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  • परमेश्‍वर संकल्प करता है कि मनुष्य परादीस में जीवन का आनन्द उठाए
    प्रहरीदुर्ग—1990 | मार्च 1
    • ९ “और यहोवा परमेश्‍वर ने मनुष्य को भूमि की मिट्टी से रचा और उसके नथनों में जीवन का श्‍वास फूँक दिया, और मनुष्य जीवता प्राणी बन गया। और यहोवा परमेश्‍वर ने पूर्व की ओर अदन देश में एक बाटिका लगाई, और वहाँ मनुष्य को जिसे उस ने रचा था, रख दिया। और यहोवा परमेश्‍वर ने भूमि से सब भाँति के वृक्ष, जो देखने में मनोहर और जिनके फल खाने में अच्छे हैं उगाए, और बाटिका के बीच में जीवन के वृक्ष को और भले या बुरे के ज्ञान के वृक्ष को भी लगाया। और उस बाटिका को सींचने के लिए एक महानदी अदन से निकली और वहाँ से आगे बहकर चार धारा में हो गयी।”—उत्पत्ति २:७-१०, न्यू.व.b

  • परमेश्‍वर संकल्प करता है कि मनुष्य परादीस में जीवन का आनन्द उठाए
    प्रहरीदुर्ग—1990 | मार्च 1
    • b भविष्यद्वक्‍ता मूसा ने, जिसने हमारे सामान्य युग पूर्व १६वीं सदी में उत्पत्ति की किताब की जानकारी लिपिबद्ध की, उसने इस अदनी नदी के बारे में, उसके समय में प्राप्त ज्ञान के अनुसार, निम्नलिखित जानकारी जोड़ दी:

      “पहली धारा का नाम पीशोन्‌ है, यह वही है जो हवीला नाम के सारे देश को जहाँ सोना मिलता है घेरे हुए है। उस देश का सोना चोखा होता है, वहाँ मोती और सुलैमानी पत्थर भी मिलते हैं। और दूसरी नदी का नाम गीहोन्‌ है, यह वही है जो कूश्‌ के सारे देश को घेरे हुए है। और तीसरी नदी का नाम हिद्देकेल्‌ है, यह वही है जो अश्‍शूर्‌ के पूर्व की ओर बहती है। और चौथी नदी का नाम फरात है।”—उत्पत्ति २:११-१४.

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