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फरीसी

पहली सदी में यहूदी धर्म का एक जाना-माना धार्मिक गुट। वे याजकों के वंश से नहीं थे, फिर भी वे मूसा के कानून में लिखी एक-एक बात सख्ती से मानते थे और ज़बानी तौर पर सिखायी परंपराओं को भी उतनी ही अहमियत देते थे। (मत 23:23) उन्हें जहाँ कहीं यूनानी संस्कृति का ज़रा भी असर नज़र आता, वे उसका विरोध करते थे। कानून और परंपराओं के अच्छे जानकर होने की वजह से लोगों में उनका बहुत दबदबा था। (मत 23:2-6) कुछ फरीसी महासभा के सदस्य भी थे। वे कई मामलों में यीशु का विरोध करते थे जैसे, सब्त और परंपराओं को मानने और पापियों और कर-वसूलनेवालों के साथ संगति करने के मामलों में। कुछ फरीसी मसीही बन गए जिनमें से एक तरसुस का रहनेवाला शाऊल था।​—मत 9:11; 12:14; मर 7:5; लूक 6:2; प्रेष 26:5.

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