अविश्वासियों के साथ खुद को न जोतो
“अविश्वासियों के साथ असमान जूए में न जुतो, क्योंकि . . . विश्वासी के साथ अविश्वासी का क्या नाता?”—२ कुरिन्थियों ६:१४, १५.
१. एक बहन किसी अविश्वासी के साथ शादी करने के लिए कैसे राज़ी हुई?
कुछ साल पहले, मध्य-पश्चिमी यूनाइटेड स्टेट्स में यहोवा के एक गवाह का पति, गाड़ी दुर्घटना में मर गया। “शुरू में मेरे दिल के टुकड़े-टुकड़े हुए,” वह याद करती है, “लेकिन मैं कृतसंकल्प थी कि इसे यहोवा की मेरी सेवा में बाधा न बनने दूँ। यद्यपि, कुछ साल बाद, मण्डली के दम्पत्तियों के इर्द-गिर्द मैं ने खुद को अनावश्यक महसूस करना शुरू किया। मुझे और मेरी बेटी को परिवारों के साथ सैरों के लिए हमेशा बुलाया नहीं जाता था। जब मैं मसीही जोड़ों को एक दूसरे को स्नेह व्यक्त करते देखती, तब मैं अपने आप को और भी ठुकरायी हुई महसूस करती थी। ऐसा लगा कि किसी ने यह ग़ौर नहीं किया कि मैं आध्यात्मिक रूप से कमज़ोर होती जा रही थी। सो जब मेरे कार्यस्थल से एक परिचित दुनियावी मर्द ने मुझे खाने पर बुलाया, मैं गयी। कुछ जानने-समझने से पहले ही, मैं उसके प्रेम में पड़ी थी। आख़िर, मैं इतनी कमज़ोर और अपने अकेलेपन से अभिभूत हुई थी कि मैं उस से शादी करने के लिए राज़ी हुई।”
२. शादी करने की इच्छा स्वाभाविक क्यों है, और विवाह को क्या बनने के लिए रचा गया था?
२ जी हाँ, किसी साथी के साथ ज़िन्दगी बिताने की इच्छा बहुत ही तीव्र हो सकती है, और यह स्वाभाविक भी है। जैसे खुद यहोवा ने इसे व्यक्त किया: “मनुष्य का अकेला रहना अच्छा नहीं; मैं उसके लिए एक ऐसा सहायक बनाऊँगा जो उस से मेल खाए [“प्रतिरूप,” उसके लिए उपयुक्त हो]।” (उत्पत्ति २:१८, न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन रेफरेंस बाइबल, फुटनोट) विवाह को ऐसे रचा गया था कि यह आदमी और औरत के बीच एक नज़दीक़ी, स्थायी बंधन बने। यह आदम नहीं, बल्कि यहोवा था जिसने कहा: “पुरुष अपने माता पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा और वे एक ही तन बने रहेंगे।” (उत्पत्ति २:२२-२४; मत्ती १९:४-६ से तुलना करें।) शायद आपका मन भी ऐसे प्रतिरूप के लिए तरसता है।
३, ४. (अ) बाइबल अविश्वासियों के साथ नज़दीक़ी आसक्ति स्थापित करने के ख़िलाफ़ किस तरह चिताती है? (ब) असमान जुताई के बारे में पौलुस की सलाह किस तरह विवाह पर लागू हो सकती है? (क) कुरिन्थ के मसीहियों ने “अविश्वासी” शब्द को किस तरह समझा होगा? (फुटनोट देखें।)
३ यद्यपि, बाइबल हमें अविश्वासियों के साथ नज़दीक़ी आसक्ति स्थापित न करने के विषय में चेतावनी देती है। जैसा कि प्रेरित पौलुस ने इसे व्यक्त किया: “अविश्वासियोंa के साथ असमान जूए में न जुतो [“खुद को एक असमान जोड़ी में न जोतो,” द जेरूसलेम बाइबल] क्योंकि . . . विश्वासी के साथ अविश्वासीb का क्या नाता?” (२ कुरिन्थियों ६:१४, १५) पौलुस के मन में शायद मूसा के नियम की वह निषेधाज्ञा रही होगी जिस में जुताई के लिए बैल और गदहे को संग जोड़ना मना था। (व्यवस्थाविवरण २२:१०) गदहा आकार में छोटा है और बैल जितना ताक़तवर नहीं तथा ऐसे असमान जुताई के फलस्वरूप तक़लीफ़ उठाता। चूँकि विवाह एक जूए के जैसे है जो पति-पत्नी को संग जोड़ता है, किसी मसीही का अविश्वासी के साथ विवाह करने का परिणाम असमान जुताई होता। (मत्ती १९:६) ऐसे जूए से अक्सर विवाह पर अधिक दबाव और भार आ जाता है।—१ कुरिन्थियों ७:२८ से तुलना करें।
४ फिर भी, जैसा कि प्रारंभिक अनुभव सचित्रित करता है, कुछ मसीहियों ने अविश्वासियों के साथ शादी करना चुना है। कुछ लोग “केवल प्रभु में” शादी करना इतना मुश्किल क्यों पाते हैं?—१ कुरिन्थियों ७:३९.
क्यों कुछ लोग कहीं और देखते हैं
५. दृष्टांत दें कि कुछ लोग किसी अविश्वासी के साथ रोमानी रूप से क्यों फँस जाते हैं?
५ ऐसा नहीं वे पहले से जान-बूझकर परमेश्वर के उपदेश का उल्लंघन करना चाहते हैं। एक ऐसी मसीही बहन की स्थिति पर ग़ौर करें, जो शायद शादी करना चाहती हो। वह शायद एक मसीही पति के लिए तरसती होगी, लेकिन उसकी विश्वास करनेवाली मित्र मण्डली में इतने ज़्यादा योग्य भाई नज़र नहीं आते। वह अपनी उम्र से अभिज्ञ है। वह शायद बच्चें चाहती होगी। अकेली रहकर बूढ़ी होने का भय और यह महसूस करने की आवश्यकता, कि कोई उस से प्रेम करता है, उसे असुरक्षित कर सकते हैं। तो फिर, अगर कोई दुनियावी मर्द उस में दिलचस्पी दिखाता है, इसका प्रतिरोध करना मुश्किल हो सकता है। वह शायद कृपालु और कोमल लगेगा। वह शायद धूम्रपान न करता होगा, और न ही गालियाँ देता होगा। फिर तर्कसम्मतीकरण आते हैं: ‘अजी, वह मेरे परिचित कई भाइयों से ज़्यादा अच्छा है!’ ‘वह अध्ययन करना चाहता है।’ ‘मैं ऐसे मिसाल जानती हूँ जहाँ बहन ने अविश्वासी से शादी की और आख़िर वह एक संगी विश्वासी बन गया।’ ‘कछ मसीही शादियाँ हैं जो सफल नहीं होतीं!’—यिर्मयाह १७:९ देखें।
६, ७. (अ) एक कुँवारी बहन ने अपनी कुण्ठा का वर्णन कैसे किया? (ब) कौनसा सवाल हमारे सोच-विचार के योग्य है?
६ जी हाँ, इस से शादी करना चाहनेवाली कुँवारी मसीही के लिए कुण्ठा उत्पन्न हो सकती है। कुछेक निराशोन्मत्त भी महसूस करते हैं। अपने इलाके में स्थिति का वर्णन करते हुए एक कुँवारी बहन ने कहा, “योग्य भाइयों की संख्या बहुत ही कम है, किंतु कुँवारी बहनें की संख्या बहुत ही ज्यादा है। जब कोई बहन अपना यौवन गुज़रते देखती है, उसके सामने के विकल्प शादी नहीं करने या पहले मौक़े पर ही शादी करने तक संक्षिप्त हो जाते हैं।”
७ फिर भी, बाइबल की सलाह स्पष्ट है: ‘खुद को अविश्वासियों के साथ न जोतो।’ (२ कुरिन्थियों ६:१४) क्या यह ईश्वरीय चेतावनी कठोर या तर्कहीन है?
परमेश्वर की प्रेममय चिन्ता की एक अभिव्यक्ति
८. यहोवा ने किस तरह दिखाया है कि उसके मन में हमारा ही हित है?
८ यहोवा हमारे स्थायी हित के बारे में गहरे रूप से चिन्तित है। क्या उसने, भारी क़ीमत पर, अपने बेटे को “बहुतों की छुड़ौती के लिए” न दिया? (मत्ती २०:२८) क्या वह ‘हमें हमारे लाभ के लिए शिक्षा नहीं देता’? (यशायाह ४८:१७) क्या वह वादा नहीं करता कि ‘वह हमें अपने सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा’? (१ कुरिन्थियों १०:१३) तो फिर, तर्कसंगति से, जब वह हमें बताता है कि हम खुद को अविश्वासियों के साथ न जोतें, उसके मन में हमारा ही हित होगा! ग़ौर करें कि किस तरह यह चेतावनी हमारे लिए उसकी प्रेममय चिन्ता की एक अभिव्यक्ति है।
९. (अ) पौलुस एक मसीही का किसी अविश्वासी के साथ नज़दीक़ी संबंध जोड़ने के ख़िलाफ़ कौनसी चेतावनी देता है? (ब) जिस यूनानी शब्द का अनुवाद “समस्वरता” किया गया है, उसका अर्थ क्या है, और यह उस कठिनाई को किस तरह चित्रित करता है जो एक मसीही के किसी अविश्वासी के साथ जोतने से उत्पन्न होती है?
९ यह सृजनहार का इरादा था कि विवाह मानवों के बीच सबसे नज़दीक़ी संबंध बने, जिस में पति और पत्नी “एक तन” बनते हैं। (उत्पत्ति २:२४) क्या किसी मसीही का एक अविश्वासी के साथ ऐसा नज़दीक़ी संबंध जोड़ना विवेकपूर्ण है? पौलुस इसका जवाब कई ऐसे भेदक सवाल पूछकर देता है, जिसके हर एक सवाल के लिए पहले से ही एक नकारात्मक जवाब मान लिया जाता है: “क्योंकि धार्मिकता और अधर्म का क्या मेल जोल? या ज्योति और अन्धकार की क्या संगति? और मसीह का बलियाल [शैतान] के साथ क्या समन्वय [यूनानी, सिम्·फोʹनी·सिस]? या विश्वासी के साथ अविश्वासी का क्या नाता?” (२ कुरिन्थियों ६:१४, १५, न्यू.व.) यूनानी शब्द सिम्·फोʹनी·सिस का अर्थ अक्षरशः “एक साथ प्रतिध्वनित करना” है (जो सिन्, “के साथ,” और फो·नीʹ “ध्वनि” से आता है)। इसका उल्लेख उस समस्वरता से है जो वाद्यों से उत्पन्न होती है। निश्चय ही, मसीह और शैतान के बीच कोई मेल नहीं। उसी तरह, एक असमान जूए में, पति-पत्नी को ‘एक ही स्वर-संघात बजाना’ बहुत ही मुश्किल होता है। वे दो वाद्यों की तरह हैं जो एक दूसरे के सुर में नहीं, और संगीत के बजाय बेसुरी ध्वनि उत्पन्न कर रहे हैं।
१०. सुखी विवाह में परमावश्यक मूलतत्त्व क्या हैं, और जब समान जूआ होता है, तब कौनसे फ़ायदे होते हैं?
१० तो फिर, एक आध्यात्मिक व्यक्ति किसी शारीरिक व्यक्ति के साथ पूर्ण समन्वय का आनन्द कैसे ले सकता है? (१ कुरिन्थियों २:१४) एक सुखी विवाह में एक समान विश्वास, सिद्धांत, और लक्ष्य परमावश्यक मूलतत्त्व हैं। सृजनहार को दिए पारस्पारिक भक्ति के सिवा, और कुछ भी विवाह को अधिक ताक़त नहीं देता। जब समान जूआ होता है, पति-पत्नी उपासना में एक दूसरे को प्रोत्साहित कर सकते हैं। दोनों अपने मतभेद तय करने के लिए शास्त्रों से सलाह ले सकते हैं। तो फिर, क्या यह ज़ाहिर नहीं, कि यहोवा हमें अविश्वासियों के साथ न जोतने के लिए इसलिए कहता है कि वह चाहता है कि हम अपने जीवन साथी के साथ यथासंभव सबसे नज़दीक़ी संबंध का आनन्द उठाएं?
११. इस्राएल में ग़ैर-उपासकों के साथ शादी-ब्याह क्यों निषिद्ध थे, और कौनसा विचार-प्रेरक सवाल उठाया गया है?
११ बाइबल की चेतावनी की ओर ध्यान देना हमें उन दुःखद परिणामों से भी बचाता है जो अक्सर उत्पन्न होते हैं जब एक मसीही खुद को किसी अविश्वासी के साथ जोतता है। मसलन, यह संभावना है कि अविश्वासी मसीही साथी को यहोवा की सेवा करने से फिरा देगा। उस चेतावनी पर ग़ौर करें जो यहोवा ने प्राचीन इस्राएल को दी थी। ग़ैर-उपासकों के साथ शादी-ब्याह मना थी। क्यों? “क्योंकि वे तेरे बेटे को मेरे पीछे चलने से बहकाएँगी,” यहोवा ने चेतावनी दी, “और दूसरे देवताओं की उपासना करवाएँगी।” (व्यवस्थाविवरण ७:३, ४) अविश्वासी साथी की तरफ़ से विरोध के सम्मुख, शायद न्यूनतम प्रतिरोध के पथ की ओर बहकने की प्रवृत्ति होगी। यह सोचना आसान है कि ‘ऐसा मेरे साथ नहीं होगा!’ लेकिन ऐसा सुलैमान जैसे बुद्धिमान व्यक्ति के साथ हुआ। क्या वही आप के साथ न हो सकेगा?—१ राजा ११:१-६; १ राजा ४:२९, ३० से तुलना करें।
१२. परमेश्वर का अन्यदेशियों के साथ शादी-ब्याह निषिद्ध करनेवाला नियम किस तरह इस्राएलियों के लिए एक सुरक्षा के तौर से काम आया? सचित्रित करें।
१२ और अगर एक विश्वासी सच्ची उपासना से फिरा न भी दिया गया हो, तब भी वे समस्याएँ और दबाव मौजूद हैं जो प्रायः धर्म द्वारा विभाजित परिवार से संबंधित हैं। एक बार फिर, इस्राएल को दिए परमेश्वर के नियम पर ग़ौर करें। मान लो कि कोई इस्राएली लड़की एक कनानी आदमी से शादी करने के लिए राज़ी हुई। यह जानकर कि कनान देश में कैसे कैसे लैंगिक कार्य प्रचलित थे, आप क्या समझते हैं, वह उसके परमेश्वर के नियम के लिए कैसा आदरभाव रखता? उदाहरणार्थ, क्या वह स्वेच्छा से मासिक धर्म के दौरान मैथुन करने से रहता, जैसा मूसा के नियम द्वारा आवश्यक था?c (लैव्यव्यवस्था १८:१९; २०:१८; लैव्यव्यवस्था १८:२७ से तुलना करें।) कनानी लड़की से शादी करनेवाले इस्राएली आदमी की स्थिति में, आपका क्या ख़याल है, वह उसका कितना समर्थन करती जब उसे मौसमी पर्वों में उपस्थित होने के लिए हर साल तीन बार यरूशलेम जाना पड़ता? (व्यवस्थाविवरण १६:१६) ज़ाहिर रूप से, परमेश्वर का ऐसे शादी-ब्याह निषिद्ध करनेवाला नियम इस्राएलियों को एक सुरक्षा के तौर से काम आया।
१३. (अ) एक दुनियावी व्यक्ति के पास एक बाइबल-प्रशिक्षित, मसीही अंतःकरण क्यों नहीं होता? (ब) धर्म की वजह से विभाजित परिवारों में कुछ लोग कौनसी समस्याओं और दबावों का सामना करते हैं?
१३ आज का क्या? दुनियावी लोगों के नैतिक मानक बाइबल मानकों से बिल्कुल विपरीत हैं। कुछ दुनियावी लोग चाहे कितने ही ठीक-ठाक क्यों न लगे, पर उन के पास एक बाइबल-प्रशिक्षित, मसीही अंतःकरण नहीं। उन्होंने परमेश्वर के वचन का अध्ययन करने में, ‘बुद्धि को नया करने में,’ और ‘पुराने मनुष्यत्व को उतार डालने में’ कई साल नहीं लगाए हैं। (रोमियों १२:२; कुलुस्सियों ३:९) अतः, जो मसीही अपने आप को एक अविश्वासी के साथ जोतता है, वह अक्सर खुद को बहुत की मनोव्यथा और दुःख के लिए खुला छोड़ता है। कुछ लोग विकृत लैंगिक कामों में हिस्सा लेने या सांसारिक उत्सव मनाने के दबाव का बार-बार सामना करते हैं। और कुछ लोग अकेलेपन की भी शिकायत करते हैं। जैसा कि एक बहन ने लिखा: “जो अकेलापन आप महसूस करती हैं जब आप ऐसे व्यक्ति के साथ शादी कर चुकी होती हैं, जो यहोवा से प्रेम नहीं रखता, वह कल्पनीय सबसे बदतर अकेलापन होता है। पता है, आपका ऐसा कोई नहीं जिसके साथ आप सच्चाई के बारे में बातें कर सकें, जो कि आपकी ज़िन्दगी में सबसे महत्त्वपूर्ण बात है।”
१४. (अ) क्यों एक विभाजित परिवार में, बच्चों को “यहोवा की शिक्षा और मानसिक नियंत्रण में” बड़ा करना कठिन है? (ब) एक विभाजित परिवार में बच्चों पर कैसा असर हो सकता है?
१४ एक विभाजित परिवार में, बच्चों को “यहोवा की शिक्षा और मानसिक नियंत्रण में” बड़ा करना बहुत ही कठिन हो सकता है। (इफिसियों ६:४, न्यू.व.) उदाहरणार्थ, क्या अविश्वासी खुशी से बच्चों को सभाओं में उपस्थित होने या क्षेत्र सेवकाई में हिस्सा लेने देगा? अक्सर बच्चे अपने भावनाओं में द्वंद्व पाते हैं—वे माता और पिता, दोनों, से प्यार करते हैं, लेकिन सिर्फ़ एक ही, माता या पिता, यहोवा से प्रेम रखता है। एक बहन ने कहा, जिसने एक अविश्वासी से शादी की: “मेरे २०-वर्षीय विवाह में, मैं ने बहुत मनोव्यथाएँ झेलीं। मेरे बेटे बहुत ही अशांति और जज़्बाती झगड़ों के वातावरण में बड़े हुए और वे अब दुनिया का एक हिस्सा हैं। मेरी बेटी अक्सर परेशान रहती है इसलिए कि उसे, अपने पिता के उस से मिलने के अधिकारों की वजह से, मुझ से इतने समय के लिए दूर रहना पड़ता है। ये सारी समस्याएँ इसलिए मौजूद हैं कि जब मैं १८ साल की थी, मैं ने यहोवा के एक सिद्धांत की उपेक्षा करना पसंद किया।” कौनसा सिद्धांत? अविश्वासियों के साथ खुद को न जोतो!
१५. यहोवा हमें अविश्वासियों के साथ खुद को न जोतने की सलाह क्यों देता है?
१५ स्पष्ट रूप से, यहोवा चाहता है कि हम ज़िन्दगी में से पूरा-पूरा फ़ायदा उठाएँ। वह हम से जो कुछ भी माँगता है, उसकी यह सलाह भी सम्मिलित करके कि हम खुद को अविश्वासियों के साथ न जोतें, हमारी भलाई के लिए ही है। (व्यवस्थाविवरण १०:१२, १३) अविश्वासी के साथ शादी करना धर्मशास्त्रीय उपदेश, व्यवहार्य बुद्धि और अक्सर दूसरों के दुःखद अनुभव की अवहेलना करना होता है।
आम तौर पर पूछे जानेवाले सवाल
१६, १७. (अ) अगर हम सतर्क नहीं, तो जज़्बात सही विचारशक्ति में किस तरह बाधा डाल सकते हैं? (ब) क्या परमेश्वर की सलाह की अवहेलना उन असाधारण स्थितियों की वजह से होनी चाहिए, जिन में मसीही ने अविश्वासी से शादी की और अब वे दोनों यहोवा की सेवा कर रहे हैं? व्याख्या दें।
१६ फिर भी, अगर हम सतर्क नहीं, तो जज़्बात सही विचारशक्ति में शायद बाधा डाल सकेंगे। हम शायद यह सोचना शुरू करेंगे कि हमारी स्थिति में एक अपवाद किया जा सकता है। ऐसे कुछ सवालों पर ग़ौर करें जो ज़्यादातर पूछे जाते हैं।
१७ ऐसी स्थितियों का क्या जिन में किसी भाई या बहन ने अविश्वासी से शादी की, और अब वे दोनों यहोवा की सेवा कर रहे हैं? फिर भी, यहोवा के सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ था। क्या नतीजा, उसे प्राप्त करने के साधन को उचित सिद्ध कर सकता है? बाबेली क़ैद से लौट रहे यहूदियों का मिसाल, परमेश्वर की सलाह की अवहेलना करनेवालों के विषय में परमेश्वर का विचार चित्रित करता है। जब कुछों ने मूर्तिपूजक पत्नियों से शादी की, बाइबल लेखक एज्रा और नहेमायाह ने उनके कार्यों की स्पष्ट रूप से निन्दा की। उन यहूदियों ने “विश्वासघात करके,” एक “बड़ी बुराई” की, और उन्होंने अपने ऊपर “दोष” लाया था। (एज्रा १०:१०-१४; नहेमायाह १३:२७) एक और बात है जिस पर ग़ौर कर सकते हैं: जब हम परमेश्वर की सलाह की अवहेलना करते हैं, तब हम अपने आप को आत्मिक रूप से घायल करते हैं, और हमारे अंतःकरण पर घाव के निशान छोड़ते हैं। एक बहन ने यूँ कहा, जिसका अविश्वासी पति आख़िर विश्वासी बन गया: ‘मैं अब भी जज़्बाती घावों से निपट रही हूँ। मैं आपको नहीं बता सकती कि मुझे कितना बुरा लगता है जब दूसरे लोग हमारी ओर संकेत करके कहते हैं, “पर उनकी स्थिति में सब ठीक हुआ।”’
१८. अगर आप ऐसे व्यक्ति से आकर्षित हैं जिसका अभी बपतिस्मा नहीं हुआ, तो बुद्धिमत्ता का रास्ता क्या है, और उस से आप क्या प्रदर्शित करेंगे?
१८ अगर आप ऐसे व्यक्ति से आकर्षित हैं जो, हालाँकि उसका अभी बपतिस्मा नहीं हुआ, बाइबल पढ़ रहा है और सभाओं में उपस्थित हो रहा है, तब क्या? हम आनन्द करते हैं जब कोई बाइबल की सच्चाई में दिलचस्पी दिखाता है। यद्यपि, सवाल यह है: क्या आपको अपनी अभिरुचि को आगे बढ़ाना चाहिए? स्पष्टतया, बुद्धिमत्ता का रास्ता यही है कि आप अपने दोस्त के बपतिस्मा लेने और उसका परमेश्वर के आत्मा के फल प्रदर्शित करने में प्रगति करने के कुछ समय बाद तक रुकें और तभी शादी के विचार के साथ एक दूसरे के साथ घूमें। (गलतियों ५:२२, २३) ऐसी सलाह अमल करना शायद आसान न होगा, लेकिन ऐसा करने से आप बाइबल सिद्धांतों के प्रति आपकी निष्ठा प्रदर्शित करेंगे; यही शादी में सच्ची खुशी के लिए एक बढ़िया आधार तैयार करेगा। अगर आपका दोस्त आपकी सचमुच परवाह करता (या करती) है और सचमुच यहोवा को प्रेम करने लगा (या लगी) है, तो बेशक वह प्रणय निवेदन शुरू करने से पहले, उस समय तक रुकने के लिए तैयार होगा (या होगी) जब आप दोनों ही “प्रभु में” हैं—समर्पित और बपतिस्मा-प्राप्त। यह भी याद रखें, कि समय के बीतने से सच्चे प्यार को कोई हानि नहीं पहुँच सकती।—१ कुरिन्थियों ७:३९; उत्पत्ति २९:२०.
१९. आपको क्या याद रखना चाहिए अगर आप संगी विश्वासियों में से जीवन साथी पाने में कठिनाई अनुभव कर रहे हैं?
१९ अगर आपको संगी विश्वासियों में से एक योग्य जीवन साथी ढूँढ़ने में मुश्किल हो रही है, तब क्या? “मैं २६ वर्ष की हूँ, कुँवारी और सचमुच ही एकाकी,” एक बहन ने कहा। सच, आपके लिए अविवाहित रहना शायद कठिन होगा, लेकिन विवाह में एक असमान जूए में होने से उत्पन्न होनेवाली समस्याएँ और भी कठिन हो सकती हैं! परमेश्वर की सलाह का आज्ञापालन करने में शायद विश्वास, आत्म-संयम और सहनशीलता आवश्यक होंगे, लेकिन भरोसा रखें कि यहोवा जानता है कि आपके लिए सबसे बेहतर क्या है और वैसे चाहता भी है। (१ पतरस ५:६, ७) इसे प्रार्थना का विषय बनाइए, और फिर यहोवा की प्रतीक्षा करें। (भजन ५५:२२) इस रीति-व्यवस्था में, किसी की भी ज़िन्दगी संपूर्ण रूप से संतोषजनक नहीं होती। आपका मन एक साथी के लिए शायद ललकता होगा। फिर भी, अन्यों को उनके हिस्से की समस्याएँ हैं, जिन में से कुछ इस रीति-व्यवस्था में असाध्य हैं। सिर्फ़ आनेवाली नयी दुनिया में ही “सब प्राणियों की कामना” पूर्ण रूप से संतुष्ट की जाएगी।—भजन १४५:१६, न्यू.व.
२०. एक कुँवारी बहन ने अपना कृतसंकल्प कैसे व्यक्त किया, और उसी तरह कृतसंकल्प रहने से, आपको कैसा संतोष मिल सकेगा?
२० इस दौरान, खुद को अविश्वासी के साथ न जोतने के लिए कृतसंकल्प रहें। एक ३६-वर्षीया कुँवारी बहन ने अपना कृतसंकल्प इस प्रकार व्यक्त किया: “मैं हर दिन यहोवा से एक जीवन साथी के लिए प्रार्थना करती हूँ। यहोवा के संघटन के बाहर ढूँढ़ने की मेरी कोई इच्छा नहीं, लेकिन प्रलोभन फिर भी मौजूद हैं। इस दौरान, मैं ऐसे गुणों को बढ़ाने की सोच रही हूँ, जिस से मैं एक व्यक्ति के तौर से सुधर जाउँगी, ताकि मैं उस तरह की आत्मिक औरत बन जाऊँ जिसे एक आत्मिक आदमी तलाश कर रहा है।” क्या आप समान रूप से कृतसंकल्प हैं? अगर हैं, तो आपको वह संतोष मिलेगा जो ईश्वरीय न्याय के परमेश्वर के प्रति अपनी वफ़ादारी साबित करने से आता है।—भजन ३७:२७, २८.
[फुटनोट]
a १ कुरिन्थियों १४:२२ में, पौलुस ने “अविश्वासी” शब्द के वैषम्य में “विश्वासी,” या बपतिस्मा-प्राप्त व्यक्ति, इस्तेमाल किया। फिर, कुरिन्थ वासी समझते कि “अविश्वासी” शब्द बपतिस्मा-रहित व्यक्तियों का उल्लेख करता है।—प्रेरितों के काम ८:१३; १६:३१-३४; १८:८ देखें।
b “उसके विस्तृत रूप में यह सिद्धांत इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है: ‘अविश्वासियों के साथ कोई नाता न जोड़ना, चाहे वह अस्थायी हो या स्थायी, जिस से कि मसीही मानकों में समझौता करना पड़े या जो मसीही गवाही की सुसंगति ख़तरे में डाल दे। और ऐसा विभाजन किस लिए? इसलिए कि अविश्वासी मसीही मानकों, समवेदनाओं, या लक्ष्यों में भागी नहीं होता।’”—दी एक्सपॉज़िटर्स बाइबल कॉम्मेंटरी, खण्ड १०, पृष्ठ ३५९.
c सितंबर १५, १९७२ का द वॉचटावर, पृष्ठ ५७५-६ देखें।
क्या आप व्याख्या कर सकते हैं?
◻ अविश्वासियों के साथ नज़दीक़ी आसक्ति स्थापित करने के ख़िलाफ़ बाइबल किस तरह चेतावनी देती है?
◻ कुछ समर्पित मसीही एक जीवन साथी के लिए मण्डली के बाहर क्यों देखते हैं?
◻ असमान जूए में जोतने के विषय में यहोवा की चेतावनी वास्तव में किस तरह हमारे लिए उसकी प्रेममय चिन्ता की अभिव्यक्ति है?
◻ जीवन साथी पाने के विषय में कौनसे सवाल आम तौर पर पूछे जाते हैं, और आप इनका जवाब कैसे देंगे?