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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1997
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यहोवा के भवन की बड़ी महिमा

“मैं इस भवन को अपनी महिमा के तेज से भर दूंगा, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।”—हाग्गै २:७.

१. पवित्र आत्मा विश्‍वास और कार्य से कैसे सम्बन्धित है?

घर-घर का प्रचार करते समय, यहोवा की एक साक्षी एक पिन्तेकुस्त महिला से मिली जिसने यह टिप्पणी की, ‘पवित्र आत्मा तो हमारे पास है, लेकिन काम तो आप लोग कर रहे हैं।’ कुशलतापूर्वक उसे यह समझाया गया कि जिसके पास पवित्र आत्मा होती है, वह स्वाभाविक रूप से परमेश्‍वर का कार्य करने के लिए प्रेरित होगा। याकूब २:१७ कहता है: “विश्‍वास भी, यदि कर्म सहित न हो तो अपने स्वभाव में मरा हुआ है।” यहोवा की आत्मा की मदद से, उसके साक्षियों ने मज़बूत विश्‍वास विकसित किया है, और उसने ‘अपने भवन को महिमा से भर दिया है।’ ऐसा उसने उन्हें धार्मिक कार्य करने के लिए नियुक्‍त करने के द्वारा किया है—मुख्य रूप से ‘राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार करना, कि सब जातियों पर गवाही हो।’ जब यह कार्य यहोवा की संतुष्टि तक किया जाता है, “तब अन्त आ जाएगा।”—मत्ती २४:१४.

२. (क) यहोवा के कार्य में ख़ुद को तल्लिन करना कौन-सी आशिष लाएगा? (ख) हमें किसी भी प्रत्यक्ष “विलम्ब” के लिए क्यों आनन्दित होना चाहिए?

२ यीशु के इन शब्दों से, हम इस नतीजे पर पहुँचते हैं कि आज हमारा काम दूसरों को “परमधन्य परमेश्‍वर के महिमामय सुसमाचार” को प्रचार करने पर केन्द्रित होना चाहिए जो हमें सौंपा गया है। (१ तीमुथियुस १:११, NHT) यहोवा की सेवा में हम जितनी ज़्यादा ख़ुशी के साथ तल्लीन होते हैं, अन्त उतना ही तेज़ी से आता हुआ प्रतीत होगा। हबक्कूक २:२, ३ में, हम यहोवा के वचन पढ़ते हैं: “दर्शन की बातें लिख दे; वरन पटियाओं पर साफ़ साफ़ लिख दे कि दौड़ते हुए भी वे सहज से पढ़ी जाएं। क्योंकि इस दर्शन की बात नियत समय में पूरी होनेवाली है, वरन इसके पूरे होने का समय वेग से आता है; इस में धोखा न होगा। चाहे इस में विलम्ब भी हो, तौभी उसकी बाट जोहते रहना; क्योंकि वह निश्‍चय पूरी होगी और उस में देर न होगी।” जी हाँ, वह “दर्शन” पूरा होगा “चाहे इस में विलम्ब भी हो।” क्योंकि हम यीशु के राज्य शासन के ८३वें साल में हैं, शायद कुछ लोगों को लगे कि हम अभी विलम्ब की अवधि में हैं। लेकिन, क्या हमें आनन्दित नहीं होना चाहिए कि अन्त अभी तक नहीं आया है? १९९० के इस दशक के दौरान, सुसमाचार के प्रचार में, शायद यह चमत्कारिक लगे, लेकिन पूर्वी यूरोप, अफ्रीका के भागों, और अन्य देशों में से प्रतिबन्ध उठाया गया है। यह प्रत्यक्ष “विलम्ब” अनेक ‘भेड़ों’ को उन क्षेत्रों से एकत्रित किए जाने के लिए समय दे रहा है जो हाल ही में खुले हैं।—यूहन्‍ना १०:१६.

३. “इस पीढ़ी” पर हमारी दिनाप्त समझ से हमें परमेश्‍वर के कार्य में अत्यावश्‍यकता से लगे रहने के लिए क्यों प्रेरित होना चाहिए?

३ भविष्यवक्‍ता कहता है, “उस में देर न होगी।” यीशु ने कहा कि वर्तमान दुष्ट पीढ़ी जाती न रहेगी जब तक “ये सब बातें पूरी न हो लें।” (मत्ती २४:३४) क्या उसके वचनों की हमारी दिनाप्त समझ का यह अर्थ है कि हमारा प्रचार कार्य इतना फ़ौरी नहीं है?a तथ्य दिखाते हैं कि मामला इसके बिलकुल उलटा है! हमारी समकालीन पीढ़ी दुष्टता और भ्रष्टाचार की ऐसी स्थिति में गोते खा रही है जिसकी पिछले पूरे इतिहास में कोई बराबरी नहीं है। (प्रेरितों २:४० से तुलना कीजिए।) हमें अत्यावश्‍यक रूप से अपने काम में लगे रहना चाहिए। (२ तीमुथियुस ४:२) बड़े क्लेश के समय के बारे में सभी भविष्यवाणियाँ दिखाती हैं कि वह—एक चोर की नाईं—अचानक, एकाएक, चुपके से आएगा। (१ थिस्सलुनिकियों ५:१-४; प्रकाशितवाक्य ३:३; १६:१५) “इसलिये तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।” (मत्ती २४:४४) जैसे-जैसे यह मनुष्यजाति की भक्‍तिहीन पीढ़ी सर्वनाश की घड़ियाँ गिनती है, निश्‍चित ही हम फिर से सांसारिक विकर्षणों की “कीचड़ में लोटने” के द्वारा अनन्त जीवन की हमारी बहुमोल आशा को अपने हाथों से फेंकना नहीं चाहेंगे!—२ पतरस २:२२; ३:१०; लूका २१:३२-३६.

४. किस स्थिति ने ‘समय पर भोजन’ की अत्यधिक सप्लाई की माँग की है, और इस ज़रूरत को कैसे पूरा किया गया है?

४ यीशु की भविष्यवाणी की पूर्ति में, १९१४ में “पीड़ाओं का आरम्भ” हुआ जब मनुष्यजाति ने “रीति-व्यवस्था की समाप्ति” (NW) में प्रवेश किया। दुःख, भयंकर घटनाएँ, और अराजकता आज के दिन तक बढ़ गई हैं। (मत्ती २४:३-८, १२) उसी समय, यहोवा ने अभिषिक्‍त विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास वर्ग को अपने सरदार, मसीह के घराने को “समय पर [आध्यात्मिक] भोजन” देने के लिए नियुक्‍त किया है। (मत्ती २४:४५-४७) स्वर्ग में अपने सिंहासन से, यह मसीहाई राजा अब पूरी पृथ्वी में एक अद्‌भुत आध्यात्मिक पोषण कार्यक्रम को निर्देशित कर रहा है।

बहुतायत में “भोजन-सामग्री”

५. “भोजन” की मूलभूत वस्तु पर क्या ध्यान दिया जा रहा है?

५ “भोजन-सामग्री” की तैयारी पर ग़ौर कीजिए। (लूका १२:४२, NHT) मसीही मेनू में मूलभूत वस्तु है परमेश्‍वर का वचन, बाइबल। बाइबल को प्रभावकारी रूप से सिखाने के लिए, एक पढ़नेयोग्य, यथार्थ अनुवाद एक प्राथमिक ज़रूरत है। सालों के दौरान यह ज़रूरत क्रमिक रूप से पूरी की गयी है, ख़ासकर १९५० से शुरू होते हुए जब मसीही यूनानी शास्त्र का नया संसार अनुवाद अंग्रेज़ी में प्रकाशित किया गया। १९६१ तक सम्पूर्ण बाइबल का नया संसार अनुवाद उपलब्ध हो चुका था, और अन्य प्रमुख भाषाओं में संस्करण जल्द ही प्रकाशित हुए। १९९६ सेवा वर्ष के दौरान प्रकाशित ३ खण्ड उस कुल संख्या को २७ तक लाते हैं, जिनमें से १४ सम्पूर्ण बाइबल हैं। बाइबल के, और साथ ही बाइबल सहायकों के इस कार्य को सम्भालने के लिए, कुछ १,१७४ समर्पित मसीही अब ७७ देशों में पूर्ण-समय अनुवाद का काम कर रहे हैं।

६. संस्था ने बाइबल प्रकाशनों की माँग को कैसे पूरा किया है?

६ अनुवादकों की सेना के इस काम का समर्थन करते हुए, वॉच टावर संस्था की २४ छपाई शाखाएँ प्रकाशनों को पहले से कहीं ज़्यादा मात्रा में तैयार कर रही हैं। इसी उद्देश्‍य से, प्रमुख शाखाओं में अतिरिक्‍त तेज़ रोटरी मुद्रण-यंत्र लगाना जारी है। प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! का उत्पादन महीने-दर-महीने बढ़ा है, और यह ९४,३८,९२,५०० प्रतियों के सर्वयोग तक पहुँचा है, जो इस साल के लिए १३.४ प्रतिशत वृद्धि है। केवल अमरीका, इटली, कोरिया, जर्मनी, जापान, फिनलैंड, ब्रज़िल, और मॆक्सिको में ही बाइबलों और सजिल्द पुस्तकों के कुल उत्पादन में १९९५ में ४० प्रतिशत से १९९६ में ७,६७,६०,०९८ प्रतियों तक बढ़ गया है। अन्य शाखाओं ने भी साहित्य उत्पादन की समस्त वृद्धि में एक उल्लेखनीय योगदान दिया है।

७. यशायाह ५४:२ अब और भी अत्यावश्‍यक कैसे हो गया है?

७ पूर्वी यूरोप और अफ्रीका में यहोवा के साक्षियों पर प्रतिबन्धों के हटाए जाने से, इस १९९० के दशक के दौरान अधिकतर वृद्धि आवश्‍यक हुई है। इन स्थानों में आध्यात्मिक भोजन के लिए भूख बड़ी तेज़ है। इसलिए यह पुकार और भी अत्यावश्‍यकता के साथ गूँजती है: “अपने तम्बू का स्थान चौड़ा कर, और तेरे डेरे के पट लम्बे किए जाएं; हाथ मत रोक, रस्सियों को लम्बी और खूंटों को दृढ़ कर।”—यशायाह ५४:२.

८. कौन-सी उदार प्रतिक्रिया आर्थिक सहायता प्रदान करने में मदद कर रही है?

८ इसलिए, संस्था की १०४ शाखाओं में से अनेकों में सुविधाओं का विस्तार करना आवश्‍यक हुआ है। अधिकांश नए-नए सुगम्य क्षेत्रों में कठिन आर्थिक परिस्थितियों के कारण, इस विस्तार के लिए ख़र्च का एक बड़ा हिस्सा अधिक धन-सम्पन्‍न देशों से दिए गए विश्‍वव्यापी कार्य के लिए अंशदानों से पूरा किया जाता है। यह ख़ुशी की बात है, कलीसियाएँ और व्यक्‍ति निर्गमन ३५:२१ की इस भावना के साथ पूरे दिल से प्रतिक्रिया दिखाते रहे हैं: “जितनों को उत्साह हुआ, और जितनों के मन में ऐसी इच्छा उत्पन्‍न हुई थी, वे . . . यहोवा की भेंट ले आने लगे।” हम इस अवसर पर उन सभी लोगों का धन्यवाद करते हैं जो इस उदार देन में भाग लेते रहे हैं।—२ कुरिन्थियों ९:११.

९. रोमियों १०:१३, १८ आज कैसे पूरा हो रहा है?

९ वर्ष १९९६ के दौरान, वॉच टावर संस्था के प्रकाशनों ने यहोवा के नाम और उद्देश्‍यों की महिमा वाक़ई पृथ्वी की छोर तक की है। यह बिलकुल वैसा ही है जैसे प्रेरित पौलुस ने पूर्वबताया। योएल की भविष्यवाणी और १९वें भजन को उद्धृत करते हुए, उसने लिखा: “क्योंकि जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा। परन्तु मैं कहता हूं, क्या उन्हों ने नहीं सुना? सुना तो सही क्योंकि लिखा है कि उन के स्वर सारी पृथ्वी पर, और उन के वचन जगत की छोर तक पहुंच गए हैं।” (रोमियों १०:१३, १८) इस प्रकार यहोवा इस बहुमूल्य नाम का गुणगान करने के द्वारा उसके लोगों ने उसके उपासना के भवन को महिमा के तेज से भरने में एक उल्लेखनीय भाग अदा किया है। लेकिन, यह उद्‌घोषणा विशेषकर १९९६ के दौरान कैसे सफल हुई है? कृपया पृष्ठ १८ से २१ में दिए गए चार्ट की जाँच कीजिए।

संसार-भर में कटनी

१०. जैसे पृष्ठ १८ से २१ के चार्ट में सार प्रस्तुत किया गया है, उसमें से आप यहोवा के लोगों की गतिविधि में किन उल्लेखनीय विशेषताओं को देखते हैं?

१० लूका १०:२ में पाए जानेवाले यीशु के शब्दों में पहले कभी इतना ज़्यादा दम नहीं था: “पक्के खेत बहुत हैं; परन्तु मजदूर थोड़े हैं: इसलिये खेत के स्वामी से बिनती करो, कि वह अपने खेत काटने को मजदूर भेज दे।” क्या आप इस पुकार के प्रति अनुक्रिया दिखा रहे हैं? पृथ्वी भर में लाखों लोग दिखा रहे हैं। इस बात की पुष्टि ५४,१३,७६९ राज्य प्रकाशकों के नए शिखर से होती है जिन्होंने १९९६ के दौरान क्षेत्र सेवा रिपोर्ट की। इसके अतिरिक्‍त, ३,६६,५७९ नए भाई-बहनों ने बपतिस्मा प्राप्त किया। हम ‘सारी जातियों की इन मनभावनी वस्तुओं’ को कितने दिल से लगाकर रखते हैं जो अब ‘यहोवा के उपासना के भवन को महिमा के तेज से भरने’ में भाग लेते हैं!—हाग्गै २:७.

११. हम सभी के पास बहुत ही ख़ुश होने का कारण क्यों है?

११ नए-नए सुगम्य क्षेत्रों से विस्तार की रिपोर्टें भी सनसनीखेज़ हैं। क्या हम में से अन्य लोग उन लोगों से जलते हैं जो अब ऐसी वृद्धि का आनन्द लेते हैं? इसके विपरीत, हम उनके संग हर्षित होते हैं। सभी देशों की शुरूआत छोटी थी। हाग्गै के समकालिक भविष्यवक्‍ता, जकर्याह ने लिखा: “किस ने छोटी बातों का दिन तुच्छ जाना है?” (जकर्याह ४:१०) हमें बहुत ख़ुशी है कि उन देशों में जहाँ साक्षी कार्य अच्छी तरह स्थापित हो चुका है, वहाँ अब लाखों राज्य प्रकाशक हैं, और क्षेत्र अकसर पूरा किया जाता है, यहाँ तक कि अनेक बड़े शहरों में हर हफ़्ते। क्या हमारे पास हाथों को ढीला करने का कारण है जबकि यहोवा अब उन क्षेत्रों को उद्धार का अवसर देता है जो पहले प्रतिबन्धित थे? बिलकुल नहीं! “खेत संसार है,” यीशु ने कहा। (मत्ती १३:३८) एक सम्पूर्ण साक्षी दिया जाना जारी रहना चाहिए, ठीक जैसे आरम्भिक शिष्यों ने यहूदी रीति-व्यवस्था की समाप्ति के समय सम्पूर्ण साक्षी दी।—प्रेरितों २:४०; १०:४२; २०:२४; २८:२३.

और भी आगे बढ़ते रहना

१२. हमारे पास ‘सीधे साम्हने’ बढ़ने के लिए क्या प्रेरणा है? (साथ ही बक्स, “‘पृथ्वी की छोर तक’ कटनी करना” देखिए।)

१२ जी हाँ, हमें क़दम-से-क़दम मिलाए रखना है, और यहोवा के स्वर्गदूतीय दिव्य रथ के साथ ‘सीधे साम्हने’ बढ़ना है। (यहेजकेल १:१२) पतरस के शब्द हमें याद हैं: “प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता, जैसी देर कितने लोग समझते हैं; पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; बरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले।” (२ पतरस ३:९) आर्थिक रूप से ग़रीब देशों में हमारे भाइयों के अनुकरणीय उत्साह को हमें प्रेरित करने दीजिए। अरमगिदोन की शुरूआत में कोई भी प्रतीयमान विलम्ब इन देशों में और साथ ही अच्छी तरह से काम किए गए क्षेत्रों में सैकड़ों-हज़ारों लोगों को एकत्रित किए जाने का मौक़ा दे रहा है। इसके बारे में कोई ग़लती मत कीजिए: “यहोवा का भयानक दिन निकट है, वह बहुत वेग से समीप चला आता है।” (सपन्याह १:१४) एक सम्पूर्ण आख़िरी साक्षी देने में हमारी तरफ़ से भी शीघ्रता होनी चाहिए!

१३, १४. (क) वर्ष १९९६ के दौरान प्रकाशनों के वितरण के बारे में क्या कहा जा सकता है? (ख) कलीसियाएँ हर साल शायद कौन-सी ख़ास योजनाएँ बनाएँ, और आप किस तरह भाग लेने कि योजना बना रहे हैं?

१३ हालाँकि इस सेवा चार्ट में विवरण नज़र नहीं आते, लेकिन गत वर्ष बाइबलों, पुस्तकों, और पत्रिकाओं के वितरण में ग़ौरतलब वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए, संसार भर में पत्रिका-वितरणों ने १९-प्रतिशत वृद्धि दिखायी, अर्थात्‌ कुल मिलाकर ५४,३६,६७,९२३ प्रतियाँ वितरित की गयीं। हमारी पत्रिकाएँ परिवर्तनशील प्रचार-कार्य के लिए उपयुक्‍त हैं—सड़कों पर, बाग़ीचों में, बस अड्डों पर, और व्यावसायिक क्षेत्रों में। रिपोर्टें सूचित करती हैं कि बारम्बार राज्य प्रचार किए गए कुछ क्षेत्रों में पेशेवर लोग हमारी पत्रिकाओं की गुणवत्ता से प्रभावित हुए हैं, और वे बाइबल अध्ययन स्वीकार कर रहे हैं।

१४ हर साल अप्रैल महीने के दौरान, आम तौर पर कलीसियाएँ विशेष पत्रिका गतिविधि आयोजित करती हैं, जिसकी विशेषता घर-घर में और सार्वजनिक स्थानों में एक दिन-भर का अभियान होती है। क्या आपकी कलीसिया अप्रैल १९९७ के दौरान इसमें भाग लेगी? अप्रैल की प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! के उल्लेखनीय अंक तैयार किए गए हैं, और संसार भर में एक ही समय पर की गयी उनकी प्रस्तुति को अवश्‍य ही अपनी छाप छोड़नी चाहिए! साइप्रस के द्वीप में, कलीसियाओं ने तो “हर सम्भव व्यक्‍ति के पास राज्य संदेश के साथ पहुँचिए” इस नारे का इस्तेमाल करते हुए ऐसे नियत पत्रिका कार्य का हर महीने पालन किया है, और इस साल के लिए २,७५,३५९ वितरणों के नए शिखर तक पहुँची हैं, जो ५४-प्रतिशत वृद्धि है।

हाग्गै के आख़री संदेश

१५. (क) यहोवा ने हाग्गै के द्वारा अतिरिक्‍त संदेश क्यों भेजे? (ख) हाग्गै के तीसरे संदेश से हमें कौन-सी सीख लेनी चाहिए?

१५ अपना दूसरा संदेश भेजने के ६३ दिन बाद, यहोवा ने हाग्गै को तीसरी उद्‌घोषणा के साथ भेजा जिसे आज हम भली-भाँति याद रख सकते हैं। हाग्गै ने ऐसे बात की मानो यहूदी लोग उस समय मन्दिर की नींव डाल रहे हों, जिसे वे १७ साल पहले वास्तव में डाल चुके थे। फिर एक बार यहोवा ने सफ़ाई करने को योग्य समझा। याजक और लोग ढीले पड़ गए थे, और इसलिए वे यहोवा की नज़रों में अस्वच्छ थे। क्या ऐसा हो सकता है कि आज यहोवा के कुछ लोगों ने अपने हाथों को ढीला कर लिया है, यहाँ तक कि संसार की अनुज्ञात्मक और भौतिक तौर-तरीक़ों में ख़ुद को शामिल किया है? यह अत्यावश्‍यक है कि हम सभी अपने हृदय ‘अब से आगे को’ यहोवा के नाम को महिमा लाने पर लगाएँ, और उसकी इस प्रतिज्ञा के बारे में विश्‍वस्त हों: “आज के दिन से मैं तुम्हें आशिष देता रहूंगा।”—हाग्गै २:१०-१९, NHT; इब्रानियों ६:११, १२.

१६. कौन-सा ‘कम्पित’ होना निकट है, और इसका परिणाम क्या होगा?

१६ उसी दिन, ‘सेनाओं के यहोवा’ का वचन हाग्गै के पास चौथी और आख़री बार आया। उसने ज़ाहिर किया कि उसके द्वारा ‘आकाश और पृथ्वी को कम्पाने’ में क्या शामिल है, और कहा: “मैं राज्य-राज्य की गद्दी को उलट दूंगा; मैं अन्यजातियों के राज्य-राज्य का बल तोड़ूंगा, और रथों को चढ़वैयों समेत उलट दूंगा; और घोड़ों समेत सवार एक दूसरे की तलवार से गिरेंगे।” (हाग्गै २:६, २१, २२) इस प्रकार यह ‘कम्पित’ होना अपनी चरम पर पहुँचेगा जब यहोवा अरमगिदोन में पृथ्वी को पूरी तरह साफ़ कर देता है। नए संसार में मानवी समाज का केन्द्रक बनने के लिए, उस समय तक “सारी जातियों की मनभावनी वस्तुएं” अन्दर आ चुकी होंगी। आनन्द करने और यहोवा को स्तुति देने के क्या ही कारण!—हाग्गै २:७; प्रकाशितवाक्य १९:६, ७; २१:१-४.

१७. यीशु को एक “अंगूठी” की तरह कैसे स्थापित किया गया है?

१७ अपनी भविष्यवाणी को समाप्त करते हुए, हाग्गै लिखता है: “सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, उस दिन, हे . . . जरुब्बाबेल, मैं तुझे लेकर अंगूठी के समान रखूंगा, . . . क्योंकि मैं ने तुझी को चुन लिया है, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।” (हाग्गै २:२३) यीशु मसीह अब यहोवा का प्रतिरूपक मसीहाई राजा और महायाजक है, जो स्वर्ग में उन कार्य-पदों को जोड़ता है जिन्हें राज्यपाल जरुब्बाबेल और महायाजक यहोशू ने पार्थिव यरूशलेम में अलग-अलग निभाया था। यहोवा के दाहिने हाथ में सरकारी अँगूठी की तरह, यीशु ही वह व्यक्‍ति है जो “परमेश्‍वर की जितनी प्रतिज्ञाएं” हैं उन्हें वास्तविकता में बदलने के लिए परमेश्‍वर के साधन के रूप में “हां” बना है। (२ कुरिन्थियों १:२०; इफिसियों ३:१०, ११; प्रकाशितवाक्य १९:१०) बाइबल का समस्त भविष्यसूचक संदेश परमेश्‍वर द्वारा राजा और याजकीय छुड़ौती दाता के रूप में मसीह के प्रबन्ध पर केन्द्रित है।—यूहन्‍ना १८:३७; १ पतरस १:१८, १९.

१८. ‘सेनाओं के यहोवा की आख़िरी वाणी’ की स्फूर्तिदायक पूर्ति कैसे होगी?

१८ सचमुच आज हमारे इस दिन में, सबसे बड़ी महिमा यहोवा के उज्ज्वल आत्मिक मन्दिर में पायी जाती है! और जल्द ही, शैतान की सारी व्यवस्था को यहोवा द्वारा मिटाए जाने के बाद, हाग्गै २:९ की अतिरिक्‍त आनन्दपूर्ण पूर्ति होगी: “इस स्थान में मैं शान्ति दूंगा, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।” आख़िरकार शान्ति!—एक स्थायी, विश्‍वव्यापी शान्ति, जिसकी गारंटी यहोवा की “अंगूठी,” मसीह यीशु, ‘शान्ति के राजकुमार’ द्वारा दी गयी है, जिसके बारे में यों लिखा गया है: “उसकी प्रभुता सर्वदा बढ़ती रहेगी, और उसकी शान्ति का अन्त न होगा . . . सेनाओं के यहोवा की धुन के द्वारा यह हो जाएगा।” (यशायाह ९:६, ७) सम्पूर्ण सनातनता तक यहोवा के उपासना के भवन की महिमा उसकी विश्‍व सर्वसत्ता के सम्पूर्ण शान्तिपूर्ण राज्य में प्रतिबिम्बित होगी। ऐसा हो कि हम हमेशा उस भवन में बने रहें!—भजन २७:४; ६५:४; ८४:१०.

[फुटनोट]

a प्रहरीदुर्ग के नवम्बर १, १९९५ अंक में “एक ‘दुष्ट पीढ़ी’ से बचाए गए” और “जागते रहने का समय” देखिए।

क्या आप समझा सकते हैं?

◻ आज यहोवा का भवन कैसे ‘महिमा के तेज से भर रहा’ है?

◻ सुसमाचार का प्रचार करना पहले कभी इतना अत्यावश्‍यक क्यों नहीं रहा है?

◻ १९९६ की सेवा वर्ष रिपोर्ट अत्यावश्‍यकता से प्रचार करने के लिए कौन-सी प्रेरणा देती है?

◻ मसीह यहोवा की “अंगूठी” के तौर पर कैसे काम कर रहा है?

[पेज 15 पर बक्स]

“पृथ्वी की छोर” से कटनी करना

यशायाह ४३:६ में हम यहोवा की आज्ञा पढ़ते हैं: “रोक मत रख; मेरे पुत्रों को दूर से और मेरी पुत्रियों को पृथ्वी की छोर से ले आओ।” पूर्वी यूरोप में आज इस शास्त्रवचन की असाधारण पूर्णता हो रही है। मिसाल के तौर पर भूतपूर्व साम्यवादी देश, मॉल्डॉवा को ही लीजिए। वहाँ ऐसे गाँव हैं जहाँ पर लगभग आधी आबादी अब साक्षी हैं। उन्हें प्रचार करने के लिए क्षेत्र ढूँढ़ने के लिए दूर-दूर तक सफ़र करना पड़ता है, लेकिन वे मेहनत कर रहे हैं! इन कलीसियाओं में अनेक प्रकाशक उन माता-पिताओं के बच्चे हैं जिन्हें १९५० के दशक के आरम्भिक भाग में साइबीरिया को निष्कासित किया गया था। अब उनके परिवार कटनी के कार्य को बढ़ाने में अगुवाई ले रहे हैं। १२,५६५ प्रकाशकों में से, १,९१७ लोगों ने पिछले साल बपतिस्मा प्राप्त किया। वहाँ ४३ ऐसी कलीसियाएँ हैं जिनमें से हरेक में लगभग १५० प्रकाशक हैं, और नए सेवा वर्ष में सर्किटें चार से बढ़कर आठ हो गए हैं।

अल्बानिया का विस्तार भी उल्लेखनीय है। वहाँ मुट्ठिभर निष्ठावान साक्षियों ने कुछ ५० सालों तक क्रूरतम तानाशाही को सहा। कई लोग मौत के घाट उतार दिए गए। यह यीशु की इस प्रतिज्ञा की याद दिलाता है: “जो दुख तुझ को झेलने होंगे, उन से मत डर: क्योंकि देखो, शैतान तुम में से कितनों को जेलखाने में डालने पर है ताकि तुम परखे जाओ; . . . प्राण देने तक विश्‍वासी रह; तो मैं तुझे जीवन का मुकुट दूंगा।” (प्रकाशितवाक्य २:१०; साथ ही यूहन्‍ना ५:२८, २९; ११:२४, २५ भी देखिए।) अब हम अल्बानिया में क्या देखते हैं? यशायाह ६०:२२ में पायी जानेवाली यहोवा की प्रतिज्ञा की एक सचमुच प्रभावशाली पूर्ति: “छोटे से छोटा एक हजार हो जाएगा”! १९९० में अल्बानिया में केवल एक प्रकाशक ने सेवा की रिपोर्ट दी। बहरहाल, इटली और अन्य देशों से अधिक ‘मजदूरों’ ने यीशु की इस पुकार का जवाब दिया: “इसलिये तुम जाकर . . . लोगों को चेला बनाओ और उन्हें . . . बपतिस्मा दो।” (मत्ती २८:१९; लूका १०:२) १९९६ में यीशु की मृत्यु के स्मारक के समय तक, क्षेत्र में ७७३ प्रकाशक सक्रिय थे, और इन्होंने अपनी स्मारक सभाओं के लिए ६,५२३ लोगों को इकट्ठा किया, जो प्रकाशकों की संख्या का आठ गुना से भी ज़्यादा था! पृथक क्षेत्रों से आश्‍चर्यजनक उपस्थिति की रिपोर्ट की गयी। हालाँकि वहाँ कोई स्थानीय प्रकाशक नहीं थे, कूकस और दीव्येकॆ के शहरों में उपस्थिति क्रमशः १९२ और २३० थी। क्रूयॆ में, जहाँ केवल एक ही प्रकाशक है, उपस्थिति २१२ थी। कॉर्चॆ के ३० प्रकाशकों ने ३०० से ज़्यादा लोगों के लिए सुविधाओं को किराये पर लिया। ऑडिटोरियम में उतनी संख्या खचा-खच भर जाने के बाद, वे और २०० लोगों को बिठा नहीं सके क्योंकि और कोई जगह बाक़ी नहीं थी। कटनी के लिए सचमुच एक पका हुआ खेत!

रोमेनिया से यह रिपोर्ट आती है: “जब हम घर-घर का कार्य कर रहे थे, तो हम एक व्यक्‍ति से मिले जिसने कहा कि वह एक यहोवा का साक्षी था और उस छोटे से क़सबे में रहता था जिसमें, जहाँ तक हमें पता है, कोई साक्षी नहीं था। उसने हमें बताया कि उसके अलावा १५ अन्य लोग थे जो कई सालों से गुरुवार और रविवार को सभाएँ चला रहे थे और उन्होंने घर-घर प्रचार करना शुरू कर दिया था। अगले दिन हम उस क़सबे में गए। वहाँ पर १५ पुरुष, स्त्रियाँ, और बच्चे दो कमरों में हमारा इंतज़ार कर रहे थे और इन्होंने २० पुस्तकें और २० नविनतम पत्रिकाएँ स्वीकार कीं। हम ने उन्हें दिखाया कि बाइबल अध्ययन कैसे संचालित करें। हमने एक साथ गीत गाया और उनके सबसे ज़रूरी सवालों का जवाब दिया। समूह में अगुवाई करनेवाले व्यक्‍ति ने कहा: ‘कुछ ही दिनों की बात है, मैंने रो-रोकर यहोवा से प्रार्थना की कि हमें एक चरवाहा भेजे, और मेरी प्रार्थना सुन ली गयी है।’ ख़ुशी के मारे हमारे पाँव ज़मीन पर नहीं थे, और हमारे जाने के समय, एक अनाथ की तरह जिसे आख़िरकार एक पिता मिल गया, उसने कहा: ‘हमें भूल मत जाइए। फिर आकर हमसे मिलिएगा!’ हम वापस गए, और अब उस क़सबे में सात बाइबल अध्ययन संचालित किए जा रहे हैं। अनेक नए क्षेत्रों में, बाइबल साहित्य के साथ काम अद्‌भुत रीति से शुरू होता है, जिसकी बहुत ही क़दर की जाती है, और यह दिखाता है कि इस कार्य का परमेश्‍वरीय स्रोत है।”

[पेज 18-21 पर चार्ट]

(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)

संसार-भर में यहोवा के साक्षियों की १९९६ सेवा वर्ष रिपोर्ट

[पेज 16, 17 पर तसवीर]

“सारी जातियों की मनभावनी वस्तुएं” समुद्र के द्विपों में से (१), दक्षिण अमरीका (२), अफ्रीका (३), एशिया (४), उत्तर अमरीका (५), और यूरोप (६) से इकट्ठी की जा रही हैं

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