वह अन्तिम महा विश्व शक्ति
जब बाइबल की प्रकाशितवाक्य पुस्तक लिखी गयी थी, करीब १,९०० साल पहले, उसने कहा कि पाँच “राजाएं”, या विश्व शक्तियाँ, आकर चली भी गयी थीं। ये थे, मिस्र, अश्शूर, बाबेलोन, मादी-फारसी, और यूनान। छटवी, रोम तब भी ‘थी’, लेकिन सातवाँ अब तक आयी नही थी। (प्रकाशितवाक्य १७:१०) वह सातवी विश्व शक्ति क्या थी? वह अस्तित्व में कैसे आयी? और उसके बाद क्या आयेगी? इस लेख का विषय इन महत्त्वपूर्ण सवालों के जवाब हैं।
गए २,५०० वर्षों के विश्व इतिहास की मुख्य रूपरेखा पहले ही से इस दुनिया के सब से अधिक प्रचलित पुस्तक में दी गयी थी। फिर भी, अपेक्षाकृत, कम लोगों को, जिनके पास उस पुस्तक, बाइबल, की एक प्रति है, उस आश्चर्यजनक जानकारी से परिचित हैं जो उसमें है।
उदाहरणार्थ, यीशु मसीह के जन्म के ५०० से अधिक वर्षों से पहले ही दानियेल भविष्यवक्ता ने एक दैवी रूप से प्रेरित दृश्य का अभिलेख किया जिस में उस समय से आयी महान विश्व शक्तियाँ शक्तिशाली पशुओं से चिन्हित थी। हर पशु में उस विश्व शक्ति के गुण थे जिसका वह प्रतिनिधित्व करता है। महान रोमी साम्राज्य का वर्णन एक बड़े पशु के रूप में किया गया जो “भयंकर और डरावना और बहुत सामर्थी है।” दानिय्येल ने कहा कि “वह सब पहिले जन्तुओं से भिन्न है, और उसके दस सींग हैं।”—दानिय्येल ७:२-७.
वह ‘छोटा सा सींग’
समय होते होते, रोमी साम्राज्य बढ़कर, ब्रिटीश आयल्स से लेकर नीचे यूरोप के काफी भाग तक, भूमध्य के चारों ओर और बाबेलोन के पार पर्शियायी खाड़ी तक, उनका हुआ। यह महान साम्राज्य अन्त में कई राष्ट्रों में टूट गया—उन “दस सींगों” में जो दानिय्येल ने देखा था।a फिर दानिय्येल ने देखा कि, “उनके बीच एक और छोटा सा सींग निकला, और उसके बल से उन पहिले सींगों में से तीन उखाड़े गए।” (दानिय्येल ७:८) इसका क्या अर्थ था?
दानिय्येल को कहा गया था: “उन दस सींगों का अर्थ यह है, कि उस [रोमी] राज्य में से दस राजा उठेंगे, और उनके बाद उन पहिलों से भिन्न एक और राजा [वह ‘छोटा सा सींग’] उठेगा, जो तीन राजाओं को गिरा देगा।” (दानिय्येल ७:२४) यह ‘छोटा सा सींग’ कौन था, और वे तीन राजाएं कौन थे जिनको उसने अवमानित किया?
रोमी साम्राज्य के उत्तरपश्चिम कोने में ऊपर एक द्वीप था, जो बहुत समय से सांसारिक मामलों के किनारे पर था। जैसे एक इतिहासकार ने विवरण दिया: “सोलहवी सदी में, इंग्लैण्ड एक मामूली शक्ति थी। नेदरलैंण्ड की धन की तुलना में उसका धन कम था। उसकी आबादी फ्रान्स की आबादी से बहुत कम था। उसकी सेना (जलसेना को मिलाकर) स्पेन की सेना से निम्न थी।” किन्तु, इंग्लैण्ड ने काफी महत्त्व की एक जलसेना विकसित किया और उसके समुद्री डाकू और उसके गैरसरकारी युद्धपोत कप्तानों ने स्पेन के नगरों पर और उसके धन से भरे जहाज़ों पर धावा करने लगे।
वे तीन सींग
१५८८ में स्पेन के फिलिप्प II ने उसके अंग्रेजी उत्पीड़कों के विरुद्ध स्पेन की जलसेना को उतारा। २४,००० से अधिक आदमियों को ले जोनेवाले १३० जहाज़ों की यह सेना आहिस्ता इंग्लिश चैनल से प्रस्थान करते हुए निकले, केवल प्रचण्ड अटलैंटिक तूफानों और प्रतिकूल हवाओं से के शिकार बन गए। मॉडन यूरोप टु १८७०, में इतिहासकार काल्टन हेज़ लिखते हैं कि इस घटना ने “स्पेन से इंग्लैण्ड की ओर जलसेना की वरिष्ठता का निश्चयात्मक अवतरण को सूचित की।”
१७ वी सदी में, डच लोगों ने इस दुनिया के सब से बड़े वणिज्य-पोत विकसति किया। उनके जहाज़ समुद्र पर अधिकार चलाए, और उन्होंने उनका मुनाफा दूर तक के सरकारों को उधार दिया। लेकिन अपने बढ़ते हुए विदेशी नगरों के कारण यहाँ भी इंग्लैण्ड प्रबल हुआ।
फिर १८-वी सदी में, ब्रिटिश और फ्रेन्च ने, एक दूसरे से बहुत अलग जगहों में जैसे, उत्तर अमरीका और भारत में, लड़ाई की, जिसके परिणामस्वरूप १७६३ में ट्रीटी ऑफ पॅरिस उत्पन्न हुआ। उस के बारे में, अपनी पुस्तक स्टार ऑफ एम्पायर—अ स्टडी ऑफ ब्रिटन अस अ वल्ड पवर में विलियम बी. विलॉक्स लिखते हैं कि यद्यपि वह संधि एक समझौता के रूप में प्रतीत हुआ, “वास्तव में वह यूरोप के पार जो दुनिया है उस में एक प्रबल यूरापी शक्ति के रूप में ब्रिटन के नए स्थन को पहचान रही थी।”
दूसरे इतिहासकार यह कहते हुए सहमत होते हैं: “स्पेन, डच, और फ्रेन्च के साथ दो सदियों के युद्ध के बाद, १७६३ में ग्रेट ब्रिटन ने संसार के सब से अधिक व्यापारिक और उपनिवेशीय शक्ति के रूप में ऊपर उठी।” (मॉडन यूरोप टु १८७०) “१७६३ में ब्रिटिश साम्राज्य ने दुनिया में कोई पुनर्जीवित और विवर्द्धित रोम की तरह टाँगे फैलाकर खड़ा हुआ।” “वह मध्य सदी के युद्धों से सब से बड़ा साम्राज्य और प्रभावशाली—और सबसे अधिक नफरत की गयी—शक्ति बन गयी।” ( जेम्स एल. स्टोक्सबरी द्वारा लिखित, नेवी ॲन्ड एम्पायर) जी हाँ, यह ‘छोटा सा सींग’ बढ़कर बाइबल इतिहास की सातवीं विश्व शक्ति बन गयी थी।
अंग्रेजो ने नील तक और ज़ाम्बेज़ी नदी के पार तक बढ़ गए। वे ऊपरी बर्मा, उत्तरी बॉर्नियो, और प्रशान्त महासागर के द्वीपों तक निकल गए। इसके अतिरिक्त, उन्होंने कैनडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यू ज़ीलैण्ड, और उत्तरी अमरीका के पूरबी तट में भी उपनिवेश बनाए। पॅक्स ब्रिटानीका में जेम्स मॉरिस लिखते हैं, “रोमी साम्राज्य स्वतःपूर्ण था। ब्रिटिश साम्राज्य सारी पृथ्वी पर फैला हुआ था।” वह मानव जाति के इतिहास में सब से बड़ा साम्राज्य बन गया, पृथ्वी की भूमि के करीब एक चौथाई हिस्सा और उसकी आबादी की एक चौथाई से ज्यादा उसका हो गया। ऐसे कहा गया था कि उसकी भूसम्पत्ति में सूर्य कभी अस्त नहीं होता।
एक द्वैत शक्ति
प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में, इस सातवीं शक्ति के बारे में ऐसे भी वर्णन किया गया है कि, उसके पास “मेम्ने के से दो सींग” है। (प्रकाशितवाक्य १३:११) दो सींग क्यों? क्योंकि वह ब्रिटिश साम्राज्य और वह नया अमरीकी राष्ट्र उनकी उभयनिष्ठ भाषा, सिद्धान्त, और नीतियों के कारण जल्द ही साथ कार्य करने लगे। कई पहलुओं में वे एक द्वैत अंग्रेजी बोलनेवाली विश्व शक्ति बन गयी।
स्टार ऑफ एम्पायर में विलियम बी. विल्कॉक्स ने सूचित किया कि १९-वीं सदी में संयुक्त राज्य “ब्रिटिश सेना के द्वारा यूरोप से अलग रखा गया था।” वे आगे कहते हैं: “एक सदी के लिए संयुक्त राज्य एक बड़ी शक्ति बनने के लिए मुक्त था, सिवाय गृहयुद्ध में, कभी भी उसके पास वह सेना या जलसेना नहीं थी, जिससे दूसरी सभी शक्तियाँ परिचित थी।” अमरीका “अकेला रहने के लिए समर्थ था क्योंकि राजकीय सेना यूरोपीय शक्तियों के विरुद्ध उसका प्रतिरोधक था।” बाद में, संयुक्त राज्य भी एक बड़ी सैनिक शक्ति बन गयी।
ब्रिटेन और अमरीका के संयुक्त कार्यों का एक विशिष्ट उदाहरण जून ६, १९४४ को घटित हुआ जब उत्तरी यूरोप में दुसरे विश्व युद्ध की स्थिति बदल गयी। उस दिन, १,५६,००० ब्रिटिश, अमरीकी, और अन्य साहबद्ध सैनिक युरोप के पर हमला किया। यह संयुक्त दल एक यू. एस. जनरल और एक ब्रिटिश फ़ील्ड मार्शल के प्रधान और सांग्रामिक काबू में था—ऐसनोवर और मॉन्टगॉमेरी। इसके अतिरिक्त, वे अणु बम जो जापान के साथ के युद्ध को समाप्त किया, वे ब्रिटिश और अमरीकी वैज्ञानिकों के संयुक्त परिश्रम से उत्पन्न हुआ।
जैसे कि मई ५, १९८६ के न्यू यॉर्क टाईम्स सूचित किया, कि शांत समयों में भी, ब्रिटेन और अमरीका ने एक दूसरे को “आसूचना और परमाणु प्रौद्योगिकी जैसे अस्थिर क्षेत्रों मे भी” सहयोग दिया है। इसके बाद कैनडा, ऑस्ट्रेलिया, और न्यू ज़ीलैण्ड से मिलकर, उन्होंने “इस पृथ्वी को उत्तरदायित्व के क्षेत्रों मे, आसूचना बटोरने के लिए बदल दिए हैं, और सब से गुप्त जानकारी भी बाँटने के लिए सहमत हुए हैं।” इस समाचार पत्र ने कहा, जब कि यह सम्बन्ध “हमेशा से एक निर्विघ्न सम्बन्ध नहीं था,” वह हमेशा “क्षोभ से ज्यादा अपनी घनिष्ठता के लिए उल्लेखनीय है।”
ब्रिटेन के अधिकांश उपनिवेश स्वतंत्रता पायी है और राष्ट्रमण्डल से मिल गए हैं। जब कि वह साम्राज्य चला गया है, आंगलो-अमरीकी विश्व शक्ति बनी हुई है। लेकिन वह “कुछ समय” के लिए ही रहेगी उन कई सदियों की तुलना में जो उसकी पूर्ववर्ती रोमी शक्ति ने शासन किया।—प्रकाशितवाक्य १७:१०.
एक नया विश्व शासन
२,५०० वर्ष के विश्व सरकारों तक महान विश्व शक्तियों के बारे में दानिय्येल की भविष्यवाणी सच निकली है—सा. यु. पू. ५०० से पहले से आज हमारे दिन के सातवीं विश्व शक्ति तक। इसलिए, हम उस भविष्यवाणी के अवशेष में भी भरोसा रख सकते हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि वह और अधिक मानवीय शक्तियों का वर्णन नहीं करती! प्रकाशितवाक्य ने भी सूचित किया कि केवल सात ही होंगे।b तो फिर, बाद में क्या होगा?
दानिय्येल का अध्याय ७, जो इन विश्व शक्तियों के बारे में कहती है, इससे भी कुछ अधिक आश्चर्यजनक बात का वर्णन करता है—इस पृथ्वी के शासन करने के तरीके में एक महान परिवर्तन! असफल मानवीय शासनों का अन्त होनेवाला है और उनका स्थान एक धार्मिक स्वर्गीय शासन लेनेवाला है।
दानिय्येल के दर्शन ने उसे “कोई अति प्राचीन”, यहोवा परमेश्वर, का शानदार स्वर्गीय सिंहासन देखने की अनुमति दी। इसके सामने कोई लाया गया जो “मनुष्य के सन्तान” के समान था”—पुनरुत्थान पाया हुआ यीशु मसीह।c दानिय्येल कहता है: “उसको ऐसी प्रभुता, महिमा और राज्य दिया गया, कि देश-देश और जाति—जाति के लोग और भिन्न-भिन्न भाषा बोलनेवाले सब उसके अधीन हों; उसकी प्रभुता सदा तक अटल और उसका राज्य [असफल मानवीय राज्य के असमान] अविनाशी ठहरा।”—दानिय्येल ७:९, १०, १३, १४.
दानिय्येल को दी गयी इन्ही विश्व शक्तियों के बारे में एक पहली भविष्यवाणी ने कहा था: “और उन राजाओं के दिनों में स्वर्ग का परमेश्वर, एक ऐसा राज्य उदय करेगा जो अनन्तकाल तक न टूटेगा। . . . वह उन सब [मानव] राज्यों को चूर चूर करेगा, और उनका अन्त कर डालेगा; और वह सदा स्थिर रहेगा . . . न स्वप्न में और न उसके फल में कुछ सन्देह है।”—दानिय्येल २:४४, ४५.
परमेश्वर द्वारा यह राज्य सरकार वही है जिसके लिए यीशु ने हमें प्रार्थना करने के लिए सिखाया था। उसने कहा: “सो तुम इस रीति से प्रार्थना किया करो, ‘हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए। तेरा राज्य आए; तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो।’”—मत्ती ६:९, १०.
उस सरकार के अधीन पृथ्वी के निवासी कितने खुश होंगे! वह मानवी शोषण से दैवी न्याय, कार्य करने का असम्पूर्ण मानवीय तरीकों से परमेश्वर के उत्कृष्ट स्तर की ओर एक परिवर्तन होगा। उस राज्य के संचालन के बारे में बाइबल क्या कहती है, यह इस श्रंखला में के एक भावी लेख का विषय होगा।
[फुटनोट]
a वह सींग, एक भयानक अस्त्र, बाइबल में शासकों और शासन करनेवाले वंशों को चित्रित करने के लिए बहुधा उपयोग किया गया है।—व्यवस्थाविवरण ३३:१७; जकर्याह १:१८-२१; प्रकाशितवाक्य १७:३, १२.
b प्रकाशितवाक्य १७:११ एक “वन्य पशु” का उल्लेख करता है जो “आठवां है, और उन सातों में से उत्पन्न हुआ है।” इस आठवीं शक्ति के बारे में, जो सातवीं शक्ति के दौरान अस्तित्व रखेगी, एक भावी लेख में चर्चा की जाएगी।
c यह अभिव्यक्ति “मनुष्य का सन्तान” सुसमाचार वृत्तान्तों में करीब ८० बार पायी गयी है, और हर बार वह यीशु मसीह का उल्लेख करती है।—मत्ती २६:६३, ६४ देखें।
[पेज 32 पर तसवीरें]
जून ६, १९४४ को यूरोप पर किया गया संश्रित हमला आंग्ल-अमरीकी सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण था
[चित्र का श्रेय]
U.S. Coast Guard photo