हमारे महान् सृष्टिकर्ता के साथ रखवाली करना
“यहोवा मेरा चरवाहा है, मुझे कुछ घटी न होगी। वह मेरे जी में जी ले आता है। धर्म के मार्गों में वह अपने नाम के निमित्त मेरी अगुवाई करता है।”—भजन २३:१, ३.
१. यहोवा कौनसा प्रेममय विश्राम प्रदान करता है?
तेईसवें भजन, ‘दाऊद के भजन,’ ने अनेक थके हुए प्राणियों को विश्राम पहुँचाया है। इस ने उनको प्रोत्साहन दिया है कि वे आयत ६ में अभिव्यक्त विश्वास को रखें: “निश्चय भलाई और करुणा जीवन भर मेरे साथ साथ बनी रहेंगी; और मैं यहोवा के धाम में सर्वदा बास करूंगा।” क्या यही आपकी इच्छा है, यहोवा की उपासना के धाम में सर्वदा बसे रहना, उसके लोगों के साथ मिलकर जो इस समय पृथ्वी के सब राष्ट्रों में से एकत्रित किये जा रहे हैं? ‘आपके प्राणों का रखवाला और अध्यक्ष,’ हमारा महान् सृष्टिकर्ता, यहोवा परमेश्वर, उस लक्ष्य को प्राप्त करने में आपकी मदद करेगा।—१ पतरस २:२५.
२, ३. (क) यहोवा कैसे प्रेममय तरीक़े से अपने लोगों की रखवाली करता है? (ख) यहोवा का “झुण्ड” कैसे प्रभावशाली तरीक़े से बढ़ा है?
२ “नए आकाश और नई पृथ्वी” का सृष्टिकर्ता, “परमेश्वर का घर,” मसीही कलीसिया का भी संगठक और सर्वोच्च अध्यक्ष है। (२ पतरस ३:१३; १ तीमुथियुस ३:१५) वह अपने लोगों की रखवाली करने में अत्यन्त दिलचस्पी रखता है, जैसे कि यशायाह ४०:१०, ११ स्पष्ट रूप से बताता है: “देखो, प्रभु यहोवा सामर्थ दिखाता हुआ रहा है, वह अपने भुजबल से प्रभुता करेगा; देखो, जो मज़दूरी देने की है वह उसके पास है और जो बदला देने का है वह उसके हाथ में है। वह चरवाहे की नाईं अपने झुण्ड को चराएगा, वह भेड़ों के बच्चों को अंकवार में लिए रहेगा और दूध पिलानेवालियों को धीरे-धीरे ले चलेगा।”
३ विस्तारित अर्थ में, इस “झुण्ड” में वे लोग शामिल हैं जो काफ़ी अरसे से मसीही सच्चाई में हैं और वे ‘भेड़ों के बच्चे’ जिन्हें बिल्कुल हाल के समयों में एकत्रित किया गया है—जैसे कि वह बड़ी संख्या जो इस समय अफ्रीका और पूर्वी यूरोप में बपतिस्मा प्राप्त कर रही है। यहोवा की शक्तिशाली, रक्षात्मक भुजा उन्हें अपने अंकवार में एकत्रित करती है। चाहे वे भटकी हुई भेड़ों की नाईं थे, वे अब अपने परमप्रिय परमेश्वर और चरवाहे के साथ एक घनिष्ठ सम्बन्ध में आ गये हैं।
यहोवा का संगी चरवाहा
४, ५. (क) “अच्छा चरवाहा” कौन है, और भविष्यवाणी ने कैसे उसकी ओर संकेत किया? (ख) यीशु कौनसे विभाजन कार्य का निरीक्षण कर रहा है, और इसका क्या विशिष्ट परिणाम निकला है?
४ स्वर्ग में अपने पिता के दाहिने हाथ सेवा करते हुए, “अच्छा चरवाहा,” यीशु मसीह, भी ‘भेड़ों’ की देखरेख दयालुता से करता है। पहले अभिषिक्त जनों के “छोटे झुण्ड” और फिर, आज, अपनी ‘अन्य भेड़ों’ की बड़ी भीड़ को लाभ पहुँचाने के लिये उसने अपना प्राण सौंप दिया। (लूका १२:३२; यूहन्ना १०:१४, १६, NW) महान् चरवाहा, यहोवा परमेश्वर, यह कहते हुए इन सब भेड़ों को सम्बोधित करता है: “मैं आप . . . भेड़-भेड़ के . . . बीच न्याय करूंगा। और मैं उन पर ऐसा एक चरवाहा ठहराऊंगा जो उनकी चरवाही करेगा, वह मेरा दास दाऊद होगा, वही उनको चराएगा, और वही उनका चरवाहा होगा। और मैं, यहोवा, उनका परमेश्वर ठहरूंगा, और मेरा दास दाऊद उनके बीच प्रधान होगा; मुझ यहोवा ही ने यह कहा है।”—यहेजकेल ३४:२०-२४.
५ यह पदनाम “मेरा दास दाऊद” भविष्यसूचक रूप से मसीह यीशु की ओर संकेत करता है, वह “वंश” जो दाऊद की राजगद्दी को उत्तराधिकार में प्राप्त करता है। (भजन ८९:३५, ३६) जातियों के न्याय के इस दिन में, यहोवा का संगी चरवाहा और राजा, मसीह यीशु, दाऊद की सन्तान, मानवजाति की “भेड़ों” को उन लोगों से अलग करता जा रहा है, जो शायद ‘भेड़’ होने का दावा करें पर असल में ‘बकरियाँ’ हैं। (मत्ती २५:३१-३३) यह “एक चरवाहा” भेड़ों को चराने के लिये भी ठहराया गया है। हम आज इस भविष्यवाणी की क्या ही शानदार पूर्णता देखते हैं! जबकि राजनीतिज्ञ मानवजाति को नयी विश्व-व्यवस्था द्वारा एक करने की बात कर रहे हैं, वह एक चरवाहा असल में सब जातियों की भेड़ों को एक ऐसी बहुभाषा गवाही कर्मावधि द्वारा एक कर रहा है जिसे पृथ्वी पर सिर्फ़ परमेश्वर का संगठन ही करने में समर्थ है।
६, ७. “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास,” ने कैसे ध्यान रखा है कि भेड़ों को ‘समय पर भोजन’ उपलब्ध हो?
६ जैसे-जैसे नये क्षेत्रों में राज्य संदेश निरन्तर फैलता जा रहा है, अभिषिक्त मसीहियों का “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” यह ध्यान रखता है कि ‘समय पर भोजन’ भेजने का पूरा प्रबंध किया जा रहा है, जैसे उस एक चरवाहे द्वारा उसे यह कार्य नियुक्त किया गया है। (मत्ती २४:४५) पृथ्वी भर में वॉच टावर सोसायटी की ३३ मुद्रण शाखाओं में से अनेक अपने उत्पादन को बढ़ा रहे हैं ताकि अधिक और बेहतर बाइबल पाठ्य-पुस्तकों और पत्रिकाओं की बढ़ती हुई मांग को संतुष्ट कर सकें।
७ यहोवा के गवाहों का शासी निकाय कुछ २०० भाषाओं में अनुवाद को ज़्यादा बेहतर बनाने और अतिरिक्त भाषाओं में अनुवाद प्रारंभ करने के लिये हर मुमकिन कोशिश कर रहा है, जो सम्पूर्ण विश्व-क्षेत्र को पूरा करने के लिये ज़रूरी है। यह यीशु द्वारा अपने चेलों को प्रेरितों १:८ में दी गई कार्य नियुक्ति के समर्थन में है: “जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; . . . और पृथ्वी की छोर तक [तुम] मेरे गवाह होगे।” इसके अतिरिक्त, न्यू वर्ल्ड ट्रांसलेशन ऑफ द होली स्क्रिपचर्स् (New World Translation of the Holy Scriptures), जो पहले ही पूरी या भागों में १४ भाषाओं में छापी जा चूकी है, को अब यूरोप, अफ्रीका और पूर्वी देशों की १६ अन्य भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है।
“परमेश्वर की शान्ति” का आनन्द लेना
८. भेड़ों के साथ यहोवा ने जो शान्तिदायक वाचा बान्धी है, उससे उन्हें पूर्ण रूप से आशीष कैसे मिली है?
८ यहोवा अपने एक चरवाहे, मसीह यीशु, के द्वारा अपनी संतुष्ट भेड़ों के साथ “शान्तिदायक वाचा” बान्धता है। (यशायाह ५४:१०) यीशु के बहाये गये लहू पर विश्वास करने के कारण, यह भेड़ें ज्योति में चलने के लिये समर्थ की गयी हैं। (१ यूहन्ना १:७) वे ‘परमेश्वर की शान्ति, जो समझ से बिलकुल परे है, और जो उनके हृदय और विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखती है,’ का आनन्द प्राप्त करते हैं। (फिलिप्पियों ४:७) जैसे यहेजकेल ३४:२५-२८ आगे जाकर वर्णन करता है, यहोवा अपनी भेड़ों को सुरक्षा, सुखद समृद्धि, और उत्पादकता की आनन्ददायी स्थिति की एक आध्यात्मिक परादीस में नेतृत्व करके ले जाता है। यह प्रेममय चरवाहा अपनी भेड़ों के विषय में कहता है: “जब मैं उनके जूए को तोड़कर उन लोगों के हाथ से छुड़ाऊंगा, जो उन से सेवा कराते हैं, तब वे जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं। वे फिर जाति-जाति से लूटे न जाएंगे, . . . वे निडर रहेंगे, और उनको कोई न डराएगा।”
९. ‘जूए के टूटने’ से यहोवा के लोगों के लिये कौनसे अवसर खुल गए?
९ हाल के वर्षों में, पहले ही अनेक देशों में यहोवा के गवाहों ने ‘अपने जूए’ के टूटने का अनुभव किया है। वे अब प्रचार करने के लिये स्वतंत्र हैं जैसे पहले कभी नहीं थे। और ऐसा हो कि हम सब, हर देश में, यहोवा द्वारा प्रदत्त सुरक्षा का अच्छा उपयोग करें, जैसे हम कार्य को पूरा करने में लगे रहते हैं। यहोवा क्या ही आश्वासन देता है, जैसे-जैसे हम उस सबसे भारी क्लेश के समय के निकट पहुँच रहे हैं, जो मानवजाति कभी देखेगी!—दानिय्येल १२:१; मत्ती २४:२१, २२.
१०. यहोवा ने अच्छे चरवाहे, मसीह यीशु, की मदद करने के लिये किनको प्रदान किया है, और इन में से कुछेक को प्रेरित पौलुस ने कैसे सम्बोधित किया?
१० दुष्टों के विरुद्ध अपने बदले के उस दिन की तैयारी में, यहोवा ने झुण्ड की रखवाली करने के लिये अच्छे चरवाहे, मसीह यीशु, की मदद करने के लिये अधीनस्थ-चरवाहे प्रदान किये हैं। ये प्रकाशितवाक्य १:१६ में यीशु के दाहिने हाथ में ‘सात तारों’ की सम्पूर्ण संख्या के तौर पर वर्णित किये गये हैं। पहली सदी में, प्रेरित पौलुस ने इन अधीनस्थ-चरवाहों के प्रतिनिधि-निकाय को यह कहते हुए सम्बोधित किया: “इसलिये अपनी और पूरे झुंड की चौकसी करो; जिस में पवित्र आत्मा ने तुम्हें अध्यक्ष ठहराया है; कि तुम परमेश्वर की कलीसिया की रखवाली करो, जिसे उस ने अपने लोहू से मोल लिया है।” (प्रेरितों २०:२८) आज, पृथ्वी भर में ६९,५५८ कलीसियाओं में लाखों अधीनस्थ-चरवाहे सेवा कर रहे हैं।
अधीनस्थ-चरवाहे आगे आएँ!
११. अकसर पूरे किये गये क्षेत्रों में कई चरवाहों ने कैसे सफलतापूर्वक अगुवाई की है?
११ अनेक जगहों में इन चरवाहों को उन क्षेत्रों में अगुवाई करनी पड़ती है जहाँ इन अन्तिम दिनों में बार-बार कार्य किया गया है। वे झुण्ड के उत्साह को कैसे ऊँचा बनाए रख सकते हैं? इन चरवाहों ने इस कार्य को सर्वाधिक प्रशंसनीयता से किया है, और उनके सफल होने का एक तरीक़ा यह है कि उन्होंने सहयोगी और नियमित पायनियर कार्य के प्रति प्रोत्साहन दिया है। बहुत से चरवाहों ने स्वयं इस सेवा में भाग लिया है, और जो प्रचारक ऐसे करने में असमर्थ हैं, उन्होंने भी पायनियर भावना दिखाई है, एक ऐसे आनन्द के साथ सेवा करते हुए जो क्षेत्र में उदासीनता को पराजित करने में मदद करता है। (भजन १००:२; १०४:३३, ३४; फिलिप्पियों ४:४, ५) इस प्रकार, जैसे दुष्टता और प्रायः अराजकता विश्व को निमग्न कर रही है, अनेक भेड़-समान लोगों को राज्य आशा की ओर जागरूक किया जा रहा है।—मत्ती १२:१८, २१; रोमियों १५:१२.
१२. तीव्रता से बढ़ते हुए क्षेत्रों में कौनसी गंभीर समस्या है, और इसे कभी-कभी कैसे निपटाया जाता है?
१२ एक और समस्या यह है कि अकसर झुण्ड की देख-रेख करने के लिये काफ़ी मात्रा में योग्य चरवाहे नहीं होते हैं। जहाँ तीव्रगामी वृद्धि है, जैसे कि पूर्वी यूरोप में, वहाँ अनेक नई कलीसियाएँ हैं जिन में कोई भी नियुक्त प्राचीन नहीं हैं। इच्छुक भेड़ें ज़िम्मेदारियाँ उठा रही हैं, लेकिन वे बहुत अनुभवहीन हैं, और कलीसियाओं में एकत्र हो रही भेड़ों को प्रशिक्षित करने के लिये मदद की ज़रूरत है। ब्राज़ील, मैक्सिको, और सायर जैसे देशों में, जहाँ वृद्धि अत्यन्त तीव्रगामी है, सेवा आयोजित करने और दूसरे नये जनों को प्रशिक्षित करने में अपेक्षाकृत जवान गवाहों का प्रयोग करना पड़ता है। पायनियर शानदार मदद दे रहे हैं, और यह एक क्षेत्र है जहाँ बहनें नई बहनों को प्रशिक्षित कर सकती हैं। यहोवा अपनी आत्मा द्वारा परिणाम पर आशीष देता है। वृद्धि लगातार होती रहती है।—यशायाह ५४:२, ३.
१३. (क) जबकि पक्के खेत बहुत हैं, सब गवाहों को किस चीज़ के लिये प्रार्थना करनी चाहिये? (ख) दूसरे विश्व-युद्ध से पहले और उसके दौरान, परमेश्वर के लोगों की प्रार्थनाओं का उत्तर कैसे दिया गया?
१३ उन देशों में जहाँ प्रचार का कार्य सुआधारित है, उन देशों में जहाँ प्रतिबन्ध हाल में हटाये गये हैं, और नये खोले गये क्षेत्रों में, मत्ती ९:३७, ३८ में यीशु के शब्द अभी भी लागू होते हैं: “पक्के खेत तो बहुत हैं पर मजदूर थोड़े हैं। इसलिये खेत के स्वामी से बिनती करो कि वह अपने खेत काटने के लिये मजदूर भेज दे।” हमें भी प्रार्थना करने की ज़रूरत है कि यहोवा और अधिक चरवाहों को खड़ा करे। उसने प्रदर्शित किया है कि वह यह कर सकता है। दूसरे विश्व-युद्ध से पहले और उसके दौरान, क्रूर अश्शूरी-समान तानाशाहों ने यहोवा के गवाहों को कुचल डालने की कोशिश की। परन्तु उनकी प्रार्थनाओं के उत्तर में, यहोवा ने उनके संगठन को वस्तुतः ईश्वरशासित बनाते हुए शुद्ध किया, और आवश्यक ‘चरवाहों’ को प्रदान किया।a यह इस भविष्यवाणी के अनुसार था: “जब अश्शूरी हमारे देश पर चढ़ाई करें, और हमारे राजभवनों में पांव धरें, तब हम उनके विरुद्ध सात चरवाहे वरन आठ प्रधान मनुष्य खड़े करेंगे”—अगुवाई करने के लिये समर्पित प्राचीनों की पर्याप्तता से भी अधिक।—मीका ५:५.
१४. संगठन में कौनसी विशिष्ट ज़रूरत है, और भाइयों को क्या प्रोत्साहन दिया जाता है?
१४ सभी बपतिस्मा प्राप्त पुरुष-गवाहों को अतिरिक्त विशेषाधिकार की ओर आगे बढ़ने की विशिष्ट ज़रूरत है। (१ तीमुथियुस ३:१) स्थिति अत्यावश्यक है। इस व्यवस्था का अन्त तेज़ी से निकट आ रहा है। हबक्कूक २:३ वर्णन करता है: “इस दर्शन की बात नियत समय में पूरी होनेवाली है, वरन इसके पूरे होने का समय वेग से आता है; इस में धोखा न होगा। . . . वह निश्चय पूरी होगी और उस में देर न होगी।” भाइयों, क्या आप इस रखवाली करने के कार्य में अतिरिक्त विशेषाधिकार के लिये योग्य होने की ओर आगे बढ़ सकते हैं—अन्त आने से पहले?—तीतुस १:६-९.
ईश्वरशासित रखवाली
१५. यहोवा के लोग किस तरीक़े से ईशतंत्र हैं?
१५ यहोवा के संगठन के विस्तार में पूरा भाग लेने के लिये, उसके लोगों को अपने दृष्टिकोण में ईश्वरशासित होने की ज़रूरत है। वे इसे कैसे पूरा कर सकते हैं? खैर, “ईश्वरशासित” शब्द का क्या अर्थ है? वॅबस्टर्स् न्यू ट्वॅनटियथ सॅनचरी डिक्शनरि (Webster’s New Twentieth Century Dictionary) “ईशतंत्र” की परिभाषा “एक राज्य परमेश्वर द्वारा शासन” बताती है। इस अर्थ में यहोवा के लोगों की “पवित्र जाति” एक ईशतंत्र है। (१ पतरस २:९, NW; यशायाह ३३:२२) उस ईश्वरशासित जाति के सदस्य या सहयोगी होने के नाते, सच्चे मसीहियों को परमेश्वर के वचन और इसके सिद्धान्तों की आज्ञाकारिता में जीना और सेवा करना चाहिये।
१६. मूलरूप से, हम अपने आपको कैसे ईश्वरशासित दिखा सकते हैं?
१६ प्रेरित पौलुस स्पष्ट रूप से व्याख्या करता है कि मसीहियों को कैसे ईश्वरशासित होना चाहिये। पहले, वह कहता है कि उन्हें ‘नये मनुष्यत्व को पहिन लेना चाहिये, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धार्मिकता, और पवित्रता में सृजा गया है।’ मसीही के मनुष्यत्व को परमेश्वर के वचन में दिये गये उसके धार्मिक सिद्धान्तों के अनुसार ढालना चाहिये। उसे यहोवा और उसके नियमों के प्रति निष्ठावान् होना चाहिये। यह कैसे किया जा सकता है इसे सचित्रित करने के बाद, पौलुस आग्रह करता है: “प्रिय, बालको की नाईं परमेश्वर के सदृश्य बनो।” (इफिसियों ४:२४–५:१) आज्ञाकारी बालकों की नाईं, हमें परमेश्वर का अनुकरण करना चाहिये। यह है क्रियाशील सच्चा ईशतंत्र, जो दिखाता है कि हम सचमुच ही परमेश्वर द्वारा शासित हैं!—कुलुस्सियों ३:१०, १२-१४ भी देखिये.
१७, १८. (क) ईश्वरशासित मसीही परमेश्वर के कौनसे विशिष्ट गुण का अनुकरण करते हैं? (ख) मूसा से कहे यहोवा के शब्दों में, उसने अपने मुख्य गुण पर कैसे ज़ोर दिया, परन्तु साथ ही उसने कौनसी चेतावनी दी?
१७ परमेश्वर का मुख्य गुण कौनसा है जिसका हमें अनुकरण करना चाहिये? प्रेरित यूहन्ना १ यूहन्ना ४:८ में उत्तर देता है जब वह कहता है: “परमेश्वर प्रेम है।” आठ आयतों के बाद, आयत १६ में, वह इस महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त को दोहराता है: “परमेश्वर प्रेम है: और जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में बना रहता है; और परमेश्वर उस में बना रहता है।” महान् चरवाहा, यहोवा, प्रेम का साक्षात् रूप है। ईश्वरशासित चरवाहे यहोवा की भेड़ों के लिये गहरा प्रेम दिखाने के ज़रिए उसका अनुकरण करते हैं।—१ यूहन्ना ३:१६, १८; ४:७-११ से तुलना कीजिये.
१८ उस महान् ईशतंत्री शासक ने अपने आपको मूसा को इस तरह प्रकट किया: “यहोवा, यहोवा, ईश्वर दयालु और अनुग्रहकारी, कोप करने में धीरजवन्त, और अति करुणामय और सत्य, हज़ारों पीढ़ियों तक निरन्तर करुणा करनेवाला, अधर्म और अपराध और पाप का क्षमा करनेवाला है, परन्तु दोषी को वह किसी प्रकार निर्दोष न ठहराएगा, वह पितरों के अधर्म का दण्ड उनके बेटों वरन पोतों और परपोतों को भी देनेवाला है।” (निर्गमन ३४:६, ७) इस प्रकार यहोवा अपने विशिष्ट ईश्वरशासित गुण, प्रेम, के विविध पहलुओं पर ज़ोर देता है, साथ-साथ दृढ़तापूर्वक चेतावनी भी देता है कि जहाँ आवश्यक हुआ वहाँ वह अधर्म का दण्ड भी देगा।
१९. फरीसियों के प्रतिकूल में, मसीही चरवाहों को ईश्वरशासित तरीक़े से कैसे कार्य करना चाहिये?
१९ संगठन में जिन लोगों के ज़िम्मेदारी के पद हैं, उनके लिये ईश्वरशासित होने का क्या अर्थ है? यीशु ने अपने दिनों के शास्त्रियों और फरीसियों के विषय में कहा था: “वे एक ऐसे भारी बोझ को जिन को उठाना कठिन है, बान्धकर उन्हें मनुष्यों के कन्धों पर रखते हैं; परन्तु आप उन्हें अपनी उंगली से भी सरकाना नहीं चाहते।” (मत्ती २३:४) कितने अत्याचारी और प्रेमरहित! सच्चे ईशतंत्र, या परमेश्वर-शासन, की आवश्यकता है, बाइबल के प्रेममय सिद्धान्तों को लागू करते हुए झुण्ड की रखवाली करना, न कि अंतहीन मानवकृति नियमों को भेड़ों पर लाद देना। (मत्ती १५:१-९ से तुलना कीजिये.) साथ ही, कलीसिया की शुद्धता को कायम रखने के लिये ईश्वरशासित चरवाहों को अपने प्रेम के साथ-साथ दृढ़ता रखने में भी परमेश्वर का अनुकरण करना चाहिये।—रोमियों २:११; १ पतरस १:१७ से तुलना कीजिये.
२०. ईश्वरशासित चरवाहे कौनसे संगठन-सम्बन्धी प्रबन्धों को मानते हैं?
२० सच्चे चरवाहे यह मानते हैं कि इन अन्तिम दिनों में, यीशु ने अपने विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास को अपनी सारी संपत्ति पर सरदार ठहराया है और भेड़ों की रखवाली करने के लिये प्राचीनों को नियुक्त करने में पवित्र आत्मा ने इस दास को निर्देशित किया है। (मत्ती २४:३, ४७; प्रेरितों २०:२८) इसलिये, ईश्वरशासित होने में, इस दास के लिये, इस दास द्वारा संस्थापित किये गये संगठन-सम्बन्धी प्रबन्धों के लिये, और कलीसिया के अन्दर प्राचीन प्रबन्ध के लिये, गहरा सम्मान शामिल है।—इब्रानियों १३:७, १७.
२१. यीशु ने अधीनस्थ-चरवाहों के लिये कौनसा अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया है?
२१ मार्गदर्शन के लिये यहोवा और उसके वचन की ओर निरन्तर देखते हुए, यीशु ने स्वयं एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया। उस ने कहा: “मैं अपने आप से कुछ नहीं कर सकता; जैसा सुनता हूं, वैसा न्याय करता हूं, और मेरा न्याय सच्चा है; क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं, परन्तु अपने भेजनेवाले की इच्छा चाहता हूं।” (यूहन्ना ५:३०) प्रभु यीशु मसीह के अधीनस्थ-चरवाहों को समान नम्र अभिवृति विकसित करनी चाहिये। अगर एक प्राचीन मार्गदर्शन के लिये हमेशा परमेश्वर के वचन की ओर देखता है, जैसे यीशु देखा करता था, तब वह सचमुच ईश्वरशासित है।—मत्ती ४:१-११; यूहन्ना ६:३८.
२२. (क) किस तरीक़े से सब को ईश्वरशासित होने के लिये प्रयास करना चाहिये? (ख) यीशु भेड़ों को कौनसा कृपालु निमंत्रण देता है?
२२ बपतिस्मा प्राप्त पुरुषों, कलीसिया में विशेषाधिकारों के लिये योग्य बनने के लिये आगे बढ़िये! आप सब प्रिय भेड़ों, प्रेम दिखाने में परमेश्वर और मसीह का अनुकरण करते हुए, ईश्वरशासित बनने का लक्ष्य रखिये! ऐसा हो कि चरवाहे और झुण्ड एक समान आनन्द मनाएं क्योंकि उन्होंने यीशु के इस निमंत्रण का उत्तर दिया है: “हे सब परिश्रम करनेवालो और बोझ से दबे हुए लोगो, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे। क्योंकि मेरा जूआ सहज और मेरा बोझ हलका है।”—मत्ती ११:२८-३०.
[फुटनोट]
a जून १ और १५, १९३८, के अंकों में “संगठन” (Organization) शीर्षक के अंतर्गत वॉचटावर लेखों को देखिये.
क्या आप समझा सकते हैं?
▫ यहोवा का “झुण्ड” क्या है, और इस में कौन-कौन शामिल हैं?
▫ यीशु ने पहली सदी में, और इस समय में ‘अच्छे चरवाहे’ के तौर पर कैसे कार्य किया?
▫ झुण्ड की देख-रेख करने में अधीनस्थ-चरवाहे कौनसी अनिवार्य भूमिका अदा करते हैं?
▫ “ईशतंत्र” शब्द का मूल अर्थ क्या है?
▫ एक मसीही—विशेषतः एक अधीनस्थ-चरवाहे—को ईश्वरशासित होने के लिये कैसे कार्य करना चाहिये?
[पेज 14 पर तसवीरें]
एक निष्ठावान् चरवाहे के समान, यहोवा अपने झुण्ड के लिये चिंता करता है
[पेज 17 पर तसवीरें]
यहोवा परमेश्वर के प्रेम के गुण का अनुकरण करना क्रियाशील ईशतंत्र है