यहोवा—भेदों को प्रकट करनेवाला परमेश्वर
“स्वर्ग में ऐसा परमेश्वर है जो भेदों को प्रकट करता है।”—दानिय्येल २:२८, NHT.
१, २. (क) यहोवा अपने महान विरोधी से कैसे भिन्न है? (ख) मनुष्य इस भिन्नता को कैसे प्रतिबिंबित करते हैं?
यहोवा, विश्व का सर्वोच्च और प्रेमी परमेश्वर, एकमात्र सृष्टिकर्ता, बुद्धि और न्याय का परमेश्वर है। उसे अपनी पहचान, अपने कामों, या अपने उद्देश्यों को छिपाने की ज़रूरत नहीं है। अपने ही समय और अपनी ही समझ के अनुसार, वह अपने-आपको प्रकट करता है। इस तरह, वह अपने विरोधी, शैतान अर्थात् इब्लीस से भिन्न है, जो अपनी सच्ची पहचान और इरादों को छिपाने की कोशिश करता है।
२ ठीक जैसे यहोवा और शैतान विरुद्ध हैं, उसी तरह उनके उपासक भी विरुद्ध हैं। शैतान की अगुवाई में चलनेवाले लोगों की विशेषता है छल, और धोखा। वे अपने-आपको हितकारी दिखाने की कोशिश करते हैं, जबकि अंधकार के काम करते हैं। कुरिन्थ के मसीहियों से कहा गया था कि इस सच्चाई पर हैरत न करें। “क्योंकि ऐसे लोग झूठे प्रेरित, और छल से काम करनेवाले, और मसीह के प्रेरितों का रूप धरनेवाले हैं। और यह कुछ अचम्भे की बात नहीं क्योंकि शैतान आप भी ज्योतिर्मय स्वर्गदूत का रूप धारण करता है।” (२ कुरिन्थियों ११:१३, १४) दूसरी ओर, मसीही लोग अपने अगुवे के रूप में मसीह की ओर देखते हैं। जब वह पृथ्वी पर था, उसने अपने पिता, यहोवा परमेश्वर के व्यक्तित्व को संपूर्णतः प्रतिबिंबित किया। (इब्रानियों १:१-३) इस तरह, मसीह का अनुकरण करने के द्वारा, मसीही यहोवा, अर्थात् सच्चाई, खुलेपन, और प्रकाश के परमेश्वर की नक़ल कर रहे हैं। उन्हें भी अपनी पहचान, अपने कार्य, या अपने उद्देश्यों को छिपाने की ज़रूरत नहीं है।—इफिसियों ४:१७-१९; ५:१, २.
३. कैसे हम इस इलज़ाम का खंडन कर सकते हैं कि यहोवा के साक्षी बननेवाले लोगों से एक “गुप्त पंथ” में शामिल होने के लिए ज़ोर-ज़बरदस्ती की जाती है?
३ उस समय, जिसे वह सर्वोत्तम समझता है, यहोवा अपने उद्देश्यों और भविष्य के बारे में उन बारीकियों को प्रकट करता है जिनसे मनुष्य पहले अवगत नहीं थे। इस अर्थ में, वह भेदों को प्रकट करनेवाला परमेश्वर है। अतः, वे लोग जो उसकी सेवा करना चाहते हैं उन्हें आमंत्रित किया जाता है—जी हाँ, उनसे आग्रह किया जाता है—कि ऐसी प्रकट की गयी जानकारी को सीखें। एक यूरोपीय देश में १,४५,००० साक्षियों के १९९४ में किए गए एक सर्वेक्षण ने प्रकट किया कि औसतन, उनमें से प्रत्येक ने साक्षी बनने का चुनाव करने से पहले तीन साल तक यहोवा के साक्षियों की शिक्षाओं की व्यक्तिगत रूप से छान-बीन की। उन्होंने बग़ैर किसी ज़ोर-ज़बरदस्ती के यह चुनाव अपनी स्वतंत्र-इच्छा के अनुसार किया। और इसके बाद उनके पास इच्छा और कार्य की आज़ादी होना जारी रही। मिसाल के तौर पर, क्योंकि कुछेक लोग मसीहियों के लिए नैतिकता के उच्च स्तरों के साथ राज़ी नहीं हुए, उन्होंने बाद में फ़ैसला किया कि वे साक्षियों के तौर पर बने नहीं रहना चाहते। लेकिन, यह दिलचस्पी की बात है कि गत पाँच सालों में, इन भूतपूर्व साक्षियों में से एक बड़ी संख्या ने साक्षियों के तौर पर अपनी संगति और गतिविधि को फिर से शुरू करने के लिए क़दम उठाए।
४. किस बात से वफ़ादार मसीहियों को परेशान होने की ज़रूरत नहीं है, और क्यों नहीं?
४ बेशक, सभी भूतपूर्व साक्षी नहीं लौटते, और उनमें से कुछ ऐसे भी हैं जो मसीही कलीसिया में कभी ज़िम्मेदारी के पद पर थे। इसे हैरत की बात नहीं होना चाहिए क्योंकि यहाँ तक की यीशु के निकटतम अनुयायियों में से एक, प्रेरित यहूदा ने साथ छोड़ दिया। (मत्ती २६:१४-१६, २०-२५) लेकिन क्या यह स्वयं मसीहियत के बारे में परेशान हो जाने का कारण है? क्या यह उस सफलता को निष्प्रभाव कर देता है जो यहोवा के साक्षी अपनी शैक्षिक गतिविधि को पूरा करने में पा रहे हैं? हरगिज़ नहीं, ठीक जैसे यहूदा इस्करियोती के दग़ाबाज़ी के कार्य ने यहोवा के उद्देश्यों को पूरा होने से नहीं रोका।
सर्वशक्तिमान फिर भी प्रेमी
५. हम कैसे जानते हैं कि यहोवा और यीशु मनुष्यों से प्रेम करते हैं, और उन्होंने इस प्रेम को कैसे प्रदर्शित किया है?
५ यहोवा प्रेम का परमेश्वर है। वह लोगों की चिंता करता है। (१ यूहन्ना ४:७-११) अपने ऊँचे पद के बावजूद, मनुष्यों को अपना मित्र बनाने से उसे ख़ुशी मिलती है। उसके एक प्राचीन सेवक के बारे में हम यूँ पढ़ते हैं: “इब्राहीम ने परमेश्वर की प्रतीति की, और यह उसके लिये धर्म गिना गया, और वह परमेश्वर का मित्र कहलाया।” (याकूब २:२३; २ इतिहास २०:७; यशायाह ४१:८) ठीक जैसे मानवी मित्र आपस में गोपनीय बातें, या भेद बताते हैं, यहोवा भी अपने मित्रों के साथ वैसा ही करता है। इस मामले में यीशु ने अपने पिता की नक़ल की, क्योंकि उसने अपने शिष्यों के साथ मित्रता की और उनके साथ भेद बाँटे। “अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा,” उसने उन्हें कहा, “क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं।” (यूहन्ना १५:१५) यह गुप्त जानकारी, या “भेद,” जो यहोवा, उसके पुत्र, और उसके मित्रों के बीच में है उन्हें प्रेम और भक्ति के एक अटूट बंधन में जोड़ता है।—कुलुस्सियों ३:१४.
६. यहोवा को अपने उद्देश्यों को छिपाने की ज़रूरत क्यों नहीं है?
६ यहोवा नाम का अर्थ, “वह अस्तित्व में लाने का कारण बनता है,” अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए उसे जो कुछ बनने की ज़रूरत होती है वह बनने की उसकी क्षमता को सूचित करता है। मनुष्यों से भिन्न, यहोवा को इस डर से अपनी इच्छाओं को छिपाने की ज़रूरत नहीं है कि अन्य लोग उन्हें पूरा करने में कहीं बाधा न डाल दें। वह तो बस विफल हो ही नहीं सकता, सो वह जो करने का उद्देश्य करता है उनमें से अधिकांश बातों को वह अपने वचन, बाइबल में खुलकर प्रकट करता है। वह वचन देता है: “मेरा वचन . . . व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु, जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा, और जिस काम के लिये मैं ने उसको भेजा है उसे वह सुफल करेगा।”—यशायाह ५५:११.
७. (क) यहोवा ने अदन में क्या पूर्वबताया, और शैतान ने कैसे परमेश्वर को सच्चा साबित किया? (ख) २ कुरिन्थियों १३:८ का सिद्धांत हमेशा कैसे सच्चा ठहरता है?
७ अदन में विद्रोह के कुछ ही समय बाद, यहोवा ने रूपरेखा में अपने और अपने विरोधी शैतान के बीच के जारी विवाद के अंतिम परिणाम को प्रकट किया। परमेश्वर के प्रतिज्ञात वंश को दर्दनाक रूप से चोट पहुँचायी जाएगी, लेकिन स्थायी रूप से नहीं, जबकि शैतान को आख़िरकार एक घातक चोट लगेगी। (उत्पत्ति ३:१५) सा.यु. ३३ में, इब्लीस ने असल में वंश, अर्थात्, मसीह यीशु को उसकी मृत्यु लाने के द्वारा चोट पहुँचायी। इस तरह, शैतान ने शास्त्र को पूरा किया और इसी प्रक्रिया में यहोवा को सच्चाई का परमेश्वर साबित किया, हालाँकि यह शैतान की इच्छा बिलकुल भी नहीं थी। सच्चाई और धार्मिकता के लिए उसकी नफ़रत, साथ ही उसकी घमंडी, अप्रायश्चित्तिक मनोवृत्ति ने उसे ठीक-ठीक वही करने के लिए आगे बढ़ाया जो परमेश्वर ने पूर्वबताया था कि वह करेगा। जी हाँ, सच्चाई के सभी विरोधियों के लिए, यहाँ तक कि शैतान के लिए भी, यह सिद्धांत सच्चा ठहरता है: “हम सत्य के विरोध में कुछ नहीं कर सकते, पर सत्य के लिये कर सकते हैं।”—२ कुरिन्थियों १३:८.
८, ९. (क) शैतान क्या जानता है, लेकिन क्या यह ज्ञान यहोवा के उद्देश्यों के पूरा होने को ख़तरे में डालता है? (ख) यहोवा के विरोधी किस स्पष्ट चेतावनी को नज़रअंदाज़ करते हैं, और क्यों?
८ क्योंकि परमेश्वर का राज्य १९१४ में अदृश्य रूप से स्थापित किया गया था, प्रकाशितवाक्य १२:१२ लागू हुआ है: “इस कारण, हे स्वर्गो, और उन में के रहनेवालो मगन हो; हे पृथ्वी, और समुद्र, तुम पर हाय! क्योंकि शैतान बड़े क्रोध के साथ तुम्हारे पास उतर आया है; क्योंकि जानता है, कि उसका थोड़ा ही समय और बाकी है।” फिर भी, क्या इस बात के ज्ञान से कि उसका थोड़ा ही समय बाक़ी है, शैतान अपना मार्ग बदलता है? यह शैतान की तरफ़ से इस बात का स्वीकरण होगा कि यहोवा सच्चाई का परमेश्वर है और सर्वोच्च शासक के रूप में, केवल वही उपासना के लायक़ है। बहरहाल, शैतान हार मानने के लिए राज़ी नहीं है, जानबूझकर भी नहीं।
९ यहोवा खुलकर प्रकट करता है कि तब क्या होगा जब मसीह शैतान की संसार व्यवस्था पर न्यायदंड सुनाने के लिए आता है। (मत्ती २४:२९-३१; २५:३१-४६) इस संबंध में, उसका वचन सांसारिक शासकों के सिलसिले में घोषणा करता है: “जब लोग कहते होंगे, कि कुशल है, और कुछ भय नहीं, तो उन पर एकाएक विनाश आ पड़ेगा, जिस प्रकार गर्भवती पर पीड़ा।” (१ थिस्सलुनीकियों ५:३) शैतान के उदाहरण पर चलनेवाले इस स्पष्ट चेतावनी को नज़रअंदाज़ करते हैं। वे लोग अपने दुष्ट हृदयों के कारण अंधे किए गए हैं, और यह उन्हें अपने दुष्ट मार्ग से पश्चाताप करने से और यहोवा के उद्देश्यों को निष्फल करने की कोशिश में उनकी योजनाओं और तरकीबों को बदलने से रोकता है।
१०. (क) किस हद तक १ थिस्सलुनीकियों ५:३ की शायद पूर्ति हुई हो, लेकिन यहोवा के लोगों को किस तरह प्रतिक्रिया दिखानी चाहिए? (ख) बग़ैर विश्वास के लोग भविष्य में परमेश्वर के लोगों का विरोध करने में और भी दुस्साहसी क्यों बन सकते हैं?
१० ख़ासकर १९८६ से, जब संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय शांति का वर्ष घोषित किया गया था, संसार में शांति और सुरक्षा के बारे में काफ़ी कुछ कहा-सुना गया है। विश्व-शांति लाने की कोशिश में ठोस क़दम उठाए गए हैं, प्रतीयमानतः कुछ हद तक क़ामयाबी भी हाथ लगी है। क्या यह इस भविष्यवाणी की संपूर्ण पूर्णता है, या क्या हम भविष्य में किसी तरह की सनसनीख़ेज़ घोषणा की अपेक्षा कर सकते हैं? यहोवा अपने समय में इस बात को स्पष्ट करेगा। इस दरमियान, आइए हम आध्यात्मिक रूप से जागृत रहें, ‘और परमेश्वर के उस दिन की बाट जोहते रहें।’ (२ पतरस ३:१२) शांति और सुरक्षा की अधिक बात-चीत के साथ जैसे-जैसे समय गुज़रना जारी रहता है, कुछ लोग जो इस चेतावनी के बारे में जानते हैं, लेकिन उसे नज़रअंदाज़ करने का चुनाव करते हैं, इस बात को मान लेने में शायद और भी अक्खड़ बन जाएँ कि यहोवा अपने वचन को पूरा नहीं करेगा, या नहीं कर सकता। (सभोपदेशक ८:११-१३; २ पतरस ३:३, ४ से तुलना कीजिए।) लेकिन सच्चे मसीही जानते हैं कि यहोवा अपने उद्देश्य को पूरा करेगा!
यहोवा द्वारा इस्तेमाल किए जानेवाले माध्यमों के लिए उचित आदर
११. दानिय्येल और यूसुफ ने यहोवा के बारे में क्या सीखा?
११ जब नव-बाबुलीय साम्राज्य के शासक, नबूकदनेस्सर को एक परेशान करनेवाला सपना आया जिसे वह याद न कर सका, तो उसने मदद माँगी। उसके पुजारी, जादूगर, और टोन्हा करनेवाले न तो उसे उसका सपना बता सके ना ही उसका अर्थ समझा सके। लेकिन, परमेश्वर का सेवक, दानिय्येल ऐसा कर पाया, हालाँकि उसने फ़ौरन स्वीकार किया कि स्वप्न को प्रकट करना और उसका अर्थ बताना उसकी अपनी बुद्धिमानी का परिणाम नहीं था। दानिय्येल ने कहा: “स्वर्ग में ऐसा परमेश्वर है जो भेदों को प्रकट करता है। उसी ने राजा नबूकदनेस्सर पर प्रकट किया है कि अन्त के दिनों में क्या क्या होने वाला है।” (दानिय्येल २:१-३०, NHT) कई शताब्दियों पहले, परमेश्वर के एक और भविष्यवक्ता, यूसुफ ने भी उसी तरह अनुभव किया था कि यहोवा भेदों का प्रकटकर्ता है।—उत्पत्ति ४०:८-२२; आमोस ३:७, ८.
१२, १३. (क) परमेश्वर का सबसे महान भविष्यवक्ता कौन था, और आप यह जवाब क्यों देते हैं? (ख) आज “परमेश्वर के [“पवित्र,” NW] भेदों के भण्डारी” के रूप में कौन सेवा करते हैं, और हमें उन लोगों को किस दृष्टि से देखना चाहिए?
१२ धरती पर सेवा करनेवाला यहोवा का सबसे महान भविष्यवक्ता यीशु था। (प्रेरितों ३:१९-२४) पौलुस ने समझाया: “पूर्व युग में परमेश्वर ने बापदादों से थोड़ा थोड़ा करके और भांति भांति से भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा बातें करके। इन दिनों के अन्त में हम से पुत्र के द्वारा बातें कीं, जिसे उस ने सारी वस्तुओं का वारिस ठहराया और उसी के द्वारा उस ने सारी सृष्टि रची है।”—इब्रानियों १:१, २.
१३ यहोवा ने प्रारंभिक मसीहियों के साथ अपने पुत्र, यीशु के माध्यम से बातें कीं, जिसने उन्हें ईश्वरीय भेद बताए। यीशु ने उनसे कहा: “तुम को परमेश्वर के राज्य के भेदों की समझ दी गई है।” (लूका ८:१०) पौलुस ने बाद में अभिषिक्त मसीहियों के “मसीह के सेवक और परमेश्वर के [“पवित्र,” NW] भेदों के भण्डारी” होने के बारे में कहा। (१ कुरिन्थियों ४:१) आज, अभिषिक्त मसीही इसी तरह सेवा करना जारी रखते हैं, और एक विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास वर्ग बनते हैं जो अपने शासी निकाय के द्वारा ठीक समय पर आध्यात्मिक भोजन प्रदान करता है। (मत्ती २४:४५-४७) अगर हम बीते हुए दिनों के परमेश्वर के उत्प्रेरित भविष्यवक्ताओं का, और ख़ासकर परमेश्वर के पुत्र का बहुत आदर करते हैं, तो क्या हमें उस मानवी माध्यम का भी आदर नहीं करना चाहिए जिसे यहोवा आज इतने अद्भुत तरीक़े से बाइबल की जानकारी प्रकट करने में इस्तेमाल कर रहा है जो इन कठिन समयों में उसके लोगों के लिए इतनी आवश्यक है?—२ तीमुथियुस ३:१-५, १३.
खुलापन या गुप्तता?
१४. कब मसीही अपनी गतिविधियों को गुप्त तरीक़े से करते हैं, और इस तरह किसके उदाहरण का पालन करते हैं?
१४ क्या बातों को प्रकट करने में यहोवा के खुलेपन का यह मतलब है कि मसीहियों को हर-हमेशा और हर हालत में वह सब कुछ प्रकट करना चाहिए जो वे जानते हैं? मसीही लोग अपने अनुयायियों के लिए यीशु की इस सलाह का पालन करते हैं कि “सांपों की नाईं बुद्धिमान और कबूतरों की नाईं भोले” बनें। (मत्ती १०:१६) अगर उनसे कहा जाए कि वे परमेश्वर की उपासना वैसे नहीं कर सकते जैसे उनके अंतःकरण उनसे माँग करते हैं, तो मसीही “परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना” जारी रखते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि किसी भी मानवी माध्यम के पास यहोवा की उपासना पर बंदिश लगाने का हक़ नहीं है। (प्रेरितों ५:२९) ख़ुद यीशु ने इसकी उपयुक्तता प्रदर्शित की। यूँ लिखा है: “इन बातों के बाद यीशु गलील में फिरता रहा, क्योंकि यहूदी उसे मार डालने का यत्न कर रहे थे, इसलिये वह यहूदिया में फिरना न चाहता था। और यहूदियों का मण्डपों का पर्ब्ब निकट था। तब यीशु ने उन से [अपने अविश्वासी सगे भाइयों से] कहा, . . . तुम पर्ब्ब में जाओ: मैं अभी इस पर्ब्ब में नहीं जाता; क्योंकि अभी तक मेरा समय पूरा नहीं हुआ। वह उन से ये बातें कहकर गलील ही में रह गया। परन्तु जब उसके भाई पर्ब्ब में चले गए, तो वह आप ही प्रगट में नहीं, परन्तु मानो गुप्त होकर गया।”—यूहन्ना ७:१, २, ६, ८-१०.
कहूँ या नहीं?
१५. यूसुफ ने कैसे सूचित किया कि गुप्तता बनाए रखना कभी-कभी एक प्रेमपूर्ण बात होती है?
१५ कुछ मामलों में, किसी बात को गोपनीय रखना केवल अक्लमंदी ही नहीं लेकिन प्रेमपूर्ण भी है। मिसाल के तौर पर, यीशु के दत्तकी पिता, यूसुफ ने किस तरह प्रतिक्रिया दिखायी जब उसे पता चला कि उसकी मँगेतर, मरियम गर्भवती थी? यूँ लिखा है: “सो उसके पति यूसुफ ने जो धर्मी था और उसे बदनाम करना नहीं चाहता था, उसे चुपके से त्याग देने की मनसा की।” (तिरछे टाइप हमारे) (मत्ती १:१८, १९) चार लोगों के सामने उसका तमाशा बनाना कितना कृपा-रहित कार्य होता!
१६. गोपनीय बातों के संबंध में प्राचीनों, और साथ ही कलीसिया के अन्य सदस्यों पर कौन-सी ज़िम्मेदारी है?
१६ ऐसी गोपनीय बातों को जिनसे शायद शर्मिंदगी या दुःख हो, अनाधिकृत लोगों को प्रकट नहीं किया जाना चाहिए। मसीही प्राचीन इसे ध्यान में रखते हैं जब उन्हें संगी मसीहियों को व्यक्तिगत सलाह या सांत्वना देनी पड़े या यहाँ तक कि यहोवा के विरुद्ध गंभीर पाप करने के लिए उन्हें शायद ताड़ना भी देनी पड़े। इन मामलों से शास्त्रीय तरीक़े से निपटना आवश्यक है; गोपनीय बारीक़ियों को उन लोगों को प्रकट करना जो शामिल नहीं हैं अनावश्यक और प्रेम-रहित कार्य है। निश्चित ही, मसीही कलीसिया के सदस्य प्राचीनों से गोपनीय जानकारी को उगलवाने की कोशिश नहीं करेंगे, लेकिन गोपनीय बातों को गुप्त रखने की प्राचीन की ज़िम्मेदारी का आदर करेंगे। नीतिवचन २५:९ कहता है: “अपने पड़ोसी के साथ वादविवाद एकान्त में करना, और पराये का भेद न खोलना।”
१७. अधिकांश किस्सों में मसीही लोग गोपनीय बातों को गुप्त क्यों रखते हैं, लेकिन वे हमेशा ही ऐसा क्यों नहीं कर सकते?
१७ यह सिद्धांत पारिवारिक दायरे में या घनिष्ट मित्रों के बीच भी सच है। ग़लतफ़हमियों से बचने और रिश्तों को बिगड़ने देने से रोकने के लिए कुछ बातों को गोपनीय बनाए रखना अत्यावश्यक है। “जैसे उत्तरीय वायु वर्षा को लाती है, वैसे ही चुगली करने से मुख पर क्रोध छा जाता है।” (नीतिवचन २५:२३) बेशक, यहोवा और उसके धर्मी सिद्धांतों के प्रति निष्ठा, साथ ही चूक जानेवाले व्यक्तियों के लिए प्यार शायद कभी-कभार माता-पिताओं, मसीही प्राचीनों, या अन्य प्राधिकृत लोगों को गोपनीय बात बताना भी आवश्यक बना दे।a लेकिन अधिकांश मामलों में, मसीही दूसरों की गुप्त बातों को गोपनीय बनाए रखते हैं, और उन्हें इतना संभालते हैं जितना कि वे अपनी गुप्त बातों को संभालते हैं।
१८. कौन-से तीन मसीही गुण हमें यह निर्धारित करने में मदद कर सकते हैं कि हमें क्या बताना चाहिए और क्या नहीं?
१८ सारांश में, एक मसीही जब आवश्यक हो तब कुछ बातों को गोपनीय बनाए रखने के द्वारा यहोवा की नक़ल करता है, और उन्हें केवल तभी प्रकट करता है जब उचित हो। इसका फ़ैसला करने में कि उसे क्या कहना चाहिए और क्या नहीं, वह नम्रता, विश्वास, और प्रेम द्वारा मार्गदर्शित होगा। नम्रता उसे अपने ही महत्त्व को बढ़ा-चढ़ाकर बताने से रोकती है, और दूसरों को या तो वह सब बताने के द्वारा जो वह जानता है या उन भेदों को लेकर तरसाने के द्वारा जिन्हें वह नहीं बता सकता, प्रभावित करने की कोशिश करने से रोकती है। यहोवा के वचन और मसीही कलीसिया में विश्वास उसे ईश्वरीय रूप से प्रदान की गयी बाइबलीय जानकारी का प्रचार करने के लिए प्रेरित करता है, जबकि उसे ऐसी बातें कहने से दूर रहने के लिए सावधान करता है जो शायद दूसरों को आरंभ में ही नाराज़ कर दें। जी हाँ, प्रेम उसे खुलकर उन बातों को बताने के लिए प्रेरित करता है जो परमेश्वर की महिमा करती हैं और जिन्हें लोगों को जीवन पाने के लिए जानने की ज़रूरत है। दूसरी ओर, गोपनीय व्यक्तिगत बातों को वह प्रकट नहीं करता, यह समझते हुए कि अधिकांश किस्सों में उन्हें प्रकट करना सूचित करेगा कि व्यक्ति के पास प्रेम की कमी है।
१९. कौन-से कार्य सच्चे मसीहियों की पहचान कराने में मदद करते हैं, और इससे क्या परिणाम निकलता है?
१९ यह संतुलित व्यवहार सच्चे मसीहियों की पहचान कराने में मदद करता है। वे लोग परमेश्वर की पहचान को बेनामी के मुखौटे के पीछे या एक रहस्यपूर्ण, समझाने में असंभव त्रियेक के धर्मसिद्धांत के पीछे नहीं छिपाते। अज्ञात देवता झूठे धर्म की विशेषता हैं, सच्चे धर्म की नहीं। (प्रेरितों १७:२२, २३ देखिए।) यहोवा के अभिषिक्त साक्षी “परमेश्वर के [“पवित्र,” NW] भेदों के भण्डारी” होने के विशेषाधिकार की सचमुच क़दर करते हैं। दूसरों को यह भेद खुलकर प्रकट करने के द्वारा, वे सत्हृदयी लोगों को यहोवा की मित्रता की खोज करने की ओर आकर्षित करने में मदद करते हैं।—१ कुरिन्थियों ४:१; १४:२२-२५; जकर्याह ८:२३; मलाकी ३:१८.
[फुटनोट]
a अक्तूबर १, १९८६, प्रहरीदुर्ग में “दूसरों के पापों में भागी न होना” देखिए।
आप कैसे जवाब देंगे?
◻ यहोवा को अपने उद्देश्यों को छिपाने की ज़रूरत क्यों नहीं है?
◻ यहोवा अपने भेदों को किसे प्रकट करता है?
◻ गोपनीय बातों के संबंध में मसीहियों पर कौन-सी ज़िम्मेदारी है?
◻ कौन-से तीन गुण मसीहियों को यह जानने में मदद करेंगे कि क्या बताएँ और क्या नहीं?
[पेज 8 पर तसवीर]
यहोवा अपने वचन के द्वारा भेदों को प्रकट करता है