वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • यहोवा दीन-हीन लोगों में नयी जान फूँकता है
    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
    • ‘दूर और निकट रहनेवालों को शान्ति’

      22. (क) पश्‍चाताप दिखानेवालों, और (ख) दुष्टों के भविष्य के बारे में यहोवा क्या बताता है?

      22 अब यहोवा बताता है कि पश्‍चाताप दिखानेवालों का भविष्य उन लोगों से कितना अलग होगा जो अपने बुरे कामों में लगे रहते हैं: “[मैं] उनके होंठों का फल से स्तुति उत्पन्‍न करूंगा। . . . जो दूर है उसे शान्ति मिले और जो निकट है उसे भी शान्ति मिले, और मैं उसको चंगा करूंगा।’ परन्तु दुष्ट तो अशान्त समुद्र के समान है; क्योंकि वह चुप रह ही नहीं सकता, और उसकी लहरें कूड़ा-करकट और कीचड़ उछालती हैं। ‘दुष्टों के लिए शान्ति है ही नहीं।’”—यशायाह 57:19-21, NHT, फुटनोट।

  • यहोवा दीन-हीन लोगों में नयी जान फूँकता है
    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
    • 23. होठों का फल क्या है, और यहोवा कैसे इस फल को “उत्पन्‍न” करता है?

      23 होठों का फल वह बलिदान है जो परमेश्‍वर को स्तुति के रूप में चढ़ाया जाता है यानी सबके सामने उसके नाम का ऐलान करना। (इब्रानियों 13:15) यहोवा कैसे होठों के इस फल को “उत्पन्‍न” करता है? एक इंसान यहोवा को स्तुति का बलिदान तभी चढ़ा सकता है, जब पहले वह उसके बारे में ज्ञान हासिल करता है, फिर उस पर विश्‍वास दिखाता है। विश्‍वास ही से—जो परमेश्‍वर की आत्मा का फल है—इंसान को प्रेरणा मिलती है कि उसने जो सुना है, वह दूसरों को बताए। दूसरे शब्दों में वह सबके सामने परमेश्‍वर के नाम का ऐलान करता है। (रोमियों 10:13-15; गलतियों 5:23) इसके अलावा, हमें यह भी याद रखना चाहिए कि यहोवा के सेवकों को उसकी स्तुति करने का ज़िम्मा किसी और ने नहीं बल्कि खुद उसने सौंपा है। और यहोवा ही अपने लोगों को छुटकारा दिलाता है ताकि उनके लिए ऐसे स्तुतिरूपी बलिदान चढ़ाना मुमकिन हो। (1 पतरस 2:9) इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए, हम कह सकते हैं कि यहोवा ही होठों के इस फल को उत्पन्‍न करता है।

      24. (क) परमेश्‍वर की शांति कौन पाएँगे, और इसका नतीजा क्या होगा? (ख) कौन शांति नहीं पाएँगे, और उनका क्या अंजाम होगा?

      24 जब यहूदी बड़े आनंद से यहोवा की स्तुति में गीत गाते हुए वापस अपने देश लौटे होंगे, तो उन्होंने क्या ही उत्तम होठों के फल चढ़ाए होंगे। वे चाहे “दूर,” यहूदा देश लौटने के इंतज़ार में हों या फिर “निकट” यानी अपने देश में पहुँच गए हों, वे परमेश्‍वर की शांति पाकर कितने हर्षित होंगे। दूसरी तरफ, दुष्टों का अंजाम कितना अलग होगा! यहोवा की ताड़ना को ठुकरानेवाले इन दुष्ट लोगों को किसी भी हाल में शांति नहीं मिलेगी, फिर चाहे उनकी हैसियत जो भी हो और वे कहीं भी क्यों न रहते हों। वे अशांत समुद्र की तरह हलचल मचाते रहेंगे और होठों के फल के बजाय “कूड़ा-करकट और कीचड़” यानी हर किस्म की गंदी चीज़ उछालते रहेंगे।

  • यहोवा दीन-हीन लोगों में नयी जान फूँकता है
    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
    • 25. आज दूर और निकट रहनेवाले लोग कैसे शांति पा रहे हैं?

      25 आज भी, यहोवा के उपासक संसार भर में परमेश्‍वर के राज्य का सुसमाचार सुना रहे हैं। दूर और निकट के 230 से भी ज़्यादा देशों में, मसीही एकमात्र सच्चे परमेश्‍वर, यहोवा की स्तुति करते हैं और इस तरह होठों का फल चढ़ाते हैं। उनकी स्तुति के बोल “पृथ्वी की छोर से” भी सुनायी पड़ते हैं। (यशायाह 42:10-12) जो उनके बोल सुनते और उसके मुताबिक कदम उठाते हैं, वे परमेश्‍वर के वचन, बाइबल की सच्चाई को कबूल करते हैं। वे ऐसी शांति पाते हैं, जो ‘शान्ति के परमेश्‍वर’ यहोवा की सेवा करने से मिलती है।—रोमियों 16:20.

हिंदी साहित्य (1972-2025)
लॉग-आउट
लॉग-इन
  • हिंदी
  • दूसरों को भेजें
  • पसंदीदा सेटिंग्स
  • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
  • इस्तेमाल की शर्तें
  • गोपनीयता नीति
  • गोपनीयता सेटिंग्स
  • JW.ORG
  • लॉग-इन
दूसरों को भेजें