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  • रोटियाँ और खमीर
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1991
w91 5/1 पेज 8-9

यीशु का जीवन और सेवकाई

रोटियाँ और खमीर

दिकपुलिस के क्षेत्र में भीड़ पर भीड़ यीशु के पास आयी है। बहुत से लोग यीशु की बात सुनने और उनकी दुर्बलताओं को ठीक करवाने के लिए इस क्षेत्र में दूर से आए थे, जिस में अधिक निवासी अन्य-जातीय हैं। वे अपने साथ बड़ी टोकरियाँ, या पिटारियाँ लाए हैं, जो कि वे आम तौर पर अन्य-जातियों के क्षेत्रों में से गुज़रते समय खाने-पीने की वस्तुओं को ढोने के लिए इस्तेमाल करते हैं।

लेकिन अंत में, यीशु अपने चेलों को बुलाकर कहते हैं: “मुझे इस भीड़ पर तरस आता है, क्योंकि यह तीन दिन से बराबर मेरे साथ हैं, और उन के पास कुछ भी खाने को नहीं; यदि मैं उन्हें भूखा घर भेज दूँ, तो मार्ग में थक कर रह जाएँगे; क्योंकि इन में से कोई कोई दूर से आए हैं।”

“यहाँ जंगल में इतनी रोटी कोई कहाँ से लाए कि ये लोग तृप्त हों?” चेले पूछते हैं।

यीशु पूछते हैं: “तुम्हारे पास कितनी रोटियाँ हैं?”

“सात,” वे उत्तर देते हैं, “और कुछ छोटी मछलियाँ।”

लोगों को ज़मीन पर बैठने की आज्ञा देकर, यीशु रोटी और मछलियाँ लेता है, परमेश्‍वर से प्रार्थना करके उन्हें तोड़ता है, और अपने चेलों को देने लगता है। वे, पारी से, लोगों को परोसते हैं, जो कि सब के सब खाकर तृप्त होते हैं। बाद में, जब शेष टुकड़े उठाए जाते हैं, तो भरी हुई सात टोकरियाँ रह जाती हैं, हालाँकि लगभग ४,००० पुरुषों के साथ-साथ स्त्रियों और बच्चों ने भी खाया है!

यीशु भीड़ को विदा करते हैं, अपने चेलों के साथ नाव पर चढ़ जाते हैं और गलील सागर को पार करके पश्‍चिमी तट पर जाते हैं। यहाँ पर फरीसी, इस बार सदूकी धार्मिक सम्प्रदाय के सदस्यों के साथ, यीशु को स्वर्ग से एक चिह्न दिखाने को कहकर परखने की कोशिश करते हैं।

उसे परखने की कोशिशों के बारे में जानकर, यीशु कहता है: “साँझ को तुम कहते हो कि, ‘मौसम खुला रहेगा क्योंकि आकाश लाल है।’ और भोर को कहते हो, कि ‘आज आँधी आएगी क्योंकि आकाश लाल और धुमला है’; तुम आकाश का लक्षण देखकर भेद बता सकते हो पर समयों के चिह्नों का भेद नहीं बता सकते।”

उस पर, यीशु उन्हें बुरा और व्यभिचारी कहते हैं और उन्हें चेतावनी देते हैं कि, जैसा कि उन्होंने पहले फरीसियों को बताया था, उन्हें यूनुस के चिह्न को छोड़ कोई और चिह्न न दिया जाएगा। वहाँ से जाकर, वह और उनके चेले एक नाव में चढ़ते हैं और बैतसैदा की ओर रवाना होते हैं, जो कि गलील सागर के उत्तर-पूर्वी तट पर है। रास्ते में, चेले पाते हैं कि वे रोटी लाना भूल गए हैं, और उनके पास सिर्फ़ एक ही रोटी है।

फरीसियों और हेरोदेस के सदूकी समर्थकों के साथ अपनी मुठभेड़ को ध्यान में रखकर, यीशु चिताते हैं: “फरीसियों के खमीर और हेरोदेस के खमीर से चौकस रहो।” चूँकि चेलों को लगता है कि यीशु उनके रोटी लाना भूलने का ज़िक्र कर रहे हैं, और खमीर शब्द से प्रत्यक्षतः उनके मन में रोटी का ही विचार आता है, वे इस बारे में बहस करने लगते हैं। उनकी ग़लतफ़हमी को देखकर, यीशु कहते हैं: “तुम क्यों आपस में विचार कर रहे हो कि हमारे पास रोटी नहीं?”

हाल ही में, यीशु ने चमत्कारिक रूप से हज़ारों लोगों के लिए रोटी का प्रबंध किया था, यह पिछला चमत्कार शायद एक या दो दिन पहले ही किया था। उनको मालूम होना चाहिए था कि वह वास्तविक रोटियों की कमी से चिन्तित नहीं हैं। वह उन्हें याद दिलाते हैं: “क्या तुम्हें स्मरण नहीं, कि जब मैं ने पाँच हज़ार पुरुषों, के लिए पाँच रोटी तोड़ी थीं। तो तुम ने टुकड़ों की कितनी टोकरियाँ भरकर उठाईं?”

“बारह,” वे उत्तर देते हैं।

“जब मैं ने चार हज़ार पुरुषों के लिए सात रोटी तोड़ी थीं, तो तुम ने टुकड़ों के कितने टोकरे भरकर उठाए थे?”

“सात,” वे जवाब देते हैं।

“क्या तुम अब तक नहीं समझते?” यीशु पूछते हैं। “तुम क्यों नहीं समझते कि मैं ने तुम से रोटियों के विषय में नहीं कहा? फरीसियों और सदूकियों के खमीर से चौकस रहना।”

आख़िर में चेलों को बात समझ में आती है। खमीर, जो कि रोटी को उठानेवाला पदार्थ है, एक ऐसा शब्द था जो कि अक़्सर भ्रष्टाचार सूचित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। सो अब चेलों को समझ में आता है कि यीशु एक प्रतीकवाद का प्रयोग कर रहे हैं, और कि वह उन्हें “फरीसियों और सदूकियों की शिक्षा” से बचे रहने के विषय में चिता रहे हैं, जिस शिक्षा का असर भ्रष्ट कर देता है। मरकुस ८:१-२१, न्यू.व.; मत्ती १५:३२-१६:१२.

◆ लोगों के पास बड़ी टोकरियाँ क्यों हैं?

◆ दिकपुलिस से चले जाने के पश्‍चात्‌, यीशु नाव से कौनसी यात्राएँ करते हैं?

◆ खमीर से संबंधित यीशु की चर्चा के बारे में चेलों को कौनसी ग़लतफ़हमी हुई?

◆ “फरीसियों और सदूकियों के खमीर” से यीशु का क्या अर्थ था?

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