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  • “तुम्हारा एक ही नेता” है—मसीह

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  • “तुम्हारा एक ही नेता” है—मसीह
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2010
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  • इसराएल का आध्यात्मिक प्रधान
  • भविष्यवाणी में बताया गया प्रधान प्रकट हुआ
  • मसीही मंडली का निगरान
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2010
w10 9/15 पेज 21-25

“तुम्हारा एक ही नेता” है—मसीह

“न . . . तुम ‘नेता’ कहलाना, क्योंकि तुम्हारा एक ही नेता या अगुवा है, मसीह।”—मत्ती 23:9, 10.

1. यहोवा के साक्षी किसे अपना नेता मानते हैं और क्यों?

ईसाईजगत के चर्चों में इंसानी नेता होते हैं, जैसे रोम का पोप। उसी तरह पूर्वी ऑर्थोडॉक्स चर्चों के प्रमुख होते हैं, जैसे पेट्रियाक्स और मैट्रोपॉलिटन्स। इसके अलावा दूसरे धर्मों के भी अपने-अपने मुखिया होते हैं। मगर यहोवा के साक्षी किसी इंसान को अपना नेता या अगुवा नहीं मानते। वे किसी इंसान के चेले या अनुयायी नहीं हैं। यह बात यहोवा की उस भविष्यवाणी से मेल खाती है जो उसने अपने बेटे के बारे में की थी: “सुनो, मैं ने उसको राज्य राज्य के लोगों के लिये साक्षी और प्रधान और आज्ञा देनेवाला ठहराया है।” (यशा. 55:4) पूरी दुनिया में अभिषिक्‍त मसीहियों की मंडली और उनकी साथी “दूसरी भेड़ें” यहोवा के ठहराए नेता के अलावा किसी और को अपना नेता नहीं चाहतीं। (यूह. 10:16) वे यीशु की इस बात से सहमत होती हैं: “तुम्हारा एक ही नेता या अगुवा है, मसीह।”—मत्ती 23:10.

इसराएल का आध्यात्मिक प्रधान

2, 3. इसराएल में परमेश्‍वर के बेटे ने क्या अहम भूमिका निभायी?

2 मसीही मंडली की शुरूआत के सदियों पहले यहोवा ने इसराएलियों पर एक स्वर्गदूत को अगुवा ठहराया। इसराएलियों को मिस्र से बाहर निकालने के बाद यहोवा ने उनसे कहा: “मैं एक दूत तेरे आगे आगे भेजता हूं जो मार्ग में तेरी रक्षा करेगा, और जिस स्थान को मैं ने तैयार किया है उस में तुझे पहुंचाएगा। उसके साम्हने सावधान रहना, और उसकी मानना, उसका विरोध न करना, क्योंकि वह तुम्हारा अपराध क्षमा न करेगा; इसलिये कि उस में मेरा नाम रहता है।” (निर्ग. 23:20, 21) इसमें दो राय नहीं कि यह स्वर्गदूत परमेश्‍वर का पहिलौठा था क्योंकि उसमें ‘यहोवा का नाम रहता’ था।

3 इंसान के रूप में जन्म लेने से पहले परमेश्‍वर के बेटे का नाम मीकाएल था। दानिय्येल की किताब में मीकाएल को “[दानिय्येल का] प्रधान” यानी इसराएलियों का प्रधान कहा गया है। (दानि. 10:21) चेला यहूदा बताता है कि दानिय्येल के ज़माने से कहीं पहले मीकाएल ने इसराएलियों की मदद की थी। मूसा की मौत के बाद शैतान उसकी लाश को किसी तरह अपने मतलब के लिए इस्तेमाल करना चाहता था, शायद उसके ज़रिए वह इसराएलियों से मूर्तिपूजा करवाना चाहता था। मगर मीकाएल ने उसे ऐसा नहीं करने दिया। यहूदा बताता है: “जब प्रधान स्वर्गदूत मीकाएल की मूसा की लाश के मामले में शैतान के साथ बहस हुई, तो उसने शैतान के खिलाफ बेइज़्ज़ती करनेवाले शब्दों का इस्तेमाल कर उसे दोषी ठहराने की जुर्रत नहीं की बल्कि यह कहा: ‘यहोवा तुझे डाँटे।’” (यहू. 9) कुछ समय बाद यरीहो की घेराबंदी से पहले यहोशू के सामने “यहोवा की सेना का [जो] प्रधान” प्रकट हुआ और जिसने यकीन दिलाया कि परमेश्‍वर उसकी मदद ज़रूर करेगा, वह प्रधान मीकाएल ही था। (यहोशू 5:13-15 पढ़िए।) एक बार जब एक स्वर्गदूत दानिय्येल को खास संदेश देने जा रहा था, तो उसे एक प्रधान दुष्ट स्वर्गदूत ने रोकना चाहा, तब प्रधान स्वर्गदूत मीकाएल ने आकर उसकी मदद की।—दानि. 10:5-7, 12-14.

भविष्यवाणी में बताया गया प्रधान प्रकट हुआ

4. आनेवाले मसीहा के बारे में क्या भविष्यवाणी की गयी थी?

4 इस घटना से पहले यहोवा ने अपने स्वर्गदूत जिब्राईल को भविष्यवक्‍ता दानिय्येल के पास “अभिषिक्‍त प्रधान” के आने के बारे में भविष्यवाणी करने भेजा। (दानि. 9:21-25)a और नियुक्‍त समय पर यानी ईसवी सन्‌ 29 में यूहन्‍ना ने यीशु को बपतिस्मा दिया। यीशु पर पवित्र शक्‍ति उँडेली गयी और वह अभिषिक्‍त मसीहा बन गया। (मत्ती 3:13-17; यूह. 1:29-34; गला. 4:4) इस तरह वह एक ऐसा प्रधान बनता जिसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती थी।

5. मसीह ने धरती पर प्रचार के दौरान कैसे एक प्रधान की भूमिका अदा की?

5 यीशु ने धरती पर जब अपनी सेवा शुरू की तब से उसने दिखाया कि वही “अभिषिक्‍त प्रधान” है। उसने जल्द ही चेलों को इकट्ठा करना शुरू किया और अपना पहला चमत्कार किया। (यूह. 1:35–2:11) यीशु ने इसराएल के कोने-कोने तक राज की खुशखबरी का ऐलान किया और चेले उसके साथ रहे। (लूका 8:1) उसने चेलों को प्रचार काम का प्रशिक्षण दिया और प्रचार करने और सिखाने में अगुवाई लेकर खुद को एक अच्छा प्रधान साबित किया। (लूका 9:1-6) आज मसीही प्राचीनों को भी उसके उदाहरण पर चलना चाहिए।

6. किस तरह मसीह अच्छा अगुवा और चरवाहा साबित हुआ?

6 यीशु ने अगुवाई करने के अपने तरीके की तुलना एक प्यारे चरवाहे से की। पूर्वी देशों के चरवाहे वाकई अपनी भेड़ों की अगुवाई करते हैं। डब्ल्यू. एम. थॉमसन ने अपनी किताब द लैंड एंड द बुक में लिखा: “चरवाहा भेड़ों के आगे-आगे चलता है और उन्हें न सिर्फ रास्ता दिखाता है बल्कि यह भी देखता है कि रास्ता सही और सुरक्षित है। . . . अपनी छड़ी से रास्ता दिखाता हुआ वह उन्हें हरी-हरी घास के मैदानों की तरफ ले जाता है और जंगली जानवरों से बचाता है।” यीशु खुद को हमारा सच्चा चरवाहा और अगुवा बताते हुए कहता है: “बेहतरीन चरवाहा मैं हूँ। बेहतरीन चरवाहा भेड़ों की खातिर अपनी जान दे देता है। मेरी भेड़ें मेरी आवाज़ सुनती हैं और मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरे पीछे-पीछे चलती हैं।” (यूह. 10:11, 27) अपनी बात के मुताबिक यीशु ने अपनी भेड़ों की खातिर अपनी जान दे दी लेकिन यहोवा ने “उसे ही प्रमुख और उद्धारकर्ता के रूप में” जी उठाया।—प्रेषि. 5:31, ईज़ी-टू-रीड वर्शन; इब्रा. 13:20.

मसीही मंडली का निगरान

7. यीशु किसकी मदद से मसीही मंडलियों की निगरानी करता है?

7 स्वर्ग जाने से कुछ ही समय पहले पुनरुत्थान पाए यीशु ने अपने चेलों से कहा: “स्वर्ग में और धरती पर सारा अधिकार मुझे दिया गया है।” (मत्ती 28:18) यहोवा ने यीशु को पवित्र शक्‍ति दी ताकि वह सच्चाई की राह पर चल रहे अपने चेलों को मज़बूत कर सके। (यूह. 15:26) ईसवी सन्‌ 33 में पिन्तेकुस्त के दिन यीशु ने शुरूआती मसीहियों पर यह पवित्र शक्‍ति उँडेली। (प्रेषि. 2:33) तभी से मसीही मंडली की शुरूआत हुई। यहोवा ने अपने बेटे को स्वर्ग में अधिकार दिया ताकि वह धरती पर मसीही मंडलियों की अगुवाई कर सके। (इफिसियों 1:22; कुलुस्सियों 1:13, 18 पढ़िए।) स्वर्गदूतों को यीशु के “अधीन” किया गया है और वह उनकी साथ ही यहोवा की पवित्र शक्‍ति की मदद से मंडलियों को मार्गदर्शन देता है।—1 पत. 3:22.

8. पहली सदी में यीशु ने धरती पर अपने चेलों की अगुवाई के लिए किसे इस्तेमाल किया और आज किसे इस्तेमाल कर रहा है?

8 पवित्र शक्‍ति की मदद से ही मसीह ने मंडली में “आदमियों के रूप में तोहफे” भी दिए हैं, जिनमें कुछ “चरवाहे और शिक्षक” हैं। (इफि. 4:8, 11) प्रेषित पौलुस ने मसीही निगरानों से गुज़ारिश की: “तुम अपनी और पूरे झुंड की चौकसी करो जिसके बीच पवित्र शक्‍ति ने तुम्हें निगरानी करनेवाले ठहराया है कि तुम परमेश्‍वर की उस मंडली की चरवाहों की तरह देखभाल करो।” (प्रेषि. 20:28) जब मसीही मंडली की शुरूआत हुई, तब सभी निगरान पवित्र शक्‍ति से अभिषिक्‍त थे। यरूशलेम की मंडली के प्रेषित और प्राचीन, शासी निकाय के तौर पर काम करते थे। इन्हीं की मदद से मसीह ने धरती पर अपने अभिषिक्‍त ‘भाइयों’ की अगुवाई की। (इब्रा. 2:11; प्रेषि. 16:4, 5) इस अंत के समय में मसीह ने “अपनी सारी संपत्ति” यानी धरती पर राज से जुड़ी सारी चीज़ें अभिषिक्‍त पुरुषों के समूह, ‘विश्‍वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास’ को सौंप दी हैं और इस दास का प्रतिनिधि शासी निकाय कहलाता है। (मत्ती 24:45-47) अभिषिक्‍त और उनकी साथी दूसरी भेड़ें यह पहचानती हैं कि आज के शासी निकाय के निर्देशन में चलने का मतलब है, अपने अगुवे मसीह के निर्देशन में चलना।

मसीह प्रचार काम में पहल करता है

9, 10. राज की खुशखबरी फैलाने के लिए मसीही ने कैसे अगुवाई की?

9 यीशु ने शुरू से ही दुनिया भर में होनेवाले प्रचार और सिखाने के काम में अगुवाई की। उसने एक इंतज़ाम किया जिसके तहत राज की खुशखबरी धरती पर रहनेवाले सभी लोगों को सुनायी जा सके। अपनी सेवा के दौरान उसने प्रेषितों को निर्देश दिया: “गैर-यहूदियों के इलाकों में न जाना, न ही सामरिया के किसी शहर में दाखिल होना। इसके बजाय, इसराएल के घराने की खोयी हुई भेड़ों के पास ही जाना। जहाँ जाओ वहाँ यह कहकर प्रचार करना, ‘स्वर्ग का राज पास आ गया है।’” (मत्ती 10:5-7) प्रेषितों ने खासकर ईसवी सन्‌ 33 के पिन्तेकुस्त के बाद बड़े जोश के साथ यहूदी और यहूदी धर्म अपनानेवालों को प्रचार किया।—प्रेषि. 2:4, 5, 10, 11; 5:42; 6:7.

10 बाद में पवित्र शक्‍ति की मदद से यीशु ने सामरिया और दूसरे गैर यहूदियों तक भी राज का संदेश पहुँचाया। (प्रेषि. 8:5, 6, 14-17; 10:19-22, 44, 45) दूसरे राष्ट्रों में राज की खुशखबरी फैलाने के मकसद से खुद यीशु ने तरसुस के शाऊल को मसीही बनने के लिए उभारा। यीशु ने अपने चेले हनन्याह को यह निर्देश दिया: “उठ, और उस गली को जा जो सीधी कहलाती है, और वहाँ यहूदा के घर में शाऊल नाम के आदमी का पता लगा जो तरसुस का रहनेवाला है। . . . तू रवाना हो जा, क्योंकि यह आदमी मेरा चुना हुआ पात्र है जो गैर-यहूदियों, साथ ही राजाओं और इसराएलियों के पास मेरा नाम ले जाएगा।” (प्रेषि. 9:3-6, 10, 11, 15) “यह आदमी” प्रेषित पौलुस बना।—1 तीमु. 2:7.

11. मसीह ने कैसे पवित्र शक्‍ति की मदद से प्रचार काम को फैलाया?

11 जब गैर यहूदियों में राज की खबर फैलाने का वक्‍त आया, तो स्वर्ग से पौलुस को निर्देश मिला कि वह मिशनरी यात्रा के लिए एशिया माइनर और फिर यूरोप जाए। इस वाकए के बारे में लूका ने प्रेषितों की किताब में लिखा: “जब ये [सीरिया के अंताकिया के मसीही भविष्यवक्‍ता और शिक्षक] यहोवा की सेवा करने और उपवास करने में लगे हुए थे, तो पवित्र शक्‍ति ने कहा: ‘सब लोगों में से मेरे लिए बरनबास और शाऊल को उस काम के लिए अलग करो, जिसके लिए मैंने उन्हें बुलाया है।’ तब उन्होंने उपवास और प्रार्थना की और उन पर हाथ रखे और उन्हें रवाना कर दिया।” (प्रेषि. 13:2, 3) खुद यीशु ने तरसुस के शाऊल को अपना “चुना हुआ पात्र” कहा, जो उसके नाम की गवाही देता। इसलिए प्रचार काम में यह नया मोड़, बेशक मंडली के अगुवे, मसीह की बदौलत आया। उसने पवित्र शक्‍ति की मदद से इस काम को निर्देशित किया जो पौलुस की दूसरी मिशनरी यात्रा से साफ ज़ाहिर होता है। बाइबल बताती है कि “यीशु ने पवित्र शक्‍ति के ज़रिए” पौलुस और उसके साथियों को निर्देशित किया कि उन्हें किस दिशा में जाना है और एक दर्शन में उन्हें यूरोप जाने की प्रेरणा मिली।—प्रेषितों 16:6-10 पढ़िए।

अपनी मंडली पर यीशु की अगुवाई

12, 13. प्रकाशितवाक्य की किताब कैसे दिखाती है कि मंडलियों में जो कुछ होता है, मसीह को उसकी पूरी जानकारी है?

12 पहली सदी में यीशु के अभिषिक्‍त चेलों से जो मंडलियाँ बनी थीं, उनमें हो रहे हर काम से यीशु अच्छी तरह वाकिफ था। यीशु बड़ी बारीकी से हर मंडली की आध्यात्मिक हालत जानता था, जो प्रकाशितवाक्य के दूसरे और तीसरे अध्याय को पढ़ने से साफ पता चलता है। उसमें वह एशिया माइनर की सात मंडलियों का नाम लेकर उनका ज़िक्र करता है। (प्रका. 1:11) इससे ज़ाहिर हो जाता है कि यीशु उस वक्‍त धरती पर की बाकी मंडलियों की आध्यात्मिक हालत के बारे में भी बखूबी जानता था।—प्रकाशितवाक्य 2:23 पढ़िए।

13 यीशु ने कुछ मंडलियों को उनके धीरज, मुसीबतों के दौर में वफादारी, उसके वचन के प्रति ईमानदारी और धर्मत्यागी लोगों को ठुकराने के लिए शाबाशी दी। (प्रका. 2:2, 9, 13, 19; 3:8) इसके विपरीत उसने कई मंडलियों को कड़ी ताड़ना दी क्योंकि यीशु के लिए उनका प्यार ठंडा हो गया था, वे मूर्तिपूजा और व्यभिचार होने दे रहे थे और तरह-तरह के पंथों को बरदाश्‍त कर रहे थे। (प्रका. 2:4, 14, 15, 20; 3:15, 16) एक प्यारा निगरान होने के नाते जिन्हें यीशु ने ताड़ना दी थी, उनसे उसने यह भी कहा: “जिनसे मैं गहरा लगाव रखता हूँ उन सभी को मैं ताड़ना और अनुशासन देता हूँ। इसलिए जोशीला बन और पश्‍चाताप कर।” (प्रका. 3:19) हालाँकि यीशु स्वर्ग में था, मगर उसने पवित्र शक्‍ति के ज़रिए धरती पर अपने चेलों की मंडलियों की अगुवाई की। मंडलियों को अपना संदेश देने के बाद यीशु ने आखिर में कहा: “कान लगाकर सुनो और समझने की कोशिश करो कि पवित्र शक्‍ति मंडलियों से क्या कहती है।”—प्रका. 3:22.

14-16. (क) धरती पर यहोवा के लोगों के लिए यीशु कैसे एक बहादुर अगुवा साबित हुआ? (ख) यीशु का “दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्‍त तक हमेशा” अपने चेलों के “साथ” रहने का क्या नतीजा हुआ? (ग) अगले लेख में किस बात पर चर्चा की जाएगी?

14 हमने इस लेख में देखा कि स्वर्गदूत के रूप में मीकाएल (यीशु) इसराएल का एक बहादुर अगुवा साबित हुआ। बाद में वह पहली सदी के चेलों के लिए एक साहसी अगुवा और प्यारा चरवाहा बना। उसने धरती पर अपनी सेवा के दौरान प्रचार काम की अगुवाई की और दोबारा जी उठने के बाद राज की खुशखबरी फैलाने में बेहतरीन तरीके से निगरानी की।

15 पवित्र शक्‍ति की मदद से यीशु आखिरकार प्रचार काम धरती की एक छोर से दूसरी छोर तक फैलाएगा। स्वर्ग जाने से पहले यीशु ने अपने चेलों से कहा था: “लेकिन जब तुम पर पवित्र शक्‍ति आएगी, तो तुम ताकत पाओगे, और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया देश में यहाँ तक कि दुनिया के सबसे दूर के इलाकों में मेरे बारे में गवाही दोगे।” (प्रेषि. 1:8; 1 पतरस 1:12 पढ़िए।) जैसा कि यीशु ने कहा था, उसके निर्देशन में पहली सदी के दौरान ज़बरदस्त गवाही दी गयी।—कुलु. 1:23.

16 लेकिन यीशु ने यह भी ज़ाहिर किया कि प्रचार का काम अंत तक चलता रहेगा। अपने चेलों को प्रचार करने और सभी राष्ट्र के लोगों को चेला बनाने की आज्ञा देने के बाद उसने उनसे वादा किया: “मैं दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्‍त तक हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।” (मत्ती 28:19, 20) सन्‌ 1914 में राजा की हैसियत से ज़िम्मेदारी मिलने के बाद, मसीह पहले से कहीं ज्यादा अपने चेलों के “साथ” है और अगुवे के तौर पर बखूबी अपना भाग अदा कर रहा है। तो सन्‌ 1914 के बाद से उसने किस ज़ोर-शोर से काम किया है, उसकी चर्चा हम अगले लेख में करेंगे।

[फुटनोट]

a इस भविष्यवाणी पर चर्चा के लिए दानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें! किताब का 11वाँ अध्याय देखिए।

दोहराने के लिए

• परमेश्‍वर का बेटा कैसे इसराएल का अगुवा साबित हुआ?

• धरती पर मसीह किसकी मदद से मंडलियों की अगुवाई करता है?

• मसीह ने धरती पर कैसे खुशखबरी फैलायी है?

• क्या बात दिखाती है कि मसीह हर मंडली की आध्यात्मिक हालत के बारे में जानता है?

[पेज 21 पर तसवीर]

“मैं एक दूत तेरे आगे आगे भेजता हूं”

[पेज 23 पर तसवीर]

पुराने ज़माने की तरह मसीह ने आज भी “आदमियों के रूप में तोहफे” दिए हैं, जिनके ज़रिए वह अपने झुंड की रखवाली करता है

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
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