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जब यीशु राज्य महिमा में आता हैप्रहरीदुर्ग—1997 | मई 15
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३, ४. (क) रूपांतरण से छः दिन पहले यीशु ने क्या कहा? (ख) वर्णन कीजिए कि रूपांतरण के दौरान क्या हुआ।
३ रूपांतरण से छः दिन पहले, यीशु ने अपने अनुयायियों से कहा: “मनुष्य का पुत्र अपने स्वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा में आएगा, और उस समय वह हर एक को उसके कामों के अनुसार प्रतिफल देगा।” इन शब्दों को “रीति-व्यवस्था की समाप्ति” में पूरा होना था। यीशु ने आगे कहा: “मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो यहां खड़े हैं, उन में से कितने ऐसे हैं; कि जब तक मनुष्य के पुत्र को उसके राज्य में आते हुए न देख लेंगे, तब तक मृत्यु का स्वाद कभी न चखेंगे।” (मत्ती १६:२७, २८; २४:३, NW; २५:३१-३४, ४१; दानिय्येल १२:४) रूपांतरण इन आख़िरी शब्दों की पूर्ति में हुआ।
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जब यीशु राज्य महिमा में आता हैप्रहरीदुर्ग—1997 | मई 15
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५. रूपांतरण का प्रेरित पतरस पर क्या प्रभाव हुआ?
५ प्रेरित पतरस ने पहले ही यीशु को “जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह” कहकर उसकी पहचान करायी थी। (मत्ती १६:१६) स्वर्ग से यहोवा की वाणी ने उस पहचान की पुष्टि की, और यीशु के रूपांतर का दर्शन मसीह के राज्यसत्ता और महिमा में आने की एक झलक था, जब वह अंततः मानवजाति का न्याय करता। रूपांतरण के ३० से अधिक सालों बाद, पतरस ने लिखा: “जब हम ने तुम्हें अपने प्रभु यीशु मसीह की सामर्थ का, और आगमन का समाचार दिया था तो वह चतुराई से गढ़ी हुई कहानियों का अनुकरण नहीं किया था बरन हम ने आप ही उसके प्रताप को देखा था। कि उस ने परमेश्वर पिता से आदर, और महिमा पाई जब उस प्रतापमय महिमा में से यह वाणी आई कि यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं प्रसन्न हूं। और जब हम उसके साथ पवित्र पहाड़ पर थे, तो स्वर्ग से यही वाणी आते सुना।”—२ पतरस १:१६-१८; १ पतरस ४:१७.
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