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  • हमारे पूर्वजों के लिए नया जीवन
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
w95 5/15 पेज 4-7

हमारे पूर्वजों के लिए नया जीवन

क्या परमेश्‍वर का वचन, अर्थात्‌ बाइबल सिखाती है कि सभी लोग स्वाभाविक रूप से मृत्यु पर आत्मिक क्षेत्रों में जारी जीवन के लिए चले जाते हैं? नहीं, वह नहीं सिखाती। बाइबल मृत्यु के बाद के जीवन की एक अद्‌भुत आशा प्रस्तुत करती है, लेकिन उस तरह नहीं जैसे अनेक लोग सोचते हैं।

विचार कीजिए कि बाइबल हमारे पहले पूर्वज, आदम के बारे में क्या कहती है। यहोवा ने उसे “भूमि की मिट्टी से रचा।” (उत्पत्ति २:७) आदम के पास पृथ्वी पर ख़ुशी से सर्वदा जीने का अवसर था। (उत्पत्ति २:१६, १७) लेकिन, उसने अपने प्रेममय सृष्टिकर्ता के विरुद्ध विद्रोह किया और परिणाम मृत्यु था।

मृत्यु पर आदम कहाँ गया? परमेश्‍वर ने उससे कहा: “[तू] मिट्टी में मिल जाएगा; क्योंकि तू उसी में से निकाला गया है, तू मिट्टी तो है और मिट्टी ही में फिर मिल जाएगा।”—उत्पत्ति ३:१९.

यहोवा द्वारा मिट्टी में से सृजे जाने से पहले आदम कहाँ था? कहीं नहीं। वह अस्तित्व में नहीं था। अतः जब यहोवा ने कहा कि आदम “मिट्टी में मिल जाएगा,” उसका यही अर्थ हो सकता था कि आदम फिर से निर्जीव, मिट्टी के समान बन जाएगा। पूर्वजों की आत्माओं की दुनिया का आरंभक बनने के लिए आदम इस दुनिया को छोड़ दूसरी दुनिया में नहीं गया। वह न तो स्वर्ग में आनन्दपूर्ण जीवन के लिए, ना ही यातना के स्थल में अनन्त दुःख सहने के लिए गया। जो परिवर्तन उसने किया वह केवल जीवन से निर्जीविता में, अस्तित्व से अनस्तित्व की स्थिति में था।

मनुष्यजाति के बाक़ी लोगों के बारे में क्या? क्या मृत्यु पर आदम के वंशजों का भी अस्तित्व ख़त्म हो जाता है? बाइबल जवाब देती है: “सब [मनुष्य और पशु दोनों] एक स्थान में जाते हैं; सब मिट्टी से बने हैं, और सब मिट्टी में फिर मिल जाते हैं।”—सभोपदेशक ३:१९, २०.

मृत जनों की अवस्था

जी हाँ, मृत जन निर्जीव हैं। वे सुनने, देखने, बोलने या सोचने में असमर्थ हैं। उदाहरण के लिए, बाइबल कहती है: “जीवते तो इतना जानते हैं कि वे मरेंगे, परन्तु मरे हुए कुछ भी नहीं जानते . . . उनका प्रेम और उनका बैर और उनकी डाह नाश हो चुकी।” बाइबल यह भी कहती है: “अधोलोक [क़ब्र] में जहां तू जानेवाला है, न काम न युक्‍ति न ज्ञान और न बुद्धि है।”—सभोपदेशक ९:५, ६, १०.

अतः, परमेश्‍वर के वचन के अनुसार, जब लोग जीवित हैं तब वे मृत्यु के बारे में सचेत हैं। लेकिन जब मृत्यु होती है तब वे किसी भी बात के बारे में सचेत नहीं होते। वे अपने शव के पास यह देखते हुए नहीं खड़े रहते कि उसके साथ क्या किया जाता है। अनस्तित्व में न ख़ुशी न दर्द, न आनन्द न दुःख होता है। जो मरे हुए हैं वे समय के बीतने के बारे में सचेत नहीं होते। वे अचेतन अवस्था में होते हैं जो किसी भी नींद से ज़्यादा गहरी होती है।

प्राचीन समयों में परमेश्‍वर का एक सेवक, अय्यूब जानता था कि मृत्यु के बाद लोग जीवित नहीं रहते। उसने इस बात को भी समझा कि परमेश्‍वर के दख़ल के बिना फिर से जीने की कोई आशा नहीं होगी। अय्यूब ने कहा: “पुरुष मर जाता, और पड़ा रहता है; जब उसका प्राण छूट गया, तब वह कहां रहा? वैसे ही मनुष्य लेट जाता और फिर नहीं उठता।” (अय्यूब १४:१०, १२) अय्यूब ने निश्‍चय ही यह अपेक्षा नहीं की कि जब वह मर जाएगा तब वह अपने पूर्वजों के साथ आत्माओं की दुनिया में मिल जाएगा।

पुनरुत्थान की आशा

क्योंकि जीवितों का मृत्यु पर अस्तित्व ख़त्म हो जाता है, यह एक अतिमहत्त्वपूर्ण सवाल है जो अय्यूब ने उठाया। उसने यह पूछा: “यदि मनुष्य मर जाए तो क्या वह फिर जीवित होगा?” स्वयं अय्यूब ने यह जवाब दिया: “जब तक मेरा छुटकारा न होता तब तक मैं अपनी कठिन सेवा [क़ब्र में समय] के सारे दिन आशा लगाए रहता। तू [यहोवा] मुझे बुलाता, और मैं बोलता; तुझे अपने हाथ के बनाए हुए काम की अभिलाषा होती।”—अय्यूब १४:१४, १५.

दूसरे शब्दों में, हालाँकि अय्यूब अनस्तित्व में चला जाता, परमेश्‍वर उसे न भुलाता। अय्यूब को विश्‍वास था कि वह समय आता जब यहोवा परमेश्‍वर पुनरुत्थान के ज़रिए उसे वापस जीवन के लिए “बुलाता।”

परमेश्‍वर के पुत्र, यीशु मसीह ने दिखाया कि पुनरुत्थान में अय्यूब की आशा एक वास्तविक आशा थी। यीशु ने साबित किया कि मृत लोग पुनरुत्थित किए जा सकते हैं। कैसे? स्वयं दूसरों को पुनरुत्थित करने के द्वारा! वह अय्यूब को पुनरुत्थित करने के लिए वहाँ नहीं था, लेकिन इस पृथ्वी पर रहते वक़्त यीशु ने नाईन नगर की एक विधवा के पुत्र को पुनरुत्थित ज़रूर किया था। यीशु ने याईर नामक एक व्यक्‍ति की १२-वर्षीय पुत्री को भी जीवित किया। और उसने अपने मित्र लाजर को पुनरुत्थित किया, जो चार दिन से मरा हुआ था।—लूका ७:११-१५; ८:४१, ४२, ४९-५६; यूहन्‍ना ११:३८-४४.

इन आश्‍चर्यकर्मों को करने के अलावा, यीशु ने एक महान भावी पुनरुत्थान के बारे में बात की। उसने कहा: “वह समय आता है, कि जितने कब्रों में हैं, उसका शब्द सुनकर निकलेंगे।” (यूहन्‍ना ५:२८, २९) बाद में, प्रेरित पौलुस ने, जिसे यहोवा ने एक युवक को पुनरुत्थित करने के लिए इस्तेमाल किया, एक भावी पुनरुत्थान में विश्‍वास व्यक्‍त किया। उसने कहा: “[मैं] परमेश्‍वर से आशा रखता हूं . . . कि धर्मी और अधर्मी दोनों का जी उठना होगा।”—प्रेरितों २०:७-१२; २४:१५.

भावी पुनरुत्थान के ये शास्त्रीय संदर्भ आत्मिक क्षेत्र में जारी जीवन से सम्बन्धित नहीं हैं। वे उस समय की ओर संकेत करते हैं जब लाखों मृत लोग भौतिक शरीरों में यहीं पृथ्वी पर फिर से जीएँगे। ये पुनरुत्थित लोग ऐसे लोग नहीं होंगे जिन्हें पृथ्वी पर अपने पिछले जीवन का कोई स्मरण नहीं है। वे शिशुओं की तरह पुनर्जन्म नहीं लेते। इसके बजाय, वे वही लोग होंगे जो वे अपनी मृत्यु के समय थे, उनके पास वही स्मरणशक्‍ति और व्यक्‍तित्व होगा। दूसरे व्यक्‍ति उन्हें और वे स्वयं अपने आपको पहचान सकेंगे। क्या ही आनन्द होगा जब ये लोग अपने मित्रों और परिवारों के साथ फिर से मिलेंगे! और अपने पूर्वजों से मिलना कितना ही रोमांचक होगा!

स्वर्ग में जीवन के लिए पुनरुत्थान

क्या यीशु ने यह नहीं कहा कि कुछ लोग स्वर्ग जाएँगे? हाँ, उसने कहा था। उसे मार दिए जाने की पिछली शाम को उसने कहा: “मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं . . . मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूं। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूं, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहां ले जाऊंगा, कि जहां मैं रहूं वहां तुम भी रहो।” (यूहन्‍ना १४:२, ३) यीशु अपने वफ़ादार प्रेरितों से बात कर रहा था, लेकिन उसके शब्दों का यह अर्थ नहीं है कि सभी अच्छे लोग स्वर्ग जाते हैं।

यीशु ने दिखाया कि जिन्हें स्वर्ग के लिए पुनरुत्थित किया जाता है उन्हें केवल एक अच्छा जीवन जीने की माँग के अलावा अन्य माँगों को पूरा करना है। एक माँग है यहोवा और उसके उद्देश्‍यों का यथार्थ ज्ञान होना। (यूहन्‍ना १७:३) अन्य माँगें हैं यीशु मसीह के छुड़ौती बलिदान पर विश्‍वास रखना और परमेश्‍वर की आज्ञा मानना। (यूहन्‍ना ३:१६; १ यूहन्‍ना ५:३) एक और माँग है ‘नए सिरे से जन्म’ लेना, एक बपतिस्मा-प्राप्त मसीही के तौर पर परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा से उत्पन्‍न होना। (यूहन्‍ना १:१२, १३; ३:३-६) स्वर्गीय जीवन के लिए एक और माँग है यीशु की तरह धीरज धरना, मृत्यु तक परमेश्‍वर के प्रति वफ़ादार साबित होना।—लूका २२:२९, ३०; प्रकाशितवाक्य २:१०.

ऐसी उच्च माँगों का एक कारण है। जो स्वर्ग के लिए पुनरुत्थित किए जाते हैं उन्हें एक महत्त्वपूर्ण कार्य करना है। यहोवा जानता था कि मानव सरकारें कभी सफलतापूर्वक पृथ्वी के मामलों से नहीं निपट सकतीं। अतः उसने एक स्वर्गीय सरकार, या राज्य का प्रबन्ध किया जो मनुष्यजाति पर राज्य करता। (मत्ती ६:९, १०) यीशु उस राज्य का राजा होता। (दानिय्येल ७:१३, १४) कुछ लोग जो पृथ्वी में से चुने गए हैं और स्वर्ग के लिए पुनरुत्थित किए गए हैं, उसके साथ राज्य करेंगे। बाइबल ने पूर्वबताया कि ये पुनरुत्थित लोग ‘हमारे परमेश्‍वर के लिये एक राज्य और याजक बनेंगे; और वे पृथ्वी पर राज्य करेंगे।’—प्रकाशितवाक्य ५:१०.

क्या बड़ी संख्या में लोग स्वर्गीय पुनरुत्थान की माँगों को पूरा करेंगे? नहीं। उन कारणों से जिनके लिए वे ज़िम्मेदार नहीं हैं, मृत्यु में सो रहे अधिकांश लोग योग्य नहीं हैं। यहोवा और उसके उद्देश्‍यों के बारे में सच्चाई सीखने के लिए अनेक लोगों के पास बहुत ही कम या कोई अवसर नहीं था। यीशु मसीह या परमेश्‍वर के राज्य के बारे में कोई भी जानकारी के बिना वे जीवित रहे और मर गए।

जो स्वर्ग जाएँगे उन्हें यीशु ने ‘छोटा झुण्ड’ कहा। (लूका १२:३२) बाद में यह प्रकट किया गया कि मसीह के साथ स्वर्ग में शासन करने के लिए “पृथ्वी पर से मोल लिए गए” लोगों की संख्या १,४४,००० होगी। (प्रकाशितवाक्य १४:१-३; २०:६) जबकि १,४४,००० की संख्या उन ‘बहुत से स्थानों’ को भरने के लिए काफ़ी है जिसका ज़िक्र यीशु मसीह ने किया, जब इसकी तुलना उन अरबों लोगों से की जाती है जो आदम के वंशज हैं तो यह संख्या छोटी है।—यूहन्‍ना १४:२.

पार्थिव पुनरुत्थान से पहले की घटनाएँ

आइए हमने अब तक जो चर्चा की है उसका पुनर्विलोकन करें। बाइबल के अनुसार, जो मरते हैं वे तब तक मृत्यु में निर्जीव रहते हैं जब तक वे यहोवा परमेश्‍वर द्वारा पुनरुत्थित नहीं किए जाते। कुछ लोग स्वर्ग में जीवन के लिए पुनरुत्थित किए जाते हैं, जहाँ वे राज्य सरकार में यीशु मसीह के साथ शासन करेंगे। अधिकांश लोग उस राज्य की प्रजा बनने के लिए पृथ्वी पर पुनरुत्थित किए जाएँगे।

कुछ हद तक, पार्थिव पुनरुत्थान के ज़रिए यहोवा पृथ्वी के लिए अपना उद्देश्‍य पूरा करेगा। यहोवा ने उसे “बसने के लिये” सृजा है। (यशायाह ४५:१८) इसे मनुष्यजाति का स्थायी घर होना था। अतः भजनहार ने गाया: “स्वर्ग तो यहोवा का है, परन्तु पृथ्वी उस ने मनुष्यों को दी है।”—भजन ११५:१६.

पृथ्वी पर जीवन के लिए पुनरुत्थान के शुरू होने से पहले, बड़े परिवर्तन होने की ज़रूरत है। आप संभवतः सहमत होंगे कि यह परमेश्‍वर का उद्देश्‍य नहीं था कि पृथ्वी युद्ध, प्रदूषण, अपराध, और हिंसा से भर जाए। इन समस्याओं का कारण वे लोग हैं जो परमेश्‍वर और उसके धर्मी नियमों के प्रति कोई आदर नहीं रखते। अतः, परमेश्‍वर का राज्य ‘पृथ्वी के बिगाड़नेवालों का नाश करेगा’—उसकी इच्छा को इस पृथ्वी पर पूरा करने के लिए एक बड़ा क़दम। (प्रकाशितवाक्य ११:१८) वह राज्य सभी दुष्ट लोगों का नाश करेगा और धर्मी लोगों को बनाए रखेगा ताकि वे इस पृथ्वी पर सर्वदा रह सकें।—भजन ३७:९, २९.

पृथ्वी पर परादीस

साफ़ की गई पृथ्वी पर पुनरुत्थित किए जानेवाले जो सही है उसे करनेवाले, नम्र, विचारशील लोग होंगे। (मत्ती ५:५ से तुलना कीजिए।) परमेश्‍वर के राज्य के स्नेही निरीक्षण के अधीन वे सुरक्षा में सुखी जीवन जीएँगे। बाइबल उस समय प्रचलित अवस्थाओं का यह महान पूर्वदर्शन प्रदान करती है: “[परमेश्‍वर] उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं।”—प्रकाशितवाक्य २१:४.

जी हाँ, पृथ्वी एक परादीस में बदल दी जाएगी। (लूका २३:४३) विचार कीजिए कि इसका अर्थ क्या होगा! अस्पताल और उपचार गृह अप्रयुक्‍त हो जाएँगे। जो अभी बुढ़ापे के प्रभावों से पीड़ित हैं वे परादीस में फिर से बलिष्ठ और तंदुरुस्त हो जाएँगे। (अय्यूब ३३:२५; यशायाह ३५:५, ६) फिर कभी अंत्येष्टि भवन, क़ब्रिस्तान, या समाधि-शिलाएँ नहीं होंगी। अपने राज्य के ज़रिए यहोवा “मृत्यु को सदा के लिये नाश करेगा।” (यशायाह २५:८) ऐसी आशिषों का अर्थ हमारे लिए और हमारे पूर्वजों के लिए ज़रूर एक नया जीवन हो सकता है।

[पेज 7 पर तसवीरें]

पृथ्वी पर पुनरुत्थित लोग उस राज्य की प्रजा होंगे

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