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यहोवा हमारा चरवाहा हैप्रहरीदुर्ग—2005 | नवंबर 1
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‘मैं हानि से न डरूंगा; क्योंकि तू मेरे साथ रहता है’
13. भजन 23:4 में दाऊद कैसे दिखाता है कि यहोवा के साथ उसकी गहरी मित्रता थी, और यह क्यों ताज्जुब की बात नहीं है?
13 दाऊद, यहोवा पर भरोसा रखने की दूसरी वजह बताता है: यहोवा अपनी भेड़ों की हिफाज़त करता है। हम पढ़ते हैं: “चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में होकर चलूं, तौभी हानि से न डरूंगा; क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है।” (भजन 23:4) शुरू की तीन आयतों में दाऊद, यहोवा को “वह” कहता है, मगर अब वह सीधे उससे बात करते हुए “तू” कहता है, मानो वह अपने जिगरी दोस्त से बात कर रहा हो। और यह कोई ताज्जुब की बात नहीं है, क्योंकि दाऊद यही तो बता रहा है कि यहोवा ने कैसे उसे दुःख-दर्द का सामना करने में मदद की थी। दाऊद कई बार घोर अंधकार से भरी तराइयों से गुज़रा था, यानी कई दफे उसकी ज़िंदगी में ऐसे मुकाम आए थे जब वह मौत के साथ रू-ब-रू हुआ था। फिर भी, उसने डर को अपने ऊपर हावी होने नहीं दिया क्योंकि उसने महसूस किया कि परमेश्वर उसके साथ है और अपना ‘सोंटा’ और अपनी “लाठी” लिए उसे बचाने के लिए हरदम तैयार है। हिफाज़त के इसी एहसास ने दाऊद के दिल को सुकून पहुँचाया और बेशक, इससे वह यहोवा के और भी करीब आया।b
14. यहोवा से मिलनेवाली हिफाज़त के बारे में बाइबल हमें क्या भरोसा दिलाती है, लेकिन इसका क्या मतलब नहीं है?
14 आज यहोवा अपनी भेड़ों की कैसे हिफाज़त करता है? बाइबल हमें भरोसा दिलाती है कि कोई भी विरोधी, फिर चाहे वे दुष्टात्माएँ हों या इंसान, कभी इस धरती से यहोवा की भेड़ों का नामो-निशान नहीं मिटा पाएँगे। यहोवा ऐसा हरगिज़ नहीं होने देगा। (यशायाह 54:17; 2 पतरस 2:9) मगर इसका यह मतलब नहीं कि हमारा चरवाहा हम पर कभी कोई मुसीबत नहीं आने देगा। दुनिया के लोगों की तरह हम पर भी कई मुसीबतें आती हैं। साथ ही, सच्चे मसीही होने के नाते हमें अपने विश्वास की खातिर विरोध का भी सामना करना पड़ता है। (2 तीमुथियुस 3:12; याकूब 1:2) कभी-कभी हमारी ज़िंदगी में ऐसा भी वक्त आ सकता है जब हमें मानो ‘घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में से चलना’ पड़े। मिसाल के लिए, दुश्मन के ज़ुल्मों या किसी गंभीर बीमारी के शिकार होने की वजह से शायद मौत से हमारा सामना हो। या हो सकता है, हमारा कोई अज़ीज़ मरने की कगार पर हो या सचमुच उसकी मौत हो गयी हो। ज़िंदगी में जब हम पर ऐसा कहर टूटता है, तो ऐसे में हमारा चरवाहा हमारे साथ होता है और वह हमें सही-सलामत रखेगा। कैसे?
15, 16. (क) यहोवा किन तरीकों से हमें हर आफत को पार करने में मदद करता है? (ख) एक अनुभव बताकर समझाइए कि यहोवा कैसे परीक्षा की घड़ी में हमारी मदद करता है।
15 यहोवा ने यह वादा नहीं किया है कि वह चमत्कार करके हमें हर मुसीबत से बाहर निकालेगा।c लेकिन हाँ, हम इतना ज़रूर यकीन रख सकते हैं: हम पर चाहे जो भी आफत आए, उसे पार करने में यहोवा ज़रूर हमारी मदद करेगा। वह हमें “नाना प्रकार की परीक्षाओं” का सामना करने के लिए बुद्धि दे सकता है। (याकूब 1:2-5) एक चरवाहा अपनी लाठी का इस्तेमाल केवल जंगली जानवरों को भगाने के लिए नहीं करता, बल्कि इससे अपनी भेड़ों को हलके से टहोका भी मारता है ताकि वे सही रास्ते पर चलती रहें। उसी तरह, यहोवा भी हमारे संगी उपासकों के ज़रिए हमें प्यार से “टहोका” मार सकता है, ताकि हम बाइबल की सलाह पर अमल करें, जिससे हमारे हालात में काफी फर्क आएगा। इसके अलावा, यहोवा हमें धीरज धरने की ताकत दे सकता है। (फिलिप्पियों 4:13) वह अपनी पवित्र आत्मा के ज़रिए हमें “असीम सामर्थ” देकर मज़बूत कर सकता है। (2 कुरिन्थियों 4:7) परमेश्वर की आत्मा हमें इतनी ताकत दे सकती है कि शैतान हम पर चाहे जो भी परीक्षा लाए, हमारे अंदर उसे सहने की ताकत होगी। (1 कुरिन्थियों 10:13) क्या इस बात से दिल को चैन नहीं मिलता कि यहोवा हमारी मदद करने के लिए हर पल तैयार है?
16 जी हाँ, हम चाहे घोर अंधकार से भरी किसी तराई में क्यों न हों, हमें उसमें से अकेले गुज़रना नहीं पड़ेगा। हमारा चरवाहा हमारे साथ है और वह ऐसे तरीकों से हमारी मदद करता है, जिन्हें हम शायद पहले पूरी तरह समझ न पाएँ। एक मसीही प्राचीन के अनुभव पर गौर कीजिए। उसे डॉक्टरी जाँच के बाद पता चला कि उसे जानलेवा ब्रेन ट्यूमर है। वह कहता है: “मुझे मानना पड़ेगा कि पहले तो मुझे लगा, यहोवा आखिर किस बात के लिए मुझसे नाराज़ है? मुझे तो यह भी शक होने लगा कि वह मुझसे प्यार करता भी है या नहीं। मगर फिर मैंने ठान लिया था कि मैं यहोवा को नहीं छोड़ूँगा। इसके बजाय, मैंने यहोवा के सामने अपना दिल खोलकर रख दिया। यहोवा ने मेरी फरियाद सुन ली। उसने अकसर मसीही भाई-बहनों के ज़रिए मुझे दिलासा दिया। कलीसिया के कई लोगों ने आकर मुझे अपने अनुभव सुनाए कि उन्होंने किस तरह गंभीर बीमारियों का सामना किया है, और इससे मुझे अपने हालात को समझने में काफी मदद मिली। उन्होंने जिस समझदारी से बात की, उससे मुझे तसल्ली मिली और मुझे एहसास हुआ कि मेरे साथ जो हो रहा है, वह कोई अनोखी बात नहीं है। कई भाई-बहनों ने कारगर तरीकों से मेरी मदद की, कुछ ने तो मदद देने की ऐसी पेशकश की कि मेरा दिल भर आया। वाकई इन सारी बातों ने मेरा यह शक दूर कर दिया कि यहोवा मुझसे नाराज़ है। माना कि मुझे अपनी बीमारी से लगातार लड़ना पड़ेगा, और मैं नहीं जानता कि आगे मेरा क्या होगा। फिर भी मुझे एक बात का पक्का यकीन है कि यहोवा मेरे साथ है और इस आज़माइश का सामना करने में वह मेरी मदद करता रहेगा।”
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