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परमेश्‍वर का वचन पढ़ने में दिली खुशी पाइए

क्या ही धन्य है वह पुरुष जो “यहोवा की व्यवस्था से दिली खुशी पाता है।” ऐसा पुरुष, परमेश्‍वर का वचन “दिन-रात मंद स्वर में पढ़ता रहता है।” (भज. 1:1, 2, NW) क्या परमेश्‍वर का वचन पढ़ते वक्‍त आपको भी ऐसी खुशी महसूस होती है? अगर हाँ, तो क्या ऐसा कोई तरीका है जिससे इस खुशी को और भी बढ़ाया जा सके?

ध्यान से सुनिए यहोवा क्या कहता है

बाइबल को सिर्फ पढ़ते मत जाइए, बल्कि लिखी हुई घटनाओं की कल्पना कीजिए। कौन, क्या कह रहा है, यह सुनने की कोशिश कीजिए। बाइबल के शुरूआती अध्याय पढ़ते वक्‍त सोचिए कि आप वहाँ मौजूद हैं और यहोवा की आवाज़ सुन रहे हैं। वह एक-के-बाद-एक हुक्म देता है और सृष्टि होती जाती है। धरती इंसानों के रहने लायक बनती जा रही है। सुनिए कि वह अपने कुशल कारीगर बेटे से कह रहा है, आओ अब हम इंसानों को बनाएँ। फिर इस नज़ारे को देखिए: आदम और हव्वा बगावत कर रहे हैं, परमेश्‍वर उनको सज़ा सुना रहा है और आखिरकार, उन्हें फिरदौस से खदेड़ा जा रहा है। (उत्प., अध्या. 1-3) स्वर्ग से परमेश्‍वर की आवाज़ आती है कि यीशु, परमेश्‍वर का प्यारा बेटा है और उसे इंसानों की खातिर अपनी जान देने के लिए भेजा गया है, यह सुनकर भय और श्रद्धा से आपके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। (मत्ती 3:16, 17) आप कल्पना करते हैं कि जब यहोवा ने प्रेरित यूहन्‍ना के सामने यह ऐलान किया: “देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूं,” तो उसके चेहरे पर कैसे भाव आए होंगे। (प्रका. 21:5) परमेश्‍वर का वचन पढ़ने की यह तरकीब एक बार आज़माइए तो सही, यकीन मानिए आप बार-बार ऐसा करना चाहेंगे!

ईश्‍वर-प्रेरणा से लिखे वचन को लगातार पढ़ते रहिए, तो आप यहोवा के प्रताप और ऐश्‍वर्य का ज्ञान पाएँगे और उसके लिए आपके मन में असीम भय और श्रद्धा पैदा होगी। और यह जानकर आप उसके और भी करीब आना चाहेंगे कि वह हमसे बेहद प्यार करता है, हम पर दया करता है और अगर हम दीन होकर उसकी मरज़ी पूरी करने की कोशिश करें, तो वह हमारी मदद करने के लिए तैयार रहता है। साथ ही, वह राह दिखाता है कि कैसे हम अपने हर काम में सफल हो सकते हैं।—यहो. 1:8; भज. 8:1; यशा. 41:10.

आप बाइबल पढ़ने में जितना ज़्यादा वक्‍त बिताएँगे, उतना ज़्यादा आप यह जान पाएँगे कि परमेश्‍वर आपसे क्या चाहता है और इससे आपके मन को बेहद तसल्ली मिलेगी। लेकिन बाइबल पढ़ने की खुशी इससे भी ज़्यादा समय तक कायम रहती है। जब इस पढ़ाई से आपको अपनी समस्याओं से निपटने का सही मार्गदर्शन मिलेगा, तब आप भजनहार की तरह महसूस करने लगेंगे, जिसने कहा था: “तेरी चितौनियां अनूप हैं, इस कारण मैं उन्हें अपने जी से पकड़े हुए हूं।” (भज. 119:129) जी हाँ, भजनहार की तरह आप भी खुश होंगे, क्योंकि आप बाइबल से ऐसे सिद्धांत सीखेंगे जिनकी मदद से आप अपने सोच-विचार और अपनी इच्छाएँ, परमेश्‍वर की मरज़ी के मुताबिक ढाल सकेंगे।—यशा. 55:8, 9.

बाइबल हमें सही राह दिखाती है और चालचलन के मामले में ऐसी हिदायतें देती है जिन पर चलकर हम खतरों से बच सकते हैं। इसे पढ़ते वक्‍त, हम महसूस कर पाते हैं कि यहोवा हमारा पिता है जो अच्छी तरह जानता है कि अगर हम खुद को पापी शरीर की इच्छाओं के हवाले कर दें तो कैसी-कैसी मुसीबतों में पड़ सकते हैं। वह हरगिज़ नहीं चाहता कि हम उन बुरे अंजामों को भुगतें जो उसके ऊँचे नैतिक आदर्शों को ठुकरानेवाले हर हाल में भुगतते ही हैं। उसको हमारी चिंता रहती है और वह चाहता है कि हम बेहतरीन किस्म की ज़िंदगी जीएँ। बाइबल पढ़ने से हम इस बात की और भी ज़्यादा कदर करने लगते हैं कि यहोवा का हमारा परमेश्‍वर और पिता होना हमारे लिए सबसे बड़ी आशीष है।

रोज़ बाइबल पढ़िए

भजनहार ने कहा कि जो इंसान परमेश्‍वर का वचन रोज़ पढ़ता है, ‘वह जो कुछ करे वह सफल होगा।’ (भज. 1:3) कहने का मतलब है कि हमारे असिद्ध होने के बावजूद, शैतान की इस दुष्ट दुनिया में रहने के बावजूद और हमें फाड़ खाने की शैतान की ज़बरदस्त कोशिशों के बावजूद, हम कामयाब हो सकते हैं। जी हाँ, अगर हम लगातार परमेश्‍वर का वचन पढ़ें और जो सीखते हैं उस पर अमल करें, तो हमारा हर फैसला सही होगा और परमेश्‍वर के साथ हमारा रिश्‍ता कभी-भी खतरे में नहीं पड़ेगा।

यह दुनिया जो मिटनेवाली है, हम पर चारों तरफ से लगातार दबाव डाल रही है। ऐसे में हर दिन अपने सिरजनहार के विचारों को मन में समाने के लिए बस चंद पल बिता पाना ही बहुत मायने रखता है। इससे हमें अंदरूनी ताकत मिल सकती है। ऐसे कुछ लोग भी थे जिन्हें अपने विश्‍वास की खातिर कैद कर दिया गया था। उनके पास बाइबल पढ़ने का सिर्फ एक ही रास्ता था, अखबार के पन्‍नों में छपी इक्का-दुक्का आयतें। उन्होंने अखबारों में से इन आयतों को काट लिया और उन्हें मुँहज़बानी याद कर लिया ताकि उन पर मनन कर सकें। उन हालात में परमेश्‍वर के वचन से ज्ञान लेने में जितना उनसे बन पड़ा, उन्होंने वह सब किया, इसलिए उनकी यह लगन देखकर यहोवा ने उन्हें खूब आशीष दी। (यूह. 17:3) दूसरी तरफ, आज हममें से ज़्यादातर लोगों के पास बिना किसी रोक-टोक के बाइबल पढ़ने की आज़ादी है। लेकिन हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि हर दिन बस सरसरी तौर पर बाइबल की एक आयत पढ़ लेने से हमारे लिए कोई चमत्कार होने लगेगा। इसके बजाय, हम तभी परमेश्‍वर से आशीष पाने की उम्मीद कर सकते हैं जब हम हर दिन वक्‍त निकालकर बाइबल का एक भाग पढ़ें, उस पर गहराई से सोचें और अपनी ज़िंदगी में उस पर अमल करें।

कभी-कभी हमारी अच्छी-से-अच्छी योजनाएँ भी नाकाम हो जाती हैं। ऐसे में भी हम ज़रूरी काम करना नहीं भूलते। मिसाल के तौर पर, हम चाहे कितने भी व्यस्त क्यों ना हों, ऐसा कभी नहीं होता कि हम जानबूझकर एक-दो दिन तक पानी न पीएँ। उसी तरह, रोज़मर्रा की ज़िंदगी में चाहे जैसे भी हालात क्यों ना पैदा हों, हमें सच्चाई के जल से खुद को तरो-ताज़ा करने के लिए कुछ वक्‍त ज़रूर निकालना चाहिए।—प्रेरि. 17:11.

परमेश्‍वर के वचन को शुरू से आखिर तक पढ़िए

क्या आपने कभी पूरी-की-पूरी बाइबल पढ़ी है? अकसर लोगों को उत्पत्ति से लेकर प्रकाशितवाक्य तक बाइबल पढ़ना बहुत मुश्‍किल लगता है। इसलिए, बाइबल पढ़ने की ख्वाहिश रखनेवाले कई लोगों ने एक अलग तरीका अपनाया। उन्होंने मसीही यूनानी शास्त्र की किताबों से पढ़ना शुरू किया। क्यों? शायद इसलिए कि वे मसीह के नक्शे-कदम पर चलने की कोशिश कर रहे थे और इस कोशिश में ये किताबें उनकी मदद कैसे कर सकती हैं, यह वे ज़्यादा आसानी से समझ सकते थे। या इस तरह बाइबल पढ़ने की दूसरी वजह यह भी हो सकती है कि मसीही यूनानी शास्त्र पूरी बाइबल का करीब एक चौथाई हिस्सा है, इसलिए उन्हें यह काम भारी नहीं लगा। और इन 27 किताबों के पढ़ लेने के बाद, जब उन्होंने इब्रानी शास्त्र की 39 किताबों को पढ़ना शुरू किया तो उन्हें बहुत मज़ा आने लगा। और इब्रानी शास्त्र खत्म करते-करते हर दिन बाइबल पढ़ना उनकी एक आदत बन चुकी थी। इसलिए उन्होंने दूसरी बार मसीही यूनानी शास्त्र पढ़ना शुरू कर दिया और अब बाइबल पढ़ना उनकी एक पक्की आदत बन चुका है। हमारी यही कामना है कि परमेश्‍वर के वचन को रोज़ पढ़ना आपकी भी एक पक्की आदत बन जाए।

क्या आपके परिवार या कलीसिया में ऐसा कोई है, जो किसी कारण से पढ़ नहीं सकता? अगर हाँ, तो क्यों न आप उसकी मरज़ी के मुताबिक उसके लिए बाइबल पढ़ने का एक वक्‍त बाँध लें? उसे बाइबल पढ़कर सुनाने से आपको तो फायदा होगा ही, मगर जब वह भाई या बहन सुनी हुई बातों पर मनन करके उन पर अमल करेगा/करेगी तो उसे भी बहुत फायदा होगा।—प्रका. 1:3.

कुछ वक्‍त के बाद, आप बाइबल पढ़ाई से ताल्लुक रखनेवाले खास प्रॉजॆक्ट या लक्ष्य बना सकते हैं। इसकी मदद से बाइबल के अलग-अलग भागों के बीच जो रिश्‍ता है, उसे आप और अच्छी तरह समझ पाएँगे। क्या आपकी बाइबल में हाशिए के हवाले या मार्जिनल रेफ्रेन्स दिए हैं? अगर हाँ, तो इनकी मदद से आप बाइबल की दूसरी किताबों में उसी घटना के बारे में या उसके संबंध में ब्योरेवार जानकारी हासिल कर पाएँगे। हाशिए के हवालों की मदद से आप यह भी जान पाएँगे कि कुछ भजनों और यीशु मसीह के प्रेरितों की पत्रियाँ लिखे जाने के पीछे क्या वजह थी। इसके अलावा, आप इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्‌ किताब में से पढ़ने का भी प्रॉजॆक्ट बना सकते हैं। इसमें बाइबल में बताए गए लोगों का परिचय दिया गया है, इसकी जगहों की ऐतिहासिक जानकारी दी गयी है और कई तरह के गुणों पर बारीकी से चर्चा की गयी है। इस किताब में दिए गए चार्ट, बाइबल की अलग-अलग भविष्यवाणियों के पूरा होने की तरफ हमारा ध्यान दिलाते हैं। ये बताते हैं कि किस राजा के वक्‍त कौन-कौन-से भविष्यवक्‍ता थे। साथ ही, इनमें बाइबल की कई घटनाएँ घटने की करीब-करीब सही तारीखें भी दी गयी हैं।

जैसे-जैसे आप पढ़ी हुई बातों पर मनन करेंगे, आप समझ सकेंगे कि प्राचीन समय में परमेश्‍वर के लोगों के बीच कुछ हालात क्यों पैदा हुए थे। आप यह भी देख सकेंगे कि यहोवा ने अपने लोगों के साथ जिस तरीके से व्यवहार किया, उसके पीछे वजह क्या थी। इसके अलावा, आप यह भी जानेंगे कि यहोवा सरकारों, लोगों और अलग-अलग इंसानों के कामों को कैसे जाँचता है। इससे आपको और अच्छी तरह समझ आएगा कि उसके सोचने का तरीका क्या है।

बाइबल पढ़ने के साथ-साथ यह कल्पना करने की कोशिश कीजिए कि इसमें बतायी गयी अलग-अलग घटनाएँ जिन इलाकों में घटीं वे कैसे थे। ऐसा करने से बाइबल का इतिहास आपको और भी दिलचस्प लगने लगेगा। आप बाइबल के देशों के नक्शों की मदद लीजिए, जिनमें आपको जानकारी मिलेगी कि वहाँ के इलाके मैदानी थे या पहाड़ी, एक शहर से दूसरे शहर के बीच कितनी दूरी थी, वगैरह। मिसाल के लिए, इस्राएलियों ने अंदाज़न किस जगह से लाल सागर पार किया होगा? वादा किया हुआ देश कितना बड़ा था? यीशु ने कितनी दूर-दूर तक जाकर प्रचार किया था? पौलुस को अपने मिशनरी सफर के दौरान कौन-कौन-सी जगह देखने को मिली होंगी? तो नक्शों और इलाकों के बारे में जानकारी से आपको कई छोटी-मोटी बातें पता लग सकती हैं जिससे आपकी बाइबल पढ़ाई में नयी जान आ जाएगी। लेकिन बाइबल में बताए गए देशों के नक्शे आपको कहाँ से मिल सकते हैं? कुछ नक्शे न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन ऑफ द होली स्क्रिप्चर्स्‌ बाइबल में और कुछ हमारी हिंदी बाइबलों में दिए हैं। इंसाइट किताब के दोनों भागों में भी कुल मिलाकर 70 नक्शे दिए हैं और पहले भाग के आखिर में इन नक्शों का एक इंडैक्स दिया है। वॉच टावर पब्लिकेशन्स इंडैक्स के ज़रिए आप संस्था की बाकी किताबों में दूसरे नक्शे ढूँढ़ सकते हैं। अगर आपकी भाषा में ये सब किताबें मौजूद नहीं हैं, तो आप अपनी बाइबल पढ़ाई के लिए उन नक्शों की मदद ले सकते हैं जो प्रहरीदुर्ग में छपे हैं।

इब्रानी शास्त्र में राजा दाऊद, यहोवा की बड़ाई करते हुए यह कहता है: “हे परमेश्‍वर, तेरे विचार मेरे लिये कितने महत्त्वपूर्ण हैं। तेरा ज्ञान अपरंपार है।” (भज. 139:17, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) उसी तरह मसीही यूनानी शास्त्र में, प्रेरित पौलुस भी इसलिए यहोवा को महिमा देता है क्योंकि वही “हमारे हृदयों में चमका है कि हमें मसीह के चेहरे में परमेश्‍वर की महिमा के ज्ञान की ज्योति दे।” (2 कुरि. 4:6, NHT) हालाँकि दाऊद और पौलुस के जीने के समय में सदियों का अंतर था, फिर भी इन दोनों ने परमेश्‍वर का वचन पढ़ने में दिली खुशी हासिल की। आप भी ऐसी दिली खुशी पा सकते हैं, लेकिन यह तभी हो सकता है जब आप उन सारी बातों को पढ़ने के लिए वक्‍त निकालेंगे, जो यहोवा ने अपने प्रेरित वचन बाइबल में आपके लिए लिखवायी हैं।

रोज़ की बाइबल पढ़ाई को कामयाब बनाइए

परमेश्‍वर की सेवा स्कूल में दी जानेवाली तालीम की ज़्यादातर बातें बाइबल पढ़ाई पर ज़ोर देती हैं। इसलिए हमारी आपसे यह गुज़ारिश है कि आप इसमें पूरा-पूरा हिस्सा लें।

हर हफ्ते निजी पढ़ाई और स्कूल में चर्चा करने के लिए बाइबल का एक छोटा-सा हिस्सा कार्यक्रम में दिया गया है। इस सिलसिले को जारी रखने से आप बाइबल को शुरू से आखिर तक पढ़ सकेंगे।

अगर आप चाहते हैं कि हर रोज़ बाइबल पढ़ना आपकी ज़िंदगी का हिस्सा बन जाए, तो इसके लिए आपको एक समय तय करना होगा। आप चाहे तो सुबह-सुबह, दोपहर, शाम या रात को सोने से पहले का समय चुन सकते हैं। अगर आप एक समय तय नहीं करेंगे बल्कि सिर्फ कभी-कभार फुरसत मिल जाने पर बाइबल पढ़ेंगे, तो रोज़ बाइबल पढ़ने की आदत डालना मुश्‍किल होगा।

अगर आप परिवार के मुखिया हैं, तो घर के हरेक सदस्य की मदद कीजिए ताकि वे बाइबल पढ़ने की एक अच्छी आदत डाल सकें। अच्छा होगा अगर आपका पूरा परिवार एक-साथ बैठकर बाइबल पढ़े। इससे उनका भी मन करेगा कि वे खुद हर रोज़ बाइबल पढ़ें।

रोज़ाना बाइबल पढ़ने के लिए खुद के साथ सख्ती बरतने की ज़रूरत पड़ती है। आपके अंदर बाइबल पढ़ने की इच्छा पैदाइशी नहीं होती। इसलिए आपको परमेश्‍वर के वचन के लिए “लालसा” पैदा करनी होगी। (1 पत. 2:2) जैसे-जैसे आप बाइबल पढ़ने की आदत डालेंगे, वैसे-वैसे आपकी आध्यात्मिक भूख भी बढ़ती जाएगी, साथ ही आप और ज़्यादा अध्ययन करना चाहेंगे। इसके लिए कुछ खास प्रॉजॆक्ट भी शामिल करना चाहेंगे ताकि आप बाइबल का और भी गहरा ज्ञान हासिल कर सकें और यहोवा ने जो आध्यात्मिक खज़ाना हमें दिया है, उसके लिए आपके मन में कदर और भी बढ़ जाए।

जब आप बाइबल पढ़ें, तब इस बात पर मनन करने का वक्‍त निकालिए कि आपने जो पढ़ा है, उसका मायने क्या है। आप सोच सकते हैं कि इससे आपने यहोवा के बारे में क्या सीखा, इस जानकारी पर अमल करने से आपकी ज़िंदगी कैसे बेहतर बन सकती है और इस जानकारी से आप दूसरों की कैसे मदद कर सकते हैं।

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