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    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग I
    • 20. सामान्य युग पहली सदी में किस नए इस्राएल का जन्म हुआ?

      20 यहोवा के ठहराए हुए समय पर, एक और इस्राएल यानी आत्मिक इस्राएल का जन्म हुआ। (गलतियों 6:16) यीशु ने पृथ्वी पर अपनी सेवकाई के दौरान इस नए इस्राएल के जन्म के लिए माहौल तैयार किया। उसने शुद्ध उपासना फिर से कायम की और उसकी शिक्षाओं के ज़रिए सच्चाई का जल फिर से बहने लगा। उसने लोगों की शारीरिक और आध्यात्मिक बीमारियाँ ठीक कीं। परमेश्‍वर के राज्य का सुसमाचार सुनाने के ज़रिए जयजयकार के शब्द गूँज उठे। अपनी मौत और पुनरुत्थान के सात हफ्ते बाद, महिमा पाए हुए यीशु ने मसीही कलीसिया की स्थापना की। यही कलीसिया आत्मिक इस्राएल थी और इसके सदस्य यहूदी और दूसरी जातियों के लोग भी थे, जिन्हें यीशु के बहाए गए लहू की कीमत से छुड़ाया गया था। परमेश्‍वर के आत्मिक पुत्रों और यीशु के भाइयों के तौर पर उनका नया जन्म हुआ और उन्हें पवित्र आत्मा से अभिषिक्‍त किया गया।—प्रेरितों 2:1-4; रोमियों 8:16,17; 1 पतरस 1:18,19.

      21. पहली सदी की मसीही कलीसिया से जुड़ी किन घटनाओं के बारे में कहा जा सकता है कि ये यशायाह की भविष्यवाणी के कुछ भागों की पूर्ति थी?

      21 आत्मिक इस्राएल के सदस्यों को लिखी एक पत्री में प्रेरित पौलुस ने यशायाह 35:3 के शब्दों का हवाला देते हुए कहा: “ढीले हाथों और निर्बल घुटनों को सीधे करो।” (इब्रानियों 12:12) इससे पता चलता है कि पहली सदी में भी यशायाह के 35वें अध्याय की भविष्यवाणी पूरी हुई। यीशु और उसके चेलों ने चमत्कारों के ज़रिए वाकई अंधों को आँखें और बहिरों को सुनने की शक्‍ति दी। उनके चमत्कार से ‘लंगड़े’ चलने लगे और गूंगे बोलने लगे। (मत्ती 9:32; 11:5; लूका 10:9) लेकिन इससे भी अहम बात यह थी कि नेकदिल इंसान झूठे धर्म के चंगुल से आज़ाद हुए और उन्होंने मसीही कलीसिया में आध्यात्मिक फिरदौस की आशीष पायी। (यशायाह 52:11; 2 कुरिन्थियों 6:17) बाबुल से लौटनेवाले यहूदियों की तरह, इन आज़ाद लोगों को भी यह एहसास हुआ कि सही नज़रिया बनाए रखना और हिम्मत से काम लेना उनके लिए बेहद ज़रूरी है।—रोमियों 12:11.

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    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग I
    • 23, 24. सन्‌ 1919 से परमेश्‍वर के लोगों के बीच यशायाह की भविष्यवाणी किन तरीकों से पूरी हो रही है?

      23 लेकिन, 1919 में हालात बदल गए। यहोवा ने अपने लोगों को कैद से छुड़ा दिया। वे उन झूठी शिक्षाओं को ठुकराने लगे जिनकी वजह से उनकी उपासना पहले भ्रष्ट हो गयी थी। नतीजा यह हुआ कि उन्होंने आध्यात्मिक चंगाई का आनंद लिया। वे आध्यात्मिक फिरदौस में आ गए, जिसकी सरहदें आज भी सारी पृथ्वी पर फैलती जा रही हैं। आज आध्यात्मिक अर्थ में, अंधे देखना और बहिरे सुनना सीख रहे हैं यानी वे जान गए हैं कि परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा किस तरह काम कर रही है और उन्हें हमेशा यह एहसास रहता है कि यहोवा के करीब रहना कितना ज़रूरी है। (1 थिस्सलुनीकियों 5:6; 2 तीमुथियुस 4:5) सच्चे मसीही अब गूंगे नहीं रहे, इसलिए वे दूसरों को बड़े उत्साह से बाइबल की सच्चाइयाँ बताकर “जयजयकार” कर रहे हैं। (रोमियों 1:15) जो पहले आध्यात्मिक रीति से ‘लंगड़े’ या कमज़ोर थे उनमें अब जोश और खुशी झलक रही है। लाक्षणिक अर्थ में, वे “हरिण की सी चौकड़िया” भरने के काबिल हो गए हैं।

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    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग I
    • 25. यशायाह के 35वें अध्याय के मुताबिक, क्या कभी शरीर की सारी अपंगताएँ दूर की जाएँगी? समझाइए।

      25 भविष्य के बारे में क्या? क्या वह समय कभी आएगा जब यशायाह की भविष्यवाणी के मुताबिक शरीर की सारी अपंगताएँ दूर की जाएँगी? जी हाँ। पहली सदी में यीशु और उसके प्रेरितों के चमत्कारों से यही साबित हुआ कि भविष्य में ना सिर्फ यहोवा ऐसी चंगाई बड़े पैमाने पर करना चाहता है बल्कि ऐसा करने की ताकत भी रखता है। ईश्‍वर-प्रेरित भजनों में बताया गया है कि किस तरह इंसान को इसी पृथ्वी पर शांति के माहौल में हमेशा तक जीने का मौका मिलेगा। (भजन 37:9,11,29) यीशु ने भी फिरदौस में ज़िंदगी देने का वादा किया था। (लूका 23:43) बाइबल की शुरू से लेकर आखिरी किताब में, पृथ्वी पर आनेवाले एक फिरदौस की आशा दी गयी है। उस वक्‍त, अंधे, बहिरे, लंगड़े और गूंगे हमेशा-हमेशा के लिए चंगे किए जाएँगे। शोक और दुःख से आहें भरना न रहेगा। सदा तक, जी हाँ, अनंतकाल तक आनंद मनाया जाएगा।—प्रकाशितवाक्य 7:9,16,17; 21:3,4.

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