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हमारे पास आनन्द से जयजयकार करने का कारण हैप्रहरीदुर्ग—1996 | फरवरी 15
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“वे हर्ष और आनन्द पाएंगे और शोक और लम्बी सांस का लेना जाता रहेगा।”—यशायाह ३५:१०.
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हमारे पास आनन्द से जयजयकार करने का कारण हैप्रहरीदुर्ग—1996 | फरवरी 15
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३. कौन-से अर्थपूर्ण शब्द हमारे ध्यान के योग्य हैं, और क्यों?
३ यीशु के शब्दों को याद कीजिए: “मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।” (यूहन्ना १५:११) “तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।” क्या ही वर्णन! जीने के मसीही तरीक़े का एक गहरा अध्ययन हमारे आनन्द के पूरा होने के अनेक कारणों को प्रकट करेगा। लेकिन अभी, यशायाह ३५:१० के अर्थपूर्ण शब्दों पर ध्यान दीजिए। ये अर्थपूर्ण हैं क्योंकि इनका आज हमारे साथ काफ़ी ताल्लुक़ है। हम पढ़ते हैं: “यहोवा के छुड़ाए हुए लोग लौटकर जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएंगे; और उनके सिर पर सदा का आनन्द होगा; वे हर्ष और आनन्द पाएंगे और शोक और लम्बी सांस का लेना जाता रहेगा।”
४. यशायाह ३५:१० में किस प्रकार के आनन्द के बारे में ज़िक्र किया गया है, और हमें इस पर क्यों ध्यान देना चाहिए?
४ “सदा का आनन्द।” इब्रानी में यशायाह ने जो लिखा उसका सही अनुवाद, वाक्यांश “सदा का” है। लेकिन, जैसे अन्य शास्त्रवचन अनुवाद करते हैं, इस आयत का आशय है “सर्वदा।” (भजन ४५:६; ९०:२; यशायाह ४०:२८) सो आनन्द मनाना अन्तहीन होगा, ऐसी परिस्थितियों में जो अनन्तकाल तक आनन्द मनाने की अनुमति देंगी—जी हाँ, उसे न्यायसंगत ठहराएँगी। क्या यह आनन्दप्रद नहीं लगता? लेकिन, शायद यह आयत आपको किसी काल्पनिक स्थिति पर एक टिप्पणी के तौर पर प्रभावित करती हो, जिससे आप यह महसूस करते हैं: ‘यह वास्तव में मुझे इस हद तक शामिल नहीं करता जिस हद तक मेरी हर रोज़ की समस्याएँ और चिन्ताएँ करती हैं।’ लेकिन तथ्य कुछ और ही साबित करते हैं। यशायाह ३५:१० की भविष्यसूचक प्रतिज्ञा का आज आपके लिए अर्थ है। यह पता लगाने के लिए कि कैसे, आइए हम इस सुन्दर अध्याय, यशायाह ३५ की जाँच करें, और उसके हरेक भाग पर संदर्भ के साथ ध्यान दें। आश्वस्त रहिए कि जो हम पाएँगे उसका आप आनन्द उठाएँगे।
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