वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • w91 5/1 पेज 23-28
  • हानिकर गपशप से सावधान रहें!

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • हानिकर गपशप से सावधान रहें!
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1991
  • उपशीर्षक
  • मिलते-जुलते लेख
  • वे कैसे भिन्‍न हैं
  • कैसे गपशप मिथ्यापवाद बन जाती है
  • जब कठिनाइयाँ उठती हैं
  • क्यों सावधान रहना चाहिए?
  • क्या यह मिथ्यापवाद है?
  • कैसे हानिकर गपशप को कुचला जा सकता है
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1991
  • गपशप में इतनी भी क्या बुराई है?
    सजग होइए!–1999
  • जब लोग मेरे बारे में गपशप करते हैं, तब मैं क्या करूँ?
    नौजवानों के सवाल
प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1991
w91 5/1 पेज 23-28

हानिकर गपशप से सावधान रहें!

“जहाँ बहुत बातें होती है, वहाँ अपराध भी होता है, परन्तु जो अपने मुँह को बन्द रखता वह बुद्धि से काम करता है।”—नीतिवचन १०:१९.

१. विद्वेषपूर्ण गपशप या मिथ्यापवाद कितना हानिकर है?

एक प्राणहर ज़हर को कोई भी चीज़ एक स्वास्थ्यकर पेय में नहीं बदल सकता है। ज़हर के साथ विद्वेषपूर्ण गपशप या मिथ्यापवाद की तुलना भली-भाँति की गयी है, जो कि एक खरे व्यक्‍ति से उसका सुनाम छीन सकता है। रोमी कवी जूवनल ने कहा था कि मिथ्यापवाद “सभी ज़हरों से बुरी” है। और अँग्रेज़ी नाटककार विलियम शेक्‌स्पियर ने अपने पात्रों में से एक के लिए इस संवाद की रचना की: “वह जो मुझे मेरे अच्छे नाम से वंचित करता है, वह मेरी उस चीज़ की चोरी करता है जो उसे अमीर नहीं बनाता बल्कि मुझे सचमुच ग़रीब बनाता है।”

२. कौन-कौनसे प्रश्‍न विचार-योग्य हैं?

२ लेकिन वास्तव में गपशप क्या है? वह मिथ्यापवाद से कैसे भिन्‍न है? हानिकर गपशप से क्यों सावधान रहना चाहिए? और यह कैसे किया जा सकता है?

वे कैसे भिन्‍न हैं

३. गपशप और मिथ्यापवाद के बीच क्या फ़रक़ है?

३ गपशप “दूसरे लोगों और उनके मामलों के बारे में की गयी बेकार बातचीत है जो हमेशा सत्य नहीं होतीं।” यह “हलकी-फुलकी, निजी बातचीत या लिखाई” है। हम सब चूँकि लोगों में रुचि रखते हैं, हम कभी कभी दूसरों के बारे में अच्छी, प्रोत्साहनदायक बातें कहते हैं। मिथ्यापवाद भिन्‍न है। यह “एक ग़लत ख़बर है जो कि किसी और की नेकनामी और प्रतिष्ठा पर हानि लाने के लिए बनायी गयी है।” ऐसी बातचीत साधारणतः विद्वेषपूर्ण और अख्रीस्तीय है।

४. एक लेखक के अनुसार, मिथ्यापवाद का कैसे आरम्भ होता है, और यह कहाँ से उत्पन्‍न होता है?

४ अहानिकर गपशप द्वेषपूर्ण मिथ्यापवाद में बदल सकती है। लेखक आर्थर मी ने कहा: “बहुधा वह मिथ्यापवाद जो एक व्यक्‍ति को चोट पहुँचाता है और शायद उसकी बरबादी का कारण बन सकता है, गपशप में आरंभ होता है, वैसी गपशप जो शायद केवल बेकारी से उत्पन्‍न होती है। यह इस दुनिया की सब से बड़ी बुराइयों में से एक है, लेकिन साधारणतः यह अज्ञान से उत्पन्‍न होता है। हम यह प्रधान रूप से उन लोगों में पाते हैं जिनके पास बहुत कम कार्य है, और जिनके जीवन में कोई निश्‍चित लक्ष्य नहीं है।”

५. १ तीमुथियुस ५:११-१५ में पौलुस की सलाह का सार क्या है?

५ इसलिए कि बेकार बातचीत मिथ्यापवाद की ओर ले जा सकता है, कुछ गपशप करनेवालों के विरुद्ध प्रेरित पौलुस ने साफ़-साफ़ सुनाया। उन विधवाओं का उल्लेख करने के बाद जो मण्डली की सहायता के योग्य थीं, उसने लिखा: “पर जवान विधवाओं के नाम न लिखना, क्योंकि जब वे मसीह का विरोध करके सुख-विलास में पढ़ जाती हैं, तो ब्याह करना चाहती हैं। और इस के साथ ही साथ वे घर घर फिरकर आलसी होना सीखती हैं, और केवल आलसी नहीं, पर बकबक करती रहती और औरों के काम में हाथ भी डालती हैं और अनुचित बातें बोलती हैं। इसलिए मैं यह चाहता हूँ, कि जवान विधवाएँ ब्याह करें; और बच्चे जनें और घरबार सँभालें, और किसी विरोधी को बदनाम करने का अवसर न दें। क्योंकि कई एक तो बहककर शैतान के पीछे हो चुकी हैं।”—१ तीमुथियुस ५:११-१५.

६. उस तरह की गपशप करने की कमज़ोरी पर विजय पाने के लिए क्या किया जाना चाहिए, जो शायद मिथ्यापवाद में परिणत हो?

६ इसलिए कि पौलुस ईश्‍वरीय प्रेरणा के अनुसार लिख रहा था, वह उन औरतों के बारे में अनुचित बातें नहीं बोल रहा था। उसने जो भी कहा, वह बहुत ही गंभीर चिन्तन विषय है। कोई भी ईश्‍वरीय स्त्री ‘बहककर शैतान के पीछे’ नहीं होना चाहती। फिर भी, क्या किया जाए अगर एक मसीही औरत यह पाती है कि उसे उस प्रकार की बातचीत की ओर एक कमज़ोरी है, जो उसे मिथ्यापवाद का दोषी ठहरा सकती है? तब उसे नम्रतापूर्वक पौलुस की सलाह का पालन करना चाहिए: “स्त्रियों को गंभीर होना चाहिए . . . दोष लगानेवाली न हो।” उसने यह भी कहा: “बूढ़ी स्त्रियों का चालचलन पवित्र लोगों सा हो, दोष लगानेवाली नहीं।” (१ तीमुथियुस ३:११; तीतुस २:३) भाइयों को भी गंभीरता के साथ इस विवेकपूर्ण सलाह का पालन करना चाहिए।

७. शास्त्रीय रूप से, आप ऐसा क्यों कहेंगे कि हमें हमारी बातचीत पर नियंत्रण रखना चाहिए?

७ अवश्‍य, कभी-कभार हम सभी दूसरों, सेवकाई में उनके अनुभवों, और इत्यादि, के बारे में बात करते हैं। किन्तु, हम कभी ‘बैठकर अपने भाई के विरुद्ध न बोलें।’ (भजन ५०:१९, २०) सचमुच, बहुत बातें करना बुद्धिमानी नहीं क्योंकि “जहाँ बहुत बातें होती हैं, वहाँ अपराध भी होता है, परन्तु जो अपने मुँह को बन्द रखता वह बुद्धि से काम करता है।” (नीतिवचन १०:१९) इसलिए हमें गपशप की ओर सावधान रहना चाहिए, चाहे वह अहानिकर ही क्यों न लगे। हमें हर समय लोगों के बारे में बात करने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि अगर हम धर्मी, पवित्र, मनभावनी, सद्‌गुण और स्तुति की बातों पर विचार करते हैं, तो हमारे पास बातचीत के विषयों का एक उत्तम चयन है।—फिलिप्पियों ४:८, न्यू.व..

कैसे गपशप मिथ्यापवाद बन जाती है

८. सह-मसीहियों के बारे में बातचीत करना हमेशा क्यों ग़लत नहीं?

८ सह-विश्‍वासियों की क्षेत्र सेवकाई और उनके अन्य ईश्‍वरीय कार्यों पर बातचीत करने में कोई हानि नहीं अगर हम ने जो बात कही है, वह यथार्थ है और उससे कोई चोट उत्पन्‍न नहीं होती। वास्तव में, इस तरह की सकारात्मक उक्‍तियाँ शायद दूसरों को प्रोत्साहित कर सकती हैं। (प्रेरितों १५:३०-३३ से तुलना करें।) कुछ मसीहियों ने वफ़ादार प्राचीन गयुस के बारे में बात की जिसको यूहन्‍ना ने लिखा: “हे प्रिय, जो कुछ तू उन भाइयों के साथ करता है, जो परदेशी भी हैं, उसे विश्‍वासी की नाईं करता है। उन्होंने मण्डली के साम्हने तेरे प्रेम की गवाही दी थी।” (३ यूहन्‍ना ५, ६) इसलिए सह-मसीहियों के बारे में बातचीत करना हमेशा ग़लत नहीं।

९. (अ) सच्चे व्यक्‍तियों के बारे में हलकी-फुलकी बातचीत मिथ्यापवाद में कैसे बदल सकती है? (ब) हम उचित रीति से अपने आप से कौनसे प्रश्‍न पूछ सकते हैं?

९ किन्तु, हलकी-फुलकी बातचीत भी एक सच्चे व्यक्‍ति के बारे में मिथ्यापवाद बन सकती है अगर हम उनके निजी मामलों में जाँच-पड़ताल करेंगे, उनके उद्देश्‍यों पर संदेह करेंगे या उनके चालचलन पर शक उत्पन्‍न करेंगे। अपने आप से ऐसे प्रश्‍न पूछने की आदत डालना अच्छा होगा, जैसे कि: क्या मेरी बातों से किसी दूसरे की नेकनामी की हानि हो सकती हैं? क्या मैं जो कह रहा (या रही) हूँ, यह सत्य है? (प्रकाशितवाक्य २१:८) क्या यही बात मैं उसकी उपस्थिति में कह सकूँगा (या सकूँगी)? क्या यह मण्डली में तक़रार उत्पन्‍न कर सकता है? क्या मेरी बातों के कारण वह अपनी सेवकाई के विशेषाधिकारों को खो सकता (या सकती) है? क्या मेरे दिल में ईर्ष्या है? (गलतियों ५:२५, २६; तीतुस ३:३) क्या मेरी बातों का असर अच्छा होगा या बुरा? (मत्ती ७:१७-२०) क्या मैं प्रेरितों के बारे में भी समान बातें कहता (या कहती)? (२ कुरिन्थियों १०:१०-१२; ३ यूहन्‍ना ९, १०) क्या ऐसी बातचीत यहोवा के लिए आदर रखनेवालों के योग्य है?

१०, ११. भजन १५:१, ३ के अनुसार, अगर हम परमेश्‍वर के मेहमान बनना चाहते हैं, तो हम क्या नहीं करेंगे?

१० परमेश्‍वर की ओर श्रद्धा रखनेवालों का उल्लेख करते हुए, भजन १५:१ पूछता है: “हे यहोवा, तेरे तम्बू में कौन रहेगा? तेरे पवित्र पर्वत पर कौन बसने पाएगा?” ऐसे एक व्यक्‍ति के बारे में भजनकार दाऊद उत्तर देता है: “जो अपनी जीभ से निन्दा नहीं करता, और न अपने मित्र की बुराई करता और न अपने पड़ोसी की निन्दा करता है।” (भजन १५:३) यहाँ शब्द “निन्दा” एक इब्रानी क्रिया शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है “चलना” या “चलना-फिरना।” इस्राएलियों को यह आदेश दिया गया था: “अपने लोगों में मिथ्यापवाद फैलाते हुए न फिरा करना।” (लैव्यव्यवस्था १९:१६; न्यू इंटरनॅशनल वर्शन) जो भी ‘मिथ्यापवाद फैलाते फिरता है,’ वह परमेश्‍वर का मेहमान और मित्र नहीं है।

११ परमेश्‍वर के मित्र उनके साथियों की ओर कोई बुरा क़दम नहीं उठाएँगे या अपने निष्कलंक मित्रों के बारे में बनायी गयी कोई निन्दात्मक कहानियों को सत्य नहीं मानेंगे। सह-विश्‍वासियों के बारे में बनायी गयी झूठी कहानियों को फैलाने और उन दुष्ट निन्दाओं में, जो कि वे पहले ही अधर्मियों के हाथों भुगत रहे हैं, अपनी निन्दा मिलाने के बजाय, हमें उनके बारे में अच्छी बातें कहनी चाहिए। हम कभी भी हमारे वफ़ादार भाई-बहनों के बारे में निन्दात्मक बातें कहने के द्वारा उनका बोझ बढ़ाना नहीं चाहेंगे।

जब कठिनाइयाँ उठती हैं

१२. प्रेरितों १५:३६-४१ हमारी मदद कैसे करेगा अगर हम उस व्यक्‍ति के बारे में गपशप करने के लिए प्रलोभित होते हैं, जिनके साथ हमारी मतभेद हुई हो?

१२ अपरिपूर्ण होने के नाते, हम एक ऐसे व्यक्‍ति के विरुद्ध बात करने के लिए प्रलोभित होंगे जिनके साथ हमारा एक गंभीर मतभेद हुआ हो। लेकिन जब प्रेरित पौलुस अपनी दूसरी मिशनरी यात्रा पर निकलनेवाले थे, तब क्या हुआ था, इस पर ध्यान दें। यद्यपि बरनबास दृढ़संकल्प था कि वह अपने साथ मरकुस को ले जाएगा, पौलुस सहमत न हुआ, क्योंकि मरकुस “पंफुलिया में उन से अलग हो गया था और काम पर उन के साथ न गया” था। इस पर “टंटा हुआ,” और वे अलग हो गए। बरनबास मरकुस को लेकर कुप्रुस चला गया, जब कि पौलुस सीलास को लेकर सिरिया और सिलिसिया चला गया। (प्रेरितों १५:३६-४१) बाद में, पौलुस, बरनबास और मरकुस के संबंध में हुआ दरार प्रत्यक्षतः भर दिया गया, क्योंकि मरकुस प्रेरित के साथ रोम में था, और पौलुस ने उसके बारे में अच्छी बात कही। (कुलुस्सियों ४:१०) एक असहमति होने पर भी, इस बात का कोई प्रमाण नहीं कि वे मसीही सह-विश्‍वासियों के बीच एक दूसरे के बारे में गपशप करते गए थे।

१३. पतरस को शामिल करनेवाली कौनसी परिस्थितियों में, पौलुस ने एक सह-मसीही के बारे में गपशप करने के एक संभाव्य प्रलोभन का विरोध किया?

१३ पौलुस ने तब भी हानिकर गपशप करने के एक संभाव्य प्रलोभन का विरोध किया जब उसने कैफा (पतरस) की भर्त्सना की, जो कि यरूशलेम के कुछ यहूदी मसीहियों की उपस्थिति के कारण ग़ैर-यहूदी विश्‍वासियों के साथ बैठकर भोजन करने और उनके साथ सहवास करने के लिए लजाता था। पतरस के बारे में उसके पीठ पीछे बात करने के बजाय, पौलुस ने “सब के सामने” बात करके, “उसके मुँह पर उसका सामना किया।” (गलतियों २:११-१४) पतरस ने भी अपने फटकारनेवाले के बारे में गपशप नहीं की। वास्तव में, उसने बाद में “हमारे प्रिय भाई पौलुस” के तौर से उसका उल्लेख किया। (२ पतरस ३:१५) इसलिए चाहे एक सह-विश्‍वासी को सुधारने की आवश्‍यकता होती है, यह उसके विषय में गपशप करने के लिए कोई बहाना नहीं देता। ऐसी बातचीत की ओर सावधान रहने और हानिकर गपशप फैलाने के प्रलोभन से दूर रहने के लिए कई अच्छे कारण हैं।

क्यों सावधान रहना चाहिए?

१४. हानिकर गपशप न सुनने और न फैलाने का प्रमुख कारण क्या है?

१४ हानिकर गपशप न सुनने और उसे फैलाने में भाग न लेने का प्रमुख कारण यह है कि हम यहोवा को प्रसन्‍न करना चाहते हैं, जो मिथ्यापवाद की निन्दा करते हैं। जैसे देखा गया है, ऐसी बातचीत की ओर यहोवा का क्या दृष्टिकोण है यह तब स्पष्ट हुआ जब इस्राएलियों को यह आदेश दिया गया: “लुतरा बनके अपने लोगों में न फिरा करना, और एक दूसरे के लोहू बहाने की युक्‍तियाँ न बान्धना; मैं यहोवा हूँ।” (लैव्यव्यवस्था १९:१६) अगर हमें दैवी कृपा का आनन्द लेना है, तो हमें किसी भी व्यक्‍ति के बारे में मिथ्यापवाद नहीं करनी चाहिए जिनका उल्लेख हम अपनी बातचीत में करेंगे।

१५. सब से प्रमुख मिथ्यापवादी कौन है, और हानिकर गपशप में भाग लेने से परमेश्‍वर के साथ हमारे संबंध पर कैसा असर हो सकता है?

१५ हानिकर गपशप में भाग न लेने का एक और कारण यह है कि ऐसा करना शैतान का अनुकरण करने की ओर ले जा सकता है, जो कि यहोवा का सब से प्रमुख मिथ्यापवादी है। परमेश्‍वर के इस प्रमुख शत्रु को उचित रूप से “इब्लीस” (यूनानी, डाय·ॲʹबो·लॉस) नाम दिया गया, जिसका अर्थ है “मिथ्यापवादी।” जब हव्वा ने परमेश्‍वर के विरुद्ध शैतान की मिथ्यापवादी बातें सुनी और उसके अनुसार कार्य किया, पहली मानव जोड़ी अपने सब से उत्तम मित्र से अलग कर दी गयी। (उत्पत्ति ३:१-२४) हम शैतान के षड्यन्त्रों के कभी वशीभूत न हों और हानिकर बातचीत में कभी शामिल न हों, जो कि ईश्‍वरीय अननुमोदन के योग्य है और जिसके कारण हम हमारे सब से अच्छे मित्र, यहोवा परमेश्‍वर से अलग हो सकते हैं।

१६. एक मिथ्यापवादी कैसे ‘परम मित्रों में भी फूट करा देता है?’

१६ हमें विद्वेषपूर्ण गपशप करनेवालों की ओर ध्यान नहीं देना चाहिए, क्योंकि यह मित्रों को एक दूसरे से अलग कर देती है। बहुधा, मिथ्यापवादी अतिशयोक्‍ति करते हैं, अयथार्थ विवरण देते हैं, झूठ बोलते हैं और भड़कानेवाले शब्दों का ढ़ेर जमा करते हैं। एक व्यक्‍ति से आमने-सामने बात करने के बजाय, वे उसके पीठ पीछे कानाफूसी करते हैं। अक्सर बेबुनियाद शक उत्पन्‍न होते हैं। इस तरह, “कानाफूसी करनेवाला परम मित्रों में भी फूट करा देता है।”—नीतिवचन १६:२८.

१७. हलकी-फुलकी गपशप में भी गहरी रीति से उलझ जाने से हमें क्यों सावधान रहना चाहिए?

१७ हमें हलकी-फुलकी गपशप में भी गहरे रूप से उलझ जाने से सावधान रहना चाहिए। क्यों? क्योंकि एक उक्‍ति जो किसी को भी चोट पहुँचाने के लिए नहीं कही गयी थी, दुःखदायी बन जाती है जब उसे दोहराया जाता है। उस में नमक-मिर्च मिलाया जा सकता है या उसे ग़लत अर्थ दिया जा सकता है जिससे यह एक ईश्‍वरीय व्यक्‍ति की प्रतिष्ठा पर हानि लाता है, और उसे उसके सुनाम से वंचित करता है। अगर ऐसा हो जाता, तो आपको कैसे महसूस होता अगर आप से यह कहानी शुरु हुई थी या फिर आपने उसे फैलाने में भाग लिया था? एक हानि करनेवाले व्यक्‍ति के रूप में लोग आपकी ओर देखेंगे और इस तरह आपका साहचर्य कभी नहीं चाहेंगे।—नीतिवचन २०:१९ से तुलना करें।

१८. गपशप एक व्यक्‍ति को झूठा कैसे बना देती है?

१८ सावधान रहने का एक और कारण यह है कि हानिकर गपशप आपको एक झूठा बना देती है। “कानाफूसी करनेवाले के वचन स्वादिष्ट भोजन के समान भीतर उतर जाते हैं।” (नीतिवचन २६:२२) क्या होगा अगर आप इन असत्यों को ग्रहण करके उन्हें दोहराएँगे? ख़ैर, चाहे आप समझें कि ये झूठ सत्य हैं, उन्हें फैलाने पर आप झूठ बोल रहे हैं। जब उनकी असत्यता प्रकट होती है, आपको एक मिथ्या भाषी के रूप में समझा जाएगा। क्या आप चाहते हैं कि ऐसा हो? क्या परमेश्‍वर झूठे शिक्षकों को धार्मिक असत्यों के लिए ज़िम्मेदार नहीं ठहराते? जी हाँ, और वह झूठ बोलनेवाले मिथ्यापवादियों को भी उत्तरदायी ठहराते हैं। यीशु ने चेतावनी दी: “मनुष्य जो जो व्यर्थ बातें कहेंगे, उन्हें न्याय के दिन हर एक बात को लेखा देना पड़ेगा। क्योंकि तू अपनी बातों के कारण निर्दोष और अपनी बातों ही के कारण दोषी ठहराया जाएगा।” (मत्ती १२:३६, ३७, बाईंग्टन) इसलिए कि “हम में से हर एक परमेश्‍वर को अपना अपना लेखा देंगे,” क्या आप चाहते हैं कि एक झूठा मिथ्यापवादी के रूप में वह आपकी निन्दा करें?—रोमियों १४:१२.

१९. ऐसे क्यों कहा जा सकता है कि हानिकर गपशप हिंसक हो सकती है?

१९ हानिकर गपशप न करने का एक और कारण यह है कि वह हिंसक हो सकता है। जी हाँ, एक निर्दोष व्यक्‍ति की नेकनामी का नाश करते हुए, यह घातक सिद्ध हो सकता है। कुछ ज़बान ‘तेज़ तलवारों’ के समान हैं और तीखे शब्द उन बाणों के समान हैं जो निर्दोषों पर घात में रहकर छोड़े जाते हैं। दाऊद ने प्रार्थना की: “[यहोवा,] आप मुझे कुकर्मियों की गोष्ठी से, और अनर्थकारियों के हुल्लड़ से छिपाकर रखें। उन्होंने अपनी जीभ को तलवार के जैसे तेज़ किया है, और अपने कड़वे शब्दों के तीरों को चढ़ाया है, ताकि छिपकर निर्दोष मनुष्य को मारें।” (भजन ६४:२-४, न्यू.व.) क्या आप इस तरह एक सह-मानव के बारे में ऐसी दुष्ट बातें कहने के लिए ज़िम्मेदार होना चाहते हैं जिसके कारण वह राहत के लिए दाऊद की तरह परमेश्‍वर से प्रार्थना करने के लिए विवश हो जाएँ? क्या आप एक ऐसी बात के विषय दोषी होना चाहते हैं, जो हत्या के तुल्य है?

२०. (अ) जहाँ तक परमेश्‍वर की मण्डली का संबंध है, एक पश्‍चातापहीन मिथ्यापवादी का क्या हो सकता है? (ब) गपशप और मिथ्यापवाद के संबंध में प्राचीनों को कैसी सावधानी प्रकट करनी चाहिए?

२० मिथ्यापवाद करना परमेश्‍वर के संघटन से निष्कासित होने में परिणत हो सकता है; एक मिथ्यापवादी को, शायद एक पश्‍चातापहीन झूठा होने के कारण, बहिष्कृत किया जा सकता है। किन्तु, ऐसी कार्रवाई हलकी-फुलकी गपशप के दोषी पर नहीं की जानी चाहिए। प्राचीनों को साधारण गपशप और विद्वेषपूर्ण मिथ्यापवाद के बीच सुस्पष्ट प्रभेद करते हुए, प्रार्थनापूर्वक इन विषयों पर विचार करना चाहिए। बहिष्कृत किए जाने के लिए उस कुकर्मी को एक विद्वेषपूर्ण, पश्‍चातापहीन मिथ्यापवादी होना चाहिए। प्राचीनों को हलकी-फुलकी गपशप करनेवाले किसी व्यक्‍ति को बहिष्कार करने का अधिकार नहीं, जिसकी गपशप मानवी रुचि से प्रेरित हो पर जो ग़लत या विद्वेषपूर्ण नहीं। बातों को उचित अनुपात से बहुत अधिक बढ़ाना नहीं चाहिए, और ऐसे गवाह भी होने चाहिए जिनके पास ठोस प्रमाण हो कि मिथ्यापवाद निश्‍चित रूप से संबद्ध है। (१ तीमुथियुस ५:१९) पश्‍चातापहीन मिथ्यापवादियों को मुख्यतः इसलिए बहिष्कृत किया जाता है कि विद्वेषपूर्ण गपशप को नष्ट किया जाएगा और मण्डली को पाप की व्याप्ति से बचाया जा सकता है। (१ कुरिन्थियों ५:६-८, १३) लेकिन प्राचीनों को कभी भी इतनी जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए कि वे किसी को अशास्त्रीय आधार पर बहिष्कार कर दें। प्रार्थना और सलाह के द्वारा, वे बहुधा उस व्यक्‍ति को पश्‍चाताप करने, माफ़ी माँगने या अन्यथा क्षति-पूर्ति करने, और जीभ पर नियंत्रण रखने में प्रगति करते रहने के लिए मदद दे सकते हैं।

क्या यह मिथ्यापवाद है?

२१. एक कुकर्मी के बारे में गपशप करने के बजाय, आपको क्या करना चाहिए?

२१ एक विवेकपूर्ण नीतिवचन कहता है: “जो लुतराई करता फिरता वह भेद प्रगट करता है, परन्तु विश्‍वासयोग्य मनुष्य बात को छिपा रखता है।” (नीतिवचन ११:१३) क्या इसका यह अर्थ है कि अगर आप जानते हैं कि कोई किसी बड़े पाप में गुप्त रीति से भाग ले रहा है, तब उसके बारे में कुछ भी कहना मिथ्यापवाद है? जी नहीं। अवश्‍य, आपको इस विषय के बारे में गपशप नहीं करनी चाहिए। आपको उस कुकर्मी से बात करनी चाहिए और प्राचीनों की मदद माँगने के लिए उसे उकसाना चाहिए। (याकूब ५:१३-१८) अगर एक उचित कालावधि के भीतर वह ऐसा नहीं करता, तो मण्डली की स्वच्छता के लिए आपकी चिन्ता आपको यह बात प्राचीनों को बताने के लिए प्रेरित करनी चाहिए।—लैव्यव्यवस्था ५:१.

२२. हम कैसे कह सकते हैं कि १ कुरिन्थियों १:११ हमें गपशप करने का अधिकार नहीं देता?

२२ ऐसी रिपोर्ट से उस कुकर्मी को अनुशासन मिल सकती है, और यह खुशी की बात नहीं लगेगी। फिर भी, अनुशासन द्वारा प्रशिक्षित व्यक्‍ति धार्मिकता का फल पैदा करता है। (इब्रानियों १२:११) कुकर्म के बारे में उन व्यक्‍तियों को बताना चाहिए जो ऐसे मामलों को सँभालना जानते हैं, और न कि गपशप करनेवालों को जो शायद उसके बारे में बक-बक करेंगे। कुरिन्थ के मसीहियों से पौलुस ने कहा: “हे मेरे भाइयों, खलोए के घराने के लोगों ने मुझे तुम्हारे विषय में बताया है, कि तुम में झगड़े हो रहे हैं।” (१ कुरिन्थियों १:११) क्या उस घराने के सदस्य सह-विश्‍वासियों के बारे में गपशप कर रहे थे? जी नहीं, बल्कि यह रिपोर्ट एक उत्तरदायी प्राचीन से की गयी थी जो, जीवन के मार्ग पर लौटने की मदद के लिए ज़रूरतमंद लोगों को सहायता देने के लिए क़दम उठा सकता था।

२३. कौनसे प्रश्‍न पर विचार करना बाक़ी है?

२३ अगर हम एक व्यक्‍ति को हानिकर गपशप में हिस्सा लेने से सावधान रहने की मदद करेंगे, तो हम उसकी भलाई के लिए कार्य कर रहे हैं। एक विवेकी नीतिवचन कहता है: “जो अपने मुँह की चौकसी करता है, वह अपने प्राण की रक्षा करता है, परन्तु जो गाल बजाता—उसका विनाश हो जाता है।” (नीतिवचन १३:३) तो फिर, यह स्पष्ट है कि हानिकर गपशप और दुष्ट मिथ्यापवाद की ओर सावधान रहने के लिए अच्छे कारण हैं। फिर भी, हानिकर गपशप को किस तरह कुचल दिया जा सकता है? एक अगले अंक में छपाए जानेवाला लेख बताएगा।

आपके जवाब क्या हैं?

◻ हलकी-फुलकी गपशप और मिथ्यापवाद के बीच फ़रक क्या है?

◻ गपशप मिथ्यापवाद में कैसे बदल सकती है?

◻ हानिकर गपशप की ओर सावधान रहने के कुछ कारण क्या हैं?

◻ क्यों किसी और व्यक्‍ति के गंभीर कुकर्म की रिपोर्ट करना मिथ्यापवाद नहीं?

[पेज 27 पर तसवीरें]

यह निश्‍चित करें कि आप कभी भी एक व्यक्‍ति के बारे में गपशप करने के द्वारा उसकी पीठ पर तीर चलाने के दोषी न हों

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें