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‘जो मैं सृजने पर हूं उसमें सर्वदा के लिए हर्षित हो’यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
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7, 8. यहोवा के हठीले लोगों ने कैसे उसके गुस्से को भड़काया है?
7 हठीले यहूदियों ने अपनी नीच हरकतों से बार-बार यहोवा का क्रोध भड़काया है। यहोवा उनकी घिनौनी करतूतों के बारे में बताता है: “ऐसे लोग, जो मेरे साम्हने ही बारियों में बलि चढ़ा चढ़ाकर और ईंटों पर धूप जला जलाकर, मुझे लगातार क्रोध दिलाते हैं। ये क़ब्र के बीच बैठते और छिपे हुए स्थानों में रात बिताते; जो सूअर का मांस खाते, और घृणित वस्तुओं का रस अपने बर्तनों में रखते; जो कहते हैं, हट जा, मेरे निकट मत आ, क्योंकि मैं तुझ से पवित्र हूं। ये मेरी नाक में धूंएं व उस आग के समान हैं जो दिन भर जलती रहती है।” (यशायाह 65:3-5) पवित्र होने का ढोंग करनेवाले ये लोग, यहोवा के “साम्हने ही” उसे क्रोध दिलाने जैसे काम करते हैं। “मेरे साम्हने ही,” इन शब्दों का मतलब यह हो सकता है कि वे गुस्ताख हैं और मुँह पर उसका निरादर कर रहे हैं। वे अपने घृणित कामों को छिपाने की कोशिश भी नहीं करते। क्या इससे घिनौनी और कोई बात हो सकती है कि जिस परमेश्वर का सम्मान किया जाना चाहिए और जिसकी आज्ञा माननी चाहिए उसी की आँखों के सामने ऐसे-ऐसे पाप किए जा रहे हैं?
8 एक तरह से, खुद को धर्मी माननेवाले ये पापी दूसरे यहूदियों से कह रहे हैं: ‘मुझसे दूर रह, क्योंकि मैं तुझ से पवित्र हूं।’ क्या ही पाखंड! खुद को “पवित्र” कहनेवाले ये लोग झूठे देवी-देवताओं के सामने बलि करते और उन्हें धूप चढ़ाते हैं, जबकि ऐसा करना परमेश्वर की कानून-व्यवस्था में सख्त मना था। (निर्गमन 20:2-6) वे कब्रिस्तान में बैठे रहते हैं, जो व्यवस्था के मुताबिक उन्हें अशुद्ध कर देता है। (गिनती 19:14-16) वे सूअर का मांस खा रहे हैं, जो एक अशुद्ध जानवर है।a (लैव्यव्यवस्था 11:7) फिर भी उन्हें लगता है कि उनकी धार्मिक रीतियाँ उन्हें दूसरे यहूदियों से अधिक पवित्र बना देती हैं, इसलिए वे दूसरों को दूर रहने के लिए कहते हैं, कहीं ऐसा ना हो कि उनके पास आने भर से या उनकी संगति में आकर वे भी पवित्र या शुद्ध हो जाएँ। लेकिन, “एकनिष्ठ भक्ति” की माँग करनेवाला परमेश्वर इन लोगों के बारे में ऐसा हरगिज़ नहीं सोचता!—व्यवस्थाविवरण 4:24, NW.
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‘जो मैं सृजने पर हूं उसमें सर्वदा के लिए हर्षित हो’यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
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a कई लोगों का मानना है कि ये पापी, कब्रों के पास बैठकर मरे हुओं से संपर्क करने की कोशिश कर रहे थे। सूअर का मांस खाना शायद मूर्तिपूजा से जुड़ा हुआ था।
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