क्या आप यहोवा के दिन के लिए तैयार हैं?
“यहोवा का भयानक दिन निकट है, वह बहुत वेग से समीप चला आता है।”—सपन्याह १:१४.
१. शास्त्र यहोवा के दिन का वर्णन कैसे करता है?
यहोवा का ‘बड़ा और भयानक दिन’ जल्द ही इस दुष्ट रीति-व्यवस्था पर आएगा। शास्त्र यहोवा के उस दिन को लड़ाई, अन्धकार, रोष, विपत्ति, क्रोध, भय, और विनाश के दिन के रूप में वर्णित करता है। परन्तु, उत्तरजीवी होंगे, क्योंकि “जो कोई यहोवा से प्रार्थना करेगा, वह छुटकारा पाएगा।” (योएल २:३०-३२; आमोस ५:१८-२०) जी हाँ, तब परमेश्वर अपने शत्रुओं का नाश करेगा और अपने लोगों को बचाएगा।
२. यहोवा के दिन के बारे में हमें अति-शीघ्रता की भावना क्यों होनी चाहिए?
२ परमेश्वर के भविष्यवक्ताओं ने यहोवा के दिन के साथ अति-शीघ्रता की भावना जोड़ी। उदाहरण के लिए, सपन्याह ने लिखा: “यहोवा का भयानक दिन निकट है, वह बहुत वेग से समीप चला आता है।” (सपन्याह १:१४) स्थिति आज और भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि परमेश्वर का प्रधान वधिक, राजा यीशु मसीह ‘अपनी तलवार अपनी कटि पर बान्धकर सत्यता, नम्रता और धर्म के निमित्त सवार’ होनेवाला है। (भजन ४५:३, ४) क्या आप उस दिन के लिए तैयार हैं?
उनकी बड़ी अपेक्षाएँ थीं
३. थिस्सलुनीकिया के कुछ मसीहियों की क्या अपेक्षाएँ थीं, और कौन-से दो कारण हैं कि वे ग़लत थे?
३ यहोवा के दिन के बारे में अनेकों की अपेक्षाएँ पूरी नहीं हुई हैं। थिस्सलुनीकिया में कुछ आरंभिक मसीहियों ने कहा, ‘यहोवा का दिन आ पहुंचा है!’ (२ थिस्सलुनीकियों २:२) लेकिन इसके दो मूल कारण थे कि वह क्यों निकट नहीं था। इनमें से एक का उल्लेख करते हुए, प्रेरित पौलुस ने कहा था: “जब लोग कहते होंगे, कि कुशल है, . . . तो उन पर एकाएक विनाश आ पड़ेगा।” (१ थिस्सलुनीकियों ५:१-६) इस “अन्त समय” में, हम भी उन शब्दों की पूर्ति की प्रतीक्षा कर रहे हैं। (दानिय्येल १२:४) थिस्सलुनीकियों के पास इसका एक और प्रमाण नहीं था कि यहोवा का बड़ा दिन आ पहुँचा है, क्योंकि पौलुस ने उनसे कहा: “वह दिन न आएगा, जब तक धर्म का त्याग न हो ले।” (२ थिस्सलुनीकियों २:३) जब पौलुस ने वे शब्द लिखे (लगभग सा.यु. ५१ में), तब तक सच्ची मसीहियत से “धर्म का त्याग” पूरी तरह प्रकट नहीं हुआ था। आज, वह मसीहीजगत में पूरी तरह प्रकट है और हम उसे देख रहे हैं। लेकिन, जबकि उनकी अपेक्षाएँ पूरी नहीं हुईं, फिर भी थिस्सलुनीकिया में उन वफ़ादार अभिषिक्त जनों ने, जो मृत्यु तक वफ़ादारी से परमेश्वर की सेवा करते रहे, अंततः एक स्वर्गीय प्रतिफल प्राप्त किया। (प्रकाशितवाक्य २:१०) हमें भी प्रतिफल मिलेगा यदि हम यहोवा के दिन की प्रतीक्षा करते हुए वफ़ादार रहते हैं।
४. (क) दूसरा थिस्सलुनीकियों २:१, २ में यहोवा के दिन को किस बात के साथ जोड़ा गया है? (ख) मसीह की वापसी और सम्बन्धित विषयों पर तथाकथित चर्च फ़ादर्स के क्या विचार थे?
४ बाइबल ‘यहोवा के बड़े दिन’ को “प्रभु यीशु मसीह के आने” के साथ जोड़ती है। (२ थिस्सलुनीकियों २:१, २) मसीह की वापसी, उसकी उपस्थिति, और उसके हज़ार वर्षीय शासन के बारे में तथाकथित चर्च फ़ादर्स के विभिन्न विचार थे। (प्रकाशितवाक्य २०:४) सामान्य युग दूसरी शताब्दी में, पेपीअस ऑफ़ हाइरापलिस ने मसीह के सहस्राब्दिक शासन के दौरान पृथ्वी की आश्चर्यकारी उर्वरता की अपेक्षाएँ रखीं। जस्टिन मार्टर ने बारंबार यीशु की उपस्थिति के बारे में बोला और अपेक्षा की कि पुनःस्थापित यरूशलेम उसके राज्य की राजधानी होगी। आइरीनिअस ऑफ़ लीओं ने सिखाया कि रोमी साम्राज्य के विनाश के बाद, यीशु दृश्य रूप से प्रकट होगा, शैतान को बान्धेगा, और पार्थिव यरूशलेम में राज्य करेगा।
५. मसीह के “दूसरे आगमन” और उसके सहस्राब्दिक शासन के बारे में कुछ विद्वानों ने क्या कहा है?
५ इतिहासकार फ़िलिप शाफ़ ने नोट किया कि सा.यु. ३२५ में काउन्सिल ऑफ़ नाइसीआ से पहले की अवधि में “सबसे उल्लेखनीय बात” थी “यह विश्वास कि इससे पहले कि सामान्य पुनरुत्थान और न्याय हो, जिलाए गए सन्तों के साथ पृथ्वी पर एक हज़ार साल तक महिमा में मसीह का दृश्य शासन होगा।” जेम्स हेस्टिंग्स द्वारा संपादित, ए डिक्शनरी ऑफ़ द बाइबल (अंग्रेज़ी) कहती है: “टर्टूलियन, आइरीनिअस, और हिपॉलिटस अभी भी [यीशु मसीह के] शीघ्र आगमन की आस देखते हैं; लेकिन ऐलॆक्ज़ैन्ड्रीन फ़ादर्स हमें एक नयी विचारधारा देते हैं। . . . जब ऑगस्टीन ने सहस्राब्दि की पहचान चर्च प्रयतमान की अवधि से करायी, तब दूसरा आगमन दूर भविष्य में विलम्बित कर दिया गया।”
यहोवा का दिन और यीशु की उपस्थिति
६. हमें यह निष्कर्ष क्यों नहीं निकालना चाहिए कि यहोवा का दिन बहुत दूर है?
६ ग़लत धारणाओं के कारण निराशाएँ हुई हैं, लेकिन आइए यह न सोचें कि यहोवा का दिन बहुत दूर है। यीशु की अदृश्य उपस्थिति, जिसके साथ यह शास्त्रीय रूप से जुड़ा हुआ है, आरंभ हो चुकी है। प्रहरीदुर्ग और यहोवा के साक्षियों के सम्बन्धित प्रकाशनों ने बहुधा इसका शास्त्रीय प्रमाण प्रदान किया है कि मसीह की उपस्थिति वर्ष १९१४ में आरंभ हो गयी।a तो फिर, यीशु ने अपनी उपस्थिति के बारे में क्या कहा?
७. (क) यीशु की उपस्थिति और रीति-व्यवस्था की समाप्ति के चिन्ह के कुछ पहलू क्या हैं? (ख) हमारा उद्धार कैसे हो सकता है?
७ यीशु की उपस्थिति उसकी मृत्यु से कुछ ही समय पहले चर्चा का विषय बन गयी। उसे यह कहते हुए सुनने के बाद कि यरूशलेम के मंदिर का विनाश होगा, उसके प्रेरित पतरस, याकूब, यूहन्ना, और अन्द्रियास ने पूछा: “ये बातें कब होंगी? और तेरे आने का, और जगत के अन्त का क्या चिन्ह होगा?” (मत्ती २४:१-३; मरकुस १३:३, ४) उत्तर में, यीशु ने युद्ध, अकाल, भूकम्प, और अपनी उपस्थिति और रीति-व्यवस्था की समाप्ति के “चिन्ह” के अन्य पहलू पूर्वबताए। उसने यह भी कहा: “जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा।” (मत्ती २४:१३) हमारा उद्धार होगा यदि हम वफ़ादारी से अपने वर्तमान जीवन के अन्त तक या इस दुष्ट व्यवस्था के अन्त तक धीरज धरते हैं।
८. यहूदी व्यवस्था के अन्त से पहले क्या किया जाना था, और इसके बारे में आज क्या किया जा रहा है?
८ अन्त से पहले, यीशु की उपस्थिति का एक विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण पहलू पूरा होगा। इसके बारे में उसने कहा: “राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।” (तिरछे टाइप हमारे।) (मत्ती २४:१४) इससे पहले कि रोमियों ने सा.यु. ७० में यरूशलेम और यहूदी रीति-व्यवस्था का विनाश किया, पौलुस कह सका कि सुसमाचार “का प्रचार आकाश के नीचे की सारी सृष्टि में किया गया।” (कुलुस्सियों १:२३) लेकिन, आज यहोवा के साक्षियों द्वारा “सारे जगत में” उससे कहीं विस्तृत प्रचार कार्य किया जा रहा है। पिछले कुछ सालों के दौरान, परमेश्वर ने रास्ता खोला है कि पूर्वी यूरोप में एक बड़ी साक्षी दी जा सके। संसार-भर में छापाख़ानों और अन्य सुविधाओं के साथ, यहोवा का संगठन विस्तृत गतिविधि के लिए तैयार है, “अछूते क्षेत्र” में भी। (रोमियों १५:२२, २३, NW) क्या आपका हृदय आपको प्रेरित करता है कि अन्त आने से पहले साक्षी देने में अपना भरसक करें? यदि हाँ, तो परमेश्वर आपको शक्ति दे सकता है कि आगे रखे कार्य में एक फलदायी हिस्सा लें।—फिलिप्पियों ४:१३; २ तीमुथियुस ४:१७.
९. जैसा मत्ती २४:३६ में अभिलिखित है, यीशु ने कौन-सी बात स्पष्ट की?
९ पूर्वकथित राज्य-प्रचार कार्य और यीशु की उपस्थिति के चिन्ह के अन्य पहलू अभी पूरे हो रहे हैं। अतः, इस दुष्ट रीति-व्यवस्था का अन्त निकट है। सच है, यीशु ने कहा: “उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता; न स्वर्ग के दूत, और न पुत्र, परन्तु केवल पिता।” (मत्ती २४:४-१४, ३६) लेकिन यीशु की भविष्यवाणी हमें “उस दिन और उस घड़ी” के लिए तैयार होने में मदद दे सकती है।
वे तैयार थे
१०. हम कैसे जानते हैं कि आध्यात्मिक रूप से जागते रहना संभव है?
१० यहोवा के बड़े दिन से बचकर निकलने के लिए, हमें आध्यात्मिक रूप से जागते रहने और सच्ची उपासना के लिए दृढ़ रहने की ज़रूरत है। (१ कुरिन्थियों १६:१३) हम जानते हैं कि ऐसा धीरज संभव है, क्योंकि एक धर्म-परायण परिवार ने ऐसा किया और उस जलप्रलय से बचकर निकले जिसने सा.यु.पू. २३७० में दुष्ट मनुष्यों का नाश किया। उस युग की तुलना अपनी उपस्थिति से करते हुए, यीशु ने कहा: “जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा। क्योंकि जैसे जल-प्रलय से पहिले के दिनों में, जिस दिन तक कि नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते-पीते थे, और उन में ब्याह शादी होती थी। और जब तक जल-प्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक उन को कुछ भी मालूम न पड़ा [“उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया,” NW]; वैसे ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।”—मत्ती २४:३७-३९.
११. नूह के दिनों में जो हिंसा विद्यमान थी उसके बावजूद वह किस मार्ग पर चला?
११ हमारी तरह, नूह और उसका परिवार एक हिंसक संसार में रहते थे। “परमेश्वर के” अवज्ञाकारी स्वर्गदूतीय “पुत्रों” ने भौतिक देह धारण की थी और स्त्रियों से विवाह किया था जिनके द्वारा उन्होंने कुख्यात नफिली को जन्म दिया—जो ऐसे गुंडे थे जिन्होंने निःसंदेह परिस्थितियों को और हिंसक बना दिया। (उत्पत्ति ६:१, २, ४; १ पतरस ३:१९, २०) लेकिन, विश्वास में “नूह परमेश्वर ही के साथ साथ चलता रहा।” वह अपने समय की दुष्ट पीढ़ी में—“अपने समय के लोगों में खरा था।” (उत्पत्ति ६:९-११) परमेश्वर पर प्रार्थनापूर्ण भरोसे के साथ, हम भी यहोवा के दिन की प्रतीक्षा करते हुए, इस हिंसक और दुष्ट संसार में वैसा ही कर सकते हैं।
१२. (क) जहाज़ बनाने के अलावा, नूह ने कौन-सा कार्य किया? (ख) नूह के प्रचार पर लोगों ने कैसी प्रतिक्रिया दिखायी, और इसका उनके लिए क्या परिणाम हुआ?
१२ नूह जलप्रलय से जीवन के बचाव के लिए जहाज़ बनानेवाले के रूप में सुप्रसिद्ध है। वह ‘धर्म का प्रचारक’ भी था, लेकिन उसके समय के लोगों ने उसके परमेश्वर-प्रदत्त संदेश पर “कोई ध्यान नहीं दिया।” वे खाते-पीते, शादी-ब्याह करते, बाल-बच्चों को पालते-पोसते, और जीवन के रोज़मर्रा के काम करते रहे जब तक कि जलप्रलय उन सब को बहा न ले गया। (२ पतरस २:५; उत्पत्ति ६:१४) वे खरी बोली और चालचलन के बारे में नहीं सुनना चाहते थे, जैसे कि आज की दुष्ट पीढ़ी भी इसके प्रति अपने कान बंद कर लेती है कि यहोवा के साक्षी ‘परमेश्वर की ओर मन फिराने,’ मसीह में विश्वास, धार्मिकता, और “आनेवाले न्याय” के बारे में क्या बोलते हैं। (प्रेरितों २०:२०, २१; २४:२४, २५) इसका कोई उपलब्ध अभिलेख नहीं है कि उस समय पृथ्वी पर कितने लोग रह रहे थे जब नूह परमेश्वर का संदेश घोषित कर रहा था। लेकिन एक बात निश्चित है, सा.यु.पू. २३७० में पृथ्वी की जनसंख्या उल्लेखनीय रूप से घट गयी! जलप्रलय ने दुष्टों को मिटा दिया, और केवल उन्हीं को छोड़ा जो परमेश्वर के उस कार्य के लिए तैयार थे—नूह और उसके परिवार के बाक़ी सात सदस्य।—उत्पत्ति ७:१९-२३; २ पतरस ३:५, ६.
१३. किस न्यायिक निर्णय पर नूह ने पूर्ण भरोसा रखा, और उसने इसके सामंजस्य में कैसे कार्य किया?
१३ परमेश्वर ने नूह को जलप्रलय के ठीक दिन और घड़ी के बारे में सालों पहले अग्रिम सूचना नहीं दी। लेकिन, जब नूह ४८० साल का था, तब यहोवा ने घोषित किया: “मेरा आत्मा मनुष्य से सदा लों विवाद करता न रहेगा, क्योंकि मनुष्य भी शरीर ही है: उसकी आयु एक सौ बीस वर्ष की होगी।” (उत्पत्ति ६:३) नूह ने इस ईश्वरीय न्यायिक निर्णय पर पूर्ण भरोसा रखा। पाँच सौ साल का होने के बाद, उसने “शेम, और हाम, और येपेत को जन्म दिया,” और उन दिनों का रिवाज़ संकेत देता है कि तब से उसके पुत्रों के विवाह करने तक ५० से ६० साल बीते। जब नूह को जलप्रलय से बचाव के लिए जहाज़ बनाने को कहा गया था, तब उन पुत्रों ने और उनकी पत्नियों ने प्रत्यक्षतः उस कार्य में उसको सहयोग दिया। जहाज़ बनाने का काम और “धर्म के प्रचारक” के रूप में नूह की सेवा संभवतः एक ही समय पर थी, जिसने उसे जलप्रलय से पहले के ४० से ५० सालों में व्यस्त रखा। (उत्पत्ति ५:३२; ६:१३-२२) उन सालों में, उसने और उसके परिवार ने विश्वास के साथ कार्य किया। आइए हम भी सुसमाचार का प्रचार करते हुए और यहोवा के दिन की प्रतीक्षा करते हुए विश्वास प्रदर्शित करें।—इब्रानियों ११:७.
१४. अंततः यहोवा ने नूह से क्या कहा, और क्यों?
१४ जब जहाज़ पूरा होने को था, नूह ने शायद सोचा हो कि जलप्रलय सन्निकट है, हालाँकि उसे पता नहीं था कि वह ठीक किस समय आएगा। यहोवा ने अंततः उसे बताया: “अब सात दिन बीतने पर मैं पृथ्वी पर चालीस दिन और चालीस रात तक जल बरसाता रहूंगा।” (उत्पत्ति ७:४) इसने नूह और उसके परिवार को बस इतना समय दिया कि जलप्रलय शुरू होने से पहले सब जाति के पशुओं को जहाज़ में इकट्ठा कर लें और स्वयं उसमें आ जाएँ। हमें इस व्यवस्था के विनाश के आरंभ का दिन और घड़ी जानने की ज़रूरत नहीं है; पशुओं का बचाव हमें नहीं सौंपा गया है, और प्रत्याशित मानव उत्तरजीवी पहले ही लाक्षणिक जहाज़, परमेश्वर के लोगों के आध्यात्मिक परादीस में आ रहे हैं।
“जागते रहो”
१५. (क) मत्ती २४:४०-४४ में दिए गए यीशु के शब्दों को आप अपने शब्दों में कैसे समझाएँगे? (ख) यह न जानने का क्या प्रभाव होता है कि परमेश्वर का पलटा लेने के लिए यीशु ठीक किस समय आएगा?
१५ अपनी उपस्थिति के बारे में, यीशु ने समझाया: “उस समय दो जन खेत में [काम कर रहे] होंगे, एक ले लिया जाएगा और दूसरा छोड़ दिया जाएगा। दो स्त्रियां चक्की [में आटा] पीसती रहेंगी, एक ले ली जाएगी, और दूसरी छोड़ दी जाएगी। इसलिये जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आएगा। परन्तु यह जान लो कि यदि घर का स्वामी जानता होता कि चोर किस पहर आएगा, तो जागता रहता; और अपने घर में सेंध लगने न देता। इसलिये तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।” (मत्ती २४:४०-४४; लूका १७:३४, ३५) परमेश्वर का पलटा लेने के लिए यीशु के आने का ठीक समय न जानना हमें सचेत रहने में मदद देता है और हमें यह साबित करने के लिए दैनिक अवसर देता है कि हम निःस्वार्थ अभिप्रायों से यहोवा की सेवा करते हैं।
१६. उन व्यक्तियों का क्या होगा जिन्हें “छोड़ दिया जाएगा” और उनका क्या होगा जिन्हें “ले लिया जाएगा”?
१६ जिन्हें दुष्टों के साथ विनाश के लिए “छोड़ दिया जाएगा,” उनमें वे व्यक्ति भी सम्मिलित होंगे जो कभी प्रबुद्ध थे परन्तु जो स्वार्थी जीवन शैली में फँस जाते हैं। ऐसा हो कि हम उनमें हों जिन्हें “ले लिया जाएगा,” वे जो यहोवा को पूरी तरह समर्पित हैं और “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के द्वारा उसके आध्यात्मिक प्रबन्धों के लिए सचमुच आभारी हैं। (मत्ती २४:४५-४७) अन्त तक, आइए “शुद्ध मन और अच्छे विवेक, और कपटरहित विश्वास से प्रेम” के साथ परमेश्वर की सेवा करें।—१ तीमुथियुस १:५.
पवित्र कार्य अत्यावश्यक
१७. (क) दूसरा पतरस ३:१० में क्या पूर्वबताया गया था? (ख) दूसरा पतरस ३:११ कौन-से कुछ काम करने का प्रोत्साहन देता है?
१७ प्रेरित पतरस ने लिखा: “प्रभु का दिन चोर की नाईं आ जाएगा, उस दिन आकाश बड़ी हड़हड़ाहट के शब्द से जाता रहेगा, और तत्व बहुत ही तप्त होकर पिघल जाएंगे, और पृथ्वी और उस पर के काम जल जाएंगे।” (२ पतरस ३:१०) लाक्षणिक स्वर्ग और पृथ्वी परमेश्वर के धधकते क्रोध की गर्मी से नहीं बचेंगे। सो पतरस आगे कहता है: “तो जब कि ये सब वस्तुएं, इस रीति से पिघलनेवाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चालचलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए।” (२ पतरस ३:११) इसमें मसीही सभाओं में नियमित उपस्थिति, दूसरों के लिए भलाई करना, और सुसमाचार का प्रचार करने में एक अर्थपूर्ण हिस्सा लेना सम्मिलित है।—मत्ती २४:१४; इब्रानियों १०:२४, २५; १३:१६.
१८. यदि हम संसार से लगाव पैदा कर रहे हैं, तो हमें क्या करना चाहिए?
१८ “पवित्र चालचलन और भक्ति” माँग करती है कि हम “अपने आप को संसार से निष्कलंक रखें।” (याकूब १:२७) लेकिन तब क्या यदि हम इस संसार से लगाव पैदा कर रहे हैं? अशुद्ध मनोरंजन करने या ऐसे संगीत और गीत सुनने के द्वारा जो इस संसार की भक्तिहीन आत्मा को बढ़ावा देते हैं, संभवतः हम प्रलोभित किए जा रहे हैं जो परमेश्वर के सामने हमें एक ख़तरनाक स्थिति में डालेगा। (२ कुरिन्थियों ६:१४-१८) यदि ऐसा है तो आइए प्रार्थना में परमेश्वर की मदद माँगें ताकि हम संसार के साथ जाते न रहें परन्तु मनुष्य के पुत्र के सामने अनुमोदित स्थिति में खड़े हो पाएँ। (लूका २१:३४-३६; १ यूहन्ना २:१५-१७) यदि हमने परमेश्वर को समर्पण किया है, तो निश्चित ही हम उसके साथ एक स्नेही सम्बन्ध बनाने और उसे बनाए रखने के लिए अपना भरसक करना चाहेंगे और इस प्रकार यहोवा के बड़े और भयानक दिन के लिए तैयार होंगे।
१९. राज्य उद्घोषकों की भीड़-की-भीड़ इस दुष्ट रीति-व्यवस्था की समाप्ति से बचकर निकलने की अपेक्षा क्यों कर सकती है?
१९ धर्म-परायण नूह और उसका परिवार उस जलप्रलय से बचकर निकले जिसने प्राचीन संसार का विनाश किया। खरे व्यक्ति सा.यु. ७० में यहूदी रीति-व्यवस्था के अन्त से बचकर निकले। उदाहरण के लिए, प्रेरित यूहन्ना लगभग सा.यु. ९६-९८ में परमेश्वर की सेवा में सक्रिय ही था जब उसने प्रकाशितवाक्य की पुस्तक, अपना सुसमाचार वृत्तान्त, और तीन उत्प्रेरित पत्रियाँ लिखीं। उन हज़ारों में से जिन्होंने सा.यु. ३३ में सच्चा धर्म अपनाया, संभवतः अनेक जन यहूदी व्यवस्था के अन्त से बचकर निकले। (प्रेरितों १:१५; २:४१, ४७; ४:४) आज राज्य उद्घोषकों की भीड़-की-भीड़ वर्तमान दुष्ट रीति-व्यवस्था की समाप्ति से बचकर निकलने की आशा रख सकती है।
२०. हमें क्यों उत्साही ‘धर्म प्रचारक’ बनना चाहिए?
२० जबकि हमारे सामने नए संसार में बचकर जाने की आशा है, आइए उत्साही ‘धर्म प्रचारक’ बनें। इन अन्तिम दिनों में परमेश्वर की सेवा करना क्या ही विशेषाधिकार है! और लोगों को वर्तमान-दिन “जहाज” की ओर, परमेश्वर के लोग जिस आध्यात्मिक परादीस का आनन्द लेते हैं उसकी ओर निर्दिष्ट करना क्या ही आनन्द की बात है! ऐसा हो कि जो लाखों लोग अभी इसमें हैं वे वफ़ादार रहें, आध्यात्मिक रूप से जागते रहें, और यहोवा के बड़े दिन के लिए तैयार रहें। लेकिन कौन-सी बात हम सब को जागते रहने में मदद देगी?
[फुटनोट]
a वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित पुस्तक ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है, के अध्याय १० और ११ देखिए।
आप कैसे उत्तर देंगे?
◻ यहोवा के दिन और मसीह की उपस्थिति के बारे में कुछ लोगों की क्या अपेक्षाएँ थीं?
◻ हम क्यों कह सकते हैं कि नूह और उसका परिवार जलप्रलय के लिए तैयार थे?
◻ उनका क्या होगा जो ‘जागते रहते’ हैं और उनका क्या होगा जो ऐसा नहीं करते?
◻ पवित्र कार्य क्यों अत्यावश्यक हैं, ख़ासकर जैसे-जैसे हम यहोवा के बड़े दिन के निकट आते जाते हैं?