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पवित्र उपासना को बढ़ाने के लिए दिल खोलकर दान देनाप्रहरीदुर्ग—1999 | नवंबर 1
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इस्राएलियों के पास दिल खोलकर दान करने के लिए काफी कुछ था। याद कीजिए कि जब वे मिस्र से निकल रहे थे, तब उन्होंने मिस्रियों से सोने-चाँदी के गहने और कपड़े ले लिए थे। या यूँ कहें कि उन्होंने “मिस्रियों को लूट [ही] लिया” था।a (निर्गमन १२:३५, ३६) इस्राएलियों ने झूठी उपासना के लिए मूर्ति बनाने की खातिर अपनी इच्छा से अपने जेवर उतारकर दे दिए थे। तो क्या अब वे सच्ची उपासना को बढ़ावा देने के लिए वैसी ही दरियादिली दिखाएँगे?
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पवित्र उपासना को बढ़ाने के लिए दिल खोलकर दान देनाप्रहरीदुर्ग—1999 | नवंबर 1
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a यह कोई चोरी या छीना-झपटी नहीं थी। इस्राएलियों ने मिस्रियों से दान माँगा था और मिस्रियों ने अपनी इच्छा से उन्हें दान दिया था। इसके अलावा, ध्यान देनेवाली बात यह है कि पहले तो मिस्रियों का यह हक ही नहीं बनता था कि वे इस्राएलियों को अपना दास बनाएँ। परमेश्वर के इन लोगों ने मिस्रियों के लिए जितने भी साल कड़ी मेहनत की थी उसकी मज़दूरी देना तो उनका फर्ज़ था।
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