बाइबल की किताब नंबर 27—दानिय्येल
लेखक: दानिय्येल
लिखने की जगह: बाबुल
लिखना पूरा हुआ: लगभग सा.यु.पू. 536
कब से कब तक का ब्यौरा: सा.यु.पू. 618-लगभग 536
आज जब दुनिया के तमाम राष्ट्र विनाश के कगार पर खड़े हैं, तो ऐसे में दानिय्येल की किताब, उन भविष्यवाणियों पर रोशनी डालती है जो हमारे समय के लिए बहुत मायने रखती हैं। यह किताब बाइबल में शमूएल, राजा और इतिहास की किताबों से अलग है। इन किताबों में परमेश्वर की हुकूमत को दर्शानेवाले राज्य (दाऊद के राजवंश) के इतिहास का आँखों देखा हाल बयान किया गया है। मगर दानिय्येल अपनी किताब में दुनिया के राष्ट्रों के बारे में बताता है और यह भविष्यवाणी भी करता है कि कैसे उसके समय से लेकर “अन्त समय” तक, बड़े-बड़े शासकों के बीच सत्ता हथियाने के लिए संघर्ष चलता रहेगा। इस तरह इस किताब में समय से पहले इतिहास लिखा गया है। यह इतिहास दिखाता है कि “अन्त के दिनों में” इस संघर्ष का क्या अंजाम होगा। नबूकदनेस्सर की तरह दुनिया के राष्ट्रों को भी ठोकर खाकर सीखना होगा कि “मनुष्यों के राज्य में परमप्रधान ही प्रभुता करता है” और वह यह राज्य ‘मनुष्य की सन्तान,’ मसीह यीशु को देता है, जो हमारा मसीहा और प्रधान है। (दानि. 12:4; 10:14; 4:25; 7:13, 14; 9:25; यूह. 3:13-16) अगर हम दानिय्येल की ईश्वर-प्रेरित किताब में दर्ज़ भविष्यवाणियों की पूर्ति को करीबी से जाँचें, तो न सिर्फ इस बात के लिए हमारी कदर बढ़ेगी कि यहोवा भविष्यवाणियों को पूरा करने की ताकत रखता है, बल्कि इस बात के लिए भी कि वह अपने लोगों की हिफाज़त करने और उन्हें आशीषें देने के अपने वादों को पूरा करता है। 2 पत. 1:19.
2 इस किताब का नाम इसके लेखक के नाम पर रखा गया है। “दानिय्येल” (इब्रानी में, दानीयेल) का मतलब है, “परमेश्वर मेरा न्यायी है।” दानिय्येल के समय में जीनेवाले यहेजकेल ने अपनी किताब में नूह और अय्यूब के साथ-साथ दानिय्येल का भी ज़िक्र किया था। इस तरह उसने पुख्ता किया कि दानिय्येल नाम का एक शख्स असल में था। (यहे. 14:14, 20; 28:3) दानिय्येल ने अपनी किताब को “यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज्य के तीसरे वर्ष में” लिखना शुरू किया था। यह सा.यु.पू. 618 का समय था, जब नबूकदनेस्सर के अधीन राजा यहोयाकीम की हुकूमत का तीसरा साल चल रहा था।a उस समय से लेकर कुस्रू के शासन के तीसरे साल, यानी सा.यु.पू. 536 के आस-पास तक दानिय्येल को दर्शन के ज़रिए भविष्यवाणियाँ मिलती रहीं। (दानि. 1:1; 2:1; 10:1, 4) दानिय्येल ने अपनी ज़िंदगी में क्या ही सनसनीखेज़ घटनाएँ घटती देखी थीं! उसका बचपन परमेश्वर के राज्य यहूदा में बीता था। फिर जब वह एक किशोर ही था, तब उसे यहूदा के शाही घराने के नौजवानों के साथ बाबुल लाया गया, जहाँ उसने बाइबल के इतिहास की तीसरी विश्वशक्ति, बाबुल का उठना और गिरना देखा था। दानिय्येल ने चौथी विश्वशक्ति, मादी-फारस की हुकूमत में भी एक सरकारी मुलाज़िम की हैसियत से काम किया। वह करीब सौ साल तक जीया होगा।
3 यहूदी हमेशा से दानिय्येल की किताब को ईश्वर-प्रेरित किताबों की अपनी सूची में शामिल करते आए हैं। मृत सागर के पास मिले चर्मपत्रों में कई ईश्वर-प्रेरित किताबों के साथ दानिय्येल की किताब के टुकड़े भी मिले हैं। उनमें से कुछ टुकड़े सा.यु.पू. पहली सदी के शुरूआती सालों के हैं। मगर इस किताब के सच्चे होने का सबसे अहम सबूत मसीही यूनानी शास्त्र में मिलता है। इसमें यीशु ने “जगत के अन्त” की भविष्यवाणी करते वक्त, दानिय्येल का ज़िक्र किया था और उसकी किताब से ढेर सारे हवाले भी दिए थे।—मत्ती 24:3; ये आयतें भी देखिए: दानि. 9:27; 11:31; और 12:11—मत्ती 24:15 और मर. 13:14; दानि. 12:1—मत्ती 24:21; दानि. 7:13, 14—मत्ती 24:30.
4 हालाँकि बाइबल के आलोचकों ने कई दावे किए हैं कि दानिय्येल की किताब झूठी है, मगर बीते सालों में पुरातत्व की खोजों ने उनके दावों की धज्जियाँ उड़ा दीं। मिसाल के लिए, दानिय्येल ने अपनी किताब में बेलशस्सर को राजा बताया था। (दानि. 5:1) इस पर आलोचकों ने दावा किया कि बेलशस्सर नाम का कोई शख्स था ही नहीं और बाबुल पर नबोनाइडस राज कर रहा था। लेकिन पुरातत्व की खोजों ने साबित कर दिया कि बेलशस्सर वाकई जीया था और वह बाबुली साम्राज्य के आखिरी सालों में नबोनाइडस के साथ हुकूमत करनेवाला दूसरा राजा था। उदाहरण के लिए, एक प्राचीन कीलाक्षर लेख जिसे “नबोनाइडस का लेख” कहा जाता है, इस बात को पुख्ता करता है कि बेलशस्सर के पास बाबुल पर राज करने का अधिकार था। वह लेख यह भी बताता है कि बेलशस्सर किस तरह नबोनाइडस का संगी राजा बना।b दूसरी कीलाक्षर पटियाएँ भी साबित करती हैं कि बेलशस्सर के पास राज अधिकार था। जैसे कि नबोनाइडस की हुकूमत के 12वें साल के दौरान लिखी एक पटिया बताती है कि राजा नबोनाइडस और उसके बेटे, बेलशस्सर के नाम पर एक शपथ खायी गयी थी। इससे पता चलता है कि बेलशस्सर का दर्जा अपने पिता के बराबर था।c इससे हम यह भी समझ सकते हैं कि क्यों बेलशस्सर ने दानिय्येल से कहा था कि अगर वह दीवार पर लिखे शब्दों का मतलब बता सके, तो उसे “राज्य में प्रभुता का तीसरा स्थान” (NHT) दिया जाएगा। वह इसलिए क्योंकि पहला स्थान नबोनाइडस का था, दूसरा बेलशस्सर का, और तीसरा दानिय्येल का होता। (5:16, 29) एक खोजकर्ता का कहना है: “कीलाक्षर लिपि में बेलशस्सर के ज़िक्र से उसकी भूमिका के बारे में हमें इतनी जानकारी मिली है कि इसमें कोई शक नहीं रह जाता कि वह सचमुच इतिहास में जीया था। कई लेख बताते हैं कि बेलशस्सर और नबोनाइडस का ओहदा और रुतबा लगभग एक-जैसा था। बाबुली साम्राज्य के आखिरी सालों में दो राजाओं का साथ-साथ राज करना एक जानी-मानी बात थी। नबोनाइडस इस साम्राज्य का सबसे बड़ा अधिकारी था और वह अरब के तेमा में अपने राजदरबार से बाबुल पर शासन चलाता था, जबकि बेलशस्सर उसका साथी राजा होने के नाते बाबुल में रहकर शासन चलाता था। इससे ज़ाहिर होता है कि बेलशस्सर कोई कमज़ोर राज्यपाल नहीं था, बल्कि उसे ‘राज चलाने का काम’ सौंपा गया था।”d
5 कुछ लोगों ने दानिय्येल की किताब में बताए आग के धधकते भट्ठे (अध्या. 3) के वृत्तांत को झुठलाने की कोशिश की है। वे इसे बस एक मनगढ़ंत कहानी बताते हैं। लेकिन बाबुल से मिली एक पुरानी चिट्ठी का एक हिस्सा कहता है: “तुम्हारे स्वामी रिम-सिन का यह कहना है: क्योंकि उस गुलाम ने अपने साथी गुलाम को आग के भट्ठे में फेंक दिया है, तो तुम भी उसे भट्ठे में फेंक दो।” गौरतलब है कि इस चिट्ठी का हवाला देते वक्त जी. आर. ड्राइवर बताते हैं कि इस सज़ा ‘का ज़िक्र तीन धर्मात्माओं की कहानी में आता है (दानि. 3:6, 15, 19-27)।’e
6 यहूदियों ने दानिय्येल की किताब को ‘नबियों की किताबों’ के तहत नहीं बल्कि ‘लेख’ के तहत रखा था।f लेकिन यूनानी सेप्टुआजेंट और लातिनी वल्गेट में दी सूची के मुताबिक हमारी हिंदी बाइबल, दानिय्येल को बड़े और छोटे नबियों की किताबों के बीच रखती है। दानिय्येल की किताब दरअसल दो भागों में बँटी है। पहला भाग, अध्याय 1 से लेकर अध्याय 6 तक है। इसमें दानिय्येल और उसके साथियों के वे सारे अनुभव क्रम से दर्ज़ हैं, जो उन्हें तब मिले थे जब उन्होंने सा.यु.पू. 617 से सा.यु.पू. 538 तक सरकारी मुलाज़िम के नाते सेवा की थी। (दानि. 1:1, 21) दूसरा भाग, अध्याय 7 से लेकर अध्याय 12 तक है। इस भाग को दानिय्येल ने उत्तम पुरुष में लिखा है। और इसमें उसे करीब सा.यु.पू. 553g से करीब सा.यु.पू. 536 तक जो-जो दर्शन मिले थे और स्वर्गदूतों के साथ उसकी जो-जो बातचीत हुई थी, उसका सारा ब्यौरा दर्ज़ है। (7:2, 28; 8:2; 9:2; 12:5, 7, 8) दानिय्येल की किताब के इन दोनों भागों में गहरा तालमेल पाया जाता है।
क्यों फायदेमंद है
19 इस पराए संसार में जो कोई अपनी खराई बनाए रखने का पक्का इरादा करता है, उसे दानिय्येल और उसके तीन साथियों की बेहतरीन मिसालों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कभी परमेश्वर के सिद्धांतों से समझौता नहीं किया, फिर चाहे उन्हें बड़ी-से-बड़ी मुसीबत का सामना क्यों न करना पड़ा हो। एक मौके पर जब उनकी जान खतरे में थी, तो इस खतरे से बचने के लिए दानिय्येल ने “सोच विचारकर और बुद्धिमानी के साथ” कदम उठाया, साथ ही राजा के अधिकार का आदर भी किया। (2:14-16) मगर जब उनकी खराई की बात आयी, तो उन्हें मौत को गले लगाना मंज़ूर था बजाय इसके कि वे अपनी खराई तोड़ें। मिसाल के लिए, तीन इब्रियों ने मूरत के आगे सिजदा करने से इनकार किया और आग के धधकते भट्ठे में फेंके जाने का चुनाव किया। और दानिय्येल ने यहोवा से प्रार्थना बंद करने के बजाय शेरों की माँद में फेंके जाने का चुनाव किया। उन दोनों मौकों पर यहोवा ने उनकी हिफाज़त की थी। (3:4-6, 16-18, 27; 6:10, 11, 23) प्रार्थना के ज़रिए यहोवा परमेश्वर पर भरोसा रखने में खुद दानिय्येल ने हमारे लिए एक उम्दा मिसाल कायम की है।—2:19-23; 9:3-23; 10:12.
20 दानिय्येल की किताब में दिए दर्शनों के बारे में पढ़कर न सिर्फ हमारे अंदर सिहरन दौड़ जाती है बल्कि इनसे हमारा विश्वास भी मज़बूत होता है। आइए उन चार दर्शनों पर एक नज़र डालें जो दुनिया की विश्वशक्तियों के बारे में बताते हैं: (1) यह एक भयंकर मूर्ति का दर्शन है, जिसका सोने का सिर नबूकदनेस्सर और उसके बाद आनेवाले तमाम बाबुली राजाओं को दर्शाता है। बाबुल के बाद, तीन और राज्य विश्वशक्तियाँ बनते हैं जिन्हें मूरत के अलग-अलग हिस्से से दर्शाया गया है। इन सभी राज्यों को एक “पत्थर” चूर-चूर कर देता है और उनकी जगह यह पत्थर “एक ऐसा राज्य” यानी परमेश्वर का राज्य बन जाता है “जो अनन्तकाल तक न टूटेगा।” (2:31-45) (2) इसके बाद दानिय्येल उन दर्शनों के बारे में बताता है जो उसे मिले थे। इनमें से पहला दर्शन चार जंतुओं के बारे में है, जो “चार राज्य” को दर्शाते हैं। ये राज्य शेर, रीछ, चार सिरवाले चीते और एक ऐसे जंतु की तरह हैं जिसके बड़े-बड़े लोहे के दाँत और दस सींग हैं और जिस पर बाद में एक छोटा-सा सींग निकल आता है। (7:1-8, 17-28) (3) फिर, अगला दर्शन एक मेढ़े (मादी-फारस), बकरे (यूनान) और एक छोटे सींग के बारे में है। (8:1-27) (4) आखिरी दर्शन, उत्तर के राजा और दक्खिन के राजा के बारे में है। दानिय्येल 11:5-19 सा.यु.पू. 323 में सिकंदर की मौत के बाद, उसके यूनानी साम्राज्य से निकले दो राज्यों के बीच की दुश्मनी का अचूक तरीके से वर्णन करता है। इस दुश्मनी में एक तरफ मिस्र पर हुकूमत करनेवाले राजा थे और दूसरी तरफ सेल्युकसवंशी राजा। फिर आयत 20 से भविष्यवाणी बताती है कि उत्तर के राजा और दक्खिन के राजा के देशों के बीच संघर्ष किस तरह आगे बढ़ता है। यीशु ने अपनी उपस्थिति का चिन्ह देते वक्त “उजाड़ने वाली घृणित वस्तु” (11:31, NHT) का ज़िक्र किया था, जिससे पता चलता है कि यह संघर्ष “जगत के अन्त” तक चलता रहेगा। (मत्ती 24:3) हमें भविष्यवाणी में किए इस वादे से कितना दिलासा मिलता है कि जब “ऐसे संकट का समय होगा, जैसा किसी जाति के उत्पन्न होने के समय से लेकर अब तक कभी न हुआ,” तब मीकाएल अधर्मी देशों का सफाया करने और आज्ञा माननेवाले इंसानों को शांति देने के लिए खड़ा होगा।—दानि. 11:20—12:1.
21 दानिय्येल अपनी किताब में “सत्तर सप्ताह” की भविष्यवाणी भी करता है। उस भविष्यवाणी के मुताबिक, “अभिषिक्त प्रधान” यानी मसीहा को 69 सप्ताहों के बाद प्रकट होना था। यह बात गौरतलब है कि जब राजा अर्तक्षत्र ने अपनी हुकूमत के 20वें साल में यरूशलेम को फिर से बसाने की आज्ञा दी और उसके मुताबिक नहेमायाह यरूशलेम गया, तो उस “आज्ञा के निकलने” के 483 साल (69 गुणा 7 साल) बाद, मसीहा प्रकट हुआ। उसी साल सा.यु. 29 में, नासरत के रहनेवाले यीशु ने यरदन नदी में बपतिस्मा लिया और पवित्र आत्मा के ज़रिए उसका अभिषेक हुआ जिससे कि वह ख्रिस्त या मसीहा (यानी अभिषिक्त जन) बना।h इस भविष्यवाणी में दानिय्येल ने यह भी कहा था कि एक “विनाश” आएगा और यह तब आया जब सा.यु. 70 में यरूशलेम की ईंट-से-ईंट बजायी गयी।—दानि. 9:24-27; लूका 3:21-23; 21:20.
22 दानिय्येल अध्याय 4 में नबूकदनेस्सर का एक सपना दर्ज़ है जिसमें उसने एक पेड़ को कटते देखा था। उस सपने के मुताबिक यहोवा परमेश्वर ने नबूकदनेस्सर का घमंड तोड़ा, क्योंकि उसे अपनी ताकत पर हद-से-ज़्यादा भरोसा था और उसने अपनी कामयाबियों की शेखी मारी थी। उसे जानवरों की तरह मैदानों में रहना पड़ा और आखिरकार उसे यह मानना पड़ा कि “परमप्रधान, मनुष्यों के राज्य में प्रभुता करता है, और जिसे चाहे वह उसे दे देता है।” (दानि. 4:32) क्या आज हम भी नबूकदनेस्सर की तरह अपनी कामयाबियों की शेखी बघारेंगे और इंसान की ताकत पर भरोसा रखेंगे, जिससे कि परमेश्वर को हमें सबक सिखाना पड़े? या क्या हम बुद्धिमानी से यह कबूल करेंगे कि सिर्फ यहोवा ही इंसानों का असली राजा है और उसके राज्य पर अपना भरोसा रखेंगे?
23 दानिय्येल की किताब, शुरू से लेकर आखिर तक राज्य की आशा पर ज़ोर देती है जिससे हमारा विश्वास मज़बूत होता है। इसमें यहोवा को पूरे जहान का महाराजाधिराज और मालिक बताया गया है जो एक ऐसा राज्य खड़ा करता है कि वह अनंतकाल तक न टूटेगा बल्कि दुनिया के सब राज्यों को चूर-चूर कर देगा। (2:19-23, 44; 4:25) नबूकदनेस्सर और दारा जैसे विधर्मी राजाओं को भी मानना पड़ा कि सिर्फ यहोवा ही पूरे विश्व में शक्तिशाली और सबसे बड़ा अधिकारी है! (3:28, 29; 4:2, 3, 37; 6:25-27) यहोवा को अति प्राचीन के तौर पर सम्मान दिया जाता है और उसकी महिमा की जाती है। वह राज्य के मामले पर न्याय करने बैठता है और ‘मनुष्य की सन्तान’ जैसे किसी को ऐसी अविनाशी ‘प्रभुता, महिमा और राज्य देता है कि देश-देश और जाति-जाति के लोग और भिन्न-भिन्न भाषा बोलनेवाले लोग सब उसके अधीन हो जाते हैं।’ उस राज्य में “परमप्रधान के पवित्र लोग,” ‘मनुष्य की सन्तान’ मसीह यीशु के साथ हुकूमत करते हैं। (दानि. 7:13, 14, 18, 22; मत्ती 24:30; प्रका. 14:14) यीशु ही मीकाएल है, यानी वह प्रधान जो अपने राज्य अधिकार का इस्तेमाल करके इस पुरानी दुनिया के सभी राज्यों को चूर-चूर करेगा और उनका अंत कर डालेगा। (दानि. 12:1; 2:44; मत्ती 24:3, 21; प्रका. 12:7-10) इन भविष्यवाणियों और दर्शनों से धार्मिकता के प्रेमियों को परमेश्वर के वचन में ढूँढ़-ढाँढ़ करने का बढ़ावा मिलना चाहिए, ताकि परमेश्वर के राज्य के उद्देश्यों के बारे में जो ‘आश्चर्य कर्म’ दानिय्येल की ईश्वर-प्रेरित और फायदेमंद किताब में प्रकट किए गए हैं, वे उनकी समझ हासिल कर सकें।—दानि. 12:2, 3, 6.
[फुटनोट]
a इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्, भाग 1, पेज 1269.
b इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्, भाग 1, पेज 283.
c पुरातत्वविज्ञान और बाइबल (अँग्रेज़ी), सन् 1949, जॉर्ज ए. बार्टन, पेज 483.
d द येल ओरियंटल सीरीज़ · रिसर्चेज़, भाग 15, सन् 1929.
e आरकिव फूर ओरियंतफॉरशुंग, भाग 18, सन् 1957-58, पेज 129.
f पेज 32 पर दिया बक्स देखिए।
g सबूत दिखाते हैं कि बेलशस्सर ने नबोनाइडस की हुकूमत के तीसरे साल से उसके साथ हुकूमत करना शुरू किया था। माना जाता है कि नबोनाइडस ने अपनी हुकूमत सा.यु.पू. 556 में शुरू की थी, तो इस हिसाब से उसके शासन का तीसरा वर्ष और ‘बेलशस्सर का पहिला वर्ष’ सा.यु.पू. 553 हुआ।—दानिय्येल 7:1; इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्, भाग 1, पेज 283; भाग 2, पेज 457 देखिए।
h नहेमायाह 2:1-8; इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्, भाग 2, पेज 899-901 भी देखिए।