मादी-फारसी बाइबल इतिहास में चौथी महान् विश्व शक्ति
बाइबल इतिहास की अनेक घटनाओं में मादी और फारसी शामिल थे। अनेक बाइबल भविष्यवाणियों में भी उनका वर्णन किया गया है। क्या आप इन प्राचीन और दिलचस्प लोगों के बारे में अधिक जानना चाहेंगे?
प्राचीन मादी व फारसी प्रगति पथ पर थे! उनका मुखिया कुस्रू महान था जो पहले ही एक सम्राट पर नियन्त्रण जमा चुका था। अब उसने अपना ध्यान बड़े बाबुल की ओर केन्द्रित किया जो उन दिनों की शक्तिशाली विश्वशक्ति था।
बाबुल की राजधानी में, राजा बेलशस्सर जिसके लिये बाइबल कहती है कि वह “मदिरा का मतवाला था” और जिसने हजारों अतिथियों के लिये एक बड़े भोज का प्रबन्ध किया था। आमोद-प्रमोद में यहोवा के मंदिर से लाये गये पात्रों में मदिरा पी कर वे अपने मूर्त ईश्वरों की महिमा कर रहे थे। (दानिय्येल ५:१-४) बाबुल की मजबूत दीवारों में वे स्वयं को सुरक्षित महसूस करते थे।
लेकिन बाहर कुस्रू की सेना ने फरात नदी के पानी को काट दिया था, जो बाबुल से होकर बहती थी। इस प्राकृतिक बाधा को हटा कर इसके सैनिक नदी के दलदली तल को रौंदते हुये आगे बढते और नदी के खुले द्वार से होते हुये दीवारों को पार करके नगर में घुस गये। सूर्योदय के पूर्व बेलशस्सर मार दिया जाता है, बाबुल गिर जाता है और मादी फारसी बाइबल इतिहास की चौथी विश्व शक्ति बन जाता है! परन्तु, ये मादी और फारसी लोग कौन थे?
मादी लोग असीरीया के पूर्व की ओर के पठारी क्षेत्र से आये थे। असीरीया में पायी गई कुछ भू-आकृतियों में उन्हें कुरते के ऊपर भेड़-चर्म से बने हुये कोट पहने तथा बड़े लेसों (फीतो) वाले जूते पहने हुये चित्रित किया है, जो ऊँचे पठारों पर उनके पशु चारणिक कार्य के लिये उचित है। मादी लोगों ने कोई लिखित अभिलेख नहीं छोड़ा है, जो कुछ भी हम उनके बारे में जानते हैं, वह हम ने बाइबल से असीरीया मूलपाठ से एवं साहित्यिक यूनानी इतिहास से सीखा है। फारसी लोग फारस की खाड़ी के उत्तर में मूल रूप से खानाबदोश जीवन बिताते थे। जैसे उनके सम्राट बढ़े उनमें ऐश्वर्य के लिये अनोखी इच्छा विकसित होती गई।
पहले तो मादी लोग प्रबल थे परन्तु सा.यु.पू. ५५० में फारस के कुस्रू महान ने मादी राजा अस्तीगस पर विजय प्राप्त की। कुस्रू ने दोनों वर्गों के लोगों की रीतियों व व्यवस्था को जोड़ा तथा उनके राज्यों को जीतकर एक-एक करके अपने विजय क्षेत्र को बढ़ाता गया। हालांकि मादी लोग फारसियों के अधीन थे परन्तु वह साम्राज्य दोहरी प्रकृति का था। मादी लोग उच्च पदों पर थे तथा फारसी सेना का नेतृत्व करते थे। विदेशी लोग उन्हें मादी व फारसी नाम से सम्बोधित करते थे और यदि उन्हें एकवचन में कहना होता तो “मादी” कहते थे।
मादी एवं फारसियों के बाबुल पर आक्रमण करने से पहले ही भविष्यद्वक्ता दानिय्येल को एक दो सींग वाले मेढ़े का दर्शन दिया गया था, जो इस दोहरे राज्य को चित्रित करता था। दानिय्येल ने लिखा: “और उसके सींग बड़े हैं, परन्तु उनमें से एक अधिक बड़ा है और जो बड़ा है वह दूसरे के बाद निकला।” इस मेढ़े की पहचान का कोई प्रश्न नहीं उठता क्योंकि स्वर्गदूत ने दानिय्येल से कहा था: “जो दो सींग वाला मेढ़ा तू ने देखा उसका अर्थ मादियों और फारसियों के राज्य से है।”—दानिय्येल ८:३, २०.
दानिय्येल उस समय बाबुल में ही था जब बाबुल गिरा और दानिय्येल, मादी और फारसियों के आगमन का साक्षी था। दारा मादी इस नये जीते हुये नगर का प्रथम शासक था। उसने अपने राज्य में एक सौ बीस संरक्षक नियुक्त किये और उनके ऊपर तीन अधिकारी नियुक्त किये। दानिय्येल उन तीन में से एक था। (दानिय्येल ५:३०-६:३) बाबुल के गिरने से पहले और बाद में भी दानिय्येल की उच्च प्रशासनिक स्थिति को दृष्टि में रखते हुये यह सोचना उचित होगा कि कुस्रू उस इब्रानी भविष्यद्वाणी को नहीं जानता होगा जो दो शताब्दी पूर्व बाबुल के बारे में की गई थी कि वह कुस्रू नाम के मुनष्य द्वारा जीता जायेगा।—यशायाह ४५:१-३.
यरूशलेम की पुनःस्थापना
बाबुल का पतन एक अन्य नगर—यरूशलेम—का उत्थान करता है। सा.यु.पू. ६०७ में बाबुल-वासियों द्वारा उसके विनाश के बाद ७० वर्षों तक वह उजाड़ पड़ा था। बाइबल की भविष्यवाणी में कहा था कि कुस्रू के द्वारा यरूशलेम का पुननिर्माण होगा तथा मंदिर की नींव रखी जायेगी।—यशायाह ४४:२८.
क्या ऐसा हुआ? जी हाँ! याजक विद्वानी और शास्त्री एज्रा सूचित करता है कि कुस्रू ने आदेश जारी किया कि यहोवा के उपासक, “यहूदा के यरूशलेम को जाकर इस्राएल के परमेश्वर यहोवा का भवन बनाये—जो यरूशलेम में है, वही परमेश्वर है।” (एज्रा १:३) करीब ५०,००० लोग मंदिर के खजाने सहित, चार माह की यात्रा करके यरूशलेम पहुँचे। सा.यु.पू. ५३७ में वह जगह फिर बसाई गई—यरूशलेम के गिरने के ठीक ७० वर्ष बाद।—यिर्मयाह २५:११, १२; २९:१०.
पुरातत्वविज्ञान ने यह प्रमाणित किया है कि ऐसा आदेश कुस्रू की नीति के साथ सामन्जस्य में था। बाबुल के मलबे से प्राप्त मिट्टी के एक बेलन पर कुस्रू ने लिखा: “मैं इन पवित्र नगरों को लौटा . . . जिसके पवित्र स्थान लम्बे समय से उजाड़ पड़े थे। यहाँ की प्रतिमाओं को फिर से स्थापित कर उन्हें पुनः स्थायी पवित्र-स्थान बनाया। मैंने यहाँ के मूल निवासियों को भी ढूँढ कर उन्हें, उनके मूल स्थान पर स्थापित किया।”
यहूदियों के शत्रु सामरियों ने बाद में मंदिर के पुननिर्माण में बाधा डाली। यहोवा के भविष्यद्वक्ता हग्गै और जकर्याह ने लोगों की हिम्मत बढ़ाई और निर्माण कार्य फिर शुरू हुआ। राजा दारा ने आदेश दिया कि कुस्रू के मूल आदेश की खोज की जाये जिस में उसने मंदिर के पुनःनिर्माण का आदेश दिया था। बाइबल कहती है कि इक्वाताना में कुस्रू के ग्रीष्म-कालिक आवास में वह कुण्डली बरामद हुई जिसके साथ मंदिर के कार्य की वैद्यता का ज्ञापन भी था। यह कार्य फरसी राजा दारा प्रथम के छटवें वर्ष में पूर्ण हुआ।—एज्रा ४:४-७, २१; ६:१-१५.
वैभव का प्रमाण
पहले बताये गये दर्शन में दानिय्येल ने देखा था कि मादी व फारसी, दो सींगों वाला, “मेढ़ा पश्चिम, उत्तर और दक्षिण की ओर सींग मारता है और कोई जन्तु [दूसरे राष्ट्र] उसके साम्हने खड़ा नहीं रह सकता और न उसके हाथ से कोई किसी को बचा सकता है, और वह अपनी ही इच्छा के अनुसार कार्य करके आगे बढ़ता जाता था।” (दानिय्येल ८:४) दारा राजा के समय तक यह दर्शन लगभग पूरा हो गया अपनी गौरव गाया में दारा महान ने स्वयं को बिसीटन में चट्टानों की विराट आकृतियों द्वारा प्रदर्शित किया है, जो बाबुल और इक्वाताना के बीच के एक पुराने मार्ग पर स्थित है। बाबुल को जीतने के अतिरिक्त इस मादी-फारसी मेढ़े ने तीन मुख्य दिशाओं में अपना क्षेत्र फैलाया: असीरियों में उत्तर, पश्चिम में एशिया माईनर की ओर एवं, दक्षिण में मिस्र की ओर।
अहमता में अपने ग्रीष्म कालीन आवास के दक्षिण पूर्व में फारसी सम्राटों ने परसीपोलीस में एक गगनचुम्बी महल बनवाया। वहाँ की एक भू-आकृति दारा को उसके सिंहासन पर बैठे हुये देखती है और एक शिलालेख पर वह गर्व से कहता है: “मैं दारा हूँ, महान राजा, राजाओं का राजा, राष्ट्रों का राजा . . . जिसने यह महल बनवाया।” इस विशाल राजधानी की कुछ मीनारे अब भी खड़ी हैं। एक अन्य राजधानी सूसा में थी जो बाबुल अहमता और पर्सीपोलिस के ठीक मध्य में है। यहाँ दारा ने एक और अद्भुत महल बनवाया।
दारा का उत्तराधिकारी उसका पुत्र क्षयर्ष बना जो बाइबल की पुस्तक एस्तेर का “क्षयर्ष” था। वह कहता है कि क्षयर्ष “हिन्दुस्तान से लेकर कूश देश तक एक सौ सत्ताइस प्रान्तों पर राज्य करता था” और वह “शूशान नाम राजगढ़ में अपनी राजगद्दी पर विराजमान था।” वहीं पर उसने सुन्दर रानी एस्तेर को अपनी रानी बनाया। (एस्तेर १:१, २; २:१७) पेरिस में लोवरी संग्रहालय में एक अलंकृत बैल रखा है जो इस महल की एक मीनार के शीर्ष पर लगा था, साथ ही अलंकृत दीवारें जिन पर गर्वीले फारसी तीरन्दाज और अनेक जन्तु बने हैं, देख सकते हैं। शिलाखण्ड, आभूषण और दूसरी चीजें जो वहाँ से प्राप्त हुई थी वे बाइबल के उस वर्णन से मेल खाती हैं जो एस्तेर को दिये गये उच्च सौन्दर्य प्रसाधनों के बारे में है तथा उस ऐश्वर्य से भी जो सूसान में था।—एस्तेर १:७; २:९, १२, १३.
क्षयर्ष के यूनानी शत्रुओं द्वारा कही जानेवाली कथाओं में वैवाहिक कठिनाइयाँ और प्रणय निवेदनों से आधिपत्य जमाने की बातें शामिल हैं। हालांकि वास्तविकताओं के बारे में सन्देह या बहकावा हो सकता है लेकिन ये कथायें एस्तेर पुस्तक के कुछ आधारभूत तथ्यों पर प्रकाश डालती हैं जो यह बताता है कि राजा ने हठीली रानी वशती को हटाकर एस्तेर को रानी बनाया और एस्तेर का चचेरा भाई राज्य में उच्च अधिकारी बन जाता है।—एस्तेर १:१२, १९; २:१७; १०:३.
यहोवा के उपासकों के प्रति सौहार्द दिखाना
सा.यु.पू. ४६८ में क्षयर्ष का उत्तराधिकारी अर्तक्षत्र (लोन्जीमनस) ने याजक एज्रा को अधिकार दिया कि वह यरूशलेम जाये और वहाँ यहोवा की पवित्र उपासना विकसित करे। कोई १,५०० पुरुष और उनके परिवारगण—शायद ६,००० लोग एज्रा के साथ हो लिये वे अपने साथ यहोवा के मंदिर के लिये विशाल चन्दा भी लिये हुये थे।—एज्रा ७:१, ६, ११-२६.
इसी सूसान के महल में इसी राजा अर्तक्षत्र ने अपने २०वें वर्ष में (सा.यु.पू. ४५५) नहेमयाह को, यरूशलेम और उसकी शहरपनाह के पुननिर्माण हेतू अनुमति दी थी। उसने दानिय्येल की “७० सप्ताह” की भविष्यवाणी के प्रारम्भ को चिन्हांकित किया, जो यीशु “मसीहा” के रूप में ठीक २९ सा.यु. में प्रकट होने की ओर संकेत करती है।a—दानिय्येल ९:२४, २५; नहेमयाह १:१; २:१-९.
पपेरस पर अरामिक भाषा में लिखे हुये कुछ दस्तावेज मिस्र की नील नदी के एक टापू एलीफेण्टाइन से प्राप्त हुये थे। ये दस्तावेज बाइबल लेखकों एज्रा व नहेमयाह द्वारा फारसी राजा की स्थिती व संचार के वर्णन की सच्चाई को सिद्ध करते हैं बिब्लीकल आर्कीयोलॉजी में प्रोफेसर जी. अर्नेस्ट राईट कहता है: “अब . . . देख सकते हैं कि अरामिक एज्रा सचमुच अपने युग की पुस्तक है, जबकि शासकीय दस्तावेज जो सामान्य प्रकार के हैं, जिनसे हम फारसी प्रशासन को जान सकते हैं।” इनमें से एक दस्तावेज में मिस्र में यहूदियों द्वारा फसह से सम्बन्धित शाही आदेश है।
मादी-फारसी यूनान से परास्त होते हैं
दर्शन में दानिय्येल ने मादी-फारसियों को एक दो सींग वाले मेढ़े के रूप में देखा। फिर उस घटना के दो शताब्दी पहले ही उसने देखा कि एक बकरा पश्चिम दिशा से निकलकर “सारी पृथ्वी के ऊपर ऐसा फिरा कि चलते समय भूमि पर पाँव न छुआया।” यह तेज चलता बकरा मेढ़े के निकट आकर “उसे मारकर उसके दोनों सींगों को तोड़ देता है” और उसका साम्हना करने को मेढ़े का कुछ भी वश न चला।” (दानिय्येल ८:५-७) क्या इतिहास बताता है कि मादी-फारसियों के साथ यह सचमुच हुआ था?
जी हाँ। सा.यु.पू. ३३४ में पश्चिम से सिकन्दर महान आया। उस बकरे के समान तेज गति से वह एशिया को रोंदता हुआ आया और फारसियों पर विजय प्राप्त की। अन्त में सा.यु.पू. ३३१ में गाऊगामेला में उसने लाखों पुरुषों की फारसी सेना को तितर-बितर किया। उसका अगुवा दारा तृतीय भाग निकला और बाद में अपने ही मित्रों द्वारा मारा गया। चौथी विश्व शक्ति गिरा दी गई। उसके सींग तोड़ दिये गये और सिकन्दर का साम्राज्य बाइबल इतिहास में पाँचवीं विश्व-महाशक्ति बन गया। इसका हमारे अगले अंक में वर्णन किया जायेगा।
मादी-फारसी विश्वशक्ति का अस्तित्व केवल दो शताब्दी तक रहा—सा.यु.पू. ५३९ की रात्री में जब उसने बाबुल को उखाड़ फेंका या तब से सिकन्दर के हाथों परास्त होने तक। यह उस समय के लगभग बराबर ही है जो संयुक्त राज्य अमेरिका की स्थापना या फ्रांसीसी क्रान्ती के बीतने पर था इस अल्पकालिक समय में मादी व फारसियों के पास निरुद्देश्य रूप से यहोवा के उद्देश्यों और उसकी भविष्यवाणियों के लिये करने को बहुत कुछ था।
[फुटनोट]
a इस भविष्यवाणी की विस्तृत जानकारी और इसकी पूर्णता जानने के लिये देखिये द वाचटावर बाइबल एण्ड ट्रेक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित पुस्तक “तेरा राज्य आए” पृष्ठ ५६-६६।
[पेज 29 पर नक्शा/तसवीरें]
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
मादी-फारसी साम्राज्य
भारत
इक्बाताना
सूसा (सूशान)
परसीपोलिस
बाबुल
यरूशलेम
मिस्र
[तसवीरें]
फारस की विधीबद्ध राजधानी परसीपोलिस के अवशेष
[चित्र का श्रेय]
Manley Studios
[पेज 30 पर तसवीरें]
ईरान में कुस्रू की कब्र