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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1994
w94 11/1 पेज 22-27

अय्यूब का प्रतिफल—आशा का एक स्रोत

“यहोवा ने अय्यूब के पिछले दिनों में उसको अगले दिनों से अधिक आशीष दी।” —अय्यूब ४२:१२.

१. यद्यपि जब परीक्षाएँ उन्हें बहुत ही कमज़ोर बना देती हैं, यहोवा अपने लोगों के लिए क्या करता है?

यहोवा “अपने खोजनेवालों को प्रतिफल देता है।” (इब्रानियों ११:६) यद्यपि परीक्षाओं ने उन्हें मृत जनों के समान कमज़ोर बना दिया हो, वह अपने समर्पित लोगों को साहसपूर्वक गवाही देने के लिए भी प्रेरित करता है। (अय्यूब २६:५; प्रकाशितवाक्य ११:३, ७, ११) दुःखी अय्यूब के मामले में वह सच साबित हुआ। तीन झूठी सांत्वना देनेवालों द्वारा निन्दा किए जाने पर भी, वह मनुष्यों के डर से चुप नहीं हुआ। बल्कि, उसने एक निधड़क गवाही दी।

२. जबकि उन्होंने सताहट और कष्ट सहे हैं, यहोवा के गवाह किस प्रकार अपनी परीक्षाओं को पार कर आए हैं?

२ यहोवा के अनेक आधुनिक-दिन गवाहों ने ऐसी बड़ी सताहट और कष्ट सहे हैं जिसमें वे मृत्यु के जोखिम में थे। (२ कुरिन्थियों ११:२३) लेकिन, अय्यूब की तरह उन्होंने परमेश्‍वर के लिए प्रेम दिखाया है और धार्मिकता का पालन किया है। (यहेजकेल १४:१४, २०) वे यहोवा को ख़ुश करने का दृढ़संकल्प करके, निधड़क गवाही देने का बल प्राप्त करके, और वास्तविक आशा से भरके अपनी परीक्षाओं को पार कर आए हैं।

अय्यूब एक निधड़क गवाही देता है

३. अपने अन्तिम भाषण में अय्यूब ने किस प्रकार की गवाही दी?

३ अपने अन्तिम भाषण में, अय्यूब ने एक ऐसी गवाही दी जो उसकी पहले दी गयी गवाही से भी बढ़कर थी। उसने अपने झूठी सांत्वना देनेवालों को पूरी तरह से चुप करा दिया। चुभनेवाले व्यंग्य से उसने कहा: “निर्बल जन की तू ने क्या ही बड़ी सहायता की!” (अय्यूब २६:२) अय्यूब ने यहोवा की महिमा की, जिसकी शक्‍ति हमारी पृथ्वी को बिना टेक के अंतरिक्ष में और जल से भरे बादलों को पृथ्वी के ऊपर लटकाए रखती है। (अय्यूब २६:७-९) फिर भी, अय्यूब ने कहा कि ये सब अद्‌भुत कार्य “[यहोवा की] गति के किनारे ही हैं।”—अय्यूब २६:१४.

४. खराई के बारे में अय्यूब ने क्या कहा, और वह उस प्रकार अपने आपको क्यों व्यक्‍त कर सका?

४ अपनी निर्दोषिता के बारे में निश्‍चित होते हुए, अय्यूब ने घोषित किया: “जब तक मेरा प्राण न छूटे तब तक मैं अपनी खराई से न हटूंगा।” (अय्यूब २७:५) उसके विरुद्ध लगाए गए झूठे आरोपों के विपरीत, उसने ऐसा कुछ नहीं किया था, जिससे वह उस पर आयी विपत्ति के योग्य ठहरे। अय्यूब जानता था कि यहोवा धर्मत्यागियों की प्रार्थनाओं को नहीं सुनता है लेकिन खराई रखनेवालों को प्रतिफल देगा। यह हमें याद दिला सकता है कि जल्द ही अरमगिदोन का तूफ़ान दुष्टों को उनकी शक्‍ति के स्थान से हटाएगा, और वे परमेश्‍वर के कठोर हाथ से नहीं बचेंगे। तब तक, यहोवा के लोग अपनी खराई में चलते रहेंगे।—अय्यूब २७:११-२३.

५. अय्यूब ने किस प्रकार सच्ची बुद्धि को परिभाषित किया?

५ अय्यूब की बातें सुनते हुए उन तीन सांसारिक रूप से ज्ञानियों की कल्पना कीजिए जब उसने दिखाया कि मनुष्य ने अपने कौशल को पृथ्वी और समुद्र से सोना, चाँदी, और अन्य ख़ज़ानों को पाने में इस्तेमाल किया है। लेकिन उसने कहा, “बुद्धि का मोल माणिक से भी अधिक है।” (अय्यूब २८:१८) अय्यूब के झूठी सांत्वना देनेवाले सच्ची बुद्धि नहीं ख़रीद सकते थे। उसका स्रोत हवा, वर्षा, बिजली, और गर्जन का सृष्टिकर्ता है। वाक़ई, श्रद्धापूर्वक “प्रभु [यहोवा, NW] का भय मानना यही बुद्धि है: और बुराई से दूर रहना यही समझ है।”—अय्यूब २८:२८.

६. अय्यूब ने अपनी पहले की ज़िन्दगी के बारे में क्यों बात की?

६ अपने दुःखों के बावजूद, अय्यूब ने यहोवा की सेवा करना नहीं छोड़ा। परमप्रधान से दूर हो जाने के बजाय, इस खराई रखनेवाले पुरुष ने “ईश्‍वर” के साथ पहले “की मित्रता” की लालसा की। (अय्यूब २९:४) अय्यूब डींग नहीं मार रहा था जब उसने वर्णन किया कि उसने कैसे ‘दोहाई देनेवाले दीन को छुड़ाया, धर्म को पहिने रहा, और दरिद्र लोगों का पिता ठहरा।’ (अय्यूब २९:१२-१६) इसके बजाय, वह यहोवा के वफ़ादार सेवक के तौर पर अपने जीवन की वास्तविकताओं का उल्लेख कर रहा था। क्या आपने एक ऐसा उत्तम रिकार्ड बनाया है? निश्‍चय ही, अय्यूब तीन धर्मनिष्ठ ढोंगियों द्वारा लगाए गए आरोपों की असत्यता को भी प्रकट कर रहा था।

७. अय्यूब किस प्रकार का व्यक्‍ति रहा था?

७ कम उम्र के पुरुषों द्वारा अय्यूब की हँसी उड़ायी गयी ‘जिनके पिताओं को वह अपनी भेड़ बकरियों के कुत्तों के काम के योग्य भी न जानता था।’ उससे घृणा की गई और उस पर थूका गया। हालाँकि वह गम्भीर रूप से पीड़ित था, अय्यूब को कोई लिहाज़ नहीं दिखाया गया। (अय्यूब ३०:१, १०, ३०) लेकिन, क्योंकि वह पूरी तरह से यहोवा को समर्पित था, उसके पास एक साफ़ अंतःकरण था और वह कह सकता था: ‘वह मुझे धर्म के तराज़ू में तौलेगा और ईश्‍वर मेरी खराई को जान लेगा।’ (अय्यूब ३१:६) अय्यूब एक परस्त्रीगामी या षड्यंत्रकारी नहीं था, और वह ज़रूरतमन्दों की सहायता करने से नहीं चूका था। जबकि वह अमीर रहा था, उसने कभी भौतिक दौलत में भरोसा नहीं रखा। इसके अतिरिक्‍त, चाँद जैसी निर्जीव चीज़ों को भक्‍ति देकर अय्यूब ने मूर्तिपूजा में भाग नहीं लिया। (अय्यूब ३१:२६-२८) परमेश्‍वर पर भरोसा रखते हुए, उसने खराई रखनेवाले के रूप में एक उत्तम उदाहरण रखा। अपने सारे दुःखों और झूठी सांत्वना देनेवालों की उपस्थिति के बावजूद, अय्यूब ने कौशलपूर्ण प्रतिरक्षा की और एक बढ़िया गवाही दी। अपने वचन पूरे करने के बाद, उसने अपने न्यायी और प्रतिफल देनेवाले के रूप में परमेश्‍वर की ओर देखा।—अय्यूब ३१:३५-४०.

एलीहू बोलता है

८. एलीहू कौन था, और उसने किस प्रकार आदर और साहस दोनों प्रदर्शित किए?

८ नज़दीक ही युवा एलीहू था, जो नाहोर के बेटे बूज का वंशज था और इस प्रकार यहोवा के मित्र इब्राहीम का दूर का रिश्‍तेदार था। (यशायाह ४१:८) वाद-विवाद के दोनों पक्षों को सुनने के द्वारा एलीहू ने बुज़ुर्ग पुरुषों के लिए आदर दिखाया। फिर भी, जिन विषयों के बारे में उन्होंने ग़लत कहा वहाँ वह साहसपूर्वक बोला। उदाहरण के लिए, उसका क्रोध अय्यूब पर भड़क उठा जब उसने “परमेश्‍वर को नहीं, अपने ही को निर्दोष ठहराया।” एलीहू का क्रोध ख़ासकर झूठी सांत्वना देनेवालों की ओर निर्दिष्ट था। उनके कथन परमेश्‍वर की महिमा करनेवाले प्रतीत होते थे लेकिन असल में विवाद में शैतान का पक्ष लेने के द्वारा उन्होंने उसकी निन्दा की। ‘मन में बातों से भरा’ और पवित्र आत्मा द्वारा प्रेरित, एलीहू यहोवा का एक निष्पक्ष गवाह था।—अय्यूब ३२:२, १८, २१.

९. एलीहू ने किस प्रकार अय्यूब के लिए बहाली की ओर संकेत किया?

९ अय्यूब परमेश्‍वर के दोषनिवारण से ज़्यादा अपने दोषनिवारण के प्रति चिन्तित हो गया था। असल में, उसने परमेश्‍वर के साथ झगड़ा किया था। लेकिन, जब अय्यूब की मृत्यु पास आ रही थी, बहाली का संकेत मिला। वह कैसे? एलीहू यह कहने के लिए प्रेरित हुआ कि यहोवा ने अय्यूब को यह संदेश देकर उस पर अनुग्रह किया: “उसे गढ़हे में जाने से बचा ले, मुझे छुड़ौती मिली है। तब उस मनुष्य की देह बालक की देह से अधिक स्वस्थ और कोमल हो जाएगी; उसकी जवानी के दिन फिर लौट आएंगे।”—अय्यूब ३३:२४, २५.

१०. किस हद तक अय्यूब की परीक्षा होनी थी, लेकिन १ कुरिन्थियों १०:१३ को ध्यान में रखते हुए हम किस बात के बारे में आश्‍वस्त हो सकते हैं?

१० एलीहू ने अय्यूब को यह कहने के लिए झिड़का कि खराई बनाए रखने के द्वारा परमेश्‍वर में आनन्द लेने में कोई लाभ नहीं है। एलीहू ने कहा: “यह सम्भव नहीं कि ईश्‍वर दुष्टता का काम करे, और सर्वशक्‍तिमान बुराई करे। वह मनुष्य की करनी का फल देता है।” अय्यूब ने अपनी धार्मिकता पर ज़ोर देने में जल्दबाज़ी से काम किया, लेकिन उसने ऐसा बिना पर्याप्त ज्ञान और समझ के किया। एलीहू ने आगे कहा: “भला होता, कि अय्यूब अन्त तक परीक्षा में रहता, क्योंकि उस ने अनर्थियों के से उत्तर दिए हैं।” (अय्यूब ३४:१०, ११, ३५, ३६) उसी प्रकार, हमारा विश्‍वास और खराई पूरी तरह से तब साबित हो सकता है जब किसी तरीक़े से हम “अन्त तक परीक्षा” में रहते हैं। फिर भी, हमारा प्रेममय स्वर्गीय पिता हमें सहन के बाहर परीक्षा में पड़ने न देगा।—१ कुरिन्थियों १०:१३.

११. जब हम पर कड़ी परीक्षा आती है, तब हमें क्या याद रखना चाहिए?

११ जैसे एलीहू ने कहना जारी रखा, उसने फिर से दिखाया कि अय्यूब अपनी धार्मिकता पर बहुत ज़्यादा ज़ोर दे रहा था। ध्यान हमारे महान सृष्टिकर्ता पर केंद्रित होना चाहिए। (अय्यूब ३५:२, ६, १०) परमेश्‍वर “दुष्टों को जिलाए नहीं रखता, और दीनों को उनका हक़ देता है,” एलीहू ने कहा। (अय्यूब ३६:६) कोई भी व्यक्‍ति परमेश्‍वर के कार्यों का हिसाब लेकर यह नहीं कह सकता कि उसने अनुचित काम किया है। वह हमारे ज्ञान से कहीं ज़्यादा उच्च है, और उसके वर्षों की गिनती अंतहीन है। (अय्यूब ३६:२२-२६) जब हम पर कड़ी परीक्षा आती है, तब याद रखिए कि हमारा अनन्त परमेश्‍वर धर्मी है और उसे महिमा पहुँचाने के हमारे वफ़ादार कार्यों के लिए हमें प्रतिफल देगा।

१२. दुष्टों पर परमेश्‍वर के न्यायदंड लाने के बारे में एलीहू की अन्तिम अभिव्यक्‍तियाँ क्या सूचित करती हैं?

१२ जब एलीहू बोल रहा था, तब एक तूफ़ान उठ रहा था। जैसे-जैसे वह क़रीब आता गया, एलीहू का हृदय उछलने और काँपने लगा। उसने यहोवा द्वारा किए गए महान कार्यों के बारे में बात की और कहा: “हे अय्यूब! इस पर कान लगा और सुन ले; चुपचाप खड़ा रह, और ईश्‍वर के आश्‍चर्यकर्मों का विचार कर।” अय्यूब की तरह, हमें परमेश्‍वर के आश्‍चर्यकर्मों पर और उसकी भय-प्रेरक प्रतिष्ठा पर विचार करने की ज़रूरत है। एलीहू ने कहा: “सर्वशक्‍तिमान जो अति सामर्थी है, और जिसका भेद हम पा नहीं सकते, वह न्याय और पूर्ण धर्म को छोड़ अत्याचार नहीं कर सकता। इसी कारण सज्जन उसका भय मानते हैं।” (अय्यूब ३७:१, १४, २३, २४) एलीहू की अन्तिम अभिव्यक्‍तियाँ हमें याद दिलाती हैं कि जब परमेश्‍वर जल्द ही दुष्टों पर न्यायदंड लाएगा, तब वह न्याय और धार्मिकता को तुच्छ नहीं जानेगा और जो उससे डरते हैं उन्हें अपने श्रद्धामय उपासकों के रूप में सुरक्षित रखेगा। ऐसी खराई रखनेवालों के बीच में होना क्या ही विशेषाधिकार है जो यहोवा को विश्‍व सर्वसत्ताधारी के रूप में स्वीकार करते हैं! अय्यूब की तरह धीरज धरिए, और इस आनन्दित भीड़ में आपके धन्य स्थान से दूर ले जाने के लिए इब्‌लीस को कभी मौक़ा मत दीजिए।

यहोवा अय्यूब को उत्तर देता है

१३, १४. (क) किन बातों के सम्बन्ध में यहोवा ने अय्यूब से प्रश्‍न करने शुरू किए? (ख) परमेश्‍वर ने अय्यूब से जो अन्य प्रश्‍न पूछे उनसे कौन-से मुद्दे सीखे जा सकते हैं?

१३ अय्यूब कितना चकित हुआ होगा जब यहोवा ने उसको आँधी में से उत्तर दिया! वह तूफ़ान परमेश्‍वर का एक कार्य था, जो शैतान द्वारा घर को ढहाने और अय्यूब के बच्चों को मारने के लिए इस्तेमाल की गई प्रचण्ड वायु से भिन्‍न था। अय्यूब हक्का-बक्का रह गया जब परमेश्‍वर ने उससे पूछा: “जब मैं ने पृथ्वी की नेव डाली, तब तू कहां था? . . . किस ने उसके कोने का पत्थर बिठाया, जब कि भोर के तारे एक संग आनन्द से गाते थे और परमेश्‍वर के सब पुत्र जयजयकार करते थे?” (अय्यूब ३८:४, ६, ७) यहोवा ने अय्यूब से समुद्र, बादलों से बने पृथ्वी के वस्त्र, भोर, मृत्यु के फाटक, उजियाले और अन्धियारे, और तारामंडल के बारे में एक के बाद एक प्रश्‍न किए। अय्यूब कुछ न कह सका जब उससे पूछा गया: ‘क्या तू आकाशमण्डल की विधियां जानता है?’—अय्यूब ३८:३३.

१४ अन्य प्रश्‍नों ने सूचित किया कि मानव की सृष्टि करके, उसे मछलियों, पक्षियों, पशुओं, और रेंगनेवाले जन्तुओं पर अधिकार देने से पहले, परमेश्‍वर उनका भरण-पोषण करता था—बिना किसी मानवी सहायता या सलाह के। यहोवा के अतिरिक्‍त प्रश्‍नों ने जंगली साँड़, शुतुरमुर्गी, और घोड़े जैसे प्राणियों का उल्लेख किया। अय्यूब से पूछा गया: “क्या उकाब तेरी आज्ञा से ऊपर चढ़ जाता है, और ऊंचे स्थान पर अपना घोंसला बनाता है?” (अय्यूब ३९:२७) निश्‍चय ही नहीं! अय्यूब की प्रतिक्रिया की कल्पना कीजिए जब परमेश्‍वर ने उससे पूछा: “क्या जो बकवास करता है वह सर्वशक्‍तिमान से झगड़ा करे?” यह आश्‍चर्य की बात नहीं है कि अय्यूब ने कहा: “देख, मैं तो तुच्छ हूं, मैं तुझे क्या उत्तर दूं? मैं अपना हाथ अपने मुंह पर रखता हूं।” (अय्यूब ४०:२, ४, A New Hindi Translation) चूँकि यहोवा हमेशा सही होता है, यदि हम उसके विरुद्ध शिकायत करने के लिए कभी प्रवृत्त हों, तो हमें ‘अपना हाथ अपने मुंह पर रखना चाहिए।’ (NHT) परमेश्‍वर के प्रश्‍नों ने उसकी श्रेष्ठता, प्रतिष्ठा, और बल को और भी सुस्पष्ट किया, जैसा कि सृष्टि में प्रदर्शित है।

जलगज और लिब्यातान

१५. जलगज सामान्यतः कौन-सा जानवर समझा जाता है, और उसकी कुछ विशेषताएँ क्या हैं?

१५ यहोवा ने उसके बाद जलगज का ज़िक्र किया, जिसे सामान्यतः दरियाई घोड़ा समझा जाता है। (अय्यूब ४०:१५-२४) अपने विशाल आकार, भारी वज़न, और सख़्त खाल के लिए प्रसिद्ध, यह शाकभक्षी जानवर “घास खाता है।” उसकी ताक़त और ऊर्जा के स्रोत उसके नितम्ब और पेट के कंडरों में है। उसके पैरों की हड्डियाँ “ताँबे की नलियों” (NW) के जितनी मज़बूत हैं। जलगज प्रचण्ड जलप्रवाह में घबराता नहीं है बल्कि पानी के बहाव की विपरीत दिशा में आसानी से तैरता है।

१६. (क) लिब्यातान का विवरण किस जानवर पर ठीक बैठता है, और उसके बारे में कुछ तथ्य क्या हैं? (ख) जलगज और लिब्यातान की शक्‍ति यहोवा की सेवा में नियुक्‍तियों को पूरा करने के बारे में क्या सूचित कर सकती है?

१६ परमेश्‍वर ने अय्यूब से यह भी पूछा: “क्या तू लिब्यातान अथवा मगर को बंसी के द्वारा खींच सकता है, वा डोरी से उसकी जीभ दबा सकता है?” लिब्यातान का विवरण मगरमच्छ पर ठीक बैठता है। (अय्यूब ४१:१-३४) वह किसी के साथ शांति की वाचा नहीं बान्धेगा, और कोई बुद्धिमान मनुष्य इतना साहसी नहीं है कि वह इस सरीसृप को भड़काए। वह तीरों से भगाया नहीं जाता, और “वह बर्छी के चलने पर हंसता है।” क्रोधित लिब्यातान गहिरे जल को मरहम की खौलती हांडी की नाईं मथता है। इस तथ्य ने कि लिब्यातान और जलगज अय्यूब से कहीं ज़्यादा शक्‍तिशाली थे उसे नम्र करने में मदद की। हमें भी नम्रतापूर्वक स्वीकार करना चाहिए कि हम अपने आप में बलवन्त नहीं हैं। हमें शैतान अर्थात्‌ साँप के विषदन्त से बचने और यहोवा की सेवा में अपनी नियुक्‍तियों को पूरा करने के लिए हमें परमेश्‍वर-प्रदत्त बुद्धि और बल की ज़रूरत है।—फिलिप्पियों ४:१३; प्रकाशितवाक्य १२:९.

१७. (क) अय्यूब ने किस प्रकार “ईश्‍वर का दर्शन” पाया? (ख) उन प्रश्‍नों से क्या साबित हुआ जिनका उत्तर देने में अय्यूब असमर्थ रहा, और यह हमें कैसे मदद कर सकता है?

१७ पूरी तरह से नम्र कर दिए जाने पर, अय्यूब ने अपने ग़लत दृष्टिकोण को माना और स्वीकार किया कि उसने बिना ज्ञान के बात की थी। फिर भी, उसने विश्‍वास व्यक्‍त किया था कि वह “ईश्‍वर का दर्शन” पाएगा। (अय्यूब १९:२५-२७) वह कैसे हो सकता था, चूँकि कोई मनुष्य यहोवा का दर्शन करके जीवित नहीं रह सकता है? (निर्गमन ३३:२०) असल में, अय्यूब ने ईश्‍वरीय शक्‍ति का प्रकटन देखा, परमेश्‍वर का वचन सुना, और यहोवा के बारे में सच्चाई देखने के लिए उसकी समझ की आँखें खोली गईं। इसलिए अय्यूब को अपने ऊपर “घृणा आई और धूलि और राख में पश्‍चात्ताप किया।” (अय्यूब ४२:१-६) उन अनेक प्रश्‍नों ने जिनका उत्तर देने में वह असमर्थ रहा, परमेश्‍वर की सर्वोच्चता को साबित किया था और मनुष्य की तुच्छता को दिखाया था, चाहे वह अय्यूब की तरह यहोवा को समर्पित क्यों न हो। इससे हमें यह देखने में सहायता मिलती है कि हमारे हितों को यहोवा के नाम के पवित्रीकरण और उसकी सर्वसत्ता के दोषनिवारण से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण नहीं समझा जाना चाहिए। (मत्ती ६:९, १०) यहोवा के प्रति खराई बनाए रखना और उसके नाम का आदर करना हमारी मुख्य चिंता होनी चाहिए।

१८. अय्यूब के झूठी सांत्वना देनेवालों को क्या करने की ज़रूरत थी?

१८ लेकिन आत्म-धर्मी झूठी सांत्वना देनेवालों के बारे में क्या? जिस तरह अय्यूब ने सच बोला था, उसी तरह उसके बारे में सच न बोलने के कारण यहोवा उचित रूप से एलीपज, बिलदद, और सोपर को मार सकता था। परमेश्‍वर ने कहा, “तुम सात बैल और सात मेढ़े छांटकर मेरे दास अय्यूब के पास जाकर अपने निमित्त होमबलि चढ़ाओ, तब मेरा दास अय्यूब तुम्हारे लिये प्रार्थना करेगा।” तीनों को आज्ञा पालन करने के लिए अपने आपको नम्र करना पड़ा। खराई रखनेवाले अय्यूब को उनके लिए प्रार्थना करनी थी, और यहोवा ने उसकी प्रार्थना को स्वीकार्य पाया। (अय्यूब ४२:७-९) लेकिन अय्यूब की पत्नी के बारे में क्या, जिसने उससे परमेश्‍वर की निन्दा करके मर जाने का आग्रह किया था? ऐसा प्रतीत होता है कि परमेश्‍वर की दया से उसका अय्यूब के साथ मिलाप करा दिया गया।

प्रतिज्ञात प्रतिफल हमें आशा देते हैं

१९. अय्यूब के सम्बन्ध में, यहोवा ने इब्‌लीस पर अपनी श्रेष्ठता कैसे दिखायी?

१९ जैसे ही अय्यूब ने अपने दुःखों के बारे में चिंता करनी छोड़ दी और परमेश्‍वर की सेवा में फिर से सक्रिय किया गया, यहोवा ने उसके लिए स्थिति को बदल दिया। तीनों के लिए अय्यूब ने प्रार्थना की, उसके बाद परमेश्‍वर ने “उसका सारा दुःख दूर किया,” और उसे ‘जितना उसका पहिले था, उसका दुगना’ दे दिया। शैतान के रोग-लगानेवाले हाथ को रोकने और अय्यूब को चमत्कारिक रूप से चंगा करने के द्वारा यहोवा ने इब्‌लीस पर अपनी श्रेष्ठता दिखायी। परमेश्‍वर ने पैशाचिक झुण्ड को भी पीछे हटा दिया और अपनी स्वर्गदूतीय छावनी से अय्यूब के चारों ओर फिर से बाड़ा बान्धने के द्वारा उन्हें दूरी पर रखा।—अय्यूब ४२:१०; भजन ३४:७.

२०. किन तरीक़ों से यहोवा ने अय्यूब को प्रतिफल और आशिष दी?

२० अय्यूब के भाई, बहन, और पहले के परिचित उसके साथ खाने, सहानुभूति प्रकट करने, और जो विपत्ति यहोवा ने उस पर आने दी थी, उसके लिए उसे सांत्वना देने के लिए आते रहे। उनमें से प्रत्येक ने अय्यूब को पैसे और सोने की एक-एक बाली दी। यहोवा ने अय्यूब के पिछले दिनों में उसको अगले दिनों से अधिक आशिष दी कि अब उसके पास १४,००० भेड़-बकरियाँ, ६,००० ऊँट, १,००० जोड़ी बैल, और १,००० गदहियाँ हो गईं। अय्यूब को पहले के जितने सात बेटे और तीन बेटियाँ भी उत्पन्‍न हुईं। उसकी बेटियाँ—यमीमा, कसीआ, और केरेन्हप्पूक—सारे देश में सबसे सुन्दर स्त्रियाँ थीं, और अय्यूब ने उन्हें उनके भाइयों के संग ही सम्पत्ति दी। (अय्यूब ४२:११-१५) इसके अतिरिक्‍त, अय्यूब और १४० वर्ष तक जीवित रहा और अपनी सन्तानों की चार पीढ़ियाँ देखीं। वृतांत इस प्रकार समाप्त होता है: “निदान अय्यूब पुरनिया और दिनों से तृप्त होकर मर गया।” (अय्यूब ४२:१६, १७, फुटनोट) उसके जीवन की अवधि बढ़ाना यहोवा परमेश्‍वर का चमत्कारिक कार्य था।

२१. अय्यूब के सम्बन्ध में शास्त्रीय वृतांत से हमें किस प्रकार सहायता मिलती है, और हमें क्या करने के लिए दृढ़संकल्प करना चाहिए?

२१ अय्यूब के सम्बन्ध में शास्त्रीय वृतांत हमें शैतान की युक्‍तियों से ज़्यादा अवगत कराता है और हमें यह देखने में सहायता करता है कि कैसे विश्‍व सर्वसत्ता मानवी खराई से सम्बन्धित है। अय्यूब की तरह, जो परमेश्‍वर से प्रेम करते हैं उन पर परीक्षा आएगी। लेकिन हम अय्यूब की तरह धीरज धर सकते हैं। वह अपनी परीक्षाओं में से विश्‍वास और आशा के साथ बच निकला, और उसके प्रतिफल अनेक थे। आज यहोवा के सेवकों के रूप में, हमारे पास सच्चा विश्‍वास और आशा है। और महान प्रतिफल देनेवाले ने हममें से प्रत्येक के सामने क्या ही बड़ी आशा रखी है! स्वर्गीय प्रतिफल को ध्यान में रखना अभिषिक्‍त जनों को पृथ्वी पर अपने शेष बचे जीवन में परमेश्‍वर की निष्ठा से सेवा करने में सहायता करेगा। पार्थिव प्रत्याशाओं वाले अनेक लोग कभी मरेंगे ही नहीं, लेकिन जो मर जाते हैं उन्हें ख़ुद अय्यूब के साथ पृथ्वी पर परादीस में पुनरुत्थान द्वारा प्रतिफल दिया जाएगा। हृदय और मन में ऐसी वास्तविक आशा को रखते हुए, आइए वे सभी जो परमेश्‍वर से प्रेम करते हैं खराई रखनेवालों और उसकी विश्‍व सर्वसत्ता के निष्ठावान्‌ समर्थकों के तौर पर यहोवा के पक्ष में दृढ़तापूर्वक खड़े रहने के द्वारा शैतान को झूठा साबित करें।

आप कैसे उत्तर देंगे?

▫ अपने झूठी सांत्वना देनेवालों को अपने अन्तिम उत्तर में अय्यूब ने कौन-से कुछ मुद्दों पर बल दिया?

▫ एलीहू कैसे यहोवा का एक निष्पक्ष गवाह साबित हुआ?

▫ परमेश्‍वर ने अय्यूब से कौन-से कुछ प्रश्‍न पूछे, और उनका क्या प्रभाव पड़ा?

▫ अय्यूब के सम्बन्ध में शास्त्रीय वृतांत से आपने किस प्रकार लाभ प्राप्त किया है?

[पेज 25 पर तसवीरें]

जलगज और लिब्यातान के बारे में यहोवा के कथनों ने अय्यूब को नम्र करने में मदद की

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