

  • +निर्ग 6:3

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    5/2022, पेज 17-18

प्रकाशितवाक्य 21:23

संबंधित आयतें

  • +यश 60:19, 20; प्रक 22:5
  • +यूह 1:9; प्रेष 26:13, 15; इब्र 1:3

प्रकाशितवाक्य 21:24

संबंधित आयतें

  • +यश 60:3

प्रकाशितवाक्य 21:25

संबंधित आयतें

  • +यश 60:11, 20

प्रकाशितवाक्य 21:26

संबंधित आयतें

  • +यश 60:5

प्रकाशितवाक्य 21:27

फुटनोट

  • *

    या “के खर्रे।”

संबंधित आयतें

  • +भज 5:6; यश 52:1; 1कुर 6:9, 10; गल 5:19-21; प्रक 21:8
  • +दान 12:1; फिल 4:3; प्रक 13:8

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

प्रका. 21:1यश 65:17; 66:22; 2पत 3:13
प्रका. 21:12पत 3:10; प्रक 20:11
प्रका. 21:1यश 57:20
प्रका. 21:2प्रक 3:12
प्रका. 21:2प्रक 19:7
प्रका. 21:3यहे 37:27
प्रका. 21:4प्रक 7:17
प्रका. 21:4यश 25:8; 1कुर 15:26
प्रका. 21:4यश 35:10; 65:19
प्रका. 21:5प्रक 4:2, 3
प्रका. 21:52पत 3:13
प्रका. 21:6प्रक 1:8; 22:13
प्रका. 21:6भज 36:9; यश 55:1; प्रक 7:17; 22:1
प्रका. 21:81यूह 5:10
प्रका. 21:81यूह 3:15
प्रका. 21:8इफ 5:5
प्रका. 21:8यूह 8:44
प्रका. 21:8प्रक 19:20
प्रका. 21:8नीत 10:7; इब्र 10:26, 27; प्रक 2:11; 20:6
प्रका. 21:9प्रक 15:1
प्रका. 21:9प्रक 19:7
प्रका. 21:10इब्र 12:22; प्रक 3:12; 21:2
प्रका. 21:11यश 60:1, 2
प्रका. 21:11निर्ग 24:9, 10
प्रका. 21:13प्रक 22:14
प्रका. 21:14मत 10:2-4; लूक 6:13-16; प्रेष 1:13
प्रका. 21:15यहे 40:3, 5
प्रका. 21:18प्रक 4:3; 21:10, 11
प्रका. 21:22निर्ग 6:3
प्रका. 21:23यश 60:19, 20; प्रक 22:5
प्रका. 21:23यूह 1:9; प्रेष 26:13, 15; इब्र 1:3
प्रका. 21:24यश 60:3
प्रका. 21:25यश 60:11, 20
प्रका. 21:26यश 60:5
प्रका. 21:27भज 5:6; यश 52:1; 1कुर 6:9, 10; गल 5:19-21; प्रक 21:8
प्रका. 21:27दान 12:1; फिल 4:3; प्रक 13:8
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
  • नयी दुनिया अनुवाद (nwt) में पढ़िए
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
प्रकाशितवाक्य 21:1-27

यूहन्‍ना को दिया गया प्रकाशितवाक्य

21 फिर मैंने एक नए आकाश और नयी पृथ्वी को देखा+ क्योंकि पुराना आकाश और पुरानी पृथ्वी मिट चुके थे+ और समुंदर+ न रहा। 2 मैंने पवित्र नगरी नयी यरूशलेम को भी देखा, जो स्वर्ग से परमेश्‍वर के पास से नीचे उतर रही थी।+ वह ऐसे सजी हुई थी जैसे एक दुल्हन अपने दूल्हे के लिए सिंगार करती है।+ 3 फिर मैंने राजगद्दी से एक ज़ोरदार आवाज़ सुनी जो कह रही थी, “देखो! परमेश्‍वर का डेरा इंसानों के बीच है। वह उनके साथ रहेगा और वे उसके लोग होंगे। और परमेश्‍वर खुद उनके साथ होगा।+ 4 और वह उनकी आँखों से हर आँसू पोंछ देगा+ और न मौत रहेगी,+ न मातम, न रोना-बिलखना, न ही दर्द रहेगा।+ पिछली बातें खत्म हो चुकी हैं।”

5 और परमेश्‍वर ने, जो राजगद्दी पर बैठा था,+ कहा, “देख! मैं सबकुछ नया बना रहा हूँ।”+ उसने यह भी कहा, “ये बातें लिख ले क्योंकि ये भरोसे के लायक* और सच्ची हैं।” 6 फिर उसने मुझसे कहा, “ये वचन पूरे हो चुके हैं! मैं ही अल्फा और ओमेगा* हूँ यानी शुरूआत और अंत मैं ही हूँ।+ जो कोई प्यासा होगा उसे मैं जीवन देनेवाले पानी के सोते से मुफ्त* पानी पिलाऊँगा।+ 7 जो कोई जीत हासिल करेगा उसे ये सारी चीज़ें विरासत में मिलेंगी। मैं उसका परमेश्‍वर होऊँगा और वह मेरा बेटा होगा। 8 लेकिन जो कायर हैं, जो विश्‍वास नहीं करते,+ जो अशुद्ध और घिनौने काम करते हैं, कत्ल करते हैं,+ नाजायज़ यौन-संबंध* रखते हैं,+ जादू-टोना और मूर्तिपूजा में लगे रहते हैं और झूठे हैं,+ उन सबको उस झील में फेंक दिया जाएगा जो आग और गंधक से जलती रहती है।+ इसका मतलब दूसरी मौत है।”+

9 जिन सात स्वर्गदूतों के पास सात आखिरी कहर से भरे सात कटोरे थे,+ उनमें से एक स्वर्गदूत ने आकर मुझसे कहा, “इधर आ, मैं तुझे दुल्हन दिखाता हूँ, मेम्ने की दुल्हन।”+ 10 तब वह मुझे पवित्र शक्‍ति की ताकत से एक बड़े और ऊँचे पहाड़ पर ले गया और उसने मुझे पवित्र नगरी यरूशलेम दिखायी जो स्वर्ग से, परमेश्‍वर के पास से नीचे उतर रही थी+ 11 और परमेश्‍वर की महिमा से भरपूर थी।+ उसकी चमक एक अनमोल रत्न जैसी थी, बिल्लौर की तरह दमकते यशब जैसी।+ 12 उसकी दीवार बहुत ही बड़ी और ऊँची थी और उसमें 12 फाटक थे। उन फाटकों पर 12 स्वर्गदूत थे और फाटकों पर इसराएलियों के 12 गोत्रों के नाम लिखे हुए थे। 13 पूरब में तीन फाटक थे, उत्तर में तीन, दक्षिण में तीन और पश्‍चिम में तीन फाटक थे।+ 14 उस नगरी की दीवार 12 नींव के पत्थरों पर खड़ी थी और उन पत्थरों पर मेम्ने के 12 प्रेषितों के नाम लिखे थे।+

15 जो स्वर्गदूत मुझसे बात कर रहा था, वह उस नगरी और उसके फाटकों और दीवार को नापने के लिए सोने का एक नरकट लिए हुए था।+ 16 वह नगरी चौकोर थी और उसकी लंबाई, उसकी चौड़ाई के बराबर थी। और उसने नरकट से उस नगरी को नापा और वह करीब 2,220 किलोमीटर* की निकली। उसकी लंबाई, चौड़ाई और ऊँचाई बराबर थी। 17 उसने उसकी दीवार भी नापी जो इंसान की नाप के मुताबिक, साथ ही स्वर्गदूत की नाप के मुताबिक 144 हाथ* थी। 18 उसकी दीवारें यशब से बनी थीं+ और वह नगरी खरे सोने की थी और काँच जैसी साफ थी। 19 उस नगरी की दीवार की नींव हर तरह के कीमती रत्नों से सजी हुई थी: नींव का पहला रत्न था यशब, दूसरा नीलम, तीसरा लालड़ी, चौथा पन्‍ना, 20 पाँचवाँ गोमेद, छठा माणिक्य,* सातवाँ करकेटक, आठवाँ वैदूर्य, नौवाँ पुखराज, दसवाँ लहसुनिया, ग्यारहवाँ धूम्रकांत, बारहवाँ कटैला। 21 और उसके 12 फाटक 12 मोतियों के थे। हर फाटक एक मोती से बना था। और उस नगरी की मुख्य सड़क खरे सोने की थी और आर-पार दिखनेवाले साफ काँच जैसी थी।

22 मुझे उस नगरी में कोई मंदिर नहीं दिखायी दिया क्योंकि सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर यहोवा*+ ही उसका मंदिर है और मेम्ना भी है। 23 उस नगरी को सूरज और चाँद की रौशनी की ज़रूरत नहीं, क्योंकि वह परमेश्‍वर की महिमा से जगमगाती है+ और मेम्ना उसका दीपक है।+ 24 और सब राष्ट्र उसकी रौशनी में चलेंगे+ और पृथ्वी के राजा अपना ऐश्‍वर्य इसमें ले आएँगे। 25 उस नगरी के फाटक दिन में बंद नहीं किए जाएँगे और वहाँ रात होगी ही नहीं।+ 26 और वे राष्ट्रों की महिमा और उनकी शान उस नगरी में ले आएँगे।+ 27 मगर कोई भी दूषित चीज़ और ऐसा कोई भी जो घिनौने काम करता और छल करता है, उस नगरी में हरगिज़ दाखिल नहीं होगा।+ सिर्फ वे ही दाखिल होंगे जिनके नाम मेम्ने की जीवन की किताब* में लिखे हैं।+

हिंदी साहित्य (1972-2025)
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