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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2023
w23 अक्टूबर पेज 30-पेज 31 पैरा. 2
एक इसराएली परिवार और कुछ और लोग वीराने में मन्‍ना इकट्ठा कर रहे हैं।

आपने पूछा

क्या वीराने में इसराएलियों के पास खाने के लिए मन्‍ना और बटेर के अलावा भी कुछ था?

वीराने में 40 साल तक इसराएलियों ने खासकर मन्‍ना ही खाया। (निर्ग. 16:35) दो मौकों पर यहोवा ने उन्हें खाने के लिए बटेर भी दिए। (निर्ग. 16:12, 13; गिन. 11:31) लेकिन इसराएलियों के पास खाने के लिए और भी थोड़ी-बहुत चीज़ें थीं।

जैसे बाइबल में बताया गया है कि यहोवा कभी-कभी अपने लोगों को ‘आराम करने की जगहों’ पर ले जाता था, जहाँ उन्हें पानी और खाने के लिए कुछ चीज़ें मिल जाती थीं। (गिन. 10:33) एक बार वह उन्हें एलीम नाम की हरी-भरी जगह ले गया, “जहाँ पानी के 12 सोते और 70 खजूर के पेड़ थे।” (निर्ग. 15:27) बाइबल के ज़माने के पेड़-पौधे  (अँग्रेज़ी) नाम की किताब में लिखा है कि खजूर के पेड़ बहुत-सी जगहों पर पाए जाते हैं और रेगिस्तान में लाखों लोग ज़्यादातर इसी के फल खाते हैं, इसका तेल निकालते हैं और इसकी पनाह लेते हैं।

हो सकता है, इसराएली उस बड़ी-सी हरी-भरी जगह भी रुके हों जो आज फेरन वादी में पड़ती है। एक किताब (डिसकवरिंग द वर्ल्ड ऑफ द बाइबल) में लिखा है, यह वादी या नदी की घाटी “130 किलोमीटर [81 मील] लंबी है और सिनै में जो वादियाँ हैं, उनमें यह काफी लंबी, खूबसूरत और जानी-मानी है।” इसमें यह भी लिखा है, “जहाँ पर यह वादी समुंदर से मिलती है, वहाँ से 45 किलोमीटर [28 मील] दूर फेरन नाम की हरी-भरी जगह है। यह जगह समुद्र-तल से 2,000 फुट [610 मी.] की ऊँचाई पर है और 4.8 किलोमीटर [3 मील] लंबी है। जिधर नज़र उठाओ, यहाँ खजूर के पेड़ ही दिखायी देते हैं। यह जगह इतनी खूबसूरत है कि इसे सिनै का अदन बाग कहा गया है। सदियों से देखा गया है कि खजूर के इन हज़ारों पेड़ों की वजह से लोग यहाँ आकर रहने लगते हैं।”

एक वादी में खजूर के पेड़। वहीं एक छोटी तसवीर में एक पेड़ पर खजूर का एक गुच्छा दिखाया गया है।

फरेन वादी में खजूर के पेड़

जब इसराएलियों ने मिस्र छोड़ा, तो वे अपने साथ गुँधा हुआ आटा, आटा गूँधने के बरतन और शायद कुछ अनाज और तेल भी ले गए थे। ज़ाहिर-सी बात है कि ये चीज़ें ज़्यादा दिन नहीं चली होंगी। बाइबल में यह भी बताया गया है कि लोग “अपने साथ भेड़-बकरियों और गाय-बैलों का एक बड़ा झुंड भी ले गए।” (निर्ग. 12:34-39) वीराने में हालात काफी मुश्‍किल-भरे रहे होंगे, इस वजह से शायद बहुत-से जानवर मर गए हों। शायद कुछ को इसराएलियों ने खा लिया हो और कुछ की बलि चढ़ा दी गयी हो, शायद झूठे देवताओं के आगे भी।a (प्रेषि. 7:39-43) फिर भी इसराएलियों के पास कुछ जानवर तो रहे होंगे और उन जानवरों के बच्चे भी हुए होंगे। यह हमें उस बात से पता चलता है जो यहोवा ने इसराएलियों से तब कही थी जब उन्होंने उस पर विश्‍वास नहीं किया था: “तुम्हारे बेटे 40 साल तक इसी वीराने में भेड़-बकरियों की चरवाही करेंगे।” (गिन. 14:33) तो हो सकता है, इन जानवरों से उन्हें दूध मिलता हो और शायद कभी-कभी वे उनका गोश्‍त भी खाते हों। पर यह इतना नहीं रहा होगा कि 40 सालों तक करीब 30 लाख लोगों का पेट भर सके।b

वीराने में जानवरों ने क्या खाया होगा और उन्हें पानी कहाँ से मिला होगा?c आज के मुकाबले उस वक्‍त शायद वहाँ ज़्यादा बारिश होती थी और इस वजह से वहाँ पेड़-पौधे भी बहुत हुआ करते थे। इंसाइट ऑन द स्क्रिपचर्स,  भाग 1 में लिखा है कि आज से 3,500 साल पहले “अरब में कहीं ज़्यादा पानी हुआ करता था। हम ऐसा क्यों कह सकते हैं? आज वहाँ बहुत-सी सूखी और गहरी वादियाँ या घाटियाँ हैं। ये इस बात का सबूत हैं कि एक समय पर वहाँ इतनी बारिश हुआ करती थी कि नदियाँ बहने लगती थीं।” फिर भी वह वीराना बंजर था और बहुत भयानक था। (व्यव. 8:14-16) अगर यहोवा ने चमत्कार करके उन्हें पानी ना दिया होता, तो इसराएली और उनके जानवर सब-के-सब मर जाते।—निर्ग. 15:22-25; 17:1-6; गिन. 20:2, 11.

मूसा ने इसराएलियों से कहा था कि यहोवा ने उन्हें इसलिए मन्‍ना दिया कि ‘वे जान लें कि इंसान सिर्फ रोटी से नहीं ज़िंदा रहता बल्कि यहोवा के मुँह से निकलनेवाले हर वचन से ज़िंदा रहता है।’​—व्यव. 8:3.

a बाइबल में ऐसे दो मौकों के बारे में बताया गया है जब इसराएलियों ने वीराने में यहोवा के लिए जानवरों की बलि चढ़ायी थी। पहली बार जब हारून और उसके बेटों को याजकपद सौंपा गया और दूसरी बार फसह के वक्‍त। यह सब इसराएलियों के मिस्र छोड़ने के करीब एक साल बाद यानी ईसा पूर्व 1512 में हुआ था।​—लैव्य. 8:14–9:24; गिन. 9:1-5.

b जब वीराने में इसराएलियों का 40 साल का सफर खत्म होनेवाला था, तो उन्होंने युद्ध के बाद हज़ारों जानवर लूट के माल में ले लिए। (गिन. 31:32-34) फिर भी जब तक वे वादा किए गए देश में नहीं पहुँचे, वे मन्‍ना खाते रहे।​—यहो. 5:10-12.

c इस बात का कोई सबूत नहीं है कि जानवरों ने भी मन्‍ना खाया, क्योंकि इसराएलियों से कहा गया था कि वे उतना ही मन्‍ना उठाएँ जितना हर व्यक्‍ति खा सकता है।​—निर्ग. 16:15, 16.

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