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परमेश्वर की तरह क्या आप भी जीवन को अनमोल समझते हैं?“खुद को परमेश्वर के प्यार के लायक बनाए रखो”
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16. गर्भपात करवाना बाइबल के किस सिद्धांत के मुताबिक गलत है? (फुटनोट भी देखिए।)
16 यहाँ तक कि अजन्मे शिशु की जान भी परमेश्वर की नज़र में अनमोल है। प्राचीन इसराएल में अगर कोई किसी गर्भवती औरत को चोट पहुँचाता और इस वजह से वह औरत या उसका बच्चा मर जाता तो चोट पहुँचानेवाला, परमेश्वर की नज़र में कातिल ठहरता और उसे ‘जान के बदले जान’ देनी होती थी।c (निर्गमन 21:22, 23 पढ़िए।) ज़रा सोचिए, आज यहोवा को यह देखकर कैसा लगता होगा कि हर साल ऐसे अनगिनत बच्चों को गर्भपात से जानबूझकर मार डाला जाता है, क्योंकि वे या तो नाजायज़ संबंधों का अंजाम होते हैं या उन्हें आज़ादी में रोड़ा समझा जाता है!
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परमेश्वर की तरह क्या आप भी जीवन को अनमोल समझते हैं?“खुद को परमेश्वर के प्यार के लायक बनाए रखो”
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c कुछ बाइबलों में इस आयत का अनुवाद इस तरह किया गया है कि सिर्फ माँ की मौत होने पर ही चोट पहुँचानेवाले को मौत की सज़ा दी जाए। मगर बाइबल के शब्दों का अध्ययन करनेवाले कहते हैं कि इब्रानी पाठ में यह आयत जिस तरह से लिखी गयी है उससे “यह मतलब निकलना नामुमकिन है कि इसमें सिर्फ औरत को चोट लगने पर सज़ा देने की बात कही गयी है।” यह भी गौर कीजिए कि इस आयत के मुताबिक गर्भवती औरत को चोट पहुँचानेवाले की सज़ा इस बात से तय नहीं होती थी कि गर्भ कितने महीने का था। अगर जान ली गयी, तो बदले में जान देनी पड़ती थी।
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