बाइबल की किताब नंबर 26—यहेजकेल
लेखक: यहेजकेल
लिखने की जगह: बाबुल
लिखना पूरा हुआ: लगभग सा.यु.पू. 591
कब से कब तक का ब्यौरा: सा.यु.पू. 613-लगभग 591
सामान्य युग पूर्व 617 में, यहूदा का राजा यहोयाकीन, नबूकदनेस्सर के आगे आत्म-समर्पण करता है। नबूकदनेस्सर यहोवा के भवन और राजा के महल का सारा खज़ाना लूटकर अपने साथ बाबुल ले जाता है। वह अपने साथ यहूदा देश के दिग्गजों को भी बंदी बनाकर ले जाता है। इनमें राजा का परिवार, हाकिम, वीर योद्धा, शिल्पकार, राजगीर और याजक बूजी का पुत्र, यहेजकेल शामिल हैं। (2 राजा 24:11-17; यहे. 1:1-3) ये बंधुए उदास मन से पहाड़ों, झरनों और घाटियों के अपने खूबसूरत वतन को छोड़कर एक लंबा सफर तय करते हैं और एक ऐसे देश में आते हैं जहाँ दूर-दूर तक सिर्फ मैदानी इलाका है। अब वे एक विशाल साम्राज्य में, कबार नाम की नदी के पास बस जाते हैं। यहाँ वे ऐसे लोगों के बीच रहते हैं जो अजीबो-गरीब रस्मो-रिवाज़ों को मानते और झूठे देवताओं की उपासना करते हैं। नबूकदनेस्सर इस्राएली बंधुओं को अपने लिए घर बनाने, नौकर-चाकर रखने और कारोबार करने की इजाज़त देता है। (यहे. 8:1; यिर्म. 29:5-7; एज्रा 2:65) जी-जान से मेहनत करने पर वे अमीर बन सकते हैं। लेकिन क्या वे धन-दौलत बटोरने और बाबुल के धर्म को अपनाने के फंदों में फँस जाएँगे? क्या वे यहोवा के खिलाफ बलवा करते रहेंगे? या क्या वे इस बंधुआई को यहोवा की तरफ से अनुशासन समझकर उसे कबूल करेंगे? इस अनजान देश में वाकई उन्हें नयी-नयी आज़माइशों से गुज़रना पड़ेगा।
2 यरूशलेम के विनाश से पहले के उन संकट-भरे सालों के दौरान, यहोवा ने अपना संदेश इस्राएलियों तक पहुँचाने के लिए भविष्यवक्ताओं का इस्तेमाल करना नहीं छोड़ा था। उसने यिर्मयाह को यरूशलेम में, दानिय्येल को बाबुल के राजदरबार में और यहेजकेल को बाबुल साम्राज्य में यहूदी बंधुओं के बीच भविष्यवक्ता ठहराया था। यहेजकेल एक याजक और भविष्यवक्ता भी था और ऐसा सम्मान सिर्फ यिर्मयाह को और बाद में जकर्याह को मिला। (यहे. 1:3) जब हम यहेजकेल की भविष्यवाणियों का अध्ययन करते हैं, तो हम पाते हैं कि उसकी पूरी किताब में 90 से भी ज़्यादा बार उसे ‘मनुष्य की सन्तान’ कहा गया है। यह बात गौरतलब है, क्योंकि मसीही यूनानी शास्त्र में यीशु को भी तकरीबन 80 बार ‘मनुष्य का पुत्र’ कहा गया है। (यहे. 2:1; मत्ती 8:20) यहेजकेल (इब्रानी में, येखेज़केल) नाम का मतलब है, “परमेश्वर सामर्थ्य देता है।” यहोवा ने यहोयाकीन की बंधुआई के पाँचवें साल में, यानी सा.यु.पू. 613 में यहेजकेल को नबूवत करने का काम सौंपा था। हम पढ़ते हैं कि इसके 22 साल बाद भी वह इस सेवा में लगा हुआ था, जब यहूदियों की बंधुआई का 27वाँ साल चल रहा था। (यहे. 1:1, 2, NW; 29:17) यहेजकेल शादीशुदा था, लेकिन उसकी पत्नी की मौत उस दिन हुई जिस दिन नबूकदनेस्सर ने आखिरी बार यरूशलेम की घेराबंदी शुरू की थी। (24:2, 18) खुद यहेजकेल की मौत कब और कैसे हुई, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी है।
3 इस बात पर कोई सवाल नहीं उठाया जाता कि यहेजकेल ने ही अपने नाम की किताब लिखी थी और कि यह बाइबल के संग्रह का हिस्सा है। एज्रा के दिनों में मौजूद इब्रानी किताबों के संग्रह में इस किताब को भी शामिल किया गया था। और शुरू के मसीहियों ने ईश्वर-प्रेरित किताबों की जो सूचियाँ तैयार की थीं, उनमें इस किताब का नाम भी आता है, खासकर विद्वान ऑरिजन की सूची में। इसके अलावा, यहेजकेल की किताब के सच्चे होने का यह भी सबूत है कि इसमें इस्तेमाल की गयी लाक्षणिक भाषा, यिर्मयाह और प्रकाशितवाक्य की लाक्षणिक भाषा से काफी मिलती-जुलती है।—यहे. 24:2-12—यिर्म. 1:13-15; यहे. 23:1-49—यिर्म. 3:6-11; यहे. 18:2-4—यिर्म. 31:29, 30; यहे. 1:5, 10—प्रका. 4:6, 7; यहे. 5:17—प्रका. 6:8; यहे. 9:4—प्रका. 7:3; यहे. 2:9; 3:1—प्रका. 10:2, 8-10; यहे. 23:22, 25, 26—प्रका. 17:16; 18:8; यहे. 27:30, 36—प्रका. 18:9, 17-19; यहे. 37:27—प्रका. 21:3; यहे. 48:30-34—प्रका. 21:12, 13; यहे. 47:1, 7, 12—प्रका. 22:1, 2.
4 इस किताब के सच्चे होने का एक और सबूत है, सोर, मिस्र और एदोम जैसे पड़ोसी देशों के खिलाफ की गयी यहेजकेल की भविष्यवाणियों का हैरतअँगेज़ तरीके से पूरा होना। मिसाल के लिए, यहेजकेल ने भविष्यवाणी की थी कि सोर उजड़ जाएगा और यह भविष्यवाणी कुछ हद तक तब पूरी हुई जब नबूकदनेस्सर ने 13 साल तक सोर महाद्वीप की घेराबंदी करने के बाद उसे जीत लिया। (यहे. 26:2-21) मगर इससे सोर का नामो-निशान नहीं मिटा, क्योंकि उसका दूसरा भाग जो महाद्वीप से थोड़ी दूर एक छोटे द्वीप पर बसा था, अभी तक सही-सलामत था। लेकिन यहोवा ने इस देश को सज़ा सुनायी थी कि यह पूरी तरह उजड़ जाएगा। उसने यहेजकेल के ज़रिए यह भविष्यवाणी की थी: “मैं उस पर से उसकी मिट्टी खुरचकर उसे नंगी चट्टान कर दूंगा। . . . तेरे पत्थर और काठ, और तेरी धूलि वे जल में फेंक देंगे।” (26:4, 12) यह भविष्यवाणी 250 साल बाद, यानी सा.यु.पू. 332 में पूरी हुई जब सिकंदर महान ने द्वीप पर बसे सोर नगर के खिलाफ चढ़ाई की। सिकंदर के फौजियों ने तबाह हो चुके महाद्वीप के मलबे को खुरचकर समुद्र में 800 मीटर लंबा रास्ता तैयार किया जो उन्हें उस नगर तक ले गया। फिर उन्होंने नगर की 150 फुट ऊँची दीवारों को लाँघने के लिए बड़े-बड़े गुम्मट खड़े किए और इस तरह नगर पर कब्ज़ा कर लिया। हज़ारों लोग मारे गए और कइयों को गुलामी में बेच दिया गया। इस तरह सोर ‘नंगी चट्टान और जाल फैलाने का स्थान’ बन गया, ठीक जैसे यहेजकेल ने कहा था। (26:14)a इसके अलावा, यहेजकेल की यह भविष्यवाणी भी पूरी हुई कि वादा किए गए देश की दूसरी तरफ रहनेवाले मक्कार एदोमियों का सर्वनाश किया जाएगा। (25:12, 13; 35:2-9)b इतना ही नहीं, यरूशलेम के विनाश और इस्राएलियों की बहाली के बारे में की गयी उसकी भविष्यवाणियाँ भी सच निकलीं।—17:12-21; 36:7-14.
5 भविष्यवाणी करने के अपने शुरूआती सालों में, यहेजकेल ने ऐलान किया था कि विश्वासघाती यरूशलेम पर यहोवा के न्यायदंड ज़रूर आएँगे। साथ ही, उसने बाबुल में यहूदी बंधुओं को मूर्तिपूजा के खिलाफ खबरदार किया था। (14:1-8; 17:12-21) लेकिन इसके बावजूद उन यहूदियों ने सच्चा पश्चाताप नहीं किया। उनके पुरनिए यहेजकेल से सलाह माँगते ज़रूर थे, मगर वे उसके ज़रिए दिए जानेवाले यहोवा के पैगामों पर बिलकुल ध्यान नहीं देते थे। उलटा, वे मूर्तिपूजा करने और धन-दौलत बटोरने में लग गए, जिन कामों के खिलाफ उन्हें खबरदार किया गया था। जब उनका मंदिर और पवित्र नगर जलकर राख हो गया और उनके राजाओं का राजपाट छीन लिया गया, तो उन्हें बहुत बड़ा सदमा पहुँचा। मगर इस हादसे से सिर्फ गिने-चुने यहूदियों की आँखें खुलीं और उन्होंने खुद को नम्र करके पश्चाताप किया।—भज. 137:1-9.
6 अपने भविष्यवाणी करने के बाद के सालों में, यहेजकेल ने बहाली की आशा पर ज़ोर दिया। इसके अलावा, उसने यहूदा के उन पड़ोसी देशों को फटकारा जिन्होंने उसकी बरबादी पर खुशियाँ मनायी थीं। जब इन देशों को लज्जित किया जाएगा और इस्राएल को बहाल किया जाएगा, तब वे देखेंगे कि कैसे इन घटनाओं से यहोवा की महिमा होती है। चंद शब्दों में कहें तो इस्राएल की बंधुआई और बहाली का मकसद था: ‘इस्राएल का घराना और जाति-जाति के लोग, तुम सब जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ।’ (यहे. 39:7, 22) दरअसल, यहेजकेल की पूरी किताब में यहोवा के नाम के पवित्र किए जाने पर बार-बार ज़ोर दिया गया है। इसमें 60 से भी ज़्यादा बार यह वाक्य आता है: “तुम जान लोगे [या, वे जान लेंगे] कि मैं यहोवा हूं।”—6:7, NW, फुटनोट।
क्यों फायदेमंद है
29 यहेजकेल ने यहूदी बंधुओं को उन सभी न्यायदंडों, दर्शनों और वादों के बारे में बताया जो यहोवा ने उसे दिए थे। हालाँकि बहुतों ने यहेजकेल का विश्वास नहीं किया और उसकी खिल्ली उड़ायी, मगर कुछ लोग ऐसे थे जिन्होंने उस पर विश्वास किया। और इस वजह से उन्हें बड़ा फायदा हुआ। बहाली के वादों से उन्हें हिम्मत मिली। उन्होंने बंधुआई में रहकर भी एक जाति के तौर पर अपनी पहचान नहीं खोयी जैसा कि अकसर दूसरे बंधुआ देशों के साथ होता था। सामान्य युग पूर्व 537 में यहोवा ने इन बचे हुए यहूदियों को अपने देश में बहाल किया, ठीक जैसे उसने भविष्यवाणी की थी। (यहे. 28:25, 26; 39:21-28; एज्रा 2:1; 3:1) अपने वतन लौटकर उन्होंने यहोवा का भवन दोबारा खड़ा किया और सच्ची उपासना फिर से शुरू की।
30 यहेजकेल की किताब में दिए सिद्धांत आज हमारे लिए भी बेशकीमती हैं। धर्मत्याग और मूर्तिपूजा करने, साथ ही यहोवा के खिलाफ बगावत करने से एक इंसान उसकी मंज़ूरी खो सकता है। (यहे. 6:1-7; 12:2-4, 11-16) हर किसी को अपने पाप का लेखा देना पड़ेगा। लेकिन जो व्यक्ति अपने गलत रास्ते से लौट आता है, उसे यहोवा माफ करेगा, उस पर दया दिखाएगा और वह जीवित रहेगा। (18:20-22) परमेश्वर के सेवकों को यहेजकेल की तरह वफादार पहरुए होना चाहिए, फिर चाहे यह काम कितना ही मुश्किल क्यों न हो, या लोग हमारी खिल्ली क्यों न उड़ाएँ और हमें बुरा-भला क्यों न कहें। हमें दुष्टों को चेतावनी दिए बगैर नहीं रहना चाहिए, वरना उनके खून का दोष हमारे सिर आएगा। (3:17; 33:1-9) कलीसिया के चरवाहों पर परमेश्वर के झुंड की देखभाल करने की भारी ज़िम्मेदारी है।—34:2-10.
31 यहेजकेल की किताब में मसीहा के बारे में कई बेजोड़ भविष्यवाणियाँ दी गयी हैं। उसे दाऊद की राजगद्दी का “अधिकारी” बताया गया है और यह भी कि वह अधिकार उसे ही दिया जाएगा। दो आयतों में उसे “मेरा दास दाऊद” कहा गया है। इसके अलावा, उसे “चरवाहा,” “राजा” और “प्रधान” भी कहा गया है। (21:27; 34:23, 24; 37:24, 25) इन भविष्यवाणियों में यहेजकेल दाऊद की बात नहीं कर रहा था क्योंकि तब तक उसे मरे एक लंबा अरसा हो चुका था। इसके बजाय, वह उस शख्स की बात कर रहा था जो दाऊद का पुत्र और प्रभु भी होता। (भज. 110:1; मत्ती 22:42-45) यशायाह की तरह यहेजकेल भी बताता है कि यहोवा एक कोमल डाली लगाएगा और उसे ऊँचा करेगा।—यहे. 17:22-24; यशा. 11:1-3.
32 यहेजकेल के मंदिर के दर्शन और प्रकाशितवाक्य में बताए “पवित्र नगर यरूशलेम” के दर्शन की तुलना करना दिलचस्पी की बात है। (प्रका. 21:10) दोनों दर्शनों में कुछ फर्क हैं, जैसे यहेजकेल के दर्शन का मंदिर नगर के अंदर नहीं बल्कि उसके उत्तर में एक अलग जगह पर है, जबकि प्रकाशितवाक्य के दर्शन में बताया मंदिर खुद यहोवा है। लेकिन उन दर्शनों में कुछ समानताएँ भी हैं, जैसे: मंदिर से जीवन के जल की नदी बहती है, किनारे पर ऐसे पेड़ लगे हैं जिनमें हर महीने अलग-अलग किस्म के फल लगते हैं और जिनके पत्ते औषधि का काम करते हैं, और मंदिर यहोवा की महिमा से भरा है। ये दर्शन इस बात के लिए हमारी कदर बढ़ाते हैं कि यहोवा ही हमारा राजा है। इसके अलावा, ये उन इंतज़ामों के लिए भी हमारी कदर बढ़ाते हैं, जो यहोवा ने उसकी पवित्र सेवा करनेवालों के उद्धार की खातिर किए हैं।—यहे. 43:4, 5—प्रका. 21:11; यहे. 47:1, 8, 9, 12—प्रका. 22:1-3.
33 यहेजकेल की किताब इस बात पर ज़ोर देती है कि यहोवा पवित्र है। यह किताब बताती है कि यहोवा के नाम के पवित्र किए जाने से बढ़कर और कोई बात मायने नहीं रखती। ‘मैं अपने बड़े नाम को पवित्र ठहराऊंगा, तब वे जातियां जान लेंगी कि मैं यहोवा हूं, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।’ यह भविष्यवाणी दिखाती है कि यहोवा अपने नाम को पवित्र ठहराने के लिए उन सभी लोगों का सफाया करेगा जो उसके नाम को अपवित्र करते हैं। उनमें मागोग देश का गोग भी शामिल है। इसलिए, आज जो लोग यहोवा की माँगों के मुताबिक उसकी उपासना करके उसके नाम को पवित्र ठहराते हैं, वे बुद्धिमानी का काम करते हैं। उन्हें उसके मंदिर से बहनेवाली नदी से चंगाई मिलेगी और अनंत जीवन भी। जिस नगर को “यहोवा वहां है” कहा जाता है, उस नगर की महिमा वाकई निराली है और उसकी खूबसूरती का कोई सानी नहीं!—यहे. 36:23; 38:16; 48:35, फुटनोट।
[फुटनोट]
a इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्, भाग 2, पेज 531, 1136.
b इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्, भाग 1, पेज 681-2.