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  • मसीह की महिमा की एक झलक
  • यीशु—राह, सच्चाई, जीवन
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jy अध्या. 60 पेज 144-पेज 145 पैरा. 7
पतरस, याकूब और यूहन्‍ना के सामने एक दर्शन में यीशु का रूप बदल गया है। मूसा और एलियाह जैसे दो आदमी दिखायी देते हैं

अध्याय 60

मसीह की महिमा की एक झलक

मत्ती 16:28–17:13 मरकुस 9:1-13 लूका 9:27-36

  • मसीह की महिमा का दर्शन

  • प्रेषित परमेश्‍वर की आवाज़ सुनते हैं

यीशु कैसरिया फिलिप्पी के इलाके में एक भीड़ को सिखा रहा है। यह नगर हेरमोन पहाड़ से 25 किलोमीटर दूर है। वह प्रेषितों से कहता है, ‘यहाँ जो खड़े हैं, उनमें से कुछ तब तक मौत का मुँह नहीं देखेंगे जब तक कि वे इंसान के बेटे को उसके राज में आता हुआ न देख लें।’​—मत्ती 16:28.

चेले समझ नहीं पाए होंगे कि यीशु क्या कह रहा है। एक हफ्ते बाद वह पतरस, याकूब और यूहन्‍ना को लेकर एक ऊँचे पहाड़ पर जाता है। शायद रात का समय है और तीनों चेलों को नींद आ जाती है। जब यीशु प्रार्थना कर रहा होता है, तो वह तीनों के सामने एक दर्शन में दिखायी देता है। यीशु की महिमा का तेज देखकर चेले दंग रह जाते हैं। उसका चेहरा सूरज की तरह दमक उठता है और उसके कपड़े रौशनी की तरह चमकने लगते हैं।

फिर यीशु के साथ दो आदमी दिखायी देते हैं, मूसा और एलियाह। वे दोनों यीशु से उसकी ‘विदाई के बारे में बात करते हैं जो बहुत जल्द यरूशलेम से होनेवाली है।’ (लूका 9:30, 31) विदाई का शायद यह मतलब है कि यीशु की मौत होगी और फिर उसे ज़िंदा किया जाएगा। यीशु ने कुछ समय पहले यह बात प्रेषितों को बतायी थी। (मत्ती 16:21) दर्शन में यीशु और दोनों आदमियों के बीच जो बातें होती हैं, उससे पक्का हो जाता है कि यीशु को दुख झेलना पड़ेगा और उसकी मौत होगी।

अब तीनों चेले पूरी तरह जागे हुए हैं। उनके सामने जो हो रहा है उसे देखकर उनकी आँखें फटी-की-फटी रह जाती हैं। यह सिर्फ एक दर्शन है, लेकिन यह इतना असल लग रहा है कि पतरस इसमें शामिल हो जाता है। वह यीशु से कहता है, “गुरु, हम बहुत खुश हैं कि हम यहाँ आए। इसलिए हमें तीन तंबू खड़े करने दे, एक तेरे लिए, एक मूसा के लिए और एक एलियाह के लिए।” (मरकुस 9:5) पतरस शायद इसलिए तंबू खड़े करना चाहता है ताकि यह दर्शन देर तक चलता रहे।

पतरस बोल ही रहा होता है कि तभी एक उजला बादल उन पर छा जाता है। बादल में से आवाज़ आती है, “यह मेरा प्यारा बेटा है जिसे मैंने मंज़ूर किया है। इसकी सुनो।” परमेश्‍वर की यह आवाज़ सुनकर चेले डर जाते हैं और औंधे मुँह गिर जाते हैं। मगर यीशु उनसे कहता है, “उठो, डरो मत।” (मत्ती 17:5-7) जब तीनों उठते हैं, तो देखते हैं कि यीशु के सिवा कोई नहीं है। दर्शन खत्म हो गया है। जब दिन होता है और वे पहाड़ से नीचे उतर रहे होते हैं, तो यीशु उनसे कहता है, “जब तक इंसान के बेटे को मरे हुओं में से ज़िंदा न किया जाए, तब तक इस दर्शन के बारे में किसी को मत बताना।”​—मत्ती 17:9.

दर्शन में एलियाह को देखने की वजह से चेले यीशु से पूछते हैं, “शास्त्री क्यों कहते हैं कि पहले एलियाह का आना ज़रूरी है?” यीशु कहता है, “एलियाह आ चुका है और उन्होंने उसे नहीं पहचाना।” (मत्ती 17:10-12) इसका यह मतलब है कि यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला आ चुका है। जैसे एलियाह ने एलीशा के लिए रास्ता तैयार किया था, वैसे ही यूहन्‍ना ने मसीहा के लिए रास्ता तैयार किया।

इस दर्शन से यीशु और उन प्रेषितों का विश्‍वास कितना मज़बूत हुआ होगा! उन्हें एक झलक मिली कि परमेश्‍वर के राज में मसीह कितनी महिमा पाएगा। जैसे यीशु ने कहा था, उन्होंने ‘इंसान के बेटे को उसके राज में आते हुए देखा।’ (मत्ती 16:28) जब वे उस पहाड़ पर थे, तो वे उसकी शानदार महिमा के चश्‍मदीद गवाह बने। जब फरीसियों ने यीशु से कहा कि वह एक चिन्ह दिखाकर साबित करे कि वह परमेश्‍वर का चुना हुआ राजा है, तो उसने उन्हें कोई चिन्ह नहीं दिखाया। मगर उसने अपने प्यारे चेलों को यह देखने का मौका दिया कि वह भविष्य में कैसे महिमा पाएगा। इससे उनका विश्‍वास मज़बूत हुआ कि राज के बारे में जो भी भविष्यवाणियाँ की गयी हैं, वे पूरी होंगी। इसलिए बाद में पतरस ने लिखा, “भविष्यवाणियों पर हमारा भरोसा और मज़बूत हुआ है।”​—2 पतरस 1:16-19.

  • कुछ चेलों ने अपनी मौत से पहले यीशु को अपने राज में आते हुए कैसे देखा?

  • दर्शन में मूसा और एलियाह यीशु से क्या बात करते हैं?

  • यीशु की महिमा का दर्शन देखकर चेलों का विश्‍वास क्यों मज़बूत हुआ?

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