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  • मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
  • मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले—2020
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  • 3-9 अगस्त
  • 10-16 अगस्त
  • 17-23 अगस्त
  • 24-30 अगस्त
  • 31 अगस्त–6 सितंबर
मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले—2020
mwbr20 अगस्त पेज 1-8

मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले

3-9 अगस्त

पाएँ बाइबल का खज़ाना | निर्गमन 13-14

“मज़बूत खड़े रहो और देखो कि यहोवा तुम्हें किस तरह उद्धार दिलाता है”

प्र13 4/1 पेज 4

मूसा​—विश्‍वास की बढ़िया मिसाल

मूसा को शायद इस बात का अंदाज़ा रहा हो कि इसराएलियों को बचाने के लिए यहोवा लाल सागर को दो भागों में बाँटनेवाला है। लेकिन एक बात थी जिसका उसे विश्‍वास था कि परमेश्‍वर अपने लोगों को बचाने के लिए कुछ-न-कुछ ज़रूर  करेगा और वह चाहता था कि उसकी तरह इसराएली भी यहोवा पर ऐसा ही भरोसा रखें। इसलिए उसने इसराएलियों से कहा: “डरो मत, खड़े खड़े वह उद्धार का काम देखो, जो यहोवा आज तुम्हारे लिये करेगा।” (निर्गमन 14:13) क्या मूसा अपने इसराएली साथियों का विश्‍वास मज़बूत करने में कामयाब हुआ? जी हाँ, सिर्फ मूसा का ही नहीं बल्कि सभी इसराएलियों का विश्‍वास मज़बूत हुआ क्योंकि बाइबल कहती है: “विश्‍वास ही से वे लाल सागर के बीच से ऐसे गुज़रे जैसे सूखी ज़मीन पर चल रहे हों।” (इब्रानियों 11:29) मूसा ने जो विश्‍वास दिखाया उससे न सिर्फ उसे बल्कि दूसरों को भी बहुत फायदा पहुँचा।

प्र18.09 पेज 26 पै 13

सर्वशक्‍तिमान होने के बावजूद लिहाज़ करनेवाला

13 निर्गमन 14:19-22 पढ़िए। कल्पना कीजिए कि आप इसराएलियों के साथ हैं। आपके पीछे मिस्र की सेना है और सामने लाल सागर। आप सब बुरी तरह फँस गए हैं। मगर तभी परमेश्‍वर कदम उठाता है। वह बादल का खंभा आपके सामने से हटाकर पीछे ले जाता है। इससे मिस्र की सेना आपकी तरफ नहीं बढ़ पाती। उनकी तरफ अँधेरा हो जाता है, जबकि आपकी तरफ तेज़ उजाला है! फिर आप देखते हैं कि मूसा अपना हाथ सागर की तरफ बढ़ाता है और पूरब से तेज़ हवा चलने लगती है। देखते-ही-देखते सागर के बीच काफी चौड़ा रास्ता बन जाता है। तब आप और दूसरे लोग, सब अपने-अपने परिवार और जानवरों के साथ सूखी ज़मीन पर चलने लगते हैं। सब बहुत संगठित तरीके से चलते हैं। आप ज़मीन देखकर हैरान रह जाते हैं। वह एकदम सूखी और सख्त है! कहीं पर भी कीचड़ नहीं है, न ही पानी बर्फ की तरह जमा हुआ है, जिससे आप फिसल जाएँ। आप आराम से चल रहे हैं। यहाँ तक कि बहुत धीरे चलनेवाले भी सही-सलामत सागर के उस पार पहुँच जाते हैं।

प्र09 3/15 पेज 7 पै 3-4

यहोवा को कभी मत भूलिए

मिस्री अपने टूटे-फूटे रथों में उलझे हुए थे कि सभी इसराएली लाल सागर के पूर्वी तट पर पहुँच गए। तब मूसा ने अपना हाथ लाल सागर की तरफ बढ़ाया। इस पर यहोवा ने पानी की दीवारें ढा दी। कई गैलन पानी गर्जन करते हुए फिरौन और उसके सैनिकों पर टूट पड़ा और उन्हें ले डूबा। एक भी दुश्‍मन ज़िंदा नहीं बचा। इसराएली अब आज़ाद थे!​—निर्ग. 14:26-28; भज. 136:13-15.

इस घटना से आस-पास के देशों में इसराएलियों का खौफ लंबे समय तक बना रहा। (निर्ग. 15:14-16) इसके 40 साल बाद यरीहो की रहनेवाली राहाब ने दो इसराएली पुरुषों से कहा: “तुम्हारा भय हम लोगों के मन में समाया है, . . . क्योंकि हम ने सुना है कि यहोवा ने तुम्हारे मिस्र से निकलने के समय तुम्हारे साम्हने लाल समुद्र का जल सुखा दिया।” (यहो. 2:9, 10) यहोवा ने जिस तरह अपने लोगों को छुड़ाया, जब यह बात विधर्मी देश के लोग नहीं भूले, तो इसराएलियों को और भी नहीं भूलना चाहिए था।

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इंसाइट-1 पेज 1117

राजमार्ग, सड़क

पुराने ज़माने में पैलिस्टाइन के इलाके में एक शहर से दूसरे शहर जाने के लिए या एक राज्य से दूसरे राज्य जाने के लिए कई सड़कें और राजमार्ग हुआ करते थे। इनमें से कुछ रास्ते व्यापार के लिए काफी इस्तेमाल होते थे। (गि 20:17-19; 21:21, 22; 22:5, 21-23; यह 2:22; न्या 21:19; 1शम 6:9, 12; 13:17, 18) व्यापार के लिए सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होनेवाला रास्ता मिस्र से दमिश्‍क तक जाता था। यह रास्ता मिस्र से निकलकर गाज़ा और अश्‍कलोन नाम के पलिश्‍ती शहरों से होते हुए जाता था। फिर वह उत्तर-पूर्वी दिशा में मगिद्दो की तरफ हलका मुड़ जाता था और फिर हासोर से आगे बढ़ते हुए गलील झील के उत्तर की तरफ से होते हुए दमिश्‍क पहुँचता था। मिस्र से वादा किए गए देश जाने के लिए पलिश्‍त से होता हुए यह रास्ता सबसे छोटा था। मगर यहोवा इसराएलियों को दूसरे रास्ते से ले गया, ताकि पलिश्‍ती लोग उन पर हमला न करें।​—निर्ग 13:17.

इंसाइट-1 पेज 782 पै 2-3

इसराएलियों का मिस्र से निकलना

लाल सागर को किस जगह दो हिस्सों में बाँटा गया ताकि इसराएली उसे पार कर सकें?

ध्यान दीजिए कि जब इसराएली अपने सफर के दूसरे पड़ाव पर इताम नाम की जगह पहुँचे जो “वीराने के छोर पर” थी, तो यहोवा ने मूसा से कहा कि ‘वे पीछे मुड़ जाएँ और जाकर सागर के पास पीहाहीरोत में डेरा डालें।’ इससे फिरौन को लगता कि इसराएली “इधर-उधर भटक रहे हैं।” (निर्ग 13:20; 14:1-3) कुछ विद्वान कहते हैं कि जब इसराएली मिस्र से निकले, तो उन्होंने एल हज का रास्ता लिया था। उनका कहना है कि जब यहोवा ने इसराएलियों से कहा कि वे “पीछे मुड़ जाएँ,” तो इसके लिए मूल पाठ में जिस इब्रानी शब्द का इस्तेमाल किया गया था, उसका मतलब थोड़ा-बहुत रास्ता बदलना नहीं, बल्कि पूरी तरह दिशा बदल देना है। इसराएलियों ने ठीक किस जगह अपनी दिशा बदली थी? विद्वानों के मुताबिक जब वे स्वेज़ की खाड़ी के उत्तर में पहुँचे, तो वहाँ उन्होंने अपनी दिशा बदली और खाड़ी के पश्‍चिमी इलाके की तरफ बढ़ने लगे। अब उनकी एक तरफ जेबेल आताका की पर्वतमाला का पूर्वी हिस्सा था और दूसरी तरफ सागर। इसराएली बहुत बड़ी संख्या में थे। इस वजह से अगर मिस्री उत्तर से उनकी तरफ बढ़ते, तो इसराएलियों के पास वहाँ से जल्दी भाग निकलने का कोई रास्ता नहीं बचता। वे पूरी तरह फँस गए थे।

पहली सदी में यहूदी भी यही मानते थे कि इसराएली इसी रास्ते से लाल सागर तक पहुँचे होंगे। हालाँकि बहुत-से विद्वान इस बात से सहमत नहीं हैं, लेकिन बाइबल का ब्यौरा भी इस बात को पुख्ता करता है। (निर्ग 14:9-16) इसलिए हम कह सकते हैं कि इसराएलियों ने स्वेज़ की खाड़ी के सिरे से लाल सागर पार नहीं किया होगा, नहीं तो फिरौन की सेना खाड़ी के किनारे से होते हुए सागर की दूसरी तरफ से उन्हें पकड़ लेती।​—निर्ग 14:22, 23.

10-16 अगस्त

पाएँ बाइबल का खज़ाना | निर्गमन 15-16

“गीत गाकर यहोवा की तारीफ कीजिए”

प्र95 10/15 पेज 11 पै 11

अभी सच्चे परमेश्‍वर का भय क्यों मानें?

11 जब यहोवा ने मिस्र की सेना का नाश किया, तो यहोवा के उपासक देख पाए कि वह कितना शक्‍तिशाली है और उसके नाम के दूर-दूर तक चर्चे होने लगे। (यहोशू 2:9, 10; 4:23, 24) जी हाँ, उसका नाम मिस्र के कमज़ोर, झूठे ईश्‍वरों से ऊपर उठाया गया, जो अपने उपासकों को नहीं बचा पाए। मिस्रियों ने अपने देवताओं, अपनी सेना और इंसानों पर भरोसा रखा, जिस वजह से निराशा ही उनके हाथ लगी। (भजन 146:3) जिस तरह जीवित परमेश्‍वर यहोवा ने अपने लोगों को बचाया, यह देखकर इसराएली उसकी तारीफ में गीत गाने लगे।

प्र95 10/15 पेज 11-12 पै 15-16

अभी सच्चे परमेश्‍वर का भय क्यों मानें?

15 यदि हम मूसा के साथ सुरक्षित खड़े होते, तो हम भी यह गाने को प्रेरित हुए होते: “हे यहोवा, देवताओं में कौन है जो तेरी बराबरी कर सके? कौन है जो तुझ जैसा परम-पवित्र हो? तू ऐसा परमेश्‍वर है जिसका डर माना जाए, जिसकी तारीफ में गीत गाए जाएँ, तू ही बड़े-बड़े अजूबे करता है।” (निर्गमन 15:11) उस समय से लेकर सदियों के दौरान ऐसी भावनाएँ दोहरायी गयी हैं। बाइबल की आखिरी किताब में प्रेषित यूहन्‍ना परमेश्‍वर के विश्‍वासयोग्य अभिषिक्‍त सेवकों के एक समूह का वर्णन करता है: ‘वे परमेश्‍वर के दास मूसा का गीत, और मेम्ने का गीत गाते हैं।’ यह महान गीत कौन-सा है? “हे सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर यहोवा, तेरे काम कितने महान और लाजवाब हैं। हे युग-युग के राजा, तेरी राहें कितनी नेक और सच्ची हैं। हे यहोवा, सिर्फ तू ही वफादार है, इसलिए कौन तुझसे न डरेगा और तेरे नाम की महिमा न करेगा?”​—प्रकाशितवाक्य 15:2-4.

16 आज भी दुनिया-भर में यहोवा के उपासक कई कारणों से यहोवा की महिमा करते हैं। वे न सिर्फ उसकी बनायी सृष्टि के लिए उसकी तारीफ करते हैं, बल्कि उसके नियम-सिद्धांतों की भी कदर करते हैं। यहोवा ने उन्हें झूठे धर्मों से आज़ाद किया है, अब वे इस दुनिया का हिस्सा नहीं हैं क्योंकि वे परमेश्‍वर के नियम-सिद्धांतों को मानते हैं। हर साल, लाखों लोग इस दुष्ट दुनिया से निकलकर यहोवा के शुद्ध संगठन का भाग बनते हैं। जल्द ही परमेश्‍वर झूठे धर्मों और इस दुष्ट दुनिया का नाश कर देगा। फिर यहोवा के उपासक इस धरती पर हमेशा के लिए रहेंगे।

इंसाइट-2 पेज 454 पै 1

संगीत

ऐसा मालूम होता है कि इसराएली जब भी मिलकर गीत गाते थे, तो गीत गानेवालों के दो समूह हुआ करते थे। पहले गायकों का एक समूह कुछ गाता था, फिर जवाब में दूसरा समूह गाता था। या फिर एक गायक गाने की शुरूआत करता था और जवाब में गायकों का समूह कुछ गाता था। वे पूरा गीत इसी तरह गाते थे। बाइबल में भी इसका ज़िक्र किया गया है। (निर्ग 15:21; 1शम 18:6, 7) कुछ भजन, जैसे भजन 136 इसी तरह लिखे गए थे। बाइबल में बताया गया है कि नहेमायाह के ज़माने में जब यरूशलेम की शहरपनाह का उद्‌घाटन किया गया था, तो धन्यवाद के गीत गानेवाले दो बड़े दल थे। शायद उन्होंने भी इसी तरह गीत गाया होगा।​—नहे 12:31, 38, 40-42.

इंसाइट-2 पेज 698

भविष्यवक्‍तिन

मिरयम वह पहली स्त्री है जिसे बाइबल में भविष्यवक्‍तिन कहा गया है। मिरयम ने शायद परमेश्‍वर की प्रेरणा से जो गीत गाए थे, उनके ज़रिए परमेश्‍वर ने लोगों तक अपना संदेश पहुँचाया। (निर्ग 15:20, 21) बाइबल में लिखा है कि उसने और हारून ने मूसा से कहा, “क्या [यहोवा ने] हमारे ज़रिए बात नहीं की है?” (गि 12:2) भविष्यवक्‍ता मीका के ज़रिए यहोवा ने भी कहा कि जब वह इसराएलियों को मिस्र से बाहर निकाल रहा था, तो उसने “मूसा, हारून और मिरयम” को उनके आगे-आगे भेजा था। (मी 6:4) हालाँकि मिरयम ने यहोवा के विचार लोगों तक पहुँचाए, लेकिन उसका यहोवा के साथ इतना मज़बूत रिश्‍ता नहीं था, जितना कि उसके भाई मूसा का था। जब मिरयम ने मूसा का विरोध किया, जिसे यहोवा ने अगुवा चुना था, तो यहोवा ने उसे सज़ा दी।​—गि 12:1-15.

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प्र11 9/1 पेज 14, अँग्रेज़ी

क्या आप जानते थे?

परमेश्‍वर ने वीराने में इसराएलियों को खाने के लिए बटेर क्यों दिए?

इसराएलियों के मिस्र से बाहर निकलने के बाद यहोवा ने दो मौकों पर उन्हें खाने के लिए ढेर सारे बटेर दिए।​—निर्गमन 16:13; गिनती 11:31.

बटेर एक छोटा-सा पक्षी होता है। इसकी लंबाई करीब 7 इंच (18 सें.मी.) और वज़न करीब 100 ग्राम होता है। ये पक्षी पश्‍चिमी एशिया और यूरोप के इलाकों में अपने अंडे देते हैं। बटेर प्रवासी पक्षी होते हैं और सर्दियों में उत्तरी अफ्रीका और अरब देश चले जाते हैं। प्रवास के दौरान इनके बड़े-बड़े झुंड भूमध्य सागर के पूर्वी तट से होते हुए, सीनै इलाके के ऊपर से उड़ते हुए जाते हैं।

द न्यू वेस्टमिन्स्टर डिक्शनरी ऑफ द बाइबल  के मुताबिक, बटेर “बहुत तेज़ी से और अच्छी तरह उड़ान भरते हैं। कई बार वे हवा का सहारा लेते हुए उड़ते हैं, लेकिन अगर हवा का रुख बदल जाए या फिर वे उड़ते-उड़ते थक जाएँ, तो हो सकता है कि पूरा-का-पूरा झुंड ज़मीन पर गिर जाए और कुछ समय के लिए अचेत पड़ा रहे।” अपना सफर जारी रखने से पहले उन्हें एक या दो दिन तक ज़मीन पर आराम करना पड़ता है, जिस वजह से शिकारी उन्हें आसानी से पकड़ लेते हैं। बीसवीं सदी की शुरूआत में हर साल खाने के लिए करीब 30 लाख बटेर मिस्र से दूसरे देश भेजे जा रहे थे।

दोनों मौकों पर यहोवा ने इसराएलियों को वसंत के मौसम में बटेर दिए थे। हालाँकि उस समय बटेर सीनै इलाके से होते हुए जाया करते थे, लेकिन यहोवा के तेज़ हवा चलाने की वजह से ही ये पक्षी इसराएलियों की छावनी के आस-पास गिर गए।​—गिनती 11:31.

प्र06 1/15 पेज 31

पाठकों के प्रश्‍न

मिस्र से छुटकारा पाने के थोड़े ही समय बाद, जब इस्राएली खाने के बारे में कुड़कुड़ाने लगे तो यहोवा ने उनके लिए मन्‍ना का इंतज़ाम किया। (निर्गमन 12:17, 18; 16:1-5) उस वक्‍त, मूसा ने हारून को यह हिदायत दी: “तू एक मर्तबान ले और उसमें ओमेर-भर मन्‍ना डाल और उसे यहोवा के सामने रख ताकि वह पीढ़ी-पीढ़ी तक रहे।” बाइबल आगे कहती है: “हारून ने ठीक वैसा ही किया जैसे यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी। उसने एक मर्तबान में मन्‍ना भरकर उसे एक खास संदूक [एक बक्स जिसमें ज़रूरी कागज़ात सँभालकर रखे जाते थे] के सामने रखा ताकि वह सही-सलामत रहे।” (निर्गमन 16:33, 34) इसमें कोई शक नहीं कि हारून ने उसी वक्‍त, एक मर्तबान में मन्‍ना जमा कर लिया होगा। फिर बाद में जब वाचा का संदूक बनकर तैयार हुआ और मूसा ने उसके अंदर पत्थर की पटियाएँ रखीं, तब हारून ने उसके अंदर मन्‍ना का मर्तबान भी रखा।

17-23 अगस्त

पाएँ बाइबल का खज़ाना | निर्गमन 17-18

“मर्यादा में रहनेवाले भाई दूसरों को सिखाते और ज़िम्मेदारी देते हैं”

प्र13 4/1 पेज 6

मूसा​—प्यार की मिसाल

मूसा ने अपने साथी इसराएलियों से भी प्यार किया। इसराएल के लोगों को इस बात का एहसास था कि यहोवा मूसा को उनकी अगुवाई करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है, इसलिए जब भी कोई मसला उठता, वे मूसा के पास जाते। बाइबल में हम पढ़ते हैं: “भोर से सांझ तक लोग मूसा के आसपास खड़े रहे।” (निर्गमन 18:13-16) ज़रा सोचिए, लोग मूसा के पास अपनी परेशानी लेकर आते और वह घंटों बैठकर उनकी सुनता था, इससे वह कितना थक जाता होगा। फिर भी मूसा ने खुशी-खुशी उनकी मदद की क्योंकि वह उनसे प्यार करता था।

प्र03 11/1 पेज 6 पै 2

ज़िंदगी में खुश रहने के लिए ज़रूरी है, भरोसा

ये ऐसे आदमी थे जिन्होंने ज़िम्मेदारी के पद के लिए चुने जाने से पहले ही ऐसे गुण दिखाए थे जो परमेश्‍वर को पसंद हैं। उन्होंने पहले से ही इस बात का सबूत दिया था कि वे परमेश्‍वर का भय मानते हैं; सिरजनहार के लिए उनके दिल में गहरी श्रद्धा है और वे किसी भी तरह से उसे दुःख नहीं पहुँचाना चाहते। सभी इस्राएली यह साफ-साफ देख सकते थे कि उन आदमियों ने जी-जान से परमेश्‍वर के उसूलों पर चलने की कोशिश की है। वे बेईमानी की कमाई से नफरत करते थे। इससे पता चलता है कि वे उसूलों के कितने पक्के थे, जिसकी वजह से ज़िम्मेदारी के पद पर आने के बाद भी वे भ्रष्ट नहीं होते। वे दूसरों के भरोसे का नाजायज़ फायदा उठाकर अपना और नाते-रिश्‍तेदारों या दोस्तों का स्वार्थ पूरा नहीं करते।

प्र02 5/15 पेज 25 पै 5

खराई, सीधे लोगों की अगुवाई करती है

नम्रता की एक और मिसाल है, मूसा। जब वह लोगों की समस्याएँ सुलझाते-सुलझाते पस्त हो रहा था, तो उसके ससुर, यित्रो ने उसे एक कारगर सुझाव दिया। उसने मूसा को बताया कि वह अपनी कुछ ज़िम्मेदारियाँ, दूसरे योग्य पुरुषों को सौंप दे। मूसा ने अपनी सीमा पहचानते हुए उस सुझाव को स्वीकार किया और इस तरह समझदारी दिखायी। (निर्गमन 18:17-26; गिनती 12:3) एक नम्र इंसान दूसरों को अधिकार के पद सौंपने से नहीं हिचकिचाता, न ही उसे डर रहता है कि दूसरे योग्य पुरुषों को उनकी काबिलीयत के मुताबिक कुछ ज़िम्मेदारियाँ सौंपने से वह अपना अधिकार खो बैठेगा। (गिनती 11:16, 17, 26-29) इसके बजाय, ऐसा इंसान आध्यात्मिक बातों में तरक्की करने में दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहता है। (1 तीमुथियुस 4:15) क्या हमें भी ऐसा नहीं करना चाहिए?

ढूँढ़ें अनमोल रत्न

प्र16.09 पेज 6 पै 14

‘तेरे हाथ ढीले न पड़ें’

14 जब इसराएली अमालेकियों से लड़ रहे थे तब हारून और हूर ने मूसा के हाथों को सहारा देकर उन्हें मज़बूत किया था। आज हम भी दूसरों को सहारा देने और उनकी मदद करने के अलग-अलग तरीके ढूँढ़ सकते हैं। हमारे भाई-बहन कई तकलीफों से गुज़रते हैं। जैसे ढलती उम्र, खराब सेहत, परिवार से विरोध, अकेलापन और किसी अपने को मौत में खोना। हम नौजवानों की भी हिम्मत बँधा सकते हैं जिन पर गलत काम करने और इस दुनिया में नाम कमाने का दबाव आता है। (1 थिस्स. 3:1-3; 5:11, 14) जब आप अपने भाई-बहनों के साथ राज-घर में या प्रचार में होते हैं या फिर उनके साथ खाना खा रहे होते हैं या उनसे फोन पर बात कर रहे होते हैं, तो उनमें सच्ची दिलचस्पी लीजिए और उनका हौसला बढ़ाइए।

इंसाइट-1 पेज 406

संग्रह

बाइबल से इस बात का साफ सबूत मिलता है कि मूसा की जो किताबें पवित्र शास्त्र का हिस्सा हैं, वे परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में लिखी गयी थीं। इनसे हम जान सकते हैं कि परमेश्‍वर की शुद्ध उपासना कैसे की जानी है। मूसा अपनी इच्छा से इसराएलियों का अगुवा नहीं बना था। यहाँ तक कि जब यहोवा ने उससे इसराएलियों का अगुवा बनने के लिए कहा, तो उसने इनकार कर दिया था। (निर्ग 3:10, 11; 4:10-14) परमेश्‍वर ने मूसा को यह ज़िम्मेदारी दी थी और चमत्कार करने की ज़बरदस्त शक्‍ति भी। यही वजह थी कि जब फिरौन के दरबार में जादू-टोना करनेवाले पुजारियों ने मूसा को चमत्कार करते हुए देखा, तो उन्हें मानना पड़ा कि उसने परमेश्‍वर की शक्‍ति से ही ऐसा किया था। (निर्ग 4:1-9; 8:16-19) तो यह कहा जा सकता है कि मूसा किताबें लिखने या लोगों को निर्देश देने की चाहत नहीं रखता था। इसके बजाय परमेश्‍वर ने उसे ऐसा करने की आज्ञा दी थी। पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में ही मूसा ने यहोवा की तरफ से बात की और फिर वे किताबें लिखीं जो बाइबल के संग्रह का हिस्सा हैं।​—निर्ग 17:14.

24-30 अगस्त

पाएँ बाइबल का खज़ाना | निर्गमन 19-20

“दस आज्ञाएँ हमारे लिए क्या मायने रखती हैं?”

प्र89 11/15 पेज 6 पै 1, अँग्रेज़ी

दस आज्ञाएँ हमारे लिए क्या मायने रखती हैं?

पहली चार आज्ञाएँ यहोवा और उसकी सेवा से नाता रखती हैं। (पहली) यहोवा चाहता है कि हम सिर्फ उसी की भक्‍ति करें। (मत्ती 4:10) (दूसरी) उसके उपासकों को मूर्तियों की पूजा नहीं करनी चाहिए। (1 यूहन्‍ना 5:21) (तीसरी) हमें परमेश्‍वर का नाम हमेशा आदर से लेना चाहिए। (यूहन्‍ना 17:26; रोमियों 10:13) (चौथी) हमें यहोवा की सेवा को अपनी ज़िंदगी में सबसे ज़्यादा अहमियत देनी चाहिए। ऐसा करके हम खुद की इच्छाओं से ज़्यादा यहोवा की उपासना पर ध्यान दे रहे होंगे और इस तरह मानो “सब्त का दिन” मना रहे होंगे।​—इब्रानियों 4:9, 10.

प्र89 11/15 पेज 6 पै 2-3, अँग्रेज़ी

दस आज्ञाएँ हमारे लिए क्या मायने रखती हैं?

(पाँचवीं) अगर बच्चे अपने माता-पिता की आज्ञा मानें, तो इससे परिवार में एकता होगी और यहोवा की आशीष होगी। यह ऐसी “पहली आज्ञा है जिसके साथ [एक बढ़िया] वादा भी किया गया है।” माता-पिता की आज्ञा मानने से ‘हमारा भला होगा’ और ‘हम धरती पर लंबी उम्र जीएँगे।’ (इफिसियों 6:1-3) यह वादा आज इस दुष्ट दुनिया के “आखिरी दिनों” में नौजवानों के लिए और भी मायने रखता है। अगर वे इस आज्ञा को मानें, तो उन्हें मौत का मुँह कभी नहीं देखना पड़ेगा।​—2 तीमुथियुस 3:1; यूहन्‍ना 11:26.

अगर हम अपने पड़ोसी से प्यार करते हैं, तो हम ऐसा कोई काम नहीं करेंगे, जिससे उसे नुकसान पहुँचे, जैसे (छठी) खून करना, (सातवीं) व्यभिचार करना, (आठवीं) चोरी करना और (नौवीं) उसके खिलाफ झूठी गवाही देना। (1 यूहन्‍ना 3:10-12; इब्रानियों 13:4; इफिसियों 4:28; मत्ती 5:37; नीतिवचन 6:16-19) लेकिन क्या ये आज्ञाएँ सिर्फ हमारे कामों तक सीमित हैं? या फिर इनसे हमें अपने इरादों की जाँच करने का भी बढ़ावा मिलता है? कानून में दी (दसवीं) आज्ञा हमें किसी और की चीज़ का लालच करने से रोकती है। इससे हम सीखते हैं कि यहोवा चाहता है कि हमारे इरादे हमेशा उसकी नज़र में सही हों।​—नीतिवचन 21:2.

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इंसाइट-2 पेज 687 पै 1-2

याजक

मसीह का याजकपद। यहोवा ने इसराएलियों से वादा किया था कि अगर वे उससे किए करार के मुताबिक जीएँ, तो वे ‘याजकों से बना राज और एक पवित्र राष्ट्र बन जाएँगे।’ (निर्ग 19:6) लेकिन हारून और उसके बेटों का याजकपद भविष्य में आनेवाले एक बेहतरीन याजकपद की बस एक छाया था। (इब्र 8:4, 5) हारून का याजकपद सिर्फ तब तक रहता जब तक कि मूसा का कानून रद्द नहीं हो जाता और नया करार लागू नहीं होता। (इब्र 7:11-14; 8:6, 7, 13) यहोवा के राज में याजकों के तौर पर सेवा करने का मौका सबसे पहले इसराएल राष्ट्र को दिया गया था, लेकिन आगे चलकर गैर-यहूदियों को भी यह मौका दिया गया।​—प्रेष 10:34, 35; 15:14; रोम 10:21.

ज़्यादातर यहूदियों ने मसीह पर विश्‍वास नहीं किया, इसलिए इसराएल राष्ट्र स्वर्ग में  याजकों से बना राज और पवित्र राष्ट्र बनने से चूक गया। (रोम 11:7, 20) इसराएल राष्ट्र बार-बार यहोवा के खिलाफ जा रहा था, इसलिए यहोवा ने भविष्यवक्‍ता होशे के ज़रिए उन्हें चेतावनी दी थी, “तुम लोगों ने ज्ञान को ठुकरा दिया है, इसलिए मैं भी तुम्हें ठुकरा दूँगा और तुम याजकों के नाते मेरी सेवा न कर सकोगे। तुम अपने परमेश्‍वर का कानून भूल गए हो, इसलिए मैं भी तुम्हारे बेटों को भूल जाऊँगा।” (हो 4:6) कुछ इसी तरह यीशु ने भी यहूदी धर्म-गुरुओं से कहा, “परमेश्‍वर का राज तुमसे ले लिया जाएगा और एक ऐसे राष्ट्र को दे दिया जाएगा, जो राज के योग्य फल पैदा करता है।” (मत 21:43) फिर भी जब तक यीशु धरती पर था, उसने कानून का पालन किया और अपने कामों से ज़ाहिर किया कि वह हारून के याजकपद का आदर करता है। उदाहरण के लिए, जब यीशु ने लोगों का कोढ़ दूर किया, तो उसने उनसे कहा कि वे याजकों के पास जाएँ और शुद्ध होने के लिए भेंट चढ़ाएँ।​—मत 8:4; मर 1:44; लूक 17:14.

प्र04 3/15 पेज 27 पै 1

निर्गमन किताब की झलकियाँ

20:5​—इसका मतलब क्या है कि यहोवा “पितरों का दण्ड” बाद की पीढ़ियों को देता है? एक सयाने इंसान का न्याय खुद उसके चालचलन और रवैए के मुताबिक किया जाता है। लेकिन जब पूरी-की-पूरी इस्राएल जाति मूर्तिपूजा करने लगी, तो आनेवाली कई पीढ़ियों को इस पाप के बुरे अंजाम भुगतने पड़े। यहाँ तक कि इसका असर वफादार लोगों पर भी पड़ा, क्योंकि जब पूरी जाति झूठे धर्म में डूबी हुई थी तो ऐसे माहौल में उन्हें अपनी खराई बनाए रखने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा। इस मायने में इस्राएल जाति के पाप की वजह से उन्हें भी बुरे अंजाम सहने पड़े।

31 अगस्त–6 सितंबर

पाएँ बाइबल का खज़ाना | निर्गमन 21-22

“जीवन के बारे में यहोवा के जैसा नज़रिया रखिए”

इंसाइट-1 पेज 271

पीटना

अगर एक इब्री का दास उसकी बात नहीं मानता या उससे बगावत करता, तो वह उसे छड़ी से मार सकता था। लेकिन अगर उसकी पिटाई की वजह से दास की मौत हो जाती, तो मालिक को सज़ा दी जानी थी। पर अगर दास एक-दो दिन तक ज़िंदा रहता, तो इससे साबित हो जाता कि मालिक का उसे जान से मार डालने का इरादा नहीं था। मालिक के पास दास को सज़ा देने का हक था, क्योंकि वह उसकी “संपत्ति” था। कोई भी आदमी जानबूझकर अपनी कीमती संपत्ति को हानि नहीं पहुँचाता, क्योंकि इससे उसी का नुकसान होता। अगर दास की मौत एक-दो दिन बाद होती, तो यह कहना मुश्‍किल होता कि उसकी मौत मालिक के पीटने की वजह से हुई थी या किसी और वजह से। इस वजह से अगर वह एक-दो दिन तक ज़िंदा रहता, तो मालिक को सज़ा नहीं दी जाती।​—निर्ग 21:20, 21.

प्यार के लायक पेज 95 पै 16

परमेश्‍वर की तरह क्या आप जीवन को अनमोल समझते हैं?

16 यहोवा के लिए हर इंसान की जान कीमती है, यहाँ तक कि गर्भ में पल रहे बच्चे की जान भी। मूसा के कानून में बताया गया था कि अगर एक व्यक्‍ति गलती से किसी गर्भवती स्त्री को चोट पहुँचाए और वह स्त्री या उसका बच्चा मर जाए, तो यहोवा उस व्यक्‍ति को हत्या का दोषी ठहराएगा। भले ही उसने जानबूझकर ऐसा नहीं किया, फिर भी उसकी गलती से किसी की जान गयी, इसलिए बदले में उसे भी प्राणदंड मिलता। (निर्गमन 21:22, 23 पढ़िए।) यहोवा की नज़र में अजन्मा बच्चा भी एक जीवित व्यक्‍ति है। तो फिर गर्भपात के बारे में क्या कहा जा सकता है? जब यहोवा देखता है कि हर साल लाखों बच्चों को गर्भ में ही मार डाला जाता है, तो उसे कैसा लगता होगा?

प्र10 4/15 पेज 29 पै 4

यहोवा आपकी सलामती चाहता है

मूसा के कानून में इस तरह के नियम पालतू जानवरों के मामले में भी दिए गए थे। अगर एक बैल के सींग मारने से किसी की मौत हो जाती, तो बैल के मालिक को चाहिए था कि वह उस बैल को मार डाले ताकि वह किसी और को नुकसान न पहुँचा सके। बैल का मालिक न तो उसका माँस खा सकता था, न ही दूसरों को बेच सकता था इसलिए उसे काफी नुकसान सहना पड़ता था। लेकिन मान लीजिए, अगर एक बैल ने किसी इंसान को घायल किया हो और इसके बावजूद भी उस बैल के मालिक ने उसे बाँधकर नहीं रखा, तब क्या? अगर वही बैल बाद में किसी को मार डाले, तो यह नियम था कि बैल और उसके मालिक, दोनों को मार डाला जाए। इस नियम की वजह से कोई भी अपने मवेशियों के मामले में लापरवाही नहीं बरतता।​—निर्ग. 21:28, 29.

ढूँढ़ें अनमोल रत्न

प्र10 1/15 पेज 4 पै 4-5

हमें अपनी ज़िंदगी यहोवा को क्यों समर्पित करनी चाहिए?

4 मसीही समर्पण एक गंभीर बात है। यह किसी का साथ निभाने या कोई काम करने के वादे से कहीं बढ़कर है। फिर भी इस तरह के वादों से जो फायदे मिलते हैं, वैसे ही फायदे हमें समर्पण करने से भी मिलते हैं। ये फायदे क्या हैं? यह जानने के लिए आइए इंसानी रिश्‍तों की एक मिसाल लें। वह है दोस्ती की। इससे फायदे पाने के लिए आपको भी एक दोस्त होने की ज़िम्मेदारी निभानी होगी। जैसे, अपने दोस्त की देखभाल करने को अपना फर्ज़ समझना। बाइबल में बेजोड़ दोस्ती के कई उदाहरण दिए गए हैं। उनमें से एक है, दाविद और योनातन की दोस्ती। उनकी दोस्ती इतनी गहरी थी कि उन्होंने एक-दूसरे का साथ कभी न छोड़ने का करार भी किया। (1 शमूएल 17:57; 18:1, 3 पढ़िए।) हालाँकि आज ऐसी दोस्ती बहुत कम देखने को मिलती है, फिर भी जब दो दोस्त एक-दूसरे की देखभाल करने के फर्ज़ को कभी नहीं भूलते, तो उनकी दोस्ती दिनों-दिन, सालों-साल और भी मज़बूत होती जाती है।​—नीति. 17:17; 18:24.

5 मसीही समर्पण का दूसरा फायदा हमें एक और रिश्‍ते से पता चलता है, जिसके बारे में इसराएलियों को दिए कानून में बताया गया था। वह था, एक मालिक और दास का रिश्‍ता। अगर मालिक अच्छा होता, तो एक दास उसकी सेवा करने में सुरक्षित महसूस करता। अगर वह अपने मालिक को नहीं छोड़ना चाहता, बल्कि ज़िंदगी-भर उसकी सेवा करना चाहता, तो उसे अपने मालिक के साथ करार करना होता। कानून में लिखा था: “अगर दास जाने से इनकार कर दे और कहे, ‘मैं अपने मालिक से और अपने बीवी-बच्चों से बहुत प्यार करता हूँ इसलिए मैं आज़ाद नहीं होना चाहता,’ तो मालिक को चाहिए कि वह दास को दरवाज़े या चौखट के पास ले जाए और एक सुए से उसका कान छेद दे। सच्चा परमेश्‍वर इसका गवाह होगा और वह दास ज़िंदगी-भर के लिए अपने मालिक का हो जाएगा।”​—निर्ग. 21:5, 6.

इंसाइट-1 पेज 1143

सींग

निर्गमन 21:14 में लिखी बात का यह मतलब हो सकता है कि अगर एक याजक किसी का खून कर देता, तो उसे भी मौत की सज़ा दी जाती। या फिर इसका यह मतलब हो सकता है कि अगर कोई जानबूझकर किसी की जान ले लेता और जाकर वेदी के सींग पकड़ लेता, तो भी वह बच नहीं सकता था।​—1रा 2:28-34 से तुलना करें।

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