“घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में” सांत्वना पाना
बारब्रा श्वाइट्सर की ज़बानी
कभी-कभी, जब सब कुछ मज़े में चलता है, तो मुझे अपना जीवन “हरी चराइयों” के जैसा सुखदायी लगता है। लेकिन मैंने ऐसा समय भी देखा है जो “घोर अन्धकार से भरी हुई तराई” में होकर चलने के जैसा था। लेकिन, मैं विश्वस्त हूँ कि हम हर स्थिति का सामना कर सकते हैं क्योंकि यहोवा हमारा चरवाहा है।—भजन २३: १-४.
वर्ष १९९३ में, जब मेरी और मेरे पति की उम्र करीब ७० साल थी, हमने एक साहसपूर्ण काम पर निकलने का फैसला किया—इक्वेडोर में जहाँ बाइबल शिक्षकों की ज़्यादा ज़रूरत थी वहाँ सेवा करने की सोची। हम जन्म से अमरीकी थे, लेकिन स्पैनिश बोलते थे और हमें कोई आर्थिक उलझन नहीं थी। हम जानते थे कि इक्वेडोर में ‘मनुष्यों की मछुवाही करना’ फल लाता है, सो हमने वहाँ के फलदायी पानी में अपना जाल डालने की योजना बनायी।—मत्ती ४:१९, NHT.
इक्वेडोर में वॉच टावर सोसाइटी के शाखा दफ्तर में कुछ मज़ेदार दिन बिताने के बाद, हम माचाला जाने के लिए उत्सुकता से ग्वायाकिल के बस अड्डे पहुँचे। माचाला शहर में खास ज़रूरत थी। लेकिन जब हम बस का इंतज़ार कर रहे थे तो अचानक ही मेरे पति फ्रॆड की तबियत खराब हो गयी, सो हमने तय किया कि बाद में यात्रा करेंगे। फ्रॆड को सामान के पास बिठाकर, मैं एक फोन बूथ से फोन करने गयी ताकि शाखा दफ्तर लौटने का इंतज़ाम कर सकूँ। जब मैं कुछ मिनट बाद लौटी तो देखा कि मेरे पति गायब हैं!
मैं फिर कभी फ्रॆड को जीवित नहीं देख पायी। जब मैं ज़रा-सी देर के लिए इधर-उधर हुई थी, उन्हें वहीं बस अड्डे पर दिल का बड़ा दौरा पड़ गया था। मैं पागलों की तरह उन्हें ढूँढ़ रही थी। तभी बस अड्डे के एक कर्मचारी ने आकर मुझे बताया कि फ्रॆड को अस्पताल ले जाया गया है। अस्पताल पहुँचने पर मुझे पता चला कि फ्रॆड मर चुका है।
अचानक, मैंने अजनबी देश में अपने आपको अकेला पाया। सहारे के लिए न मेरे पास घर था न पति। मैं “सहारे के लिए” इसलिए कह रही हूँ क्योंकि फ्रॆड ने हमेशा अगुवाई की थी और हम दोनों के लिए हर बात का इंतज़ाम किया था। मेरा व्यक्तित्व दिलेर किस्म का नहीं है और मैं खुश थी कि वह अगुवाई करते थे। लेकिन अब मुझे फैसले करने थे, अपने जीवन को व्यवस्थित करना था और साथ ही अपने शोक से उबरना था। मैं चूर-चूर हो गयी थी—मानो मुझे “घोर अन्धकार से भरी हुई तराई” में फेंक दिया गया हो। क्या मैं कभी अकेले ही संघर्ष करना सीख पाऊँगी?
सत्य सीखना और अपने जीवन को सरल बनाना
एक दूसरे से मिलने से पहले फ्रॆड का और मेरा भी विवाह और तलाक हो चुका था। अच्छी दोस्ती खिलकर एक करीबी रिश्ते में बदल गयी और हमने विवाह करने का फैसला कर लिया। हम सीऎटल, वॉशिंगटन, अमरीका में नाम भर के लिए चर्च जाते थे। लेकिन धर्म हमारे जीवन में बहुत महत्त्वपूर्ण नहीं था। फिर एक दिन जेमी नाम की एक प्यारी-सी युवा पायनियर (पूर्ण-समय सुसमाचारक) हमारे घर आयी। उसने इतनी अच्छी तरह बात की कि मैंने उससे बाइबल अध्ययन लेने का उसका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।
फ्रॆड ने भी दिलचस्पी दिखायी, सो जेमी के माता-पिता हमारा अध्ययन लेने लगे और एक साल बाद, १९६८ में हम दोनों ने बपतिस्मा लिया। शुरूआत से ही हम परमेश्वर के राज्य को अपने जीवन में पहला स्थान देने के लिए उत्सुक थे। (मत्ती ६:३३) लॉर्न और रूडी नुस्ट दंपति ने हमारा अध्ययन लिया और उन्होंने निश्चित ही इस संबंध में अच्छा उदाहरण रखा। हमारे बपतिस्मे के कुछ ही समय बाद वे अमरीका के पूर्वी तट पर एक नगर में जहाँ ज़्यादा ज़रूरत थी वहाँ जा बसे। इसने हमारे हृदय में एक बीज बोया।
कहीं और जा बसने के बारे में सोचने के लिए हमारे पास एक और कारण था। फ्रॆड एक बड़ी दुकान का मैनॆजर था। उसका काम बहुत समय लेता था और उसने महसूस किया कि कहीं और जाकर बसने से वह अपने जीवन को सरल बना पाएगा और सच्चाई पर और अपने दो बच्चों पर ज़्यादा ध्यान दे पाएगा। इसके अलावा, मेरे पास अपने पहले विवाह से एक बेटी थी जिसका विवाह हो चुका था। उसने और उसके पति ने भी सच्चाई को अपना लिया था, सो सीऎटल छोड़ने का हमारा फैसला कठिन था। लेकिन, उन्होंने हमारे इरादों को समझा और हमारे फैसले का समर्थन किया।
इस प्रकार १९७३ में हम स्पेन जा बसे। उस समय वहाँ सुसमाचार के प्रचारकों और अगुवाई करने के लिए भाइयों की बहुत ज़रूरत थी। फ्रॆड ने हिसाब लगाया था कि यदि हम किफायत से चलें तो स्पेन में हमारा खर्च हमारी जमा-पूँजी से पूरा हो जाएगा और हम अपना अधिकतर समय सेवकाई में लगा पाएँगे। और हमने वही किया। जल्द ही, फ्रॆड एक प्राचीन के रूप में सेवा करने लगा और १९८३ के आते-आते हम दोनों पायनियर बन गये थे।
बीस साल तक हमने स्पेन में सेवा की। वहाँ की भाषा सीखी और कई बढ़िया अनुभवों का आनंद लिया। अकसर फ्रॆड और मैं एकसाथ प्रचार करते थे और विवाहित दंपतियों के साथ अध्ययन करते थे, जिनमें से कई अब बपतिस्मा-प्राप्त साक्षी हैं। स्पेन में कुछ साल बिताने के बाद, हाइडी और माइक, हमारे दो छोटे बच्चों ने भी पायनियर सेवा शुरू कर दी। हालाँकि आर्थिक रूप से हमारे पास ज़्यादा नहीं था, फिर भी यह मेरे जीवन का सबसे खुशहाल समय था। हमारा जीवन सरल था। एक परिवार के रूप में मिलकर हमने काफी समय एकसाथ बिताया और बाइबल वृत्तांत में उस विधवा के तेल की तरह, ध्यान से चलायी गयी हमारी जमा-पूँजी कभी खत्म नहीं हुई।—१ राजा १७:१४-१६.
एक बार फिर दूसरे देश जाना
वर्ष १९९२ तक, एक बार फिर हम कहीं और जा बसने की सोचने लगे थे। हमारे बच्चे बड़े हो गये थे और अब स्पेन में पहले जितनी ज़रूरत नहीं थी। हम एक मिशनरी को जानते थे जो इक्वेडोर में सेवा कर चुका था। उसने हमें बताया कि वहाँ पायनियरों और प्राचीनों की बहुत ज़रूरत है। क्या एक नये देश में फिर से शुरूआत करने की अब हमारी उम्र नहीं थी? हमने ऐसा नहीं सोचा, क्योंकि हम दोनों की सेहत अच्छी थी और हमें प्रचार कार्य से प्रेम था। सो हमने इक्वेडोर शाखा से संपर्क किया और अपनी योजनाएँ बनानी शुरू कर दीं। असल में, मेरी बेटी हाइडी और उसका पति ख्वान मानवॆल भी हमारे साथ आने के लिए उत्सुक थे। वे स्पेन के उत्तरी भाग में सेवा कर रहे थे।
अंततः, फरवरी १९९३ तक हमने अपना सब इंतज़ाम कर लिया था और अपने नये देश में पहुँच गये थे। हम दोनों इक्वेडोर में पायनियर काम के बारे में सोचकर खुश थे। वहाँ बहुत सारे लोग बाइबल अध्ययन करने के लिए उत्सुक थे। शाखा में हमारा हार्दिक स्वागत किया गया। उसके बाद हमने उन नगरों को जाकर देखने की सोची जिनके बारे में कहा गया था कि वहाँ ज़्यादा ज़रूरत है। लेकिन तब मेरे पति की मृत्यु हो गयी।
“घोर अन्धकार से भरी हुई तराई” में
पहले-पहल मुझे झटका लगा, फिर बिलकुल विश्वास ही नहीं हुआ। उससे पहले फ्रॆड शायद ही कभी बीमार पड़ा था। अब मैं क्या करूँ? कहाँ जाऊँ? मैं कुछ सोच ही नहीं पा रही थी।
मेरे जीवन की उस सबसे भयानक घड़ी में, मुझे करुणामय आत्मिक भाई-बहनों का सहारा मिला। उनमें से अधिकतर तो मुझे जानते भी नहीं थे। शाखा के भाई बहुत कृपालु थे और उन्होंने हर बात का ध्यान रखा। उन्हीं ने अंतिम-संस्कार का भी प्रबंध किया। भाई और बहन बोनो ने जो प्रेम दिखाया वह मुझे अच्छी तरह याद है। उन्होंने इसका ध्यान रखा कि मैं कभी अकेली न पड़ूँ, और इडिथ बोनो तो कई रात मेरे कमरे में सोयी ताकि मुझे अकेलापन न महसूस हो। सच कहूँ तो पूरे बॆथॆल परिवार ने बहुत प्रेम और लिहाज़ दिखाया। ऐसा लग रहा था मानो उन्होंने मुझे प्रेम के गरम और मुलायम कंबल में लपेट लिया हो।
कुछ ही दिनों में, मेरे तीनों बच्चे भी मेरे पास आ गये थे और उनसे मुझे बहुत सहारा मिला। दिन के दौरान मेरे आस-पास बहुत-से अज़ीज़ लोग होते थे, पर लंबी-लंबी रातें काटना बहुत मुश्किल होता था। उस समय यहोवा मुझे सँभालता था। जब कभी मुझे बहुत अकेलापन महसूस होता, मैं उससे प्रार्थना करती और वह मुझे सांत्वना देता।
अंतिम-संस्कार के बाद यह प्रश्न उठा कि मैं अपने जीवन के साथ क्या करूँ? मैं इक्वेडोर में रहना चाहती थी क्योंकि यह हम दोनों का एकमत फैसला था, लेकिन मुझे लगा कि मैं अकेले नहीं सँभाल पाऊँगी। हाइडी और ख्वान मानवॆल कुछ समय बाद इक्वेडोर में आकर बसने की सोच रहे थे, परंतु अब उन्होंने अपनी योजनाओं में हेर-फेर किए ताकि तुरंत आ जाएँ और हम सब एकसाथ सेवा कर सकें।
एक महीने के अंदर, हमें लॉहा में घर मिल गया। शाखा ने इस नगर में भी सेवा करने की सलाह दी थी। जल्द ही मैं इंतज़ाम करने, नये घर में बसने और नये देश में प्रचार करने में व्यस्त हो गयी। इन सब कामों ने कुछ हद तक मेरा दुःख कम कर दिया। इसके अलावा, मैं अपनी बेटी के साथ रो सकती थी। वह भी फ्रॆड के बहुत करीब थी और इससे मुझे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में मदद मिली।
लेकिन, कुछ महीनों बाद जब मैं अपनी नयी दिनचर्या की आदी हो गयी, तो यह एहसास बहुत ज़्यादा गहरा हो गया कि मैंने कितनी बड़ी चीज़ खोयी है। मैंने देखा कि मैं उन खुशहाल दिनों के बारे में सोच नहीं पाती थी जो मैंने और फ्रॆड ने एकसाथ गुज़ारे थे क्योंकि उन दिनों के बारे में सोचने से मैं बहुत परेशान हो उठती थी। मैं अतीत को याद भी नहीं करना चाहती थी, एक-एक दिन करके जी रही थी और भविष्य के बारे में ज़्यादा कुछ सोच नहीं पाती थी। लेकिन मैं हर दिन कुछ अर्थपूर्ण काम, खासकर अपना प्रचार काम ज़रूर करने की कोशिश करती थी। यही था जो मेरी मदद कर रहा था।
प्रचार करने और बाइबल की शिक्षा देने का काम मुझे हमेशा से प्यारा रहा है, और इक्वेडोर में लोग इतनी अच्छी प्रतिक्रिया दिखाते थे कि इस काम में बहुत आनंद आता था। शुरू-शुरू में जब मैं वहाँ घर-घर प्रचार करने गयी तो एक बार मुझे एक जवान विवाहित स्त्री मिली। उसने कहा: “हाँ, मैं बाइबल के बारे में सीखना चाहती हूँ!” इक्वेडोर में मैंने सबसे पहले उसी के साथ बाइबल अध्ययन शुरू किया। उस किस्म के अनुभव ने मुझे तल्लीन रखा और अपने दुःख में डूबने से बचाया। यहोवा ने मेरी क्षेत्र सेवा पर बहुत आशीष दी। ऐसा लगता था मानो हर बार जब मैं सुसमाचार प्रचार करने जाती, मुझे कोई अच्छा अनुभव मिलता।
इसमें संदेह नहीं कि पायनियर के रूप में सेवा जारी रखना आशीष थी। इसने मुझे एक ज़िम्मेदारी दी जिसे मुझे पूरा करना था और हर दिन मुझे कुछ सकारात्मक काम करने का अवसर दिया। कुछ ही समय में, मैं छः बाइबल अध्ययन चला रही थी।
मुझे अपनी सेवकाई से जो संतुष्टि मिलती है उसे समझाने के लिए आपको अधेड़ उम्र की एक स्त्री के बारे में बताती हूँ। उसने हाल में बाइबल शिक्षाओं के लिए सच्ची कदरदानी दिखायी है। जब मैं उसे कोई शास्त्रवचन दिखाती हूँ तो पहले वह उसे पूरी तरह समझना चाहती है और फिर वह उसमें दी गयी सलाह पर चलने को तैयार हो जाती है। हालाँकि पहले वह अनैतिक जीवन जीती थी, लेकिन हाल ही में जब एक आदमी ने उसके साथ रहने का प्रस्ताव रखा तो उसने उसके प्रस्ताव को दृढ़ता से ठुकरा दिया। उसने मुझे बताया कि शास्त्रीय स्तरों पर दृढ़ रहने से वह बहुत खुश है क्योंकि अब उसे मन की इतनी शांति मिली है जितनी पहले कभी नहीं मिली। ऐसे अध्ययनों से मेरा दिल खुश हो जाता है और मुझे लगता है कि मैं बेकार नहीं हूँ।
अपना आनंद बनाए रखना
जबकि शिष्य बनाने के काम से मुझे बहुत आनंद मिलता है लेकिन मेरा दुःख तुरंत ही दूर नहीं हो गया। मेरे मामले में उदासी एक ऐसी चीज़ है जो आती-जाती रहती है। मेरी बेटी और दामाद ने मुझे बहुत सहारा दिया है, लेकिन कभी-कभी जब मैं उन्हें एकसाथ खास लमहे बिताते हुए देखती हूँ तो मुझे फ्रॆड की कमी का और भी ज़्यादा एहसास होता है। मुझे अपने पति की कमी बहुत महसूस होती है, सिर्फ इसलिए नहीं कि हम बहुत करीब थे बल्कि इसलिए भी मैं इतनी सारी बातों के लिए उस पर निर्भर थी। जब उससे बात करने, उसकी सलाह लेने या क्षेत्र सेवा में हुआ अनुभव उसे बताने का मन करता है तो कभी-कभी मैं इतनी उदास हो जाती हूँ और इतना खालीपन महसूस करती हूँ कि उससे उबरना आसान नहीं होता।
ऐसे मौकों पर मुझे किस बात से मदद मिलती है? मैं पूरे दिल से यहोवा से प्रार्थना करती हूँ और कहती हूँ कि मुझे किसी दूसरी बात, किसी सकारात्मक बात के बारे में सोचने में मदद दे। (फिलिप्पियों ४:६-८) और वह सचमुच मेरी मदद करता है। कुछ सालों के बाद, अब मैं ऐसे कुछ खुशहाल लमहों के बारे में बात कर पाती हूँ जो मैंने और फ्रॆड ने एकसाथ गुज़ारे थे। सो लगता है कि धीरे-धीरे घाव भर रहा है। भजनहार दाऊद की तरह, मुझे लगता है कि मैं “घोर अन्धकार से भरी हुई तराई” में होकर चली हूँ। लेकिन यहोवा ने मुझे सांत्वना दी और वफादार भाइयों ने हमदर्दी के साथ मुझे सही दिशा में मार्गदर्शन दिया।
मैंने सबक सीखे हैं
क्योंकि फ्रॆड हमेशा अगुवाई करते थे, सो मैंने कभी सोचा ही नहीं था कि मैं कभी आगे बढ़कर अपने आप कुछ कर पाऊँगी। लेकिन यहोवा, मेरे परिवार और भाइयों की मदद से मैं ऐसा कर पायी हूँ। किसी-किसी हिसाब से मैं पहले से ज़्यादा मज़बूत हो गयी हूँ। मैं पहले से ज़्यादा अब यहोवा का सहारा लेती हूँ और मैं खुद फैसले करना सीख रही हूँ।
मैं इतनी खुश हूँ कि मैंने और फ्रॆड ने स्पेन में वे २० साल बिताये, और जहाँ ज़रूरत ज़्यादा थी वहाँ एकसाथ काम किया। इस रीति-व्यवस्था में, हम नहीं जानते कि कल क्या होगा सो मैं सोचती हूँ कि जब तक मौका है तब तक यहोवा के लिए और अपने परिवार के लिए अपना भरसक करना बहुत ज़रूरी है। उन सालों में हमारा जीवन और विवाह बहुत सुखमय रहा और मैं विश्वस्त हूँ कि उन्होंने मुझे अपने इस दुःख को सहने के लिए तैयार किया। क्योंकि फ्रॆड की मृत्यु से पहले ही पायनियर काम मेरी जीवन-शैली बन गया था, इसने मुझे जीवन में उद्देश्य की भावना दी जब मैं इस नयी स्थिति से समझौता करने के लिए जूझ रही थी।
जब फ्रॆड मरा तो शुरू में ऐसा लगा कि मेरा जीवन भी खत्म हो गया है। लेकिन, ऐसा तो नहीं था। मुझे यहोवा की सेवा करनी थी और लोगों की मदद करनी थी। यह देखते हुए कि मेरे आस-पास इतने सारे लोगों को सच्चाई की ज़रूरत है, मैं किस तरह हार मान सकती थी? दूसरों की मदद करना मेरे लिए अच्छा था जैसा कि यीशु ने कहा था। (प्रेरितों २०:३५) क्षेत्र सेवकाई में मेरे अनुभवों ने मुझे कुछ बातों की आस लगाने, कुछ बातों की योजना बनाने में व्यस्त रखा।
कुछ दिन पहले, एक बार फिर मुझे अकेलेपन की भावना ने आ घेरा। लेकिन जब मैं एक बाइबल अध्ययन पर जाने के लिए घर से निकली, तो मुझमें तुरंत फिर से जान आ गयी। दो घंटे बाद मैं संतुष्ट और प्रोत्साहित होकर घर लौटी। जैसे भजनहार ने कहा, कभी-कभी हम ‘आंसू बहाते हुए बोते हैं,’ लेकिन फिर यहोवा हमारे काम पर आशीष देता है और हम ‘जयजयकार करते हुए काटते हैं।’—भजन १२६:५, ६, NHT.
हाल ही में उच्च रक्तचाप के कारण मुझे अपनी सारणी में थोड़ा परिवर्तन करना पड़ा है और अब मैं नियमित सहयोगी पायनियर हूँ। मैं संतोषदायी जीवन बिता रही हूँ, फिर भी मुझे नहीं लगता कि इस रीति-व्यवस्था में कभी मैं पूरी तरह अपना दुःख भुला पाऊँगी। अपने तीनों बच्चों को पूर्ण-समय सेवा में देखकर मुझे खुशी मिलती है। सबसे बढ़कर, मैं नये संसार में फिर से फ्रॆड को देखने के लिए आस लगाये बैठी हूँ। मुझे पक्की तरह मालूम है कि वह यह जानकर बहुत खुश होंगे कि मैं इक्वेडोर में कितना काम कर पायी हूँ—कि हमारी योजनाएँ सफल हुईं।
मैं प्रार्थना करती हूँ कि भजनहार के शब्द मेरे जीवन में सच साबित होते जाएँ। “निश्चय भलाई और करुणा जीवन भर मेरे साथ साथ बनी रहेंगी; और मैं यहोवा के धाम में सर्वदा बास करूंगा।”—भजन २३:६.
[पेज 12 पर तसवीर]
इक्वेडोर के लॉहा, सैन लूकस में सेवकाई करते हुए