पाठकों के प्रश्न
भेड़ों और बकरियों के बारे में यीशु की नीतिकथा का अध्ययन करके हम पुलकित हुए। अक्तूबर १५, १९९५ की “प्रहरीदुर्ग” में प्रस्तुत नयी समझ को ध्यान में रखते हुए, क्या हम अब भी कह सकते हैं कि यहोवा के साक्षी आज एक विभाजन कार्य में भाग ले रहे हैं?
जी हाँ। प्रत्यक्षतः, अनेक लोगों ने इसके बारे में सोचा है क्योंकि मत्ती २५:३१, ३२ कहता है: “जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा में आएगा, और सब स्वर्ग दूत उसके साथ आएंगे तो वह अपनी महिमा के सिंहासन पर विराजमान होगा। और सब जातियां उसके साम्हने इकट्ठी की जाएंगी; और जैसा चरवाहा भेड़ों को बकरियों से अलग कर देता है, वैसा ही वह उन्हें एक दूसरे से अलग करेगा।” अक्तूबर १५, १९९५ की प्रहरीदुर्ग ने दिखाया कि क्यों ये आयतें भारी क्लेश के शुरू होने के बाद लागू होती हैं। यीशु अपनी महिमा में अपने स्वर्गदूतों के साथ आएगा और अपने न्याय सिंहासन पर बैठेगा। तब, वह लोगों को अलग करेगा। किस अर्थ में? लोगों ने उस समय से पहले क्या किया अथवा क्या नहीं किया, उसके आधार पर वह न्याय करेगा।
हम इसकी तुलना कानूनी कार्यवाही के घटनाक्रम से कर सकते हैं जो मुक़दमे के फ़ैसले के लिए रास्ता तैयार करता है। एक लंबे समय तक सबूत इकट्ठे किए जाते हैं और उसके बाद अदालत फ़ैसला करती और सज़ा सुनाती है। इसका सबूत कि अभी जीवित लोग भेड़ साबित होंगे या बकरियाँ, लंबे समय से इकट्ठा हो रहा है। और अभी भी बढ़ रहा है। लेकिन जब यीशु अपने सिंहासन पर बैठता है, तो मुक़दमा पूरा हो जाएगा। वह फ़ैसला सुनाने के लिए तैयार होगा। लोग या तो अनंत विनाश के लिए या अनंत जीवन के लिए अलग किए जाएँगे।
लेकिन, यह सत्य कि मत्ती २५:३२ में उल्लिखित जीवन या मृत्यु के लिए लोगों का अलग किया जाना भविष्य में होगा यह अर्थ नहीं रखता कि उससे पहले कोई छँटाई, या विभाजन नहीं होता। मत्ती अध्याय १३ में बाइबल एक विभाजन कार्य का उल्लेख करती है जो उससे पहले होता है। दिलचस्पी की बात है, पुस्तक एकमात्र सच्चे परमेश्वर की उपासना में संयुक्त (अंग्रेज़ी), पृष्ठ १७९-८० पर “लोगों का अलग किया जाना” शीर्षक के नीचे इसकी चर्चा करती है।a पुस्तक कहती है: “ऐसी अन्य महत्त्वपूर्ण घटनाएँ भी हैं जिनको यीशु ने इस रीति-व्यवस्था की समाप्ति के साथ प्रमुख रूप से जोड़ा। इनमें से एक है ‘राज्य के सन्तानों’ का ‘दुष्ट के सन्तानों’ से अलग किया जाना। इसके बारे में यीशु ने गेहूं के खेत की अपनी नीतिकथा में बताया जिसमें बैरी ने जंगली बीज बो दिए।”
यह पुस्तक मत्ती १३:२४-३० में दिए गए यीशु के दृष्टांत का उल्लेख कर रही थी जो आयत ३६-४३ में समझाया गया है। आयत ३८ में ध्यान दीजिए कि गेहूं के अच्छे बीज राज्य की सन्तानों को चित्रित करते हैं, परंतु जंगली बीज दुष्ट की सन्तानों को चित्रित करते हैं। आयत ३९ और ४० दिखाती हैं कि ‘रीति-व्यवस्था की समाप्ति’ में—उस समय के दौरान जिसमें अभी हम जी रहे हैं—जंगली दानों को इकट्ठा किया जाता है। उन्हें अलग किया जाता है और अंततः जलाया, नष्ट किया जाता है।
यह दृष्टांत अभिषिक्त मसीहियों से संबंधित है (जिन्हें भेड़ों और बकरियों की नीतिकथा में यीशु के भाई कहा गया है)। फिर भी, यह बात स्पष्ट है कि हमारे समय के दौरान एक महत्त्वपूर्ण विभाजन होता है, जिसमें अभिषिक्त जनों की पहचान उनसे अलग की जाती है जो मसीही होने का दावा करते हैं परंतु अपने आपको “दुष्ट के सन्तान” साबित करते हैं।
लोगों के विभाजित, या अलग किए जाने के बारे में यीशु ने अन्य उदाहरण प्रदान किए। याद कीजिए कि उसने चौड़े मार्ग के बारे में जो विनाश की ओर ले जाता है यह कहा: “बहुतेरे हैं जो उस से प्रवेश करते हैं।” (तिरछे टाइप हमारे।) (मत्ती ७:१३) वह मात्र अंतिम परिणाम के बारे में टिप्पणी नहीं थी। वह चल रहे घटनाक्रम के बारे में टिप्पणी थी, जैसे यह अभी उन थोड़े-से लोगों के बारे में सच है जो जीवन की ओर ले जानेवाले सकरे मार्ग को पाते हैं। यह भी याद कीजिए कि प्रेरितों को भेजते समय, यीशु ने कहा कि वे कुछ लोगों को पाएँगे जो योग्य होंगे। दूसरे योग्य नहीं होंगे, और प्रेरितों को अपने पाँवों की धूल झाड़ डालनी थी कि ऐसे लोगों “पर गवाही हो।” (लूका ९:५) क्या यह सच नहीं कि कुछ ऐसा ही होता है जब मसीही आज अपनी जन सेवकाई करते हैं? कुछ लोग अच्छी प्रतिक्रिया दिखाते हैं, जबकि दूसरे उस ईश्वरीय संदेश को ठुकरा देते हैं जो हम लाते हैं।
भेड़ों और बकरियों के बारे में उस प्रहरीदुर्ग के लेखों ने बताया: “जबकि इस नीतिकथा में वर्णित न्याय निकट भविष्य में होना है, अभी भी एक अति महत्त्वपूर्ण कार्य हो रहा है। हम मसीही एक संदेश सुनाने का जीवन-रक्षक कार्य कर रहे हैं जो लोगों के बीच विभाजन करता है। (मत्ती १०:३२-३९)।” मत्ती अध्याय १० के उस परिच्छेद में, हम पढ़ते हैं कि यीशु ने कहा कि उसके पीछे चलना विभाजन का कारण होगा—पिता और पुत्र के बीच, पुत्री और माँ के बीच।
अंततः, मसीह के आत्मा-अभिषिक्त भाइयों ने राज्य संदेश के प्रचार को संसार-भर में बढ़ाया है। जैसे-जैसे लोग इसे सुनते हैं और अनुकूल या प्रतिकूल प्रतिक्रिया दिखाते हैं, वे अपनी पहचान करा रहे हैं। मत्ती अध्याय २५ में दिए गए अर्थ में, हम मनुष्य नहीं कह सकते, और हमें नहीं कहना चाहिए, ‘यह व्यक्ति भेड़ है; वह बकरी है।’ लेकिन, हमारा लोगों को सुसमाचार देना उन्हें यह दिखाने का अवसर देता है कि उनकी स्थिति क्या है—वे क्या हैं और यीशु के भाइयों के प्रति उनका क्या रुख़ है। अतः, एक मुक़दमे के फ़ैसले के लिए बढ़ते हुए सबूत की तरह, उनके बीच विभाजन स्पष्ट हो रहा है जो यीशु के भाइयों का समर्थन करते हैं और जो उनको समर्थन देने से इनकार करते हैं। (मलाकी ३:१८) जैसा प्रहरीदुर्ग ने दिखाया, यीशु जल्द ही अपने सिंहासन पर बैठेगा और न्याय सुनाएगा, तब निर्णायक अर्थ में लोग न्यायिक रूप से जीवन के लिए या विनाश के लिए अलग किए जाएँगे।
[फुटनोट]
a वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा १९८३ में प्रकाशित।