प्राचीन मिस्र महान् विश्व शक्तियों की प्रथम शक्ति
मिस्र—फिरौन और नील नदी का प्राचीन देश—विश्व की प्रमुख सभ्यताओं की एक थी। उसकी चित्रकला बड़े अजायबघरों की शोभा बनती है। उसका इतिहास पाठशाला की पाठ्य पुस्तकों में बताया गया है। उसके विशालकाय स्मारक पर्यटकों को विस्मयाभिभूत करते हैं। और तो और, अनेक बाइबलीय घटनाएँ या तो इस देश में घटीं या उन्होंने इसे अंतर्ग्रस्त किया। बाइबल में मिस्र और उसके लोगों का ज़िक्र ७०० से अधिक बार किया गया है।
फिर भी, प्राचीन मिस्र के बारे में आप वास्तव में क्या जानते हैं? उसके बारे में अधिक सीखना आपको बाइबल में ज़िक्र किए गए अनेक बातों को समझने की मदद करेगा।
मिस्र में, पुरातत्त्वज्ञों ने ऐसी बहुत सी चीज़ें खोज निकाली हैं जो बाइबल वृत्तांत को सत्यापित करती हैं। उदाहरणार्थ, यूसुफ के विवरण पर ही ग़ौर कीजिए। नाम, उपाधि, घर प्रबंधक के तौर से यूसुफ का पद, देश में द्वितीय प्रशासक और खाद्य प्रबंधकर्ता के तौर से उसे दिया पद, मिस्री दफ़नाने की प्रथाएँ, और पकानेहारों का अपने सिर पर रोटी की टोकरियाँ लेने की आदत भी—ये सब उस वक्त के मिस्री रिवाज़ों के समनुरूप होते पाए गए हैं।—उत्पत्ति, अध्याय ३९-४७; ५०:१-३.
देश और उसके लोग
मिस्र नील नदी पर निर्भर है। उस नदी की धन-संपन्न घाटी, जिसकी अस्वान से कैरो तक की चौड़ाई औसतन सिर्फ़ क़रीब १९ किलोमीटर है, सूखे अफ्रीकी मरूभूमि के एक सिरे से दूसरे सिरे तक एक संकीर्ण फ़ीते के जैसे उत्तरी दिशा में बढ़ती है। पिछले समय में, उसके वार्षिक बाड़ से मिट्टी-संपन्न गाद आया, जिससे मिस्र खाद्य का निर्यातक और अकाल के समय में एक आश्रय स्थान बन गयी। (उत्पत्ति १२:१०) उसके तटों पर पाए, पपाइरस के सरकंडों से प्रारंभिक कागज़ बनाया गया।
उस चौड़े मुहाने को, जहाँ नील नदी के जल नीले मेडिटर्रेनियन (महासागर) में बह जाने से पहले पंखे की तरह फैलते हैं, निचला मिस्र कहा जाता है। यहाँ प्रकट रूप से “गोशेन देश” था, जहाँ इस्राएली लोग मिस्र में उनके देर तक के ठहराव के दौरान बसे थे।—उत्पत्ति ४७:२७.
मिस्री धर्म
प्राचीन मिस्री मानते थे कि उनका फिरौन एक देवता था। यह तथ्य मूसा से किए फिरौन के तिरस्कारपूर्ण प्रश्न को अधिक अर्थ प्रदान करता है कि: ‘यहोवा कौन है कि मैं उसका वचन मानूँ?’ (निर्गमन ५:२) मिस्रियों के अन्य भी कई देवताएँ थे। थूटमोज़ III की कब्र से खोज निकाले एक सूची में इनके कुछ ७४० देवताओं के नाम पाए गए। मिस्री लोग देवताओं के त्रिकों, या त्रिदेवों की पूजा करते थे, और इन के सबसे लोकप्रियों में से एक त्रिक ओसाइरस, आइसिस, और होरस का था।
मिस्र के कई सबसे विशिष्ट देवता मानवी शरीर और पाशविक सिर सहित चित्रित किए गए थे। मिस्रियों ने होरस देवता को एक बाज़ पक्षी के सिर सहित और थोत देवता को एक आइबिस पक्षी या एक कपि के सिर के साथ चित्रित किया था। बिल्लियाँ, गीदड़, मगरमच्छ, बबून बंदर, और विविध पक्षी उनके कुछ देवताओं से संबंध की वजह से पवित्र माने जाते थे। एपिस बैल को, जो कि ओसाइरस देवता का अवतार माना जाता था, मोप नगर के एक मंदिर में रखा गया था, और फिर उसके मरने पर एक विस्तारपूर्ण अंतिम संस्कार दिया जाकर उसके शव का परिरक्षण भी किया गया। प्रसिद्ध मिस्री कीटाकरी जवाहरात, जो रक्षणात्मक तावीज़ के तौर से मनकों के जैसे पहने जाते थे, गुबरैला के प्रतिरूप थे—जिसे सृजनहार-देवता का एक रूप समझा जाता था।
मिस्र में एक लंबे निवासकाल और उस देश के लोगों से नज़दीकी मेल-जोल के बावजूद, इस्राएलियों का सिर्फ़ एक ही परमेश्वर, यहोवा था, और उन्हें केवल उसी की सेवा करनी थी। उन्हें—या तो स्वयं परमेश्वर की या किसी पक्षी, जानवर, मछली, या अन्य किसी चीज़ की—धार्मिक प्रतिमा न बनाने की चेतावनी दी गयी थी। मिस्र से उनके निर्गमन के थोड़ी देर बाद उनका एक सुनहरे बछड़े की पूजा करना शायद मिस्री प्रभाव के फलस्वरूप हुआ होगा।——निर्गमन ३२:१-२८; व्यवस्थाविवरण ४:१५-२०.
अमरता में विश्वास
मिस्री लोग अमरता में दृढ़ विश्वासी थे। इसलिए, मिस्री शासक, ज़िंदगी की ज़रूरतों और ऐयाश चीज़ों से लदे हुए, विस्तारपूर्ण कब्र तैयार करते थे, यह आशा करके कि किसी मरणोत्तर जीवन में अनन्त खुशी पक्का कर सकेंगे। पिरैमिड़ इसी प्रथा का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
सोने के जवाहरात, कपड़े, साज़-सामान, मदिरा, खाना, मिट्टी की चीज़ें, हाथी दांत की डिब्बियाँ, और सूरमा पीसने के लिए छोटी छोटी सिल्लियाँ, सभी मिस्री कब्रों में बड़े ध्यान से रखे जाते थे। यह माना जाता था कि ये चीज़ें मृत्यु के बाद किसी ज़िंदगी में इस्तेमाल किए जा सकते थे। प्रारंभिक समय में, गुलामों की हत्या करके उनके स्वामियों के साथ दफ़नाया जाता था, ताकि मृत्यु के बाद उनकी सेवा कर सकें। “मृतकों की किताब,” इस नाम से प्रसिद्ध मंत्र-तंत्र का एक संग्रह हज़ारों मिस्री कफ़नों के भीतर पाया गया है। यह आशा की जाती थी कि ये मंत्र-तंत्र मरे हुए व्यक्ति को मरणोत्तर जीवन के विविध संकटों को अभिभूत करने में मदद करते।
इस्राएलियों का विचार कितना अलग था! वे जानते थे, जैसे कि बाइबल बाद में कहने वाली थी, कि “मरे हुए कुछ भी नहीं जानते।” और जब एक मनुष्य मरता है, “उसी दिन उसकी सब कल्पनाएँ नाश हो जाएँगी।”a भावी जीवन के लिए उनकी आशा पुनरुत्थान पर बसी थी।—सभोपदेशक ९:५, १०; भजन १४६:४; अय्यूब १४:१३-१५.
कौन कब जीवित था?
मिस्रविद् मिस्री राजाओं के ३१ “राजवंश” की पहचान कराते हैं और पुराना राज्य (राजवंश ३-६), मध्य राज्य (राजवंश ११, १२), और नए राज्य (राजवंश १८-२०) के विषय बोलते हैं। लेकिन इस तरह का अनुमान यथार्थता से तो बहुत दूर है। यह अनुमान शंकास्पद और खंडनात्मक लेखों को अंतर्ग्रस्त करता है और, एक के बाद एक शासन कर रहे अनुक्रम के बजाय, शायद एक ही समय अलग प्रान्तों में शासन करनेवाले अनेक राजाओं को भी शामिल करता है।b
जब मूसा ने बाइबल की पहली किताबें लिखना शुरु किया, उसने मिस्रियों की उनके राजा का निजी नाम इस्तेमाल किए बग़ैर, उसे “फिरौन” के तौर से ज़िक्र करने की प्रथा अपनायी। इसलिए हम उन फिरौन के नाम नहीं जानते जिनसे इब्राहीम और यूसुफ परिचित थे, या जिसने मिस्र पर इस्राएल के निर्गमन के समय शासन किया। परंतु, “फिरौन,” इस उपाधि को बाद में राजा के खुद के नाम से जोड़ दिया जाना शुरु हुआ, यह संभव करते हुए कि मिस्री राजाओं की सूची से बाइबलीय घटनाओं को मिला सकें। यहाँ बाइबल के विद्यार्थी को विशेष दिलचस्पी के कुछ फिरौन पेश हैं:
(तथाकथित १८वें राजवंश का) ॲखेनेटन, सूर्य-चक्र एटन का एक उत्साही उपासक था। १८८७ में कैरो के लगभग ३२० किलोमीटर दक्षिण की ओर, तेल-एल-अमरना में कुछ ३७७ मिट्टी की तख़्तियों का एक संग्रह मिल गया। ये दिलचस्प तख़्तियाँ ॲखेनेटन और उसके पिता आमेनहोटेप III द्वारा प्राप्त राजनीतिक पत्र-व्यवहार थे। इन में यरूशलेम, मगिद्दो, हासोर, शकेम, लाकीश, हेब्रोन, अज्जा, और पलस्तीन देश के अन्य नगर-राज्यों के शासकों से चिट्ठियाँ सम्मिलित थीं। इस्राएल के कनान देश प्रवेश करने से थोड़ी देर पहले शायद लिखे गए ये पत्र द्वंद्वात्मक झगड़े और षड्यंत्र प्रकट करते हैं। वे यह भी दिखाते हैं कि हर एक नगर का अपना राजा था, जैसा कि यहोशू की बाइबल पुस्तक संकेत करती है।
टूटनख़ामेन, ॲखेनेटन का एक दामाद, वही सुप्रसिद्ध “राजा टुट” है जिसके शानदार सुनहरे कब्र के साज़-सामान को पुरातत्त्वज्ञों ने उघाड़ दिया और जो विभिन्न अजायबघरों में प्रदर्शित किया गया है। ये साज़-सामान फिरौनों की धन-संपत्ति का एक विशिष्ट नमूना है। यह ऐसी ही धन-संपत्ति थी जिस से मूसा ने पहले ही मुँह फेर लिया था, जब उसने “फिरौन की बेटी का पुत्र कहलाने से इन्कार किया। इसलिए कि उसे पाप में थोड़े दिन के सुख भोगने से परमेश्वर के लोगों के साथ दुख भोगना और उत्तम लगा।”—इब्रानियों ११:२४, २५.
मेर्नेप्टाह “१९वें राजवंश” का था। थीब्ज़ नगर के एक मंदिर में मिले एक विजय-स्मारक पर, इस फिरौन ने लिख लिया कि “इस्राएल उजाड़ दिया गया है, उसका वंश अब नहीं रहा।” यह इस्राएल का एक जाति के तौर से एकमात्र सीधा उल्लेख है जो अब तक प्राचीन मिस्री अभिलेखों में पाया गया है। जबकि यह प्रत्यक्ष रूप से एक निराधार गर्वोक्ति थी, प्रतीयमान रूप से इस दावे से संकेत होता है कि कनान देश पर इस्राएल की जीत पहले ही हो चुकी थी। इस प्रकार, सामान्य युग पूर्व (सा.यु.पू.) १४७३ का वह विजय, ॲखेनेटन के तेल-एल-अमरना की चिट्ठियाँ प्राप्त करने और मेर्नेप्टाह के दिनों के बीच के समय में घटा होगा।
शीशक (शीशोंक I, “२२वाँ राजवंश”) पहला फिरौन है जिसका बाइबल में नाम से ज़िक्र हुआ है। रथों और घुड़सवारों के एक सशक्त सेना से, उसने यहूदा पर चढ़ाई की, यरूशलेम को जोख़िम में डाला, और “यहोवा के भवन की अनमोल वस्तुएँ और राजभवन की अनमोल वस्तुएँ उठा ले गया। वह सब कुछ उठा ले गया।” (२ इतिहास १२:९) इस घटना को कारनॅक (प्राचीन थीब्ज़) में ॲमोन के मंदिर की दक्षिणी दीवार पर, एक उभारदार चित्र सत्य ठहराता है। उस में १५६ बेड़ियों में जकड़े क़ैदी दिखायी देते हैं, प्रत्येक जो कि एक जीते गए शहर या गाँव को, मगिद्दो, शुनेम, और गिबोन समेत, चित्रित करता है। जीती गयी जगहों में, शीशक “अब्राम के खेत” को भी सूची बद्ध करता है—मिस्री अभिलेखों में इब्राहीम का सबसे पहला ज़िक्र।
अन्य विश्व शक्तियाँ उदित होती हैं
आख़िरकार, एक अभिभावी विश्व शक्ति के तौर से मिस्र का स्थान अश्शूर ने ग्रहण किया। लेकिन वह एक सशक्त राजनीतिक बल रह गयी। इस्राएल के दस जातीय उत्तरी राज्य के आख़री राजा, होशे ने अश्शूर का बंधन निकाल फेंकने के एक असफल प्रयत्न में मिस्र के राजा सो के साथ षड्यंत्र किया। (२ राजा १७:३, ४) सालों बाद, यहूदा के राजा हिजकिय्याह के शासनकाल में, कूश के राजा तिर्हाका (संभवतः मिस्र का कूशी शासक, फिरौन ताहार्का) ने कनान देश में प्रयाण करके अश्शूरी राजा सन्हेरीब के आक्रमण को अस्थायी रूप से पलट दिया। (२ राजा १९:८-१०) अश्शूर में पाए, स्वयं सन्हेरीब के ऐतिहासिक अभिलेख प्रकट रूप से इस का ज़िक्र करते हैं, जब वे कहते हैं कि: “मैंने खुद . . . कूश के राजा के रथियों को . . . ज़िंदा कब्ज़े में ले लिया।”—ओरिएँटल इंस्टिट्यूट प्रिज़्म ऑफ़ सेन्नॅकरिब, शिकागो विश्वविद्यालय।
यहोवा के भविष्यद्वक्ता यशायाह ने पूर्वबतलाया था कि मिस्र को “एक कठोर स्वामी के हाथ में” दिया जाता और मिस्रियों पर एक “ताक़तवर” राजा राज्य करता। (यशायाह १९:४) एक अश्शूरी दस्तावेज़ इस भविष्यवाणी की सच्चाई को स्थापित करती है, जिस में सन्हेरीब का बेटा एसर्हद्दोन यह कहकर मिस्र पर उसकी जीत के विषय शेख़ी बघारता है कि: “उसके राजा, तिर्हाका को मैंने तीरों से पाँच बार घायल किया और उसके सारे देश पर राज्य किया।”
लगभग सा.यु.पू. ६२९ में फिरौन नको ने उत्तरी दिशा में आगामी तीसरी विश्व शक्ति, बाबुल, की सेनाओं को अंतर्रोध करने के लिए प्रयाण किया। बाइबल कहती है कि यरूशलेम के योशिय्याह ने अविवेकी रूप से मगिद्दो में मिस्री सेनाओं को रोकने की कोशिश की और पराजित किया जाकर मार दिया गया।c (२ इतिहास ३५:२०-२४) लगभग चार साल बाद, सा.यु.पू. ६२५ में, फिरौन नको खुद कर्कमीश नगर में बाबेलियों के हाथों पराजित किया गया। बाइबल और बाबेली इतिवृत्त, दोनों इस घटना का ज़िक्र करते हैं, जिस से बाबेलियों को पश्चिमी एशिया पर प्रभुत्व मिला।
सा.यु.पू. ५२५ में, मिस्र चौथी विश्व शक्ति, मादी-फ़ारसी शक्ति के नियंत्रण में आ गयी। क़रीब-क़रीब दो शतक बाद, सा.यु.पू. ३३२ में, बड़ा सिकंदर परदे पर आ गया और मिस्र को पाँचवी विश्व शक्ति के अधीनस्थ कर दिया। सिकंदर ने मिस्र के नील के मुहाने इलाके में सिकंदरिया नगर की स्थापना की, जहाँ, सा.यु.पू. लगभग २८० में, बाइबल का प्रथम अनुवाद, इब्रानी भाषा से यूनानी भाषा में शुरु किया गया। यह अनुवाद, जो सेप्टुआजिंट के नाम से प्रसिद्ध हुआ, वही बाइबल थी जो यूनानी बोलनेवाले जगत् में यीशु के अनुगामियों द्वारा इस्तेमाल की गयी।
छठी विश्व शक्ति, रोम, के समय में, यीशु को ईर्ष्यालु हेरोदेस से बचाने के लिए, उसे बालावस्था में मिस्र लाया गया। (मत्ती २:१३-१५) सामान्य युग ३३ के पिन्तकुस्त के दिन पर मिस्री लोग मसीही सुसमाचार का चमत्कारी प्रचार सुनने के लिए यरूशलेम में उपस्थित थे और वाक्पटु प्रथम-शतकीय मसीही अपुल्लोस का जन्म वहाँ हुआ था।—प्रेरितों के काम २:१०; १८:२४.
जी हाँ, मिस्र और मिस्री बाइबल इतिहास में प्रामुख्य से चित्रित हुए हैं, और अनेक पुरातात्त्विक अन्वेषण उन सभी बातों को सत्यापित करते हैं जो शास्त्र इस प्राचीन देश के बारे में कहते हैं। वास्तव में, मिस्र इतना प्रधान था कि कुछेक भविष्यसूचक लेखांशों में, यह शैतान के प्रभुत्व के अधीन सारे संसार का प्रतीक होता है। (यहेजकेल ३१:२; प्रकाशितवाक्य ११:८) लेकिन एक विश्व शक्ति के तौर से उसकी ताक़त के बावजूद भी, प्राचीन मिस्र यहोवा के उद्देश्यों की परिपूर्णता को कभी विफल कर न सकी। और यह बाइबल इतिहास की द्वितीय विश्व शक्ति, अश्शूर, के बारे में भी सच था, जैसे कि हम प्रहरीदुर्ग पत्रिका के अगस्त अंक में देखेंगे।
[फुटनोट]
a द जूइश एन्साइक्लोपीडिया कहती है: “यह विश्वास कि शरीर के मरण के बाद प्राण उसका अस्तित्व जारी रखता है . . . पवित्र शास्त्र में कहीं भी स्पष्टतः सिखाया नहीं गया है।”
b इन सूचियों से संबंधित समस्याओं की एक दिलचस्प चर्चा के लिए, वॉचटावर बाइबल ॲन्ड ट्रॅक्ट सोसाइटी ऑफ न्यू यॉर्क, इंक., द्वारा प्रकाशित पुस्तक एड टू बाइबल अंडरस्टँडिंग, पृष्ठ ३२४-५ देखें।
c यह मगिद्दो में लड़े निर्णायक युद्धों में से एक था, जिस के कारण यह हर-मगिदोन, या आरमागेडोन, के समय, विद्रोही मानवी जातियों के विरुद्ध परमेश्वर के निर्णायक आख़री युद्ध के प्रतीक के तौर से इस्तेमाल होता है।—प्रकाशितवाक्य १६:१६.
[पेज 28 पर नक्शा]
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
मेडिटर्रेनियन सागर
कर्कमीश
फ़रात
मगिद्दो
यरूशलेम
सिकंदरिया
गोशेन
मोप
नील
निचला मिस्र
थीब्ज़
[चित्र का श्रेय]
Based on a map copyrighted by Pictorial Archive (Near Eastern History) Est. and Survey of Israel
[पेज 29 पर तसवीरें]
मानवी शरीर और एक बाज़ के सिर सहित चित्रित किया गया मिस्री देवता
[चित्र का श्रेय]
Courtesy of the British Museum, London
[पेज 30 पर तसवीरें]
एक मिस्री कफ़न के भीतर पाए गए “मृतकों की किताब” का एक अंश
[चित्र का श्रेय]
Courtesy of the Superintendence of the Museo Egizio, Turin
परिरक्षित शव के लिए मिस्री कफ़न और ढ़क्कन
Egyptian coffin and cover for mummy
[चित्र का श्रेय]
Courtesy of the Superintendence of the Museo Egizio, Turin
[पेज 32 पर तसवीरें]
राजा टूटनख़ामेन बैठे हुए देवता ॲमोन के पास
[चित्र का श्रेय]
Courtesy of the Superintendence of the Museo Egizio, Turin