अभी सच्चे परमेश्वर का भय क्यों मानें?
“परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्त्तव्य यही है।”—सभोपदेशक १२:१३.
१, २. परमेश्वर का यथोचित भय क्यों उपयुक्त है?
परमेश्वर का हितकर और श्रद्धामय भय मनुष्य के लिए भला है। जी हाँ, जबकि अनेक मानव भय भावात्मक रूप से व्यथक, यहाँ तक कि हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकर हैं, हमारे लिए भला है कि यहोवा परमेश्वर का भय मानें।—भजन ११२:१; सभोपदेशक ८:१२.
२ सृष्टिकर्ता यह जानता है। अपनी सृष्टि के लिए प्रेम के कारण, वह सभी को आज्ञा देता है कि उसका भय मानें और उसकी उपासना करें। हम पढ़ते हैं: ‘मैं ने एक और स्वर्गदूत को आकाश के बीच में उड़ते हुए देखा, जिस के पास पृथ्वी पर के रहनेवालों की हर एक जाति, और कुल, और भाषा, और लोगों को सुनाने के लिये सनातन सुसमाचार था। और उस ने बड़े शब्द से कहा; परमेश्वर से डरो; और उस की महिमा करो; क्योंकि उसके न्याय करने का समय आ पहुंचा है, और उसका भजन करो, जिस ने स्वर्ग और पृथ्वी को बनाया।’—प्रकाशितवाक्य १४:६, ७.
३. सृष्टिकर्ता ने हमारे प्रथम माता-पिता के लिए क्या किया?
३ हमें जीवन के सोते, सभी वस्तुओं के सृष्टिकर्ता को निश्चित ही नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह हमारा और इस ग्रह का मालिक है। (भजन २४:१) अपने बड़े प्रेम की एक अभिव्यक्ति में, यहोवा ने अपने पार्थिव बच्चों को जीवन दिया और रहने के लिए उन्हें एक अद्भुत स्थान दिया—एक सुन्दर परादीस। फिर भी, यह आश्चर्यजनक देन बिना शर्त नहीं थी। असल में, यह एक अमानत थी। हमारे प्रथम माता-पिता को अपने घर की देखरेख करनी थी और उसे तब तक फैलाना था जब तक कि वे पूरी पृथ्वी को आबाद और अपने वश में न कर लेते। थलचरों, पक्षियों और मछलियों—अन्य सभी जीव-जन्तुओं के प्रति जो उनके और उनकी संतानों के साथ पृथ्वी पर रहते, उनके पास विशेषाधिकार और उत्तरदायित्व थे। इस बड़ी अमानत के लिए, मनुष्य जवाबदेह होता।
४. मनुष्य ने परमेश्वर की सृष्टि को क्या किया है?
४ उस शानदार शुरूआत के बावजूद, देखिए अपने सुन्दर पार्थिव घर को संदूषित करने के लिए मनुष्य ने क्या किया है! इस बात के प्रति तिरस्कारपूर्ण अनादर दिखाते हुए कि इस रत्न का स्वामित्व परमेश्वर का है, मनुष्यों ने पृथ्वी को गंदा कर दिया है। संदूषण उस हद पर पहुँच गया है कि यह पशुओं, पक्षियों, और मछलियों की अधिकाधिक जातियों के अस्तित्व को ख़तरे में डाल रहा है। हमारा न्यायशील और प्रेममय परमेश्वर इसे हमेशा के लिए सहन नहीं करेगा। पृथ्वी की बरबादी लेखा लेने की माँग करती है, जिससे अनेक लोगों को उचित ही डरना चाहिए। दूसरी ओर, जो आदरपूर्वक परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं उनके लिए यह जानना सांत्वनादायक है कि क्या होगा। यहोवा लेखा लेगा, और पृथ्वी पुनःस्थापित होगी। पृथ्वी पर सभी सत्हृदयी लोगों के लिए यह सचमुच सुसमाचार है।
५, ६. मनुष्य ने यहोवा की सृष्टि को जो किया है उसके प्रति वह कैसी प्रतिक्रिया दिखाएगा?
५ परमेश्वर अपना न्याय किस माध्यम से कार्यान्वित करेगा? यीशु मसीह के माध्यम से, जो अभी परमेश्वर के स्वर्गीय राज्य के राजा के रूप में सिंहासनारूढ़ है। उस स्वर्गीय पुत्र के द्वारा, यहोवा वर्तमान अशुद्ध, विद्रोही व्यवस्था को समाप्त करेगा। (२ थिस्सलुनीकियों १:६-९; प्रकाशितवाक्य १९:११) इस तरह वह उसका भय माननेवालों के लिए राहत लाएगा, साथ ही हमारे पार्थिव घर को बचाएगा और सुरक्षित रखेगा।
६ यह कैसे होगा? बाइबल एक आनेवाले बड़े क्लेश के बारे में बोलती है जिसकी पराकाष्ठा अरमगिदोन के युद्ध में होगी। (प्रकाशितवाक्य ७:१४; १६:१६) यह इस प्रदूषित रीति-व्यवस्था और इसे प्रदूषित करनेवालों के विरुद्ध परमेश्वर का न्याय होगा। क्या कोई मनुष्य जीवित बचेंगे? जी हाँ! ये ऐसे लोग होंगे जो परमेश्वर का हानिकर, अहितकर भय नहीं, बल्कि आदरपूर्ण, श्रद्धामय भय मानते हैं। उन्हें छुड़ाया जाएगा।—नीतिवचन २:२१, २२.
शक्ति का आश्चर्यकारी प्रदर्शन
७. मूसा के समय में परमेश्वर ने इस्राएल के पक्ष में क्यों हस्तक्षेप किया?
७ यहोवा परमेश्वर द्वारा इस नाटकीय कार्यवाही की पूर्वझलक उस सामर्थी कार्य से दी गयी थी जो उसने हमारे सामान्य युग से कुछ १,५०० साल पहले अपने उपासकों के पक्ष में किया था। मिस्र की बड़ी सैन्य शक्ति ने उसके आप्रवासी इस्राएली श्रमबल को दास बना लिया था, यहाँ तक कि एक क़िस्म के जनसंहार की कोशिश की जब उसके शासक, फ़िरौन ने सभी नवजात इस्राएली लड़कों की मृत्यु की आज्ञा दी। मिस्र पर परमेश्वर की विजय से इस्राएल को उस दमनकारी राजनैतिक व्यवस्था से मुक्ति मिलनी थी, जी हाँ, एक ऐसे राष्ट्र से स्वतंत्रता जो अनेक ईश्वरों की उपासना द्वारा प्रदूषित था।
८, ९. परमेश्वर के हस्तक्षेप के प्रति मूसा और इस्राएलियों ने कैसी प्रतिक्रिया दिखायी?
८ मिस्र से छुटकारे पर इस्राएल की प्रतिक्रिया निर्गमन अध्याय १५ में अभिलिखित है। इस वृत्तान्त का विश्लेषण करना हमें इस बात का मूल्यांकन करने में मदद देगा कि मसीही आज की आध्यात्मिक और भौतिक रूप से दूषित व्यवस्था से कैसे छुड़ाए जा सकते हैं। आइए निर्गमन अध्याय १५ पर विचार करें, और यह जानने के लिए चुनिंदा आयतों पर ध्यान दें कि हमें सच्चे परमेश्वर, यहोवा का भय मानने का चुनाव क्यों करना चाहिए। हम आयत १ और २ से शुरू करते हैं:
९ “तब मूसा और इस्राएलियों ने यहोवा के लिये यह गीत गाया। उन्हों ने कहा, मैं यहोवा का गीत गाऊंगा, क्योंकि वह महाप्रतापी ठहरा है; घोड़ों समेत सवारों को उस ने समुद्र में डाल दिया है। यहोवा मेरा बल और भजन का विषय है, और वही मेरा उद्धार भी ठहरा है।”
१०. किस कारण परमेश्वर ने मिस्र की सेना का नाश किया?
१० संसार-भर में लोग इस वृत्तांत से परिचित हैं कि कैसे यहोवा ने इस्राएल को मिस्र से छुटकारा दिलाया। वह उस सामर्थी विश्व शक्ति पर विपत्तियाँ लाया जब तक कि फ़िरौन ने अंततः इस्राएलियों को जाने न दिया। लेकिन फिर फ़िरौन की सेना ने इन निहत्थे लोगों का पीछा किया और ऐसा लगा कि उनको लाल समुद्र के तट पर घेर लिया। जबकि ऐसा प्रतीत हुआ कि इस्राएल के पुत्र जल्द ही अपनी नव-प्राप्त स्वतंत्रता खो देते, यहोवा के मन में कुछ और ही था। उसने चमत्कार दिखाकर समुद्र के बीच एक मार्ग खोला और अपने लोगों को सुरक्षा दी। जब मिस्रियों ने पीछा किया, तब उसने लाल समुद्र को उन पर ढाँप दिया और फ़िरौन और उसकी सेना को डुबो दिया।—निर्गमन १४:१-३१.
११. मिस्र के विरुद्ध परमेश्वर की कार्यवाही का क्या परिणाम हुआ?
११ यहोवा द्वारा मिस्री सेना के विनाश ने उसे उसके उपासकों की दृष्टि में ऊँचा किया और उसके नाम को दूर-दूर तक फैलाया। (यहोशू २:९, १०; ४:२३, २४) जी हाँ, उसका नाम मिस्र के शक्तिहीन, झूठे ईश्वरों से ऊपर उठाया गया, जो अपने उपासकों को छुड़ाने में समर्थ नहीं हुए। अपने देवताओं में और मरणशील मनुष्य तथा सैन्य शक्ति में भरोसा कटु निराशा का कारण बना। (भजन १४६:३) इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि इस्राएली स्तुति गाने के लिए प्रेरित हुए जिसने उस जीवते परमेश्वर का हितकर भय प्रतिबिम्बित किया, जो सामर्थ के साथ अपने लोगों को छुड़ाता है!
१२, १३. लाल समुद्र पर परमेश्वर की विजय से हमें क्या सीखना चाहिए?
१२ उसी प्रकार, हमें समझना चाहिए कि हमारे समय का कोई भी झूठा ईश्वर और कोई भी महाशक्ति, परमाणु हथियारों के साथ भी किसी हालत यहोवा की बराबरी नहीं कर सकते। वह अपने लोगों को छुड़ा सकता है और छुड़ाएगा। “वह स्वर्ग की सेना और पृथ्वी के रहनेवालों के बीच अपनी ही इच्छा के अनुसार काम करता है; और कोई उसको रोककर उस से नहीं कह सकता है, तू ने यह क्या किया है?” (दानिय्येल ४:३५) जब हम इन शब्दों का अर्थ पूरी तरह समझ जाते हैं, तो हम ख़ुशी के साथ उसका स्तुतिगान करने के लिए प्रेरित होते हैं।
१३ लाल समुद्र पर विजय गीत आगे इस प्रकार है: “यहोवा योद्धा है; उसका नाम यहोवा है।” अतः, यह अपराजेय योद्धा, मनुष्य की कल्पना की कोई बेनाम उपज नहीं है। उसका एक नाम है! वह ‘अस्तित्व में लाता है,’ महान रचयिता है, वह “जिसका नाम यहोवा है, सारी पृथ्वी के ऊपर परमप्रधान है।” (निर्गमन ३:१४; १५:३-५; भजन ८३:१८) क्या आप सहमत नहीं हैं कि उन प्राचीन मिस्रियों के लिए यह बुद्धिमानी की बात होती कि उस सर्वशक्तिमान का विरोध करने के बजाय उसके प्रति उचित और आदरपूर्ण भय की भावना दिखाते?
१४. लाल समुद्र पर ईश्वरीय भय का महत्त्व कैसे प्रदर्शित किया गया?
१४ पृथ्वी का अभिकल्पक होने के नाते, समुद्र के बनानेवाले को जल राशियों पर पूरा नियंत्रण है। (निर्गमन १५:८) वायु पर भी अपने नियंत्रण को प्रयोग करते हुए उसने वह निष्पन्न किया जो असंभव प्रतीत होता था। उसने एक स्थान पर गहरे जल को विभाजित कर दिया और उसे विपरीत दिशाओं में वापस बहा दिया ताकि अपने लोगों को पार कराने के लिए एक ऐसा गलियारा बना सके जिसके दोनों तरफ़ पानी हो। दृश्य की कल्पना कीजिए: करोड़ों टन समुद्र जल ऊँची समान्तर दीवारों में खड़ा हो गया, और इस्राएल के लिए एक रक्षात्मक बचाव मार्ग बन गया। जी हाँ, जिन्होंने परमेश्वर का हितकर भय प्रदर्शित किया उन्होंने सुरक्षा पायी। तब यहोवा ने जल को छोड़ दिया कि वह एक बड़े जलप्रलय की तरह वापस बह जाए, जिसमें फ़िरौन की सेना और उनका सारा सामान डूब गया। अयोग्य ईश्वरों और मानव सैन्य बल पर ईश्वरीय शक्ति का क्या ही प्रदर्शन! निश्चित ही, यहोवा ही वह है जिसका भय रखा जाना चाहिए, है कि नहीं?—निर्गमन १४:२१, २२, २८; १५:८.
परमेश्वर के प्रति हमारा भय प्रदर्शित करना
१५. परमेश्वर के सामर्थी बचाव कार्यों के प्रति हमारी प्रतिक्रिया क्या होनी चाहिए?
१५ यदि हम मूसा के साथ सुरक्षित खड़े होते, तो हम निश्चित ही यह गाने को प्रेरित हुए होते: “हे यहोवा, देवताओं में तेरे तुल्य कौन है? तू तो पवित्रता के कारण महाप्रतापी, और अपनी स्तुति करने वालों के भय के योग्य, और आश्चर्य कर्म का कर्त्ता है।” (निर्गमन १५:११) उस समय से लेकर सदियों के दौरान ऐसी भावनाएँ दोहरायी गयी हैं। बाइबल की अंतिम पुस्तक में प्रेरित यूहन्ना परमेश्वर के विश्वासयोग्य अभिषिक्त सेवकों के एक समूह का वर्णन करता है: ‘वे परमेश्वर के दास मूसा का गीत, और मेम्ने का गीत गाते हैं।’ यह महान गीत कौन-सा है? “हे सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर, तेरे कार्य्य बड़े, और अद्भुत हैं, हे युग युग के राजा, तेरी चाल ठीक और सच्ची है। हे प्रभु, कौन तुझ से न डरेगा? और तेरे नाम की महिमा न करेगा? क्योंकि केवल तू ही पवित्र है।”—प्रकाशितवाक्य १५:२-४.
१६, १७. आज हम कौन-सी अद्भुत घटनाएँ होते देखते हैं?
१६ सो आज भी छुटकारा-प्राप्त उपासक हैं जो परमेश्वर की न सिर्फ़ सृजनात्मक हस्तकला का बल्कि उसकी विधियों का भी मूल्यांकन करते हैं। हर राष्ट्र में से लोगों को आध्यात्मिक रूप से छुटकारा मिला है, वे इस प्रदूषित संसार से अलग किए गए हैं क्योंकि वे परमेश्वर की धार्मिक विधियों को स्वीकार करते हैं और उन पर अमल करते हैं। हर साल, लाखों लोग यहोवा के उपासकों के शुद्ध, खरे संगठन के साथ रहने के लिए इस भ्रष्ट संसार से बाहर निकलते हैं। जल्द ही, झूठे धर्म और बाक़ी की इस दुष्ट व्यवस्था के विरुद्ध परमेश्वर का धधकता न्याय पूरा होने के बाद, वे एक धर्मी नए संसार में सर्वदा जीवित रहेंगे।
१७ प्रकाशितवाक्य १४:६, ७ के अनुरूप, मानवजाति अभी स्वर्गदूतीय निर्देशन के अधीन यहोवा के साक्षियों द्वारा घोषित न्याय का एक चेतावनी संदेश सुन रही है। पिछले साल २३० से भी ज़्यादा देशों में, लगभग ५० लाख साक्षियों ने परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार और उसके न्याय की घड़ी को घोषित किया। उत्तरजीविता के लिए अपने संगी मनुष्यों को शिक्षित करने के लिए, साक्षियों ने लोगों के घरों में नियमित भेंटें कीं, और मुफ़्त बाइबल अध्ययन संचालित किए। इस प्रकार हर साल लाखों लोग इतना सीखते हैं कि समझ के साथ सच्चे परमेश्वर का भय मानें, अपना जीवन उसे समर्पित करें, और बपतिस्मा प्राप्त करें। कितना आनन्दप्रद है कि ऐसे व्यक्ति सच्चे परमेश्वर का भय मानने लगे हैं!—लूका १:४९-५१; प्रेरितों ९:३१. इब्रानियों ११:७ से तुलना कीजिए।
१८. कौन-सी बात दिखाती है कि स्वर्गदूत हमारे प्रचार में सम्मिलित हैं?
१८ क्या यह सच है कि इस प्रचार कार्य में स्वर्गदूत सम्मिलित हैं? यह निश्चित ही स्पष्ट दिखता है कि स्वर्गदूतीय मार्गदर्शन यहोवा के साक्षियों को अकसर एक ऐसे घर पर ले आया है जहाँ कोई दुःखी व्यक्ति आध्यात्मिक सहायता के लिए तरस रहा था, यहाँ तक कि प्रार्थना कर रहा था! उदाहरण के लिए, दो यहोवा की साक्षी जिनके साथ एक बच्चा भी था एक करेबियन द्वीप पर सुसमाचार सुना रही थीं। जब दोपहर हुई तो उन दो स्त्रियों ने फ़ैसला किया कि बस अब वे अपने घर जाएँगी। लेकिन अगले घर में भेंट करने के लिए उस बच्चे में एक अजीब-सी उत्सुकता थी। जब उसने देखा कि वो दो स्त्रियाँ उस समय भेंट नहीं करना चाहती थीं, तो वह स्वयं वहाँ गया और खटखटाया। एक युवती ने दरवाज़ा खोला। जब उन दो स्त्रियों ने यह देखा, तो वे वहाँ गयीं और उससे बात की। उसने उन्हें अन्दर बुलाया, और बताया कि ठीक उसी घड़ी जब उसने दरवाज़े पर खटखटाहट सुनी, वह प्रार्थना कर रही थी कि उसे बाइबल सिखाने के लिए परमेश्वर उसके पास साक्षियों को भेजे। एक बाइबल अध्ययन के लिए प्रबन्ध किया गया।
१९. परमेश्वर का भय मानने के एक लाभ के रूप में हम किस बात की ओर संकेत कर सकते हैं?
१९ जैसे-जैसे हम कर्तव्यनिष्ठा के साथ परमेश्वर का न्याय संदेश सुनाते हैं, हम उसकी धर्मी विधियों को भी सिखाते हैं। जब लोग इन्हें अपने जीवन में लागू करते हैं, तब भौतिक और आध्यात्मिक दोनों ही आशिषें मिलती हैं। उदाहरण के लिए, बाइबल सभी लैंगिक अनैतिकता की निन्दा अति स्पष्ट रूप से करती है। (रोमियों १:२६, २७, ३२) आज संसार में ईश्वरीय स्तरों को व्यापक रूप से नज़रअंदाज़ किया जाता है। परिणाम क्या है? विवाह टूट रहे हैं। अपचार बढ़ रहा है। लैंगिक रूप से फैलनेवाली अपंगकारी बीमारियाँ फैल रही हैं, जो इस २०वीं शताब्दी में महामारी बन गयी हैं। वास्तव में, डरावनी बीमारी एड्स काफ़ी हद तक लैंगिक अनैतिकता से फैलती है। लेकिन क्या परमेश्वर का आदरपूर्ण भय सच्चे उपासकों के लिए एक बड़ी सुरक्षा साबित नहीं हुआ है?—२ कुरिन्थियों ७:१; फिलिप्पियों २:१२. प्रेरितों १५:२८, २९ भी देखिए।
अभी परमेश्वर का भय मानने के परिणाम
२०. कौन-सी बात दिखाती है कि अन्य लोग यहोवा के साक्षियों की प्रतिष्ठा के बारे में जानते हैं?
२० उन्हें प्रचुर आशिषें मिलती हैं जो परमेश्वर का भय मानते हैं और उसकी विधियों पर चलते हैं। एक घटना पर ध्यान दीजिए जो इस तथ्य की बढ़ती स्वीकृति दिखाती है कि यहोवा के साक्षी नैतिक रूप से खरे मसीहियों का एक शान्तिपूर्ण भाईचारा हैं। दक्षिण अमरीका में एक अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन के प्रतिनिधि, कई साक्षी एक होटल में रह रहे थे जो एक रात किसी ग़ैर-साक्षी समूहन के लिए भी प्रयोग हुआ। उस समूहन में देश के राष्ट्रपति को आना और एक भाषण देना था। जब सुरक्षा दल ने राष्ट्रपति को जल्दी से लिफ़्ट में चढ़ाया, तो एक साक्षी भी चढ़ गयी जो नहीं जानती थी कि लिफ़्ट में कौन है, जिससे कि सुरक्षा कर्मचारी काफ़ी चकित हो गए! यह जानने पर कि उसने क्या किया है, साक्षी ने बीच में आने के लिए क्षमा माँगी। उसने अपना अधिवेशन बिल्ला दिखाकर पहचान करायी कि वह एक साक्षी है और कहा कि वह राष्ट्रपति के लिए कोई ख़तरा नहीं थी। मुस्कुराते हुए एक पहरेदार ने कहा: “यदि सभी लोग यहोवा के साक्षियों की तरह होते, तो हमें इस क़िस्म की सुरक्षा की ज़रूरत नहीं होती।”—यशायाह २:२-४.
२१. आज लोगों के सामने कौन-से मार्ग खुले हैं?
२१ ‘उस बड़े क्लेश से निकलकर आने’ के लिए जो इस व्यवस्था का अन्त करता है, यहोवा अभी इस क़िस्म के लोगों को इकट्ठा और तैयार कर रहा है। (प्रकाशितवाक्य ७:९, १०, १४) ऐसी उत्तरजीविता कोई संयोग की बात नहीं होगी। एक उत्तरजीवी होने के लिए, एक व्यक्ति को यहोवा का भय मानना है, उसे न्यायपूर्ण सर्वसत्ताधारी के रूप में स्वीकार करना है और उसके प्रति समर्पित होना है। लेकिन, सच तो यह है कि अधिकांश लोग उस क़िस्म का भय विकसित नहीं करेंगे जिससे वे सुरक्षा के योग्य ठहरें। (भजन २:१-६) सभी उपलब्ध प्रमाणों के अनुसार, यहोवा का चुना हुआ शासक, यीशु मसीह निर्णायक वर्ष १९१४ से राजा के रूप में शासन कर रहा है। इसका अर्थ है कि लोगों के लिए यहोवा का हितकर भय विकसित करने और प्रदर्शित करने का समय तेज़ी से ख़त्म होता जा रहा है। फिर भी, हमारा सृष्टिकर्ता लोगों को, अधिकारी पद के लोगों को भी अनुकूल प्रतिक्रिया दिखाने दे रहा है: “अब, हे राजाओ, बुद्धिमान बनो; हे पृथ्वी के न्यायियो, यह उपदेश ग्रहण करो। डरते हुए यहोवा की उपासना करो, और कांपते हुए मगन हो। पुत्र को चूमो ऐसा न हो कि वह क्रोध करे, और तुम मार्ग ही में नाश हो जाओ; क्योंकि क्षण भर में उसका क्रोध भड़कने को है। धन्य हैं वे जिनका भरोसा उस पर है।”—भजन २:७-१२.
२२. जो अभी परमेश्वर का भय मानते हैं उनके लिए भविष्य में क्या रखा है?
२२ ऐसा हो कि हम उन लोगों में हों जो हमारे सृष्टिकर्ता की स्तुति करेंगे क्योंकि उसने हमें बचाया होगा। लेकिन, यह हमसे माँग करता है कि अभी सच्चे परमेश्वर का भय मानें! (भजन २:११; इब्रानियों १२:२८; १ पतरस १:१७ से तुलना कीजिए।) हमें उसकी धर्मी विधियों को सीखते और उनका पालन करते रहने की ज़रूरत है। प्रकाशितवाक्य १५:३, ४ में अभिलिखित, मूसा और मेम्ने का गीत अपने चरम पर पहुँच जाएगा जब यहोवा पृथ्वी पर सारी दुष्टता को मिटाता है और मनुष्य तथा उसके पार्थिव घर को पाप के प्रदूषक प्रभावों से चंगाई देना शुरू करता है। तब, अपने पूरे हृदय से हम गाएँगे: “हे सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर, तेरे कार्य्य बड़े, और अद्भुत हैं, हे युग युग के राजा, तेरी चाल ठीक और सच्ची है। हे प्रभु, कौन तुझ से न डरेगा? और तेरे नाम की महिमा न करेगा?”
क्या आपको याद है?
◻ यहोवा हमारे हितकर भय के योग्य क्यों है?
◻ लाल समुद्र पर परमेश्वर की उपलब्धियों से क्या प्रदर्शित किया गया था?
◻ यहोवा के प्रति हमारे आदरपूर्ण भय से कौन-से लाभ मिलते हैं?
◻ जो अभी सच्चे परमेश्वर का भय मानते हैं उनका भविष्य कैसा होगा?