यहोवा और उसके वचन पर भरोसा रखिए
“तेरे नाम के जाननेवाले तुझ पर भरोसा रखेंगे।”—भजन ९:१०.
१. हमारे आधुनिक दिन में भी हम यहोवा और उसके वचन पर विश्वास क्यों कर सकते हैं?
इस आधुनिक संसार में, परमेश्वर और उसके वचन, बाइबल पर भरोसा रखने का आमंत्रण शायद अव्यावहारिक और अवास्तविक प्रतीत हो। फिर भी, परमेश्वर की बुद्धि काफ़ी समय से सत्य और व्यावहारिक साबित हुई है। पुरुष और स्त्री का सृष्टिकर्ता विवाह और परिवार का आरम्भक है, और वह हमारी ज़रूरतों के बारे में किसी और व्यक्ति से बेहतर जानता है। ठीक जिस तरह मूल मानवी ज़रूरतें नहीं बदली हैं, उसी तरह इन ज़रूरतों को पूरा करने के मूलभूत तरीक़े वही रहे हैं। बाइबल की बुद्धिमान सलाह, हालाँकि शताब्दियों पहले लिखी गयी थी, अब भी जीने और समस्याओं को सुलझाने में सफलता के लिए सर्वोत्तम मार्गदर्शन प्रदान करती है। इसे मानने से अत्यधिक ख़ुशी मिलती है—इस कृत्रिम, वैज्ञानिक संसार में भी जिसमें हम जीते हैं!
२. (क) परमेश्वर की आज्ञाओं को मानने से यहोवा के लोगों के जीवन में कौन-सा अच्छा फल उत्पन्न हुआ है? (ख) यहोवा उन लोगों से और क्या प्रतिज्ञा करता है जो उसके और उसके वचन के प्रति आज्ञाकारी हैं?
२ यहोवा पर भरोसा रखना और बाइबल के सिद्धान्तों को लागू करना हर रोज़ व्यावहारिक लाभ लाता है। इसका सबूत संसार के चारों ओर के लाखों यहोवा के साक्षियों के जीवन द्वारा प्रदर्शित होता है जिनके पास बाइबल की सलाह को लागू करने के लिए विश्वास और साहस रहा है। उनके लिए, सृष्टिकर्ता और उसके वचन पर भरोसा उपयुक्त साबित हुआ है। (भजन ९:९, १०) परमेश्वर की आज्ञाओं को मानने से वे स्वच्छता, ईमानदारी, परिश्रमिता, जीवन और दूसरों की सम्पत्ति के लिए आदर, और खाने-पीने में संतुलन के सम्बन्ध में बेहतर लोग बन गए हैं। यह पारिवारिक दायरे के अन्दर उचित प्रेम और प्रशिक्षण—सत्कारशील, धीरजवन्त, दयालु, और क्षमाशील होना—साथ ही साथ अनेक अन्य बातों की ओर ले गया है। वे काफ़ी हद तक क्रोध, घृणा, हत्या, जलन, भय, आलसीपन, घमण्ड, झूठ, निन्दा, स्वच्छन्द संभोगिता, और अनैतिकता के बुरे फल से दूर रहने में समर्थ हुए हैं। (भजन ३२:१०) लेकिन परमेश्वर उन लोगों के लिए जो उसके नियमों को मानते हैं, एक अच्छे परिणाम की प्रतिज्ञा से बढ़कर करता है। यीशु ने कहा कि जो मसीही मार्ग में चलता है वह ‘अब इस समय सौ गुणा पाएगा, माताओं और लड़के-बालों और खेतों को पर उपद्रव के साथ और परलोक में अनन्त जीवन।’—मरकुस १०:२९, ३०.
सांसारिक बुद्धि पर भरोसा रखने से दूर रहिए
३. यहोवा और उसके वचन पर भरोसा रखना जारी रखने में, मसीहियों को कभी-कभी कौन-सी समस्याओं का सामना करना पड़ा है?
३ अपरिपूर्ण मनुष्यों की एक समस्या है कि वे परमेश्वर जो माँग करता है उसके महत्त्व को कम करने या उसे भूल जाने के लिए प्रवृत्त होते हैं। वे आसानी से सोचने लगते हैं कि उनकी बुद्धि श्रेष्ठ है या कि इस संसार के प्रबुद्ध-वर्ग की बुद्धि परमेश्वर से श्रेष्ठ है, कि यह ज़्यादा दिनाप्त है। इस संसार में जीते वक़्त परमेश्वर के सेवक भी ऐसी मनोवृत्ति विकसित कर सकते हैं। अतः, उसकी सलाह को ध्यान से सुनने के प्रेममय आमंत्रण को पेश करने में, हमारा स्वर्गीय पिता उपयुक्त चेतावनियों को भी शामिल करता है: “हे मेरे पुत्र, मेरी शिक्षा को न भूलना; अपने हृदय में मेरी आज्ञाओं को रखे रहना; क्योंकि ऐसा करने से तेरी आयु बढ़ेगी, और तू अधिक कुशल से रहेगा। तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा। अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न होना; यहोवा का भय मानना, और बुराई से अलग रहना।”—नीतिवचन ३:१, २, ५-७.
४. ‘इस संसार की बुद्धि’ कितनी व्यापक है, और यह “परमेश्वर के निकट मूर्खता” क्यों है?
४ इस संसार की बुद्धि प्रचुर मात्रा में और अनेक स्रोतों से उपलब्ध है। शिक्षा के अनेक संस्थान हैं, और “बहुत पुस्तकों की रचना का अन्त नहीं होता।” (सभोपदेशक १२:१२) अब कम्प्यूटर जगत का तथाकथित जानकारी सुपर-हाइवे तक़रीबन किसी भी विषय पर असीमित सामग्री प्रदान करने की प्रतिज्ञा करता है। लेकिन इस सारे ज्ञान का उपलब्ध होना संसार को ज़्यादा बुद्धिमान नहीं बनाता या इसकी समस्याओं को नहीं सुलझाता। इसके बजाय, संसार की स्थिति हर रोज़ बदतर होती जाती है। स्वाभाविक रूप से, बाइबल हमें बताती है कि “इस संसार का ज्ञान [“बुद्धि,” NW] परमेश्वर के निकट मूर्खता है।”—१ कुरिन्थियों ३:१९, २०.
५. ‘इस संसार की बुद्धि’ के सम्बन्ध में बाइबल क्या चेतावनियाँ देती है?
५ अन्तिम दिनों के इस आख़री भाग के दौरान, ऐसी ही उम्मीद की जाती है कि महा धोखेबाज़, शैतान अर्थात् इब्लीस, बाइबल की सत्यता में विश्वास को कमज़ोर करने के प्रयास में झूठ की बौछार करेगा। उच्च समालोचकों ने सैद्धान्तिक पुस्तकों की भरमार उत्पन्न की है जो बाइबल की प्रमाणिकता और विश्वसनीयता को चुनौती देती हैं। पौलुस ने अपने संगी मसीही को चेतावनी दी: “हे तीमुथियुस इस थाती की रखवाली कर और जिस ज्ञान को ज्ञान कहना ही भूल है, उसके अशुद्ध बकवाद और विरोध की बातों से परे रह। कितने इस ज्ञान का अंगीकार करके, विश्वास से भटक गए हैं।” (१ तीमुथियुस ६:२०, २१) बाइबल आगे चेतावनी देती है: “चौकस रहो कि कोई तुम्हें उस तत्व-ज्ञान और व्यर्थ धोखे के द्वारा अहेर न कर ले, जो मनुष्यों के परम्पराई मत और संसार की आदि शिक्षा के अनुसार है, पर मसीह के अनुसार नहीं।”—कुलुस्सियों २:८.
शक करने की प्रवृत्ति से लड़िए
६. शंकाओं को हमारे हृदय में जड़ पकड़ने से रोकने के लिए सतर्कता की आवश्यकता क्यों है?
६ इब्लीस की एक और धूर्त चाल है मन में शंकाएँ बोना। वह विश्वास में कुछ कमज़ोरी को देखकर उसका फ़ायदा उठाने के लिए सदा तैयार है। कोई व्यक्ति जिसे शंकाएँ होती हैं, उसे याद रखना चाहिए कि ऐसी शंकाओं के पीछे वह व्यक्ति है जिसने हव्वा से कहा: “क्या सच है, कि परमेश्वर ने कहा, कि तुम इस बाटिका के किसी वृक्ष का फल न खाना?” एक मर्तबा जब प्रलोभक ने उसके मन में शंका बो दी, तो अगला क़दम था उससे एक झूठ बोलना, जिसे उसने विश्वास किया। (उत्पत्ति ३:१, ४, ५) हव्वा की तरह शंका द्वारा हमारे विश्वास को नष्ट होने देने से बचाने के लिए, हमें सतर्क होने की ज़रूरत है। यदि यहोवा, उसके वचन, या उसके संगठन के बारे में हल्की-सी भी शंका आपके हृदय में रहने लगी है, तो इससे पहले कि यह सड़कर कुछ ऐसी हो जाए जो आपके विश्वास को नष्ट कर सकती है, इसे मिटाने के लिए शीघ्र क़दम उठाइए।—१ कुरिन्थियों १०:१२ से तुलना कीजिए।
७. शंकाओं को मिटाने के लिए क्या किया जा सकता है?
७ क्या किया जा सकता है? फिर से, जवाब है कि यहोवा और उसके वचन पर भरोसा रखिए। “यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उस को दी जाएगी। पर विश्वास से मांगे, और कुछ सन्देह न करे; क्योंकि सन्देह करनेवाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है।” (याकूब १:५, ६; २ पतरस ३:१७, १८) सो यहोवा से भावप्रवण प्रार्थना पहला क़दम है। (भजन ६२:८) फिर, कलीसिया के प्रेममय ओवरसियरों से मदद माँगने के लिए संकोच मत कीजिए। (प्रेरितों २०:२८; याकूब ५:१४, १५; यहूदा २२) वे आपकी शंकाओं, जो शायद घमण्ड या किसी ग़लत सोच-विचार की वजह से हो सकती हैं, के स्रोत को खोज निकालने में आपकी मदद करेंगे।
८. धर्मत्यागी सोच-विचार अकसर कैसे शूरू होता है, और इसका इलाज क्या है?
८ क्या धर्मत्यागी विचारों या सांसारिक तत्त्वज्ञान को पढ़ने या सुनने से ज़हरीली शंकाएँ उत्पन्न हुई हैं? बुद्धिमत्तापूर्वक, बाइबल सलाह देती है: “अपने आप को परमेश्वर का ग्रहणयोग्य और ऐसा काम करनेवाला ठहराने का प्रयत्न कर, जो लज्जित होने न पाए, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता हो। पर अशुद्ध बकवाद से बचा रह; क्योंकि ऐसे लोग और भी अभक्ति में बढ़ते जाएंगे। और उन का वचन सड़े-घाव की नाईं फैलता जाएगा।” (२ तीमुथियुस २:१५-१७) यह दिलचस्पी की बात है कि अनेक लोगों ने जो धर्मत्याग का शिकार हो गए हैं, यहोवा के संगठन में उनके साथ कैसा सलूक किया जाता है उसके बारे में वे कैसा महसूस करते हैं, इसके बारे में पहले शिकायत करने के द्वारा ग़लत दिशा में जाना शुरू किया। (यहूदा १६) विश्वासों में दोष ढूँढना बाद में आया। जिस तरह एक सर्जन, गैंग्रीन को काटने के लिए शीघ्र कार्य करता है, उसी तरह शिकायत करने, मसीही कलीसिया में जिस तरीक़े से कार्य किया जाता है, उससे असंतुष्ट होने की किसी भी प्रवृत्ति को मन से उखाड़ फेंकने के लिए शीघ्रता से कार्य कीजिए। (कुलुस्सियों ३:१३, १४) ऐसी किसी भी चीज़ को काट डालिए जो ऐसी शंकाओं को बढ़ावा देती है।—मरकुस ९:४३.
९. विश्वास में स्वस्थ रहने के लिए एक अच्छा ईश्वरशासित नित्यक्रम कैसे हमारी मदद कर सकता है?
९ यहोवा और उसके संगठन के साथ घनिष्ठता से जुड़े रहिए। निष्ठापूर्वक पतरस का अनुकरण कीजिए, जिसने दृढ़तापूर्वक कहा: “हे प्रभु हम किस के पास जाएं? अनन्त जीवन की बातें तो तेरे ही पास हैं।” (यूहन्ना ६:५२, ६०, ६६-६८) अपने विश्वास को बड़ी ढाल की तरह मज़बूत रखने के लिए, जो ‘उस दुष्ट के सब जलते हुए तीरों को बुझा सकने’ में समर्थ हो, यहोवा के वचन के अध्ययन का एक अच्छा कार्यक्रम रखिए। (इफिसियों ६:१६) दूसरों के साथ प्रेमपूर्वक राज्य संदेश को बाँटते हुए मसीही सेवकाई में सक्रिय रहिए। हर रोज़, मूल्यांकन से मनन कीजिए कि यहोवा ने आपको कैसे आशिष दी है। कृतज्ञ होइए कि आपके पास सच्चाई का ज्ञान है। एक अच्छे मसीही नित्यक्रम में इन सब चीज़ों को करना, ख़ुश रहने, धीरज धरने, और शंकाओं से मुक्त रहने में आपकी मदद करेगा।—भजन ४०:४; फिलिप्पियों ३:१५, १६; इब्रानियों ६:१०-१२.
विवाह में यहोवा के निर्देशन का पालन करना
१०. मसीही विवाह में मार्गदर्शन के लिए यहोवा की ओर देखना विशेषकर क्यों महत्त्वपूर्ण है?
१० एक विवाहित दम्पति की तरह पुरुष और स्त्री के एकसाथ रहने का प्रबन्ध करने में, यहोवा ने न सिर्फ़ उद्देश्य किया कि पृथ्वी सुविधाजनक रूप से भर जाए बल्कि यह उनकी ख़ुशी को भी बढ़ाए। लेकिन, पाप और अपरिपूर्णता ने वैवाहिक सम्बन्ध में गम्भीर समस्याएँ उत्पन्न की। मसीही इनसे विमुक्त नहीं हैं, क्योंकि वे भी अपरिपूर्ण हैं और आधुनिक-दिन जीवन के दबावों का अनुभव करते हैं। फिर भी, जिस हद तक वे यहोवा और उसके वचन पर भरोसा रखते हैं, मसीहियों को विवाह में और अपने बच्चों की परवरिश में अच्छी सफलता मिल सकती है। मसीही विवाह में सांसारिक अभ्यासों और व्यवहार के लिए कोई जगह नहीं है। परमेश्वर का वचन हमें सलाह देता है: “विवाह सब में आदर की बात समझी जाए, और बिछौना निष्कलंक रहे; क्योंकि परमेश्वर व्यभिचारियों, और परस्त्रीगामियों का न्याय करेगा।”—इब्रानियों १३:४.
११. वैवाहिक समस्याओं को सुलझाने में, दोनों साथियों को कौन-सी बात स्वीकार करनी चाहिए?
११ ऐसे विवाह में जो बाइबल की सलाह के अनुकूल होता है, प्रेम, वचनबद्धता, और सुरक्षा का माहौल होता है। दोनों पति और पत्नी मुखियापन के सिद्धान्त को समझते हैं और उसका आदर करते हैं। जब कठिनाइयाँ विकसित होती हैं, तो अकसर इसकी वजह बाइबल की सलाह को लागू करने में कुछ लापरवाही होती है। दीर्घकालिक समस्या को हल करने में यह अत्यावश्यक है कि दोनों साथी ईमानदारी से वास्तव में जो समस्या है उस पर ध्यान केंद्रित करें और लक्षणों के बजाय कारणों से निपटें। यदि हाल की चर्चाओं से बहुत कम या कोई समझौता नहीं हुआ है, तो दम्पति शायद एक प्रेममय ओवरसियर से निष्पक्ष मदद माँगे।
१२. (क) विवाह में किन सामान्य समस्याओं पर बाइबल सलाह प्रदान करती है? (ख) दोनों साथियों की तरफ़ से यहोवा के तरीक़े से कार्य करने की ज़रूरत क्यों है?
१२ क्या समस्या में संचार, एक दूसरे की भावनाओं के लिए आदर, मुखियापन के लिए आदर, या फ़ैसले कैसे किए जाते हैं, शामिल है? क्या यह बच्चों की परवरिश, या लैंगिक ज़रूरतों को संतुलित करने के बारे में है? या क्या यह पारिवारिक बजट, मनोरंजन, संगति, क्या पत्नी को नौकरी करनी चाहिए, या आपको कहाँ रहना है इसके बारे में है? समस्या चाहे जो भी हो, बाइबल या तो नियमों के ज़रिए सीधे-सीधे या सिद्धान्तों के ज़रिए अप्रत्यक्ष रूप से व्यावहारिक सलाह देती है। (मत्ती १९:४, ५, ९; १ कुरिन्थियों ७:१-४०; इफिसियों ५:२१-२३, २८-३३; ६:१-४; कुलुस्सियों ३:१८-२१; तीतुस २:४, ५; १ पतरस ३:१-७) जब दोनों साथी स्वार्थी माँग करने से दूर रहते हैं और अपने विवाह में प्रेम को पूरा-पूरा अभिव्यक्त होने देते हैं, तो ज़्यादा ख़ुशी परिणित होती है। दोनों विवाह साथियों की तरफ़ से आवश्यक समंजन करने, यहोवा के तरीक़े से कार्य करने के लिए तीव्र इच्छा होनी चाहिए। “वह जो किसी मामले में अंतर्दृष्टि दिखाता है उसका भला होगा, और ख़ुश है वह जो यहोवा पर भरोसा रखता है।”—नीतिवचन १६:२०, NW.
युवाओं—परमेश्वर के वचन को सुनिए
१३. यहोवा और उसके वचन पर मज़बूत विश्वास के साथ बड़ा होना मसीही युवाओं के लिए क्यों आसान नहीं है?
१३ मसीही युवाओं के लिए यह आसान नहीं है कि जब दुष्ट संसार उनके चारों ओर है, तो वे विश्वास में मज़बूत होकर बड़े हों। एक वजह है कि “सारा संसार उस दुष्ट” शैतान, अर्थात् इब्लीस “के वश में पड़ा है।” (१ यूहन्ना ५:१९) युवजन इस द्वेषपूर्ण शत्रु के आक्रमण के अधीन हैं जो बुरे को अच्छा दिखा सकता है। पहले-मैं रवैये, स्वार्थी महत्त्वकांक्षाएँ, अनैतिक और क्रूर चीज़ों की लालसाएँ, और विलासों का असामान्य रूप से पीछे लग जाना—ये सभी सोच-विचार के एक आम, प्रबल तरीक़े में मिलते हैं जिसे बाइबल “उस आत्मा” के तौर पर वर्णित करती है “जो अब भी आज्ञा न माननेवालों में कार्य्य करता है।” (इफिसियों २:१-३) शैतान ने धूर्तता से इस “आत्मा” को स्कूल की पाठ्य-पुस्तकों में, अधिकांश उपलब्ध संगीत में, खेल-कूद में, और मनोरंजन के अन्य प्रकारों में बढ़ावा दिया है। माता-पिताओं को यहोवा और उसके वचन पर भरोसा रखते हुए अपने बच्चों को बड़े होने में मदद करने के द्वारा ऐसे प्रभावों का प्रतिकार करने के प्रति सतर्क रहने की ज़रूरत है।
१४. युवा लोग “जवानी की अभिलाषाओं से” कैसे “भाग” सकते हैं?
१४ पौलुस ने अपने युवा साथी तीमुथियुस को पितृवत् सलाह दी: “जवानी की अभिलाषाओं से भाग; और जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम लेते हैं, उन के साथ धर्म, और विश्वास, और प्रेम, और मेल-मिलाप का पीछा कर।” (२ तीमुथियुस २:२२) जबकि “जवानी की” सभी ‘अभिलाषाएँ’ अपने आप में बुरी नहीं हैं, युवाओं को उनसे ‘भागना’ चाहिए कि वे इन चीज़ों को मुख्य काम न बनने दें जिससे ईश्वरीय लक्ष्यों के लिए थोड़ा समय, यदि हो तो, बचता है। बॉडी-बिल्डिंग, खेल-कूद, संगीत, मनोरंजन, हॉबियाँ, और घूमना-फिरना, जबकि ज़रूरी नहीं कि ग़लत हैं, लेकिन ये एक फन्दा बन सकती हैं यदि वे जीवन में महत्त्वपूर्ण बातें बन जाती हैं। निरर्थक वार्तालाप से, आवारा फिरने से, सेक्स में असामान्य दिलचस्पी से, यों ही बैठकर समय बिताने और ऊबने से, और अपने माता-पिता द्वारा नहीं समझे जाने के बारे में शिकायत करने से पूरी तरह भागिए।
१५. घर की एकान्तता में क्या बातें हो सकती हैं जो युवाओं के दोहरे जीवन जीने में योगदान दे सकती हैं?
१५ घर की एकान्तता में भी, युवाओं के लिए ख़तरा मँडरा सकता है। यदि अनैतिक या हिंसक टीवी कार्यक्रम और वीडियो देखे जाते हैं, तो बुरे काम करने की इच्छा बोयी जा सकती है। (याकूब १:१४, १५) बाइबल सलाह देती है: “हे यहोवा के प्रेमियो, बुराई से घृणा करो।” (भजन ९७:१०; ११५:११) यदि कोई व्यक्ति दोहरा जीवन जीने की कोशिश करता है तो यहोवा जानता है। (नीतिवचन १५:३) मसीही युवाओं, अपने कमरे के चारों ओर देखिए। क्या आप खेल या संगीत जगत के अनैतिक सितारों की दीवारो पर तस्वीरें प्रदर्शित करते हैं, या क्या आप ऐसी हितकर चीज़ें प्रदर्शित करते हैं जो अच्छे अनुस्मारक हैं? (भजन १०१:३) अपनी अलमारी में, क्या आपके पास शालीन वस्त्र हैं, या क्या आपके कुछ वस्त्र इस संसार के वस्त्रों के अत्यधिक फ़ैशन को प्रतिबिंबित करते हैं? धूर्त तरीक़ों से इब्लीस आपको फँसा सकता है यदि आप बुरी चीज़ों का मज़ा चखने के प्रलोभन की ओर झुक जाते हैं। बाइबल बुद्धिमत्तापूर्वक सलाह देती है: “सचेत हो, और जागते रहो, क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जनेवाले सिंह की नाईं इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए।”—१ पतरस ५:८.
१६. बाइबल की सलाह एक युवा की मदद कैसे कर सकती है कि उसके लिए महत्त्वपूर्ण सभी जन उस पर गर्व महसूस करें?
१६ बाइबल आपको अपनी संगति के प्रति सचेत रहने के लिए कहती है। (१ कुरिन्थियों १५:३३) आपके साथी वे होने चाहिए जो यहोवा से डरते हों। समकक्ष दबाव के आगे झुक मत जाइए। (भजन ५६:११; नीतिवचन २९:२५) परमेश्वर का भय माननेवाले अपने माता-पिता के प्रति आज्ञाकारी होइए। (नीतिवचन ६:२०-२२; इफिसियों ६:१-३) निर्देशन और प्रोत्साहन के लिए प्राचीनों की ओर देखिए। (यशायाह ३२:१, २) आध्यात्मिक मूल्यों और लक्ष्यों पर अपना मन और अपनी नज़र रखिए। आध्यात्मिक प्रगति करने और कलीसिया गतिविधियों में भाग लेने के लिए मौक़े ढूँढिए। अपने हाथों से काम कैसे करना है सीखिए। विश्वास में मज़बूत और स्वस्थ होते हुए बढ़िए, और फिर आप साबित करेंगे कि आप वास्तव में कोई हैं—यहोवा के नए संसार में जीवन के क़ाबिल कोई व्यक्ति! हमारा स्वर्गीय पिता आप पर गर्व करेगा, आपके पार्थिव माता-पिता आप में आनन्द पाएँगे, और आपके मसीही भाई-बहन आप से प्रोत्साहित होंगे। यही महत्त्वपूर्ण है!—नीतिवचन ४:१, २, ७, ८.
१७. उन लोगों को क्या लाभ मिलते हैं जो यहोवा और उसके वचन पर भरोसा रखते हैं?
१७ काव्यात्मक शैली में भजनहार यह लिखने के लिए प्रेरित हुआ: “जो लोग खरी चाल चलते हैं, उन से वह कोई अच्छा पदार्थ रख न छोड़ेगा। हे सेनाओं के यहोवा, क्या ही धन्य [“ख़ुश,” NW] वह मनुष्य है, जो तुझ पर भरोसा रखता है!” (भजन ८४:११, १२) जी हाँ, उन सब लोगों को ख़ुशी और क़ामयाबी, न की निराशा और नाक़ामयाबी, हासिल होगी जो यहोवा और उसके वचन, बाइबल पर भरोसा रखते हैं।—२ तीमुथियुस ३:१४, १६, १७.
आप कैसे जवाब देंगे?
◻ ‘इस संसार की बुद्धि’ में मसीहियों को अपना भरोसा क्यों नहीं रखना चाहिए?
◻ यदि एक व्यक्ति को शंकाएँ हैं तो क्या किया जाना चाहिए?
◻ यहोवा के तरीक़े से कार्य करना विवाह में क़ामयाबी और ख़ुशी कैसे लाता है?
◻ बाइबल ‘जवानी की अभिलाषाओं से भागने’ में युवाओं की मदद कैसे करती है?
[पेज 23 पर तसवीरें]
‘इस संसार की बुद्धि’ को मूर्खता के तौर पर अस्वीकार करते हुए मसीही यहोवा और उसके वचन की ओर मुड़ते हैं
[पेज 25 पर तसवीरें]
ऐसे परिवारों के पास जो यहोवा और उसके वचन पर भरोसा रखते हैं, अच्छी क़ामयाबी और ख़ुशी है