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  • क्या आप सद्‌गुण का पीछा कर रहे हैं?

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  • क्या आप सद्‌गुण का पीछा कर रहे हैं?
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1997
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1997
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क्या आप सद्‌गुण का पीछा कर रहे हैं?

“जो जो सद्‌गुण और प्रशंसा की बातें हैं उन्हीं पर ध्यान लगाया करो।”—फिलिप्पियों ४:८.

१. दुर्गुण क्या है, और इसने यहोवा की उपासना को क्यों संदूषित नहीं किया है?

दुर्गुण नैतिक दुराचारिता या भ्रष्टता है। जिस संसार में हम रहते हैं उसमें यह व्याप्त है। (इफिसियों २:१-३) लेकिन, यहोवा परमेश्‍वर अपनी शुद्ध उपासना को संदूषित होने की अनुमति नहीं देगा। मसीही प्रकाशन, सभाएँ, सम्मेलन, और अधिवेशन हमें अधर्मी चालचलन के ख़िलाफ़ सामयिक सलाह देते हैं। हम परमेश्‍वर की दृष्टि में ‘भलाई में लगे रहने’ की विवेकपूर्ण शास्त्रीय मदद पाते हैं। (रोमियों १२:९) इसलिए, एक संगठन के तौर पर, यहोवा के साक्षी शुद्ध और सद्‌गुणी होने का प्रयत्न कर रहे हैं। लेकिन व्यक्‍तिगत तौर पर हमारे बारे में क्या? वाक़ई, क्या आप सद्‌गुण का पीछा कर रहे हैं?

२. सद्‌गुण क्या है, और सद्‌गुणी बने रहने के लिए प्रयास की ज़रूरत क्यों है?

२ सद्‌गुण नैतिक श्रेष्ठता, भलाई, सही काम और सोच-विचार है। यह एक निष्क्रिय गुण नहीं लेकिन एक सक्रिय, सकारात्मक गुण है। सद्‌गुण में पाप से दूर रहने से ज़्यादा शामिल है; इसका अर्थ है भलाई का पीछा करना। (१ तीमुथियुस ६:११) प्रेरित पतरस ने संगी मसीहियों से आग्रह किया: “अपने विश्‍वास पर सद्‌गुण . . . बढ़ाते जाओ।” कैसे? परमेश्‍वर की मूल्यवान प्रतिज्ञाओं के प्रति ‘सब प्रकार का यत्न करने’ के द्वारा। (२ पतरस १:५, ७) हमारे पापमय स्वभाव की वजह से, सद्‌गुणी बने रहने में कठिन प्रयास लगता है। फिर भी, परमेश्‍वर का भय माननेवाले प्राचीन व्यक्‍तियों ने ऐसा किया है, अत्यधिक बाधाओं के बावजूद भी।

उसने सद्‌गुण का पीछा किया

३. राजा आहाज किन दुष्ट कार्यों का दोषी था?

३ शास्त्र में ऐसे अनेक लोगों के वृतांत पाए जाते हैं जिन्होंने सद्‌गुण का पीछा किया। उदाहरण के लिए सद्‌गुणी हिजकिय्याह को लीजिए। लगता है कि उसके पिता, यहूदा के राजा आहाज ने, मोलेक की उपासना की। “जब आहाज राज्य करने लगा, तब वह बीस वर्ष का था, और सोलह वर्ष तक यरूशलेम में राज्य करता रहा। और उस ने अपने मूलपुरुष दाऊद का सा काम नहीं किया, जो उसके परमेश्‍वर यहोवा की दृष्टि में ठीक था। परन्तु वह इस्राएल के राजाओं की सी चाल चला, वरन उन जातियों के घिनौने कामों के अनुसार, जिन्हें यहोवा ने इस्राएलियों के साम्हने से देश से निकाल दिया था, उस ने अपने बेटे को भी आग में होम कर दिया [“आग में से गुज़रवाया,” NW]। और ऊंचे स्थानों पर, और पहाड़ियों पर, और सब हरे वृक्षों के तले, वह बलि चढ़ाया और धूप जलाया करता था।” (२ राजा १६:२-४) कुछ लोग दावा करते हैं कि ‘आग में से गुज़रना’ एक प्रकार की शुद्धिकरण विधि को प्रकट करता है और मानव बलि को नहीं। लेकिन जॉन डे द्वारा लिखित पुस्तक, मोलेक—पुराने नियम में मानव बलि का देवता (अंग्रेज़ी) कहती है: “प्राचीन साहित्यिक [यूनानी अथवा रोमी] और प्यूनिकी [काथरेजी] लेखों में इसका प्रमाण है साथ ही पुरातत्व प्रमाण भी है कि कनानी संसार में . . . मानव बलि होती थी, और इसलिए पुराने नियम [में मानव बलि] के उल्लेख पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है।” इसके अलावा, २ इतिहास २८:३ निश्‍चित रूप से कहता है कि आहाज ने “अपने लड़केबालों को आग में होम कर दिया।” (व्यवस्थाविवरण १२:३१; भजन १०६:३७, ३८ से तुलना कीजिए।) क्या ही दुष्ट कार्य!

४. हिजकिय्याह ने दुर्गुण-भरे माहौल में कैसा चालचलन रखा?

४ इस दुर्गुण-भरे माहौल में हिजकिय्याह ने क्या किया? ११९वाँ भजन दिलचस्पी का है, क्योंकि कुछ लोग मानते हैं कि हिजकिय्याह ने इसे राजा बनने से पहले लिखा। (भजन ११९:४६, ९९, १००) सो उसके हालात इन वचनों से देखे जा सकते हैं: “हाकिम भी बैठे हुए आपस में मेरे विरुद्ध बातें करते थे, परन्तु तेरा दास तेरी विधियों पर ध्यान करता रहा। मेरा जीव उदासी के मारे गल चला है।” (भजन ११९:२३, २८) झूठे धर्म के माननेवालों के बीच घिरा, हिजकिय्याह शायद राज दरबार के सदस्यों के बीच ठट्टों का निशाना बन गया, इतना ज़्यादा की उसकी नींद हराम हो गई। फिर भी, उसने सद्‌गुण का पीछा किया, कुछ समय बाद वह राजा बना, और “जो यहोवा की दृष्टि में ठीक है वैसा ही उस ने भी किया . . . वह इस्राएल के परमेश्‍वर यहोवा पर भरोसा रखता था।”—२ राजा १८:१-५.

वे सद्‌गुणी बने रहे

५. दानिय्येल और उसके तीन साथियों ने किन परीक्षाओं का सामना किया?

५ सद्‌गुण में अनुकरणीय दानिय्येल और उसके तीन इब्री साथी भी थे, जिनका नाम हनन्याह, मीशाएल, और अजर्याह था। उन्हें बलपूर्वक उनके देश से ले जाया गया और बाबुल में निर्वासन में पहुँचा दिया गया। उन चारों युवकों को बाबुलीय नाम दिए गए थे—बेलतशस्सर, शद्रक, मेशक और अबेदनगो। उन्हें ‘राजा के भोजन और पीने के दाखमधु में से’ दिया गया जिसमें वे वस्तुएँ भी शामिल थीं जो परमेश्‍वर की व्यवस्था में वर्जित थीं। इसके अलावा, उन्हें “कसदियों के शास्त्र और भाषा की शिक्षा” से संबंधित पाठ्यक्रम के तीन-वर्ष का प्रशिक्षण लेने के लिए मजबूर किया गया। इसमें मात्र दूसरी भाषा सीखने से ज़्यादा शामिल था, क्योंकि यह संभव है कि यहाँ शब्द “कसदियों” विद्वान वर्ग को सूचित करता है। अतः, ये इब्री युवक विकृत बाबुलीय शिक्षा के संपर्क में आए।—दानिय्येल १:१-७.

६. हम क्यों कह सकते हैं कि दानिय्येल ने सद्‌गुण का पीछा किया?

६ समझौता करने के भारी दबावों के बावजूद, दानिय्येल और उसके तीन साथियों ने दुर्गुण की जगह सद्‌गुण चुना। दानिय्येल १:२१ कहता है: “दानिय्येल कुस्रू राजा के पहिले वर्ष तक बना रहा।” जी हाँ, दानिय्येल ८० से ज़्यादा वर्षों तक—अनेक शक्‍तिशाली राजाओं के उत्थान और पतन के दौरान—यहोवा के एक सद्‌गुणी सेवक के तौर पर “बना रहा।” वह भ्रष्ट सरकारी अफ़सरों की साज़िशों और धूर्त-युक्‍तियों और बाबुलीय धर्म में व्याप्त लैंगिक दुर्गुण के बावजूद परमेश्‍वर के प्रति वफ़ादार बना रहा। दानिय्येल सद्‌गुण का पीछा करता रहा।

७. दानिय्येल और उसके तीन साथियों द्वारा अपनाए गए मार्ग से क्या सीखा जा सकता है?

७ हम परमेश्‍वर का भय माननेवाले दानिय्येल और उसके साथियों से बहुत कुछ सीख सकते हैं। उन्होंने सद्‌गुण का पीछा किया और बाबुलीय संस्कृति के रंग में रंगने से इनकार किया। हालाँकि उन्हें बाबुलीय नाम दिए गए थे, उन्होंने यहोवा के सेवकों के रूप में अपनी पहचान कभी नहीं खोई। हाँ, कुछ ७० वर्ष बाद बाबुल के राजा ने दानिय्येल को उसके इब्रानी नाम से पुकारा! (दानिय्येल ५:१३) अपने लंबे जीवन के दौरान, दानिय्येल ने छोटे-छोटे मामलों में भी समझौता करने से इनकार किया। जवानी में ही उसने “अपने मन में ठान लिया कि वह राजा का भोजन खाकर, और उसके पीने का दाखमधु पीकर अपवित्र न” होगा। (दानिय्येल १:८) दानिय्येल और उसके तीन साथियों के इस दृढ़ निश्‍चय ने निःसंदेह उन्हें बाद में आनेवाली जीवन-मरण की परीक्षाओं का सामना करने के लिए मज़बूत किया।—दानिय्येल, अध्याय ३ और ६.

आज सद्‌गुण का पीछा करना

८. मसीही युवा शैतान के संसार के रंग में रंगने का कैसे प्रतिरोध कर सकते हैं?

८ दानिय्येल और उसके तीन साथियों की तरह, आज परमेश्‍वर के लोग शैतान के दुष्ट संसार के रंग में रंगने का प्रतिरोध करते हैं। (१ यूहन्‍ना ५:१९) यदि आप एक मसीही युवा हैं, तो शायद आप अपने समकक्षों के पहनावे, सजने-सँवरने, और संगीत की उनकी अजीब पसंद की नक़ल करने का भारी दबाव महसूस कर रहे हों। हरेक नए फैशन या शैली की नक़ल करने के बजाय, दृढ़ रहिए और ख़ुद को ‘इस संसार के सदृश’ मत बनने दीजिए। (रोमियों १२:२) “अभक्‍ति और सांसारिक अभिलाषाओं से मन फेरकर . . . संयम और धर्म और भक्‍ति से जीवन बिताएं।” (तीतुस २:११, १२) महत्त्वपूर्ण बात आपके समकक्षों की स्वीकृति नहीं बल्कि यहोवा की स्वीकृति है।—नीतिवचन १२:२.

९. व्यापार जगत में लगे मसीही शायद कौन-से दबावों का सामना करें, और उन्हें कैसा चालचलन रखना चाहिए?

९ वयस्क मसीही भी दबाव का सामना करते हैं और उन्हें सद्‌गुणी होना ज़रूरी है। मसीही व्यापारी शायद संदेहास्पद तरीक़े अपनाने या सरकारी नियमों और कर नियमों को नज़रअंदाज़ करने के लिए प्रलोभित हों। व्यापारी प्रतिद्वंद्वी या सहकर्मी चाहे जैसा भी बर्ताव क्यों न करें, “हम सब बातों में अच्छी चाल चलना चाहते हैं।” (इब्रानियों १३:१८) शास्त्रीय तौर पर हमसे माँग की जाती है कि मालिकों, कर्मचारियों, ग्राहकों और सरकारों के साथ ईमानदारी और इंसाफ़ी से पेश आएँ। (व्यवस्थाविवरण २५:१३-१६; मत्ती ५:३७; रोमियों १३:१; १ तीमुथियुस ५:१८; तीतुस २:९, १०) आइए हम अपने व्यापारिक मामलों में भी व्यवस्थित होने का प्रयत्न करें। सही-सही रिकार्ड रखने और समझौतों को लिखित रूप देने के द्वारा हम अकसर ग़लतफ़हमियों से बच सकते हैं।

सावधान रहिए!

१०. जब संगीत की हमारी पसंद की बात आती है तो “सावधान रहने” की ज़रूरत क्यों है?

१० भजन ११९:९ परमेश्‍वर की दृष्टि में सद्‌गुणी बने रहने के एक और पहलू पर प्रकाश डालता है। भजनहार ने गाया: “जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से।” शैतान के सबसे प्रभावशाली हथियारों में से एक है संगीत, जिसमें भावनाओं को उभारने की शक्‍ति है। दुःख की बात है कि जब संगीत की बात आती है तब कुछ मसीही “सावधान रहने से” चूक गए हैं, और उन्होंने ख़ुद को इसके उग्र रूप, जैसे रैप और हॆवी मॆटल की ओर खिंचता पाया है। कुछ लोग शायद तर्क करें कि ऐसा संगीत उन्हें नुक़सान नहीं पहुँचाता या यह कि वे बोल पर कोई ध्यान नहीं देते। दूसरे कहते हैं कि वे मात्र तेज़ ताल या गिटार की ज़ोरदार आवाज़ का आनंद लेते हैं। लेकिन मसीहियों के लिए, विवाद यह नहीं है कि कोई वस्तु आनंददायक है या नहीं। उनकी चिंता यह है कि क्या यह ‘प्रभु को भाता’ है। (इफिसियों ५:१०) कुल मिलाकर, हॆवी मॆटल और रैप संगीत गाली-गलौज और व्यभिचार जैसे दुर्गुणों और यहाँ तक कि शैतानवाद को भी बढ़ावा देते हैं—ऐसी बातें जिनका निश्‍चित रूप से परमेश्‍वर के लोगों के बीच कोई स्थान नहीं है।a (इफिसियों ५:३) अच्छा होगा कि हममें से हरेक व्यक्‍ति, जवान हो या बूढ़ा, इस सवाल पर विचार करे, संगीत की अपनी पसंद से क्या मैं सद्‌गुण का पीछा कर रहा हूँ या दुर्गुण का?

११. टेलीविज़न कार्यक्रमों, वीडियो, और फ़िल्मों के संबंध में एक मसीही कैसे सावधान रह सकता है?

११ अनेक टेलीविज़न कार्यक्रम, वीडियो, और फ़िल्में दुर्गुण को बढ़ावा देते हैं। एक प्रमुख मानसिक-स्वास्थ्य विशेषज्ञ के अनुसार, ‘सुखवाद, लैंगिकता, हिंसा, लालच, और स्वार्थ’ आजकल बनाई जा रहीं अधिकांश फ़िल्मों में छाए हुए हैं। इसलिए, जो कुछ हम देखते हैं उसमें चयनशील होना सावधान रहने में शामिल है। भजनहार ने प्रार्थना की: “मेरी आंखों को व्यर्थ वस्तुओं की ओर से फेर दे।” (भजन ११९:३७) जोसेफ़ नामक एक मसीही युवक ने इस सिद्धांत को लागू किया। जब एक फ़िल्म ने सुस्पष्ट लैंगिकता और हिंसा दिखानी शुरू की, वह सिनेमाघर से बाहर निकल आया। क्या वह ऐसा करने में लज्जित हुआ? “जी नहीं, बिलकुल भी नहीं,” जोसेफ़ कहता है। “मैंने पहले यहोवा के बारे में और उसे प्रसन्‍न करने के बारे में सोचा।”

अध्ययन और मनन की भूमिका

१२. सद्‌गुण का पीछा करने के लिए व्यक्‍तिगत अध्ययन और मनन की ज़रूरत क्यों है?

१२ बुरी बातों से दूर रहना ही काफ़ी नहीं है। सद्‌गुण का पीछा करने में परमेश्‍वर के वचन में अभिलिखित अच्छी बातों का अध्ययन और मनन करना भी शामिल है ताकि उसके धर्मी सिद्धांतों को जीवन में लागू किया जा सके। “अहा! मैं तेरी व्यवस्था में कैसी प्रीति रखता हूं!” भजनहार ने कहा। “दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है।” (भजन ११९:९७) क्या बाइबल और मसीही प्रकाशनों का व्यक्‍तिगत अध्ययन आपकी साप्ताहिक समय-सारणी का हिस्सा है? सच है, परमेश्‍वर के वचन का परिश्रमपूर्वक अध्ययन करने और उस पर प्रार्थनापूर्वक मनन करने के लिए समय निकालना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। लेकिन प्रायः दूसरी गतिविधियों से समय मोल लेना संभव होता है। (इफिसियों ५:१५, १६) प्रातःकाल के कुछ घंटे आपकी प्रार्थना, अध्ययन और मनन के लिए उचित समय हो सकते हैं।—भजन ११९:१४७ से तुलना कीजिए।

१३, १४. (क) मनन अमूल्य क्यों है? (ख) किन शास्त्रवचनों पर मनन करना हमें लैंगिक अनैतिकता से घृणा करने में मदद दे सकता है?

१३ मनन अमूल्य है, क्योंकि यह हमें उसे याद रखने में मदद देता है जो हम सीखते हैं। इससे भी बढ़कर, यह ईश्‍वरीय दृष्टिकोण को विकसित करने में मदद कर सकता है। उदाहरण के लिए: यह जानना एक बात है कि परमेश्‍वर व्यभिचार को वर्जित करता है, लेकिन ‘बुराई से घृणा करना और भलाई में लगे रहना’ बिलकुल दूसरी बात है। (रोमियों १२:९) कुलुस्सियों ३:५ जैसे मूल बाइबल पाठों पर मनन करने के द्वारा लैंगिक अनैतिकता के बारे में हम वास्तव में वैसा महसूस कर सकते हैं जैसा यहोवा महसूस करता है। यह पाठ आग्रह करता है: “इसलिये अपने उन अंगों को मार डालो, जो पृथ्वी पर हैं, अर्थात्‌ व्यभिचार, अशुद्धता, दुष्कामना, बुरी लालसा और लोभ को जो मूर्त्ति पूजा के बराबर है।” ख़ुद से पूछिए: ‘मुझे किस तरह की लैंगिक दुष्कामना को मार डालना चाहिए? मुझे ऐसी किस चीज़ से दूर रहना चाहिए जो अशुद्ध लालसाएँ जगा सकती है? क्या विपरीत लिंग के व्यक्‍ति के साथ जिस तरीक़े से मैं बर्ताव करता हूँ उसमें मुझे कुछ परिवर्तन करने की ज़रूरत है?’—१ तीमुथियुस ५:१, २ से तुलना कीजिए।

१४ पौलुस मसीहियों से व्यभिचार से दूर रहने और संयम बरतने का आग्रह करता है ताकि “कोई अपने भाई को न ठगे, और न उस पर दांव चलाए।” (१ थिस्सलुनीकियों ४:३-७) ख़ुद से पूछिए: ‘व्यभिचार करना क्यों हानिकारक है? यदि मैं इस संबंध में पाप कर बैठता हूँ तो इससे मैं ख़ुद को या किसी दूसरे को क्या हानि पहुँचाऊँगा? मैं आध्यात्मिक, भावनात्मक, और शारीरिक रीति से कैसे प्रभावित होऊँगा? कलीसिया के उन लोगों के बारे में क्या जिन्होंने परमेश्‍वर के नियम का उल्लंघन किया है और अपश्‍चातापी रहे हैं? उनका क्या परिणाम हुआ है?’ ऐसे चालचलन के बारे में शास्त्र जो कहता है उसे मन में रखने से, परमेश्‍वर की नज़रों में जो बुरा है उसके प्रति हमारी घृणा को बढ़ सकती है। (निर्गमन २०:१४; १ कुरिन्थियों ५:११-१३; ६:९, १०; गलतियों ५:१९-२१; प्रकाशितवाक्य २१:८) पौलुस कहता है कि व्यभिचारी “मनुष्य को नहीं, परन्तु परमेश्‍वर को तुच्छ जानता है।” (१ थिस्सलुनीकियों ४:८) कौन-सा ऐसा सच्चा मसीही है जो अपने स्वर्गीय पिता को तुच्छ जानेगा?

सद्‌गुण और संगति

१५. सद्‌गुण का पीछा करने में संगति क्या भूमिका निभाती है?

१५ सद्‌गुणी बने रहने के लिए एक और सहायक है अच्छी संगति। भजनहार ने गाया: “जितने तेरा [यहोवा का] भय मानते और तेरे उपदेशों पर चलते हैं, उनका मैं संगी हूं।” (भजन ११९:६३) हमें मसीही सभाओं में प्रदान की गई हितकर संगति की ज़रूरत है। (इब्रानियों १०:२४, २५) यदि हम ख़ुद को अलग कर लेते हैं, तो हम अपने सोच-विचार में आत्म-केंद्रित बन सकते हैं, और दुर्गुण हम पर आसानी से हावी हो सकता है। (नीतिवचन १८:१) लेकिन, स्नेहपूर्ण मसीही साहचर्य, सद्‌गुणी बने रहने के हमारे निश्‍चय को मज़बूत कर सकता है। निश्‍चय ही, हमें बुरी संगति के ख़िलाफ़ सावधान रहने की भी ज़रूरत है। हम पड़ोसियों, सहकर्मियों, और सहपाठियों के साथ मैत्रीपूर्ण हो सकते हैं। लेकिन यदि हम सचमुच बुद्धिमानी से चल रहे हैं, तो जो मसीही सद्‌गुण का पीछा नहीं कर रहे हैं हम ऐसे लोगों के बहुत नज़दीक नहीं जाएँगे।—कुलुस्सियों ४:५ से तुलना कीजिए।

१६. पहला कुरिन्थियों १५:३३ का अनुप्रयोग करना आज सद्‌गुण का पीछा करने में हमारी कैसे मदद कर सकता है?

१६ पौलुस ने लिखा: “बुरी संगति अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है।” यह बात कहने के द्वारा वह विश्‍वासियों को चेतावनी दे रहा था कि उन तथाकथित मसीहियों के साथ संगति करने के द्वारा वे अपना विश्‍वास खो सकते हैं, जिन्होंने पुनरुत्थान की शास्त्रीय शिक्षा को ठुकरा दिया था। पौलुस की चेतावनी के पीछे जो सिद्धांत है वह कलीसिया के बाहर और अंदर, दोनों जगह हमारी संगति पर लागू होता है। (१ कुरिन्थियों १५:१२, ३३) हाँ, हमारे एकदम निजी दृष्टिकोण के साथ सहमत नहीं होने के कारण हम अपने आध्यात्मिक भाइयों और बहनों से कन्‍नी नहीं काटेंगे। (मत्ती ७:४, ५; रोमियों १४:१-१२) फिर भी, सावधानी ज़रूरी है यदि कलीसिया के कुछ व्यक्‍ति आपत्तिजनक चालचलन में शामिल होते या कटु या शिकायती आत्मा प्रदर्शित करते हैं। (२ तीमुथियुस २:२०-२२) उन लोगों के साथ संगति करना बुद्धिमानी है जिनके साथ हम ‘आपस में एक दूसरे को प्रोत्साहित’ करने का आनंद ले सकते हैं। (रोमियों १:११, १२, NHT) यह हमें एक सद्‌गुणी मार्ग पर चलने और ‘जीवन के रास्ते’ पर बने रहने में मदद करेगा।—भजन १६:११.

सद्‌गुण का पीछा करते रहिए

१७. गिनती अध्याय २५ के अनुसार, इस्राएलियों पर क्या विपत्ति आई, और इससे हमें क्या सबक मिलता है?

१७ इस्राएलियों द्वारा प्रतिज्ञात देश पर अधिकार किए जाने से कुछ ही समय पहले, उनमें से हज़ारों ने दुर्गुण का पीछा करने का फ़ैसला किया—और विपत्ति का सामना किया। (गिनती, अध्याय २५) आज, यहोवा के लोग धर्मी नए संसार की डेवढ़ी पर खड़े हैं। और अंदर प्रवेश करना उन लोगों का आशिषित विशेषाधिकार होगा जो इस संसार के दुर्गुणों को ठुकराना जारी रखते हैं। अपरिपूर्ण मनुष्यों के रूप में, हममें शायद ग़लत प्रवृत्तियाँ हों, लेकिन अपनी पवित्र आत्मा के धर्मी मार्गदर्शन पर चलने के लिए परमेश्‍वर हमारी मदद कर सकता है। (गलतियों ५:१६; १ थिस्सलुनीकियों ४:३, ४) इसलिए आइए हम यहोशू द्वारा इस्राएलियों को दी गई सलाह पर ध्यान दें: “यहोवा का भय मानकर उसकी सेवा खराई और सच्चाई से करो।” (यहोशू २४:१४) यहोवा को अप्रसन्‍न करने का श्रद्धामय भय एक सद्‌गुणी मार्ग का पीछा करने में हमारी मदद करेगा।

१८. दुर्गुण और सद्‌गुण के संबंध में, सभी मसीहियों का क्या निश्‍चय होना चाहिए?

१८ यदि परमेश्‍वर को प्रसन्‍न करने की आपकी दिली तमन्‍ना है, तो पौलुस की सलाह पर चलने का निश्‍चय कीजिए: “जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरनीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सद्‌गुण और प्रशंसा की बातें हैं उन्हीं पर ध्यान लगाया करो।” यदि आप ऐसा करते हैं, तो क्या परिणाम होगा? पौलुस ने कहा: “उन्हीं का पालन किया करो, तब परमेश्‍वर जो शान्ति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा।” (फिलिप्पियों ४:८, ९) जी हाँ, यहोवा की मदद से आप दुर्गुण को ठुकरा सकते हैं और सद्‌गुण का पीछा कर सकते हैं।

[फुटनोट]

a प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी), अप्रैल १५, १९९३, पृष्ठ १९-२४, और फरवरी ८, फरवरी २२, और मार्च २२, १९९३, और नवम्बर २२, १९९६ की सजग होइए! (अंग्रेज़ी) की श्रंखला “युवा लोग पूछते हैं . . . ” देखिए।

पुनर्विचार के लिए मुद्दे

◻ सद्‌गुण का पीछा करने के लिए किस बात की ज़रूरत है?

◻ किन हालातों में हिजकिय्याह, दानिय्येल, और वे तीन इब्री सद्‌गुणी बने रहे?

◻ शैतान की युक्‍तियों का प्रतिरोध करने में हम दानिय्येल की तरह कैसे हो सकते हैं?

◻ मनोरंजन के संबंध में मसीहियों को सावधान रहना ज़रूरी क्यों है?

◻ सद्‌गुण का पीछा करने में अध्ययन, मनन, और संगति क्या भूमिका निभाते हैं?

[पेज 15 पर तसवीर]

युवा हिजकिय्याह ने सद्‌गुण का पीछा किया, हालाँकि वह मोलेक के उपासकों से घिरा हुआ था

[पेज 17 पर तसवीरें]

जब मनोरंजन की बात आती है तब मसीहियों को सावधान रहना ज़रूरी है

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