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  • यहोवा अपने नाम की महिमा प्रकट करता है
    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
    • 14. यशायाह अब किस बात की सही-सही याद दिलाता है?

      14 बीते समय में, यहोवा ने यहूदियों की खातिर जो काम किए थे उन्हें वे एहसानफरामोशों की तरह फौरन भूल गए। इसलिए, यशायाह का उन्हें यह याद दिलाना बिलकुल सही है कि यहोवा ने ऐसे काम क्यों किए थे। यशायाह घोषणा करता है: “जितना उपकार यहोवा ने हम लोगों का किया अर्थात्‌ इस्राएल के घराने पर दया और अत्यन्त करुणा करके उस ने हम से जितनी भलाई की, उस सब के अनुसार मैं यहोवा के करुणामय कामों का वर्णन और उसका गुणानुवाद करूंगा। क्योंकि उस ने कहा, नि:सन्देह ये मेरी प्रजा के लोग हैं, ऐसे लड़के हैं जो धोखा न देंगे; और वह उनका उद्धारकर्त्ता हो गया। उनके सारे संकट में उस ने भी कष्ट उठाया, और उसके सम्मुख रहनेवाले दूत ने उनका उद्धार किया; प्रेम और कोमलता से उस ने आप ही उनको छुड़ाया; उस ने उन्हें उठाया और प्राचीनकाल से सदा उन्हें लिए फिरा।”—यशायाह 63:7-9.

  • यहोवा अपने नाम की महिमा प्रकट करता है
    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
    • 16. (क) जब यहोवा ने इस्राएल के साथ वाचा बाँधी तो उसका नज़रिया कैसा था? (ख) परमेश्‍वर अपने लोगों के साथ किस तरह व्यवहार करता है?

      16 मिस्र से निकाल लाने के बाद यहोवा, इस्राएल को सीनै पर्वत के पास ले आया और उनसे यह वादा किया: “यदि तुम निश्‍चय मेरी मानोगे, और मेरी वाचा को पालन करोगे, तो . . . तुम ही मेरा निज धन ठहरोगे . . . तुम मेरी दृष्टि में याजकों का राज्य और पवित्र जाति ठहरोगे।” (निर्गमन 19:5,6) क्या यहोवा उनसे झूठे वादे कर रहा था? नहीं, क्योंकि यशायाह बताता है कि यहोवा ने अपने आप से कहा: “नि:सन्देह ये मेरी प्रजा के लोग हैं, ऐसे लड़के हैं जो धोखा न देंगे।” एक विद्वान कहते हैं: “यहाँ ‘नि:सन्देह’ शब्द का मतलब यह नहीं कि सर्वशक्‍तिमान ने कह दिया तो यह होकर ही रहेगा, या फिर वह अपने लोगों का भविष्य पढ़कर ऐसा कह रहा था। इसके बजाय यह तो यहोवा का प्यार है कि वह अपने लोगों से उम्मीद लगाए बैठा है और उसे उन पर पूरा भरोसा है।” जी हाँ, यहोवा ने अपने लोगों के साथ पूरी ईमानदारी और भरोसे के साथ वाचा बाँधी, और वह दिल से चाहता था कि उसके लोग कामयाब हों। हालाँकि उसके लोगों की खामियाँ साफ नज़र आती थीं, फिर भी उसने उन पर भरोसा ज़ाहिर किया। ऐसे परमेश्‍वर की उपासना करना कितने आनंद की बात है जो अपने उपासकों पर इतना भरोसा करता है! आज कलीसिया के प्राचीन भी अगर यह विश्‍वास दिखाएँ कि परमेश्‍वर के लोग दिल से भलाई करना चाहते हैं तो उनको सौंपे गए लोगों की हिम्मत बँधाने के लिए वे काफी कुछ कर सकते हैं।—2 थिस्सलुनीकियों 3:4; इब्रानियों 6:9,10.

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